M’Cheyne Bible Reading Plan
मरियम और हारून मूसा की पत्नी के विरुद्ध कहते हैं
12 मरियम और हारून मूसा के विरुद्ध बात करने लगे। उन्होंने उसकी आलोचना की, क्योंकि उसकी पत्नी कूशी थी। उन्होंने सोचा कि यह अच्छा नहीं कि मूसा ने कूशी लोगों में से एक के साथ विवाह किया। 2 उन्होंने आपस में कहा, “यहोवा ने लोगों से बात करने के लिए मूसा का उपयोग किया है। किन्तु मूसा ही एकमात्र नहीं है। यहोवा ने हम लोगों के द्वारा भी कहा है।”
यहोवा ने यह सुना। 3 (मूसा बहुत विनम्र व्यक्ति था। वह न डींग हाँकता था। न शेखी बघारता था। वह धरती पर के किसी व्यक्ति से अधिक विनम्र था।) 4 इसलिए यहोवा अचानक आया और मूसा, हारून और मरियम से बोला। यहोवा ने कहा, “तुम तीनों को अब मिलापवाले तम्बू में आना चाहिए।”
इसलिए मूसा, हारून और मरियम तम्बू में गए। 5 तब यहोवा बादल में उतरा। यहोवा तम्बू के द्वार पर खड़ा हुआ। यहोवा ने “हारून और मरियम” को अपने पास आने के लिए कहा! जब दोनों उसके समीप आए तो, 6 यहोवा ने कहा, “मेरी बात सुनो जब मैं तुम लोगों में नबी भेजूँगा, तब मैं अर्थात् यहोवा अपने आपको उसके दर्शन में दिखाऊँगा और मैं उससे उसके सपने में बात करूँगा। 7 किन्तु मैंने अपने सेवक मूसा के साथ ऐसा नहीं किया। मैंने उसे अपने सभी लोगों को ऊपर शक्ति दी है। 8 जब मैं उससे बात करता हूँ तो मैं उसके आमने सामने बात करता हूँ। मैं जो बात कहना चाहता हुँ उसे साफ—साफ कहता हुँ मैं छिपे अर्थ वाले विचित्र विचारों को उसके सामने नहीं रखता और मूसा यहोवा के स्वरूप को देख सकता है। इसलिए तुमने मेरे सेवक मूसा के विरुद्ध बोलने का साहस कैसे किया?”
9 तब यहोवा उनके पास से गया। किन्तु वह उनसे बहुत क्रोधित था। 10 बादल तम्बू से उठा। तब हारून मुड़ा और उसने मरियम को देखा और उसे दिखाई पड़ा कि उसे भयंकर चर्मरोग हो गया है। उसकी त्वचा बर्फ की तरह सफेद थी!
11 तब हारून ने मूसा से कहा, “महोदय, कृपा करके जो मूर्खता भरा पाप हम लोगों ने किया है, उसके लिए क्षमा करें। 12 उसकी त्वचा का रंग उस प्रकार न उड़ने दे जैसा मरे हुए उत्पन्न बच्चे का होता है।” (कभी कभी इस प्रकार का बच्चा आधी गली हुई त्वचा के साथ उत्पन्न होता है।)
13 इसलिए मूसा ने यहोवा से प्रार्थना की, “परमेश्वर, कृपा करके इस बीमारी से उसे स्वस्थ कर!”
