Chronological
1 पिता परमेश्वर तथा प्रभु मसीह येशु में थेस्सलोनिकेयुस नगर की कलीसिया को यह पत्र पौलॉस,
सिलवानॉस तथा तिमोथियॉस की ओर से है.
तुम्हें अनुग्रह तथा शान्ति मिलती रहे.
आभार व्यक्ति तथा प्रशंसा
2 अपनी प्रार्थनाओं में तुम्हारा वर्णन करते हुए हम हमेशा तुम सभी के लिए परमेश्वर का आभार मानते हैं. 3 हम हमेशा ही परमेश्वर, हमारे पिता के सामने तुम्हारे विश्वास के काम, प्रेम का परिश्रम तथा हमारे प्रभु मसीह येशु में तुम्हारी दृढ़ आशा को याद करते हैं.
4 क्योंकि, प्रियजन, परमेश्वर के प्रियो, हमें अहसास है कि तुम परमेश्वर के चुने हुए हो. 5 हमारे द्वारा प्रस्तुत ईश्वरीय सुसमाचार तुम्हें सिर्फ शब्दों में नहीं; परन्तु सामर्थ, पवित्रात्मा तथा पूरे धीरज के साथ पहुँचाया गया था. तुम्हारे बीच निवास करते हुए तुम्हारी ही भलाई के लिए हम किस प्रकार के व्यक्ति साबित हुए थे, यह तुमने स्वयं ही देख लिया है. 6 प्रभु के सन्देश को घोर क्लेश में, पवित्रात्मा के आनन्द में स्वीकार करते हुए तुम स्वयं हमारे तथा प्रभु के शिष्य बन गए थे, 7 जिसका परिणाम यह हुआ कि तुम मकेदोनिया तथा आख़ेया प्रदेश में सभी विश्वासियों के लिए एक आदर्श बन गए. 8 तुम्हारे द्वारा भेजा गया परमेश्वर का सन्देश न केवल मकेदोनिया तथा आख़ेया प्रदेश में सुनाया गया और बढ़ता गया परन्तु परमेश्वर में तुम्हारा विश्वास भी सबको मालूम हो गया है. परिणामस्वरूप कोई ज़रूरत नहीं रह गई कि इस विषय में अब हम कुछ कहें. 9 वे ही हर जगह इस बात का वर्णन कर रहे हैं कि तुम्हारे द्वारा किया गया हमारा स्वागत कैसा भव्य था तथा यह भी कि किस प्रकार तुम मूर्तियों से दूर होकर परमेश्वर की ओर झुक गए कि जीवित और सच्चे परमेश्वर की सेवा करने लगो 10 और स्वर्ग से उनके पुत्र मसीह येशु के दोबारा आगमन की प्रतीक्षा करो, जिन्हें परमेश्वर ही ने मरे हुओं में से जीवित किया, मसीह येशु, जो हमें आनेवाले क्रोध से बचाते हैं.
पौलॉस का आदर्श
2 प्रियजन, तुम्हें यह अहसास तो है ही कि तुमसे भेंट करने के लिए हमारा आना व्यर्थ नहीं था, 2 जैसा कि तुम्हें मालूम ही है कि फ़िलिप्पॉय नगर में दुःख उठाने और उपद्रव सहने के बाद घोर विरोध की स्थिति में भी तुम्हें परमेश्वर का ईश्वरीय सुसमाचार सुनाने के लिए हमें परमेश्वर के द्वारा साहस प्राप्त हुआ. 3 हमारा उपदेश न तो भरमा देने वाली शिक्षा थी, न अशुद्ध उद्धेश्य से प्रेरित और न ही छलावा, 4 परन्तु ठीक जिस प्रकार परमेश्वर के समर्थन में हमें ईश्वरीय सुसमाचार सौंपा गया. हम मनुष्यों की प्रसन्नता के लिए नहीं परन्तु परमेश्वर की संतुष्टि के लिए, जिनकी दृष्टि हृदय पर लगी रहती है, ईश्वरीय सुसमाचार का संबोधन करते हैं. 5 यह तो तुम्हें मालूम ही है कि न तो हमारी बातों में चापलूसी थी और न ही हमने लोभ से प्रेरित हो कुछ किया—परमेश्वर गवाह हैं; 6 हमने मनुष्यों से सम्मान पाने की भी कोशिश नहीं की; न तुमसे और न किसी और से.
