M’Cheyne Bible Reading Plan
नित्य—भेंट
28 तब यहोवा ने मूसा से बात की। उसने कहा, 2 “इस्राएल के लोगों को यह आदेश दो। उनसे कहो कि वे ठीक समय पर निश्चयपूर्वक मुझे विशेष भेंट चढ़ाएं। उनसे कहो कि वे अन्नबलि और होमबलि चढ़ाएं। यहोवा उन होमबलियों की सुगन्ध पसन्द करता है। 3 इन होमबलियों को उन्हें यहोवा को चढ़ाना ही चाहिए। उन्हें दोषरहित एक वर्ष के दो मेढ़े नित्य भेंट के रूप में चढ़ाना चाहिए। 4 मेढ़ों में से एक को सवेरे चढ़ाओ और दूसरे मेढ़े को संध्या के समय। 5 इसके अतिरिक्त दो क्वार्ट[a] अन्नबलि एक क्वार्ट[b] जैतून के तेल के साथ मिला आटा दो।” 6 (उन्होंने सीनै पर्वत पर नित्य भेंट देनी आरम्भ की थी। यहोवा ने उन होमबलियों की सुगन्ध पसन्द की थी।) 7 लोगों को होमबलि के साथ पेय भेंट भी चढ़ानी चाहिए। उन्हें हर एक मेमने के साथ एक क्वार्ट दाखमधु देनी चाहिए। उस पेय भेंट को पवित्र स्थान में वेदी पर डालो। यह यहोवा को भेंट है। 8 दूसरे मेढ़े की भेंट गोधूलि के समय चढ़ाओ। इसे सवेरे की भेंट की तरह चढ़ाओ। वैसे ही पेय भेंट भी चढ़ाओ। ये आग द्वारा दी गई भेंट होगी। इस की सुगन्ध यहोवा को प्रसन्न करेगी।
सब्त भेंट
9 “शनिवार को, जो छुट्टी का दिन है, एक वर्ष के दोष रहित दो मेमने जैतून के तेल के साथ मिले चार क्वार्ट[c] अच्छे आटे की अन्नबलि और पेय भेंट चढ़ाओ। 10 यह छुट्टी के दिन की विशेष भेंट है। यह भेंट नियमित नित्य भेंट और पेय भेंट के अतिरिक्त है।”
मासिक बैठकें
11 “हर एक महीने के प्रथम दिन तुम यहोवा को होमबलि चढ़ाओगे। यह भेंट दोष रहित दो बैलों, एक मेढ़ा और सात एक वर्ष के मेमनों की होगी। 12 हर एक बैल के साथ जैतून के तेल के साथ मिले छः क्वार्ट[d] अच्छे आटे की अन्नबलि भी चढ़ाओ। हर एक मेढ़े के साथ जैतून के तेल के साथ मिले चार क्वार्ट अच्छे आटे की अन्नबलि भी चढ़ाओ। 13 हर एक मेमने के साथ जैतून के तेल के साथ मिले दो क्वार्ट अच्छे आटे की अन्नबलि भी चढ़ाओ। यह ऐसी होमबलि होगी जो यहोवा के लिए मधुर गन्ध होगी। 14 पेय भेंट में दो क्वार्ट दाखमधु हर एक बैल के साथ, एक चौथाई क्वार्ट[e] दाखमधु हर एक मेढ़े के साथ और एक क्वार्ट दाखमधु हर एक मेमने के साथ होगी। यह होमबलि है जो वर्ष के हर एक महीने चढ़ाई जानी चाहिए। 15 नित्य दैनिक होमबलि और पेय भेंट के अतिरिक्त तुम्हें यहोवा को एक बकरा देना चाहिए। वह बकरा पापबलि होगा।
फसह पर्व
16 “पहले महीने के चौदहवें दिन यहोवा के सम्मान में फसह पर्व होगा। 17 उस महीने के पन्द्रहवें दिन अखमीरी रोटी की दावत आरम्भ होती है। यह पर्व सात दिन तक रहता है। तुम वही रोटी खा सकते हो जो अखमीरी हो। 18 इस पर्व के पहले दिन तुम्हें विशेष बैठक बुलानी चाहिए। उस दिन तुम कोई काम नहीं करोगे। 19 तुम यहोवा को होमबलि दोगे। यह होमबलि दोष रहित दो बैल, एक मेढ़ा और एक वर्ष के सात मेमनों की होगी। 20-21 हर एक बैल के साथ जैतून के तेल के साथ मिले हुए छ: क्वार्ट अच्छे आटे। मेढ़े के साथ जैतून के तेल के साथ मिले हुए चार क्वार्ट अच्छ आटे और हर एक मेमने के साथ दो क्वार्ट जैतून के तेल के साथ मिले हुए आटे की अन्नबलि भी होगी। 22 तुम्हें एक बकरा भी देना चाहिए। वह बकरा तुम्हारे लिए पापबलि होगा। यह तुम्हारे पापो को ढकेगा। 23 तुम लोगों को वे भेंटे उन भेंटों के अतिरिक्त देनी चाहिए जो तुम हर एक सवेरे होमबलि के रूप में देते हो।