14 यहोवा ने मूसा को उत्तर दिया, “यदि उसका पिता उसके मुँह पर थूके, तो वह सात दिन तक लज्जित रहेगी। इसलिए उसे सात दिन तक डेरे से बाहर रखो। उस समय के बाद वह ठीक हो जायेगी। तब वह डेरे में वापस आ सकती है।”
15 इसलिए मरियम सात दिन के लिए डेरे से बाहर ले जाई गई और तब तक वे वहाँ से नहीं चले जब तक वह फिर वापस नहीं लाई गई। 16 उसके बाद लोगों ने हसेरोत को छोड़ा और पारान मरुभूमि की उन्होंने यात्रा की। लोगों ने उस मरुभूमि में डेरे लगाए।
जासूस कनान को गए
13 यहोवा ने मूसा से कहा, 2 “कुछ व्यक्तियों को कनान देश का अध्ययन करने के लिए भेजो। यही वह देश है जिसे मैं इस्राएल के लोगों को दूँगा। हर एक बारह परिवार समूह से एक नेता को भेजो।”
3 इसलिए मूसा ने यहोवा की आज्ञा मानी। उसने परान के रेगिस्तान से नेताओं को भेजा। 4 ये उनके नाम:
जककूर का पुत्र शम्मू—रुबेन के परिवार के समूह से,
5 होरी का पूत्र शापात—शिमोन के परिवार समूह से;
6 यपुन्ने का पुत्र कालेब—यहूदा के परिवार समूह से;
7 योसेप का पुत्र यिगास—इस्साकार के परिवार समूह से;
8 नून का पुत्र होशे—एप्रैम के परिवार समूह से;
9 रापू का पुत्र पलती—बिन्यामीन के परिवार समूह से;
10 सोदी का पुत्र गद्दीएल—जबूलून के परिवार समूह से;
11 सूसी का पुत्र गद्दी—मनश्शे के परिवार समूह से;
12 गमल्ली का पुत्र अम्मीएल—दान के परिवार समूह से;
13 मीकाएल का पुत्र सतूर—आशेर के परिवार समूह से;
14 वोप्सी का पुत्र नहूबी—नप्ताली परिवार समूह से;
15 माकी का पुत्र गूएल—गाद के परिवार समूह से।
16 ये उन व्यक्तियों के नाम हैं जिन्हें मूसा ने प्रदेश को देखने और जाँच करने के लिए भेजा। (मूसा से नून के पुत्र होशे को दूसरे नाम से पुकारा। मूसा ने उसे यहोशू कहा।)
17 मूसा जब उन्हें कनान की छानबीन के लिए भेज रहा था, तब उसने कहा, “नेवेक घाटी से होकर पहाड़ी प्रदेश में जाओ। 18 यह देखो कि देश कैसा दिखाई देता है और उन लोगों की जानकारी प्राप्त करो जो वहाँ रहते हैं। वे शक्तिशाली हैं या कमजोर हैं? वे थोड़े हैं या अधिक संख्या में हैं? 19 उस प्रदेश के बारे में जानकारी करो जिसमें वे रहते हैं। क्या यह अच्छा प्रदेश है या बुरा? किस प्रकार के नगरों में वे रहते हैं? क्या उन नगरों के परकोटे हैं? क्या नगर शक्तिशाली ढगं से सुरक्षित है? 20 और प्रदेश के बारे में अन्य बातों की जानकारी प्राप्त करो। क्या भूमि उपज के लिए उपजाऊ है या ऊसर है? क्या जमीन पर पेड़ उगे हैं? और उस भूमि से कुछ फल लाने का प्रयत्न करो।” (यह उस समय की बात है जब अंगूर की पहली फसल पकी हो।)
21 तब उन्होंने प्रदेश की छानबीन की। वे जिन मरुभूमि से रहोब और लेबो हमात तक गए। 22 वे नेगेव से होकर तब तक यात्रा करते रहे जब तक वे हेब्रोन नगर को पहुँचे। (हेब्रोन मिस्र में सोअन नगर के बसने के सात वर्ष पहले बना था।) अहीमन, शेशै और तल्मै वहाँ रहते थे। ये लोग अनाक के वंशज थे। 23 तब वे लोग एश्कोल की घाटी में आये उन व्यक्तियो ने अंगूर की बेल की एक शाखा काटी। उस शाखा में अंगूर का एक गुच्छा था। लोगों में से दो व्यक्ति अपने बीच एक डंडे पर उसे रख कर लाए। वे कुछ अनार ओर अंजीर भी लाए। 24 उस स्थान का नाम एश्कोल की घाटी था। क्योंकि यह वही स्थान है जहाँ इस्राएल के आदमियों में ने अंगुर के गुच्छे काटे थे।