मसीह के प्रेरित होने के कारण तुमसे सहायता पाना हमारा अधिकार था. 7 तुम्हारे प्रति हमारा व्यवहार वैसा ही कोमल था जैसा एक शिशु का पोषण करती माता का, जो स्वयं बड़ी कोमलतापूर्वक अपने बालकों का पोषण करती है. 8 इस प्रकार तुम्हारे प्रति एक मधुर लगाव होने के कारण हम न केवल तुम्हें ईश्वरीय सुसमाचार देने के लिए परन्तु तुम्हारे साथ स्वयं अपना जीवन सहर्ष मिल-बांट कर संगति करने के लिए भी लालायित थे—क्योंकि तुम हमारे लिए अत्यन्त प्रिय बन चुके थे. 9 प्रियजन, जिस समय हम तुम्हारे बीच ईश्वरीय सुसमाचार का प्रचार कर रहे थे, तुम्हें उस समय का हमारा परिश्रम तथा हमारी कठिनाइयाँ याद होंगी कि कैसे हमने रात-दिन श्रम किया कि हम तुम में से किसी पर भी बोझ न बन जाएँ.
10 तुम इसके गवाह हो और परमेश्वर भी कि तुम सभी विश्वासियों के साथ हमारा स्वभाव कितना सच्चा, धर्मी और निर्दोष था. 11 तुम्हें यह भी मालूम है कि पिता समान हम किस प्रकार तुम में से हर एक को उपदेश देते हुए तथा प्रोत्साहित करते हुए तुम्हारे लिए प्रार्थना करते रहे, जैसे पिता अपनी निज सन्तान के लिए करता है 12 कि तुम्हारा स्वभाव परमेश्वर की संतुष्टि के योग्य हो, जिन्होंने तुम्हारा बुलावा अपने राज्य और महिमा में किया है.
थेस्सलोनिकेयुस-वासियों का विश्वास
13 यही कारण है कि हम भी परमेश्वर के प्रति निरन्तर धन्यवाद प्रकट करते हैं कि जिस समय तुमने हमसे परमेश्वर के वचन के सन्देश को स्वीकार किया, तुमने इसे किसी मनुष्य के सन्देश के रूप में नहीं परन्तु उसकी सच्चाई में अर्थात् परमेश्वर ही के वचन के रूप में ग्रहण किया, जो तुम में, जिन्होंने विश्वास किया है, कार्य भी कर रहा है 14 क्योंकि प्रियजन, तुम मसीह येशु में परमेश्वर की उन कलीसियाओं के शिष्य बन गए हो, जो यहूदिया प्रदेश में हैं—तुमने भी स्वदेशवासियों द्वारा दिए गये उसी प्रकार के दुःखों को सहा है, जैसे यहूदिया प्रदेशवासियों ने यहूदियों द्वारा दिए गए दुःखों को, 15 जिन्होंने प्रभु मसीह येशु तथा भविष्यद्वक्ताओं दोनों ही की हत्या की. इसके अलावा उन्होंने हमें भी वहाँ से निकाल दिया. वे परमेश्वर को क्रोधित कर रहे हैं तथा वे सभी के विरोधी हैं. 16 जब हम अन्यजातियों को उनके उद्धार के विषय में सन्देश देने का काम करते हैं, वे हमारी उद्धार की बातें बताने में बाधा खड़ी करते हैं. इसके फलस्वरूप वे स्वयं अपने ही पापों का घड़ा भर रहे हैं. अन्ततः: उन पर परमेश्वर का क्रोध आ ही पड़ा है.
पौलॉस की लालसा
17 किन्तु, प्रियजन, जब हम तुमसे थोड़े समय के लिए अलग हुए थे—शारीरिक रूप से, न कि आत्मिक रूप से—तुम्हें सामने देखने की हमारी लालसा और भी अधिक प्रबल हो गई थी. 18 हम चाहते थे कि आकर तुमसे भेंट करें—विशेषकर मैं, पौलॉस, तो एक नहीं, अनेक बार चाह रहा था किन्तु शैतान ने हमारे प्रयास निष्फल कर दिए. 19 कौन हैं हमारी आशा, आनन्द तथा उल्लास का मुकुट? क्या हमारे प्रभु मसीह येशु के दोबारा आगमन के अवसर पर उनकी उपस्थिति में तुम ही नहीं? 20 हाँ, तुम्हीं तो हमारा गौरव तथा आनन्द हो!