24 “उसी प्रकार तुम्हें सात दिन तक आग द्वारा भेंट देनी चाहिए और इसके साथ पेय भेंट भी देनी चाहिए। यह भेंट यहोवा के लिए मधुर गन्ध होगी। तुम्हें ये भेंटें होमबलि के अतिरिक्त देनी चाहिए जो तुम प्रतिदिन देते हो।
25 “तब फसह पर्व के सातवें दिन तुम एक विशेष बैठक बुलाओगे और उस दिन तुम कोई काम नहीं करोगे।
सप्ताहों का पर्व (कटनी का पर्व)
26 “प्रथम फल का पर्व या सप्ताहों के पर्व के समय तुम यहोवा के नये फसल की अन्नबलि दो। उस समय तुम्हें एक विशेष बैठक भी बुलानी चाहिए। तुम उस दिन कोई काम नहीं करोगे। 27 तुम होमबलि चढ़ाओगे। वह बलि यहोवा के लिए सुगन्ध होगी। तुम दोष रहित दो साँड, एक मेढ़ा और एक वर्ष के सात मेमनों की भेंट चढ़ाओगे। 28 तुम हर एक साँड के साथ जैतून के तेल के साथ मिले हुए छः क्वार्ट अच्छे आटे, हर एक मेढ़े के साथ चार क्वार्ट 29 और हर एक मेमने के साथ दो क्वार्ट आटे की भेंट चढ़ाओगे। 30 तुम्हें अपने पापों को ढकने के लिए एक बकरे की बलि चढ़ानी चाहिए। 31 तुम्हें यह भेंट प्रतिदिन होमबलि और इसकी अन्नबलि के अतिरिक्त चढ़ानी चाहिए। निश्चय कर लो कि जानवरों में कोई दोष न हो और यह निश्चय कर लो कि पेय भेंट ठीक है।
दाऊद के लिये।
1 हे परमेश्वर, राजा की सहायता कर ताकि वह भी तेरी तरह से विवेकपूर्ण न्याय करे।
राजपुत्र की सहायता कर ताकि वह तेरी धार्मिकता जान सके।
2 राजा की सहायता कर कि तेरे भक्तों का वह निष्पक्ष न्याय करें।
सहायता कर उसकी कि वह दीन जनों के साथ उचित व्यवहार करे।
3 धरती पर हर कहीं शांती
और न्याय रहे।
4 राजा, निर्धन लोगों के प्रति न्यायपूर्ण रहे।
वह असहाय लोगों की सहायता करे। वे लोग दण्डित हो जो उनको सताते हो।
5 मेरी यह कामना है कि जब तक सूर्य आकाश में चमकता है, और चन्द्रमा आकाश में है।
लोग राजा का भय मानें। मेरी आशा है कि लोग उसका भय सदा मानेंगे।
6 राजा की सहायता, धरती पर पड़ने वाली बरसात बनने में कर।
उसकी सहायता कर कि वह खेतों में पड़ने वाली बौछार बने।
7 जब तक वह राजा है, भलाई फूले—फले।
जब तक चन्द्रमा है, शांति बनी रहे।
8 उसका राज्य सागर से सागर तक
तथा परात नदी से लेकर सुदूर धरती तक फैल जाये।
9 मरूभूमि के लोग उसके आगे झुके।
और उसके सब शत्रु उसके आगे औधे मुँह गिरे हुए धरती पर झुकें।
10 तर्शीश का राजा और दूर देशों के राजा उसके लिए उपहार लायें।
शेबा के राजा और सबा के राजा उसको उपहार दे।
11 सभी राजा हमारे राजा के आगे झुके।
सभी राष्ट्र उसकी सेवा करते रहें।
12 हमारा राजा असहायों का सहायक है।
हमारा राजा दीनों और असहाय लोगों को सहारा देता है।
13 दीन, असहाय जन उसके सहारे हैं।
यह राजा उनको जीवित रखता है।
14 यह राजा उनको उन लोगों से बचाता है, जो क्रूर हैं और जो उनको दु:ख देना चाहते हैं।
राजा के लिये उन दीनों का जीवन बहुत महत्वपूर्ण है।
15 राजा दीर्घायु हो!