25 उन व्यक्तियों ने उस प्रदेश की छानबीन चालीस दिन तक की। तब वे डेरे को लौटे। 26 वे व्यक्ति मूसा, हारून और अन्य इस्राएल के लोगों के पास कादेश में लौटे। यह पारान मरुभूमि में था। तब उन्होंने मूसा, हारून और सभी लोगों को, जो कुछ देखा सब कुछ सुनाया और उन्होंने उन्हें उस प्रदेश के फलों को दिखाया। 27 उन लोगों ने मूसा से यह कहा, “हम लोग उस प्रदेश में गए जहाँ आपने हमें भजा। वह प्रदेश अत्यधिक अच्छा है यहाँ दूध और मधु की नदियाँ बह रही हैं! ये वे कुछ फल हैं जिन्हें हम लोगों ने वहाँ पाया 28 किन्तु वहाँ जो लोग रहते हैं, वे बहुत शक्तिशाली और मजबूत हैं। उनके नगर मजबूती के साथ सुरक्षित हैं और उनके नगर बहूत विशाल हैं। हम लोगों ने वहाँ उनके परिवार के कुछ लोगों को देखा भी। 29 अमालेकी लोग नेगेव की घाटी में रहते हैं। हित्ती, यबूसी और एमोरी पहाड़ी प्रदेशों में रहते हैं। कनानी लोग समुद्र के किनारे और यरदन नदी के किनारे रहते हैं।”
30 तब कालेब ने मूसा के समीप के लोगों को शान्त होने को कहा। कालेब ने कहा, “हम लोगों को वहाँ जाना चाहिए और उस प्रदेश को अपने लिए लेना चाहिए। हम लोग उस प्रदेश को सरलता से ले सकते हैं।”
31 किन्तु जो व्याक्ति उसके साथ गया था, वह बोला, “हम लोग उन लोगों के विरुद्ध लड़ नहीं सकते। वे हम लोगों की तुलना में अधिक शक्तिशाली हैं।” 32 और उन लोगों ने सभी इस्राएली लोगों से कहा कि उस प्रदेश के लोगों को पराजित करने के लिए वे पर्याप्त शक्तिशाली नहीं हैं उन्होंने कहा, “जिस प्रदेश को हम लोगों ने देखा, वह शक्तिशाली लोगों से भरा है। वे लोग इतने अधिक शक्तिशाली हैं कि जो कोई व्यक्ति वहाँ जाएगा उसे वे सरलता से हरा सकते हैं। 33 हम लोगों ने वहाँ नपीलियों को देखा! (अनाक के परिवार के लोग जो नपीलों के वंश के थे।) उनके सामने खड़े होने पर हम लोगों ने अपने आपको टिड्डा अनुभव किया। उन लोगों ने हम लोगों को ऐसे देखा मानो टिड्डे के समान छोटे हों।”
कोरह की संतानो का संगीत निर्देशक के लिए एक पद।
1 विभिन्न देशों के निवासियों, यह सुनो।
धरती के वासियों यह सुनो।
2 सुनो अरे दीन जनो, अरे धनिकों सुनो।
3 मैं तुम्हें ज्ञान
और विवेक की बातें बताता हूँ।
4 मैंने कथाएँ सुनी हैं,
मैं अब वे कथाएँ तुमको निज वीणा पर सुनाऊँगा।
5 ऐसा कोई कारण नहीं जो मैं किसी भी विनाश से डर जाऊँ।
यदि लोग मुझे घेरे और फँदा फैलाये, मुझे डरने का कोई कारण नहीं।
6 वे लोग मूर्ख हैं जिन्हें अपने निज बल
और अपने धन पर भरोसा है।
7 तुझे कोई मनुष्य मित्र नहीं बचा सकता।
जो घटा है उसे तू परमेश्वर को देकर बदलवा नहीं सकता।
8 किसी मनुष्य के पास इतना धन नहीं होगा कि
जिससे वह स्वयं अपना निज जीवन मोल ले सके।
9 किसी मनुष्य के पास इतना धन नहीं हो सकता
कि वह अपना शरीर कब्र में सड़ने से बचा सके।
10 देखो, बुद्धिमान जन, बुद्धिहीन जन और जड़मति जन एक जैसे मर जाते हैं,
और उनका सारा धन दूसरों के हाथ में चला जाता है।
11 कब्र सदा सर्वदा के लिए हर किसी का घर बनेगा,
इसका कोई अर्थ नहीं कि वे कितनी धरती के स्वामी रहे थे।
12 धनी पुरूष मूर्ख जनों से भिन्न नहीं होते।