थेस्सलोनिकेयुस नगर में तिमोथियॉस का सेवालक्ष्य
3 इसलिए जब यह हमारे लिए असहनीय हो गया, हमने अथेनॉन नगर में ही रुके रहना सही समझा. 2 हमने मसीह के ईश्वरीय सुसमाचार के प्रचार में परमेश्वर के सहकर्मी तथा हमारे भाई तिमोथियॉस को तुम्हारे पास इस उद्धेश्य से भेजा कि वह तुम्हें तुम्हारे विश्वास में मजबूत करे 3 कि तुममें से कोई भी इन क्लेशों के द्वारा डगमगा न जाए. तुम्हें तो यह अच्छी तरह से मालूम है कि हम पर इन क्लेशों का आना अवश्य है. 4 वस्तुत: जब हम तुम्हारे यहाँ थे, हम पहले ही तुम्हें यह बताते रहे कि हम पर क्लेशों का आना निश्चित है और तुम्हें तो मालूम ही है कि हुआ भी ऐसा ही. 5 यही कारण है कि जब यह मेरे लिए असहनीय हो गया, मैंने भी इस आशंका से कि कहीं शैतान ने तुम्हें परीक्षा में फँसा न लिया हो और हमारा परिश्रम व्यर्थ न चला जाए, तुम्हारे विश्वास की स्थिति मालूम करने का प्रयास किया.
विश्वासियों का सराहनीय विश्वास
6 किन्तु अब, जब तिमोथियॉस तुमसे भेंट कर हमारे पास लौट आया है, उसने तुम्हारे विश्वास और प्रेम के सम्बन्ध में बहुत ही उत्साह बढ़ानेवाले समाचार दिए हैं तथा यह भी कि तुम हमें मीठी यादों के रूप में याद करते हुए हमसे भेंट करने के लिए उतने ही लालायित हो जितने स्वयं हम तुम्हें देखने के लिए लालायित हैं. 7 प्रियजन, यही कारण है कि हम संकट और क्लेश की स्थिति में भी तुम्हारे विश्वास द्वारा प्रोत्साहित हुए. 8 प्रभु में तुम्हारे स्थिर होने का सन्देश हमारे लिए नवजीवन का संचार है. 9 परमेश्वर के सामने तुम्हारे विषय में उस बड़े आनन्द के लिए हम भला परमेश्वर के प्रति और किस प्रकार का धन्यवाद प्रकट कर सकते हैं, 10 जब हम रात-दिन एकचित्त हो कर प्रार्थना करते रहते हैं कि हम तुम्हें सामने देख सकें तथा तुम्हारे विश्वास में जो कमी है, उसे पूरा कर सकें?
11 स्वयं हमारे परमेश्वर और पिता तथा मसीह येशु हमारे प्रभु तुम तक पहुँचने में हमारा मार्गदर्शन करें 12 तथा प्रभु ही तुम्हें एक दूसरे के प्रति ही नहीं परन्तु सबके प्रति प्रेम में बढ़ाए तथा उन्नत करें—ठीक वैसे ही जैसे हम तुमसे प्रेम करते हैं 13 कि वह सभी पवित्र लोगों के साथ हमारे प्रभु मसीह येशु के दोबारा आगमन के अवसर पर परमेश्वर हमारे पिता के सामने तुम्हारे हृदय को पवित्रता में निर्दोष ठहरा सकें.
प्रेम तथा अलग की हुई जीवनशैली
4 अन्ततः:, प्रियजन, तुमने हमसे अपने स्वभाव तथा परमेश्वर को प्रसन्न करने के विषय में जिस प्रकार के निर्देश प्राप्त किए थे—ठीक जैसा तुम्हारा स्वभाव है भी—प्रभु मसीह येशु में तुमसे हमारी विनती और समझाना है कि तुम इनमें और भी अधिक उन्नत होते चले जाओ. 2 तुम्हें वे आज्ञाएं मालूम ही हैं, जो हमने तुम्हें प्रभु मसीह येशु की ओर से दिए थे.
3 परमेश्वर की इच्छा है कि तुम पवित्रता की स्थिति में रहो—तुम वेश्यागामी से अलग रहो; 4 कि तुममें से हर एक को अपने-अपने शरीर को पवित्रता तथा सम्मानपूर्वक संयमित रखने का ज्ञान हो 5 कामुकता की अभिलाषा में अन्यजातियों के समान नहीं, जो परमेश्वर से अनजान हैं. 6 इस विषय में कोई भी सीमा उल्लंघन कर अपने साथी विश्वासी का शोषण न करे क्योंकि इन सब विषयों में स्वयं प्रभु बदला लेते हैं, जैसे हमने पहले ही यह स्पष्ट करते हुए तुम्हें गम्भीर चेतावनी भी दी थी. 7 परमेश्वर ने हमारा बुलावा अपवित्रता के लिए नहीं परन्तु पवित्र होने के लिए किया है. 8 परिणामस्वरूप वह, जो इन निर्देशों को नहीं मानता है, किसी मनुष्य को नहीं परन्तु परमेश्वर ही को अस्वीकार करता है, जो अपना पवित्रात्मा तुम्हें देते हैं.