और शेबा से सोना प्राप्त करें।
राजा के लिए सदा प्रार्थना करते रहो,
और तुम हर दिन उसको आशीष दो।
16 खेत भरपूर फसल दे।
पहाड़ियाँ फसलों से ढक जायें।
ये खेत लबानोन के खेतों से उपजाऊँ हो जायें।
नगर लोगों की भीड़ से भर जाये, जैसे खेत घनि घास से भर जाते हैं।
17 राजा का यश सदा बना रहे।
लोग उसके नाम का स्मरण तब तक करते रहें, जब तक सूर्य चमकता है।
उसके कारण सारी प्रजा धन्य हो जाये
और वे सभी उसको आशीष दे।
18 यहोवा परमेश्वर के गुण गाओं, जो इस्राएल का परमेश्वर है!
वही परमेश्वर ऐसे आश्चर्यकर्म कर सकता है।
19 उसके महिमामय नाम की प्रशंस सदा करों!
उसकी महिमा समस्त संसार में भर जाये!
आमीन और आमीन!
20 (यिशै के पुत्र दाऊद की प्रार्थनाएं समाप्त हुई।)
मिस्र के लिए परमेश्वर का सन्देश
19 मिस्र के बारे में दु:खद सन्देश: देखो! एक उड़ते हुए बादल पर यहोवा आ रहा है। यहोवा मिस्र में प्रवेश करेगा और मिस्र के सारे झूठे देवता भय से थर—थर काँपने लगेंगे। मिस्र वीर था किन्तु उसकी वीरता गर्म मोम की तरह पिघल कर बह जायेगी।
2 परमेश्वर कहता है, “मैं मिस्र के लोगों को आपस में ही एक दूसरे के विरुद्ध युद्ध करने के लिये उकसाऊँगा। लोग अपने ही भाइयों से लड़ेंगे। पड़ोसी, पड़ोसी के विरोध में हो जायेगा। नगर, नगर के विरोध में और राज्य, राज्य के विरोध में हो जायेंगे। 3 मिस्र के लोग चक्कर में पड़ जायेंगे। वे लोग अपने झूठे देवताओं और बुद्धिमान लोगों से पूछेंगे कि उन्हें क्या करना चाहिये। वे लोग अपने ओझाओं और जादूगरों से पूछताछ करेंगे किन्तु उनकी सलाह व्यर्थ होगी।” 4 सर्वशक्तिमान यहोवा स्वामी का कहना है: “मैं (परमेश्वर) मिस्र को एक कठोर स्वामी को सौंप दूँगा। एक शक्तिशाली राजा लोगों पर राज करेगा।”
5 नील नदी का पानी सूख जायेगा। नदी के तल में पानी नहीं रहेगा। 6 सभी नदियों से दुर्गन्ध आने लगेगी। मिस्र की नहरें सूख जायेंगी। उनका पानी जाता रहेगा। पानी के सभी पौधे सड़ जायेंगे। 7 वे सभी पौधे जो नदी के किनारे उगे होंगे, सूख कर उड़ जायेंगे। यहाँ तक कि वे पौधे भी, जो नदी के सबसे चौड़े भाग में होंगे, व्यर्थ हो जायेंगे।
8 मछुआरे, और वे सभी लोग जो नील नदी से मछलियाँ पकड़ा करते हैं, दु:खी होकर त्राहि—त्राहि कर उठेंगे। वे अपने भोजन के लिए नील नदी पर आश्रित हैं किन्तु वह सूख जायेगी। 9 वे लोग जो कपड़ा बनाया करते हैं, अत्यधिक दु:खी होंगे। इन लोगों को सन का कपड़ा बनाने के लिए पटसन की आवश्यकता होगी किन्तु नदी के सूख जाने से सन के पौधों की बढ़वार नहीं हो पायेगी। 10 पानीइकट्ठा करने के लिये बाँध बनाने वाले लोगों के पास काम नहीं रह जायेगा। सो वे बहुत दु:खी होंगे।