सभी लोग पशुओं कि तरह मर जाते हैं।
13 लोगों कि वास्तविक मुर्खता यह हाती है कि
वे अपनी भूख को निर्णायक बनाते हैं, कि उनको क्या करना चाहिए।
14 सभी लोग भेड़ जैसे हैं।
कब्र उनके लिये बाडा बन जायेगी।
मृत्यु उनका चरवाहा बनेगी।
उनकी काया क्षीण हो जायेंगी
और वे कब्र में सड़ गल जायेंगे।
15 किन्तु परमेश्वर मेरा मूल्य चुकाएगा और मेरा जीवन कब्र की शक्ति से बचाएगा।
वह मुझको बचाएगा।
16 धनवानों से मत डरो कि वे धनी हैं।
लोगों से उनके वैभवपूर्ण घरों को देखकर मत डरना।
17 वे लोग जब मरेंगे कुछ भी साथ न ले जाएंगे।
उन सुन्दर वस्तुओं में से कुछ भी न ले जा पाएंगे।
18 लोगों को चाहिए कि वे जब तक जीवित रहें परमेश्वर की स्तुति करें।
जब परमेश्वर उनके संग भलाई करे, तो लोगों को उसकी स्तुति करनी चाहिए।
19 मनुष्यों के लिए एक ऐसा समय आएगा
जब वे अपने पूर्वजों के संग मिल जायेंगे।
फिर वे कभी दिन का प्रकाश नहीं देख पाएंगे।
20 धनी पुरूष मूर्ख जनों से भिन्न नहीं होते। सभी लोग पशु समान मरते हैं।
2 आमोस के पुत्र यशायाह ने यहूदा और यरूशलेम के बारे में यह सन्देश देखा।
2 यहोवा का मन्दिर पर्वत पर है।
भविष्य में, उस पर्वत को अन्य सभी पर्वतों में सबसे ऊँचा बनाया जायेगा।
उस पर्वत को सभी पहाड़ियों से ऊँचा बनाया जायेगा।
सभी देशों के लोग वहाँ जाया करेंगे।
3 बहुत से लोग वहाँ जाया करेंगे।
वे कहा करेंगे, “हमे यहोवा के पर्वत पर जाना चाहिये।
हमें याकूब के परमेश्वर के मन्दिर में जाना चाहिये।
तभी परमेश्वर हमें अपनी जीवन विधि की शिक्षा देगा
और हम उसका अनुसरण करेंगे।”
सिय्योन पर्वत पर यरूशलेम में, परमेश्वर यहोवा के उपदेशों का सन्देश का आरम्भ होगा
और वहाँ से वह समूचे संसार में फैलेगा।
4 तब परमेश्वर सभी देशों का न्यायी होगा।
परमेश्वर बहुत से लोगों के लिये विवादों का निपटारा कर देगा
और वे लोग लड़ाई के लिए अपने हथियारों का प्रयोग करना बन्द कर देंगे।
अपनी तलवारों से वे हल के फाले बनायेंगे
तथा वे अपने भालों को पौधों को काटने की दँराती के रुप में काम में लायेंगे।
लोग दूसरे लोगों के विरुद्ध लड़ना बन्द कर देंगे।
लोग युद्ध के लिये फिर कभी प्रशिक्षित नहीं होंगे।
5 हे याकूब के परिवार, तू यहोवा का अनुसरण कर।
6 हे यहोवा! तूने अपने लोगों का त्याग कर दिया है। तेरे लोग पूर्व के बुरे विचारों से भर गये हैं। तेरे लोग पलिश्तियों के समान भविष्य बताने का यत्न करने लगे हैं। तेरे लोगों ने पूरी तरह से उन विचित्र विचारों को स्वीकार कर लिया है। 7 तेरे लोगों की धरती दूसरे देशों के सोने चाँदी से भर गयी है। वहाँ अनगिनत खजाने हैं। तेरे लोगों की धरती घोड़ों से भरपूर हैं। वहाँ बहुत सारे रथ भी हैं। 8 उनकी धरती पर मूर्तियाँ भरी पड़ी हैं, लोग जिनकी पूजा करते हैं। लोगों ने ही इन मूर्तियों को बनाया है और वे ही उन की पूजा करते हैं। 9 लोग बुरे से बुरे हो गये हैं। लोग बहुत नीच हो गये हैं। हे परमेश्वर, निश्चय ही तू उन्हें क्षमा नहीं करेगा, क्या तू ऐसा करेगा परमेश्वर के शत्रु भयभीत होंगे
10 जा, कहीं किसी गक़े में या किसी चट्टान के पीछे छुप जा! तू परमेश्वर से डर और उसकी महान शक्ति के सामने से ओझल हो जा!