9 भाईचारे के विषय में मुझे कुछ भी लिखने की ज़रूरत नहीं क्योंकि स्वयं परमेश्वर द्वारा तुम्हें शिक्षा दी गई है कि तुम में आपस में प्रेम हो 10 वस्तुत: मकेदोनिया प्रदेश के विश्वासियों के प्रति तुम्हारी यही इच्छा है. प्रियजन, हमारी तुमसे यही विनती है कि तुम इसी में और अधिक बढ़ते जाओ.
11 शान्त जीवनशैली तुम्हारी बड़ी इच्छा बन जाए. सिर्फ अपने ही कार्य में मगन रहो. अपने हाथों से परिश्रम करते रहो, जैसा हमने तुम्हें आज्ञा दी है 12 कि तुम्हारी जीवनशैली अन्य लोगों की दृष्टि में तुम्हें सम्मान्य बना दे तथा स्वयं तुम्हें किसी प्रकार का अभाव न हो.
दोबारा आगमन के अवसर पर जीवित और मृतक
13 प्रियजन, हम नहीं चाहते कि तुम उनके विषय में अनजान रहो, जो मृत्यु में सो गए हैं. कहीं ऐसा न हो कि तुम उन लोगों के समान शोक करने लगो, जिनके सामने कोई आशा नहीं. 14 हमारा विश्वास यह है कि जिस प्रकार मसीह येशु की मृत्यु हुई और वह जीवित हुए, उसी प्रकार परमेश्वर उनके साथ उन सभी को पुनर्जीवित कर देंगे, जो मसीह येशु में सोए हुए हैं. 15 यह हम तुमसे स्वयं प्रभु के वचन के आधार पर कह रहे हैं कि प्रभु के दोबारा आगमन के अवसर पर हम, जो जीवित पाए जाएँगे, निश्चित ही उनसे पहले प्रभु से भेंट नहीं करेंगे, जो मृत्यु में सो गए हैं. 16 स्वयं प्रभु स्वर्ग से प्रधान स्वर्गदूत के शब्द, परमेश्वर की तुरही के शब्द तथा एक ऊँची ललकार के साथ उतरेंगे. तब सबसे पहिले वे, जो मसीह में मरे हुए हैं, जीवित हो जाएँगे. 17 उसके बाद शेष हम, जो उस अवसर पर जीवित पाए जाएँगे, बादलों में उन सबके साथ वायुमण्डल में प्रभु से मिलने के लिए झपट कर उठा लिए जाएँगे. तब हम हमेशा प्रभु के साथ में रहेंगे. 18 इस बात के द्वारा आपस में धीरज और शान्ति दिया करो.
प्रभु का वह दिन
5 प्रियजन, इसकी कोई ज़रूरत नहीं कि तुम्हें समयों और कालों के विषय में लिखा जाए. 2 तुम्हें यह भली प्रकार मालूम है कि प्रभु के दिन का आगमन ठीक वैसा ही अचानक होगा जैसा रात में एक चोर का. 3 लोग कह रहे होंगे, “सब कुशल है, कोई संकट है ही नहीं!” उसी समय बिना किसी पहले से जानकारी के उन पर विनाश टूट पड़ेगा—गर्भवती की प्रसव-पीड़ा के समान. उनका भाग निकलना असम्भव होगा.
4 किन्तु तुम, प्रियजन, इस विषय में अन्धकार में नहीं हो कि वह दिन तुम पर एकाएक एक चोर के समान अचानक से आ पड़े. 5 तुम सभी ज्योति की सन्तान हो—दिन के वंशज. हम न तो रात के हैं और न अन्धकार के, 6 इसलिए हम बाकियों के समान सोए हुए नहीं परन्तु सावधान और व्यवस्थित रहें 7 क्योंकि वे, जो सोते हैं, रात में सोते हैं और वे, जो मतवाले होते हैं, रात में ही मतवाले होते हैं. 8 अब इसलिए कि हम दिन के बने हुए हैं, हम विश्वास और प्रेम का कवच तथा उद्धार की आशा का टोप धारण कर व्यवस्थित हो जाएँ. 9 परमेश्वर द्वारा हम क्रोध के लिए नहीं परन्तु हमारे प्रभु मसीह येशु द्वारा उद्धार पाने के लिए ठहराए गए हैं, 10 जिन्होंने हमारे लिए प्राण त्याग दिया कि चाहे हम जागते हों या सोते हों, उनके साथ निवास करें. 11 इसलिए तुम, जैसा इस समय कर ही रहे हो, एक-दूसरे को आपस में प्रोत्साहित तथा उन्नत करने में लगे रहो.