11 सोअन नगर के मुखिया मूर्ख हैं। फिरौन के “बुद्धिमान मन्त्री” गलत सलाह देते हैं। वे मुखिया लोग कहते हैं कि वे बुद्धिमान हैं। उनका कहना है कि वे पुराने राजाओं के वंशज हैं। किन्तु जैसा वे सोचते हैं, वैसे बुद्धिमान नहीं हैं। 12 हे मिस्र, तेरे बुद्धिमान पुरुष कहाँ हैं उन बुद्धिमान लोगों को सर्वशक्तिमान यहोवा ने मिस्र के लिये जो योजना बनाई है, उसका पता होना चाहिये। उन लोगों को, जो होने वाला है, तुम्हें बताना चाहिये।
13 सोअन के मुखिया मूर्ख बना दिये गये हैं। नोप के मुखियाओं ने झूठी बातों पर विश्वास किया है। सो मुखिया लोग मिस्र को गलत रास्ते पर ले जाते हैं। 14 यहोवा ने मुखियाओं को उलझन में डाल दिया है। वे भटक गये हैं और मिस्र को गलत रास्ते पर ले जा रहे हैं। वे नशे में धुत ऐसे लोगों के समान हैं जो बीमारी के कारण धरती में लोट रहे हैं। 15 मिस्र के लिए कोई कुछ नहीं कर पाएगा। (फिर चाहे वे सिर हो अथवा पूँछ, “खजूर की शाखायें हो या सरकंडे।” अर्थात् “महत्वपूर्ण हो या महत्वहीन लोग।”)
16 उस समय, मिस्र के निवासी भयभीत स्त्रियों के समान हो जायेंगे। वे सर्वशक्तिमान यहोवा से डरेंगे। यहोवा लोगों को दण्ड देने के लिए अपना हाथ उठायेगा और लोग डर जायेंगे। 17 मिस्र में सब लोगों के लिये यहूदा का प्रदेश भय का कारण होगा। मिस्र में कोई भी यहूदा का नाम सुन कर डर जायेगा। ऐसा इसलिये होगा क्योंकि सर्वशक्तिमान यहोवा ने भयानक घटनायें घटाने की योजना बनायी है। 18 उस समय, मिस्र में ऐसे पाँच नगर होंगे जहाँ लोग कनान की भाषा (यहूदी भाषा) बोलेंगे। इन नगरों में एक नगर का नाम होगा “नाश की नगरी।” लोग सर्वशक्तिमान यहोवा के अनुसरण की प्रतिज्ञा करेंगे।
19 उस समय मिस्र के बीच में यहोवा के लिये एक वेदी होगी। मिस्र की सीमापर यहोवा को आदर देने के लिए एक स्मारक होगा। 20 यह इस बात का प्रतीक होगा कि सर्वशक्तिमान यहोवा शक्तिमान कार्य करता है। जब कभी लोग सहायता के लिए यहोवा को पुकारेंगे, यहोवा सहायता भेजेगा। यहोवा लोगों को बचाने और उनकी रक्षा करने के लिये एक व्यक्ति को भेजेगा। वह व्यक्ति उन व्यक्तिओं को उन दूसरे लोगों से बचायेगा जो उनके साथ बुरी बातें करते हैं।
21 सचमुच उस समय, मिस्र के लोग यहोवा को जानेंगे। वे लोग परमेश्वर से प्रेम करेंगे। वे लोग परमेश्वर की सेवा करेंगे और बहुत सी बलियाँ चढ़ायेंगे। वे लोग यहोवा की मनौतियाँ मानेंगे और उन मनौतियों का पालन करेंगे। 22 यहोवा मिस्र के लोगों को दण्ड देगा। फिर यहोवा उन्हें (चंगा) क्षमा कर देगा और वे यहोवा की ओर लौट आयेंगे। यहोवा उनकी प्रार्थनाएँ सुनेगा और उन्हें क्षमा कर देगा।