11 अहंकारी लोग अहंकार करना छोड़ देंगे। अहंकारी लोग धरती पर लाज से सिर नीचे झुका लेंगे। उस समय केवल यहोवा ही ऊँचे स्थान पर विराजमान होगा।
12 यहोवा ने एक विशेष दिन की योजना बनायी है। उस दिन, यहोवा अहंकारियों और बड़े बोलने वाले लोगों को दण्ड देगा। तब उन अहंकारी लोगों को साधारण बना दिया जायेगा। 13 वे अहंकारी लोग लबानोन के लम्बे देवदार वृक्षों के समान हैं। वे बासान के बांजवृक्षों जैसे हैं किन्तु परमेश्वर उन लोगों को दण्ड देगा। 14 वे अहंकारी लोग ऊँची पहाड़ियों जैसे लम्बे और पहाड़ों जैसे ऊँचे हैं। 15 वे अहंकारी लोग ऐसे हैं जैसे लम्बी मीनारें और ऊँचा तथा मजबूत नगर परकोटा हो। किन्तु परमेश्वर उन लोगों को दण्ड देगा। 16 वे अहंकारी लोग तर्शीश के विशाल जहाजों के समान हैं। इन जहाज़ों में महत्वपूर्ण वस्तुएँ भरी हैं। किन्तु परमेश्वर उन अहंकारी लोगों को दण्ड देगा।
17 उस समय, लोग अहंकार करना छोड़ देंगे। वे लोग जो अब अहंकारी हैं, धरती पर नीचे झुका दिए जायेंगे। फिर उस समय केवल यहोवा ही ऊँचे विराजमान होगा। 18 सभी मूर्तियाँ झूठे देवता समाप्त हो जायेंगी। 19 लोग चट्टानों, गुफाओं और धरती के भीतर जा छिपेंगे। वे यहोवा और उसकी महान शक्ति से डर जायेंगे। ऐसा उस समय होगा जब यहोवा धरती को हिलाने के लिए खड़ा होगा।
20 उस समय, लोग अपनी सोने चाँदी की मूर्तियों को दूर फेंक देंगे। (इन मूर्तियों को लोगों ने इसलिये बनाया था कि लोग उनको पूज सकें।) लोग उन मूर्तियों को धरती के उन बिलों में फेंक देंगे जहाँ चमगादड़ और छछूंदर रहते हैं। 21 फिर लोग चट्टानों की गुफाओं में छुप जायेंगे। वे यहोवा और उसकी महान शक्ति से डरकर ऐसा करेंगे। ऐसा उस समय घटित होगा जब यहोवा धरती को हिलाने के लिये खड़ा होगा। इस्राएल को परमेश्वर का विश्वास करना चाहिये।
22 ओ इस्राएल के लोगों तुम्हें अपनी रक्षा के लिये अन्य लोगों पर निर्भर रहना छोड़ देना चाहिये। वे तो मनुष्य़ मात्र है और मनुष्य मर जाता है। इसलिये, तुझे यह नहीं सोचना चाहिये कि वे परमेश्वर के समान शक्तिशाली है।
अंतिम बलिदान
10 व्यवस्था का विधान तो आने वाली उत्तम बातों की छाया मात्र प्रदान करता है। अपने आप में वे बातें यथार्थ नहीं हैं। इसलिए उन्हीं बलियों के द्वारा जिन्हें निरन्तर प्रति वर्ष अनन्त रूप से दिया जाता रहता है, उपासना के लिए निकट आने वालों को सदा-सदा के लिए सम्पूर्ण सिद्ध नहीं किया जा सकता। 2 यदि ऐसा हो पाता तो क्या उनका चढ़ाया जाना बंद नहीं हो जाता? क्योंकि फिर तो उपासना करने वाले एक ही बार में सदा सर्वदा के लिए पवित्र हो जाते। और अपने पापों के लिए फिर कभी स्वयं को अपराधी नहीं समझते। 3 किन्तु वे बलियाँ तो बस पापों की एक वार्षिक स्मृति मात्र हैं। 4 क्योंकि साँड़ों और बकरों का लहू पापों को दूर कर दे, यह सम्भव नहीं है।