मसीही स्वभाव
12 प्रियजन, तुमसे हमारी विनती है कि तुम उनकी सराहना करो, जो तुम्हारे बीच लगन से परिश्रम कर रहे हैं, जो प्रभु में तुम्हारे लिए ज़िम्मेदार हैं तथा तुम्हें शिक्षा देते हैं. 13 उनके परिश्रम को ध्यान में रखते हुए उन्हें प्रेमपूर्वक ऊँचा सम्मान दो. आपस में मेल-मिलाप बनाए रखो. 14 प्रियजन, हम तुमसे विनती करते हैं कि जो बिगड़े हुए हैं, उन्हें फटकार लगाओ; जो डरे हुए हैं, उन्हें ढ़ांढ़स दो, दुर्बलों की सहायता करो तथा सभी के साथ धीरजवान बने रहो. 15 यह ध्यान रखो कि कोई भी बुराई का बदला बुराई से न लेने पाए किन्तु हमेशा वही करने का प्रयास करो, जिसमें पारस्परिक और सभी का भला हो.
16 हमेशा आनन्दित रहो, 17 प्रार्थना लगातार की जाए. 18 हर एक परिस्थिति में धन्यवाद प्रकट किया जाए क्योंकि मसीह येशु में तुमसे परमेश्वर की यही आशा है.
19 पवित्रात्मा को न बुझाओ. 20 भविष्यद्वाणियों को तुच्छ न समझो 21 परन्तु हर एक को सावधानीपूर्वक बारीकी से जाँचो तथा उसे, जो अच्छा है, थामे रहो. 22 बुराई का उसके हर एक रूप में बहिष्कार करो.
समापन प्रार्थना और आशीर्वचन
23 अन्ततः: परमेश्वर, जो शांति के स्त्रोत हैं, तुम्हें पूरी तरह अपने लिए बुराई से अलग करने तथा तुम्हारी आत्मा, प्राण तथा शरीर को पूरी तरह से हमारे प्रभु मसीह येशु के दोबारा आगमन के अवसर तक निर्दोष रूप में सुरक्षित रखें. 24 सच्चे हैं वह, जिन्होंने तुम्हें बुलाया है. वही इसको पूरा भी करेंगे.
25 प्रियजन, हमारे लिए प्रार्थना करते रहना. 26 पवित्र चुम्बन से एक दूसरे को नमस्कार करो. 27 प्रभु में हमारी यह आज्ञा है कि यह पत्र सबके सामने पढ़ा जाए.
28 तुम पर हमारे प्रभु मसीह येशु की कृपा बनी रहे.
सम्बोधन
1 थेस्सलोनिकेयुस नगर की कलीसिया को,
जो पिता परमेश्वर तथा प्रभु मसीह येशु में है, पौलॉस, सिलवानॉस तथा तिमोथियॉस की ओर से:
2 तुम में पिता परमेश्वर तथा प्रभु मसीह येशु का अनुग्रह तथा शान्ति बनी रहे.
सताहट में पौलॉस द्वारा उत्साह बढ़ाना
3 प्रियजन, तुम्हारे बढ़ते हुए विश्वास तथा हर एक में आपसी प्रेम के दिन-प्रतिदिन बढ़ते जाने के लिए परमेश्वर को हमारा लगातार धन्यवाद सही ही है, 4 इसलिए परमेश्वर की कलीसियाओं में हम तुम्हारे द्वारा सहे जा रहे सताहटों और यातनाओं की स्थिति में भी तुम्हारे द्वारा की जा रही लगातार कोशिशों तथा विश्वास का वर्णन अत्यन्त गर्व के साथ करते हैं. 5 यह सब परमेश्वर के सच्चे न्याय के निर्णय का एक स्पष्ट प्रमाण है, जिसके परिणामस्वरूप तुम परमेश्वर के राज्य के योग्य समझे जाओगे—वस्तुत: तुम यातनाएँ इसी के लिए सह रहे हो.
अन्तिम न्याय
6 इसलिए परमेश्वर के लिए यही सही है कि वह उन्हें भी क्लेश ही दें, जिन्होंने तुम्हें क्लेश दिया है 7 तथा मसीह येशु के स्वर्ग से ज्वालामय आग में अपने सामर्थी स्वर्गदूतों के साथ प्रकट होने के अवसर पर तुम्हारी और हमारी भी, जो दूर