23 उस समय, वहाँ एक ऐसा राजमार्ग होगा जो मिस्र से अश्शूर जायेगा। फिर अस्शूर से लोग मिस्र में जायेंगे और मिस्र से अश्शूर में। मिस्र अश्शूर के लोगों के साथ परमेश्वर की उपासना करेगा। 24 उस समय, इस्राएल, अश्शूर और मिस्र आपस में एक हो जायेंगे और पृथ्वी पर शासन करेंगे। यह शासन धरती के लिये वरदान होगा। 25 सर्वशक्तिमान यहोवा इन देशों को आशीर्वाद देगा। वह कहेगा, “हे मिस्र के लोगों, तुम मेरे हो। अश्शूर, तुझे मैंने बनाया है। इस्राएल, मैं तेरा स्वामी हूँ। तुम सब धन्य हो!”
अश्शूर मिस्र और कूश को हरायेगा
20 सर्गोन अश्शूर का राजा था। सर्गोन ने तर्तान को नगर के विरुद्ध युद्ध करने के लिए अशदोद भेजा। तर्तान ने वहाँ जा कर नगर पर कब्जा कर लिया। 2 उस समय आमोस के पुत्र यशायाह के द्वारा यहोवा ने कहा, “जा, और अपनी कमर से शोक वस्त्र उतार फेंक। अपने पैरों की जूतियाँ उतार दे।” यशायाह ने यहोवा की आज्ञा का पालन किया और वह बिना कपड़ों और बिना जूतों के इधर—उधर घूमा।
3 फिर यहोवा ने कहा, “यशायाह तीन साल तक बिना कपड़ों और बिना जूतियाँ पहने इधर—उधर घूमता रहा है। मिस्र और कूश के लिए यह एक संकेत है कि 4 अश्शूर का राजा मिस्र और कूश को हरायेगा। अश्शूर वहाँ के बंदियों को लेकर, उनके देशों से दूर ले जायेगा। बूढ़े व्यक्ति और जवान लोग बिना कपड़ों और नंगे पैरों ले जाये जायेंगे। वे पूरी तरह से नंगे होंगे। मिस्र के लोग लज्जित होंगे। 5 जो लोग सहायता के लिये कूश की ओर देखा करते थे, वे टूट जायेंगे। जो लोग मिस्र की महिमा से चकित थे वे लज्जित होंगे।”
6 समुद्र के पास रहने वाले, वे लोग कहेंगे, “हमने सहायता के लिये उन देशों पर विश्वास किया। हम उनके पास दौड़े गये ताकि वे हमें अश्शूर के राजा से बचा लें किन्तु उन देशों को देखो कि उन देशों पर ही जब कब्जा कर लिया गया तब हम कैसे बच सकते थे”
1 यीशु मसीह के सेवक तथा प्रेरित शमौन पतरस की ओर से उन लोगों के नाम जिन्हें परमेश्वर से हमारे जैसा ही विश्वास प्राप्त है। क्योंकि हमारा परमेश्वर और उद्धारकर्ता यीशु मसीह न्यायपूर्ण है।
2 तुम परमेश्वर और हमारे प्रभु यीशु मसीह को जान चुके हो इसलिए तुम्हें परमेश्वर की कृपा और अनुग्रह अधिक से अधिक प्राप्त हो।
परमेश्वर ने हमें सब कुछ दिया है
3 अपने जीवन के लिए और परमेश्वर की सेवा के लिए जो कुछ हमें चाहिए, अपनी दिव्य शक्ति के द्वारा उसने सब कुछ हमें दिया है। क्योंकि हम उसे जानते हैं, जिसने अपनी धार्मिकता और महिमा के कारण हमें बुलाया है। 4 इन्हीं के द्वारा उसने हमें वे महान और अमूल्य वरदान दिये हैं, जिन्हें देने की उसने प्रतिज्ञा की थी ताकि उनके द्वारा तुम स्वयं परमेश्वर के समान हो जाओ और उस विनाश से बच जाओ जो लोगों की बुरी इच्छाओं के कारण इस जगत में स्थित है।