5 इसलिए जब यीशु इस जगत में आया था तो उसने कहा था:
“तूने बलिदान और कोई भेंट नहीं चाहा,
किन्तु मेरे लिए एक देह तैयार की है।
6 तू किसी होमबलि से न ही
पापबलि से प्रसन्न नहीं हुआ
7 तब फिर मैंने कहा था,
‘और पुस्तक में मेरे लिए यह भी लिखा है, मैं यहाँ हूँ।
हे परमेश्वर, तेरी इच्छा पूरी करने को आया हूँ।’”(A)
8 उसने पहले कहा था, “बलियाँ और भेंटे, होमबलियाँ और पापबलियाँ न तो तू चाहता है और न ही तू उनसे प्रसन्न होता है।” (यद्यपि व्यवस्था का विधान यह चाहता है कि वे चढ़ाई जाएँ।) 9 तब उसने कहा था, “मैं यहाँ हूँ। मैं तेरी इच्छा पूरी करने आया हूँ।” तो वह दूसरी व्यवस्था को स्थापित करने के लिए, पहली को रद्द कर देता है। 10 सो परमेश्वर की इच्छा से एक बार ही सदा-सर्वदा के लिए यीशु मसीह की देह के बलिदान द्वारा हम पवित्र कर दिए गए।
11 हर याजक एक दिन के बाद दूसरे दिन खड़ा होकर अपने धार्मिक कर्त्तव्यों को पूरा करता है। वह पुनः-पुनः एक जैसी ही बलियाँ चढ़ाता है जो पापों को कभी दूर नहीं कर सकतीं। 12 किन्तु याजक के रूप में मसीह तो पापों के लिए, सदा के लिए एक ही बलि चढ़ाकर परमेश्वर के दाहिने हाथ जा बैठा, 13 और उसी समय से उसे अपने विरोधियों को उसके चरण की चौकी बना दिए जाने की प्रतीक्षा है। 14 क्योंकि उसने एक ही बलिदान के द्वारा, जो पवित्र किए जा रहे हैं, उन्हें सदा-सर्वदा के लिए सम्पूर्ण सिद्ध कर दिया।
15 इसके लिए पवित्र आत्मा भी हमें साक्षी देता है। पहले वह बताता है:
16 “यह वह वाचा है जिसे मैं उनसे करूँगा। और फिर उसके बाद प्रभु घोषित करता है।
अपनी व्यवस्था उनके हृदयों में बसाऊँगा।
मैं उनके मनों पर उनको लिख दूँगा।”(B)
17 वह यह भी कहता है:
“उनके पापों और उनके दुष्कर्मों को
और अब मैं कभी याद नहीं रखूँगा।”(C)
18 और फिर जब पाप क्षमा कर दिए गए तो पापों के लिए किसी बलि की कोई आवश्यकता रह ही नहीं जाती।
परमेश्वर के निकट आओ
19 इसलिए भाईयों, क्योंकि यीशु के लहू के द्वारा हमें उस परम पवित्र स्थान में प्रवेश करने का निडर भरोसा है, 20 जिसे उसने परदे के द्वारा, अर्थात् जो उसका शरीर ही है, एक नए और सजीव मार्ग के माध्यम से हमारे लिए खोल दिया है। 21 और क्योंकि हमारे पास एक ऐसा महान याजक है जो परमेश्वर के घराने का अधिकारी है। 22 तो फिर आओ, हम सच्चे हृदय, निश्चयपूर्ण विश्वास अपनी अपराधपूर्ण चेतना से हमें शुद्ध करने के लिए किए गए छिड़काव से युक्त अपने हृदयों को लेकर शुद्ध जल से धोए हुए अपने शरीरों के साथ परमेश्वर के निकट पहुँचते हैं। 23 तो आओ जिस आशा को हमने अंगीकार किया है, हम अडिग भाव से उस पर डटे रहें क्योंकि जिसने हमें वचन दिया है, वह विश्वासपूर्ण है।