5 सो इसलिए अपने विश्वास में उत्तम गुणों को, उत्तम गुणों में ज्ञान को, 6 ज्ञान में आत्मसंयम को, आत्मसंयम में धैर्य को, धैर्य में परमेश्वर की भक्ति को, 7 भक्ति में भाईचारे को और भाईचारे में प्रेम को उदारता के साथ बढ़ाते चलो। 8 क्योंकि यदि ये गुण तुममें हैं और उनका विकास हो रहा है तो वे तुम्हें कर्मशील और सफल बना देंगे तथा उनसे तुम्हें हमारे प्रभु यीशु मसीह का परिपूर्ण ज्ञान प्राप्त होगा 9 किन्तु जिसमें ये गुण नहीं हैं, उसमें दूर-दृष्टि नहीं है, वह अन्धा है। तथा वह यह भूल चुका है कि उसके पूर्व पापों को धोया जा चुका है।
10 इसलिए हे भाइयो, यह दिखाने के लिए और अधिक तत्पर रहो कि तुम्हें वास्तव में परमेश्वर द्वारा बुलाया गया है और चुना गया है क्योंकि यदि तुम इन बातों को करते हो तो न कभी ठोकर खाओगे और न ही गिरोगे, 11 और इस प्रकार हमारे प्रभु एवम् उद्धारकर्ता यीशु मसीह के अनन्त राज्य में तुम्हें प्रवेश देकर परमेश्वर अपनी उदारता दिखायेगा।
12 इसी कारण मैं तुम्हें, यद्यपि तुम उन्हें जानते ही हो और जो सत्य तुम्हें मिला है, उस पर टिके भी हुए हो, इन बातों को सदा याद दिलाता रहूँगा। 13 मैं जब तक इस काया में हूँ, तुम्हें याद दिलाकर सचेत करते रहने को उचित समझता हूँ। 14 क्योंकि मैं यह जानता हूँ कि मुझे अपनी इस काया को शीघ्र ही छोड़ देना है। जैसा कि हमारे प्रभु यीशु मसीह ने मुझे समझाया है। 15 इसलिए मैं हर प्रयत्न करूँगा कि मेरे मर जाने के बाद भी तुम इन बातों को सदा याद कर सको।
हमने मसीह की महिमा के दर्शन किये हैं
16 जब हमारे प्रभु यीशु मसीह के समर्थ आगमन के विषय में हमने तुम्हें बताया था, तब चतुरतापूर्वक गढ़ी हुई कहानियों का सहारा नहीं लिया था क्योंकि हम तो उसकी महानता के स्वयं साक्षी हैं। 17 जब परमपिता परमेश्वर से उसने सम्मान और महिमा प्राप्त की तो उस दिव्य-महिमा से विशिष्ट वाणी प्रकट हुई, “यह मेरा प्रिय पुत्र है, मैं इससे प्रसन्न हूँ।” 18 हमने आकाश से आयी वह वाणी सुनी थी। तब हम पवित्र पर्वत पर उसके साथ ही थे।
19 हमें भी नबियों के वचन पर और अधिक आस्था हुई। इस पर ध्यान देकर तुम भी अच्छा कर रहे हो क्योंकि यह तो एक प्रकाश है, जो एक अन्धेरे स्थान में तब तक चमक रहा है जब तक पौ फटती है और तुम्हारे हृदयों में भोर के तारे का उदय होता है। 20 किन्तु सबसे बड़ी बात यह है कि तुम्हें यह जान लेना चाहिए कि शास्त्र की कोई भी भविष्यवाणी किसी नबी के निजी विचारों का परिणाम नहीं है, 21 क्योंकि कोई मनुष्य जो कहना चाहता है, उसके अनुसार भविष्यवाणी नहीं होती। बल्कि पवित्र आत्मा की प्रेरणा से मनुष्य परमेश्वर की वाणी बोलते हैं।
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