मज़बूत रहने के लिए एक दूसरे की सहायता करो
24 तथा आओ, हम ध्यान रखें कि हम प्रेम और अच्छे कर्मों के प्रति एक दूसरे को कैसे बढ़ावा दे सकते हैं। 25 हमारी सभाओं में आना मत छोड़ो। जैसे कि कुछों को तो वहाँ नहीं आने की आदत ही पड़ गयी है। बल्कि हमें तो एक दूसरे को उत्साहित करना चाहिए। और जैसा कि तुम देख ही रहे हो-कि वह दिन[a] निकट आ रहा है। सो तुम्हें तो यह और अधिक करना चाहिए।
मसीह से मुँह मत फेरो
26 सत्य का ज्ञान पा लेने के बाद भी यदि हम जानबूझ कर पाप करते ही रहते हैं फिर तो पापों के लिए कोई बलिदान बचा ही नहीं रहता। 27 बल्कि फिर तो न्याय की भयानक प्रतीक्षा और भीषण अग्नि ही शेष रह जाती है जो परमेश्वर के विरोधियों को चट कर जाएगी। 28 जो कोई मूसा की व्यवस्था के विधान का पालन करने से मना करता है, उसे बिना दया दिखाए दो या तीन साक्षियों की साक्षी पर मार डाला जाता है। 29 सोचो, वह मनुष्य कितने अधिक कड़े दण्ड का पात्र है, जिसने अपने पैरों तले परमेश्वर के पुत्र को कुचला, जिसने वाचा के उस लहू को, जिसने उसेपवित्र किया था, एक अपवित्र वस्तु माना और जिसने अनुग्रह की आत्मा का अपमान किया। 30 क्योंकि हम उसे जानते हैं जिसने कहा था: “बदला लेना काम है मेरा, मैं ही बदला लूँगा।”(D) और फिर, “प्रभु अपने लोगों का न्याय करेगा।”(E) 31 किसी पापी का सजीव परमेश्वर के हाथों में पड़ जाना एक भयानक बात है।
विश्वास बनाए रखो
32 आरम्भ के उन दिनों को याद करो जब तुमने प्रकाश पाया था, और उसके बाद जब तुम कष्टों का सामना करते हुए कठोर संघर्ष में दृढ़ता के साथ डटे रहे थे। 33 तब कभी तो सब लोगों के सामने तुम्हें अपमानित किया गया और सताया गया और कभी जिनके साथ ऐसा बर्ताव किया जा रहा था, तुमने उनका साथ दिया। 34 तुमने, जो बंदीगृह में पड़े थे, उनसे सहानुभूति की तथा अपनी सम्पत्ति का जब्त किया जाना सहर्ष स्वीकार किया क्योंकि तुम यह जानते थे कि स्वयं तुम्हारे अपने पास उनसे अच्छी और टिकाऊ सम्पत्तियाँ हैं।
35 सो अपने निडर विश्वास को मत त्यागो क्योंकि इसका भरपूर प्रतिफल दिया जाएगा। 36 तुम्हें धैर्य की आवश्यकता है ताकि तुम जब परमेश्वर की इच्छा पूरी कर चुको तो जिसका वचन उसने दिया है, उसे तुम पा सको। 37 क्योंकि बहुत शीघ्र ही,
“जिसको आना है
वह शीघ्र ही आएगा,
38 मेरा धर्मी जन विश्वास से जियेगा
और यदि वह पीछे हटेगा तो
मैं उससे प्रसन्न न रहूँगा।”(F)
39 किन्तु हम उनमें से नहीं हैं जो पीछे हटते हैं और नष्ट हो जाते हैं बल्कि उनमें से हैं जो विश्वास करते हैं और उद्धार पाते हैं।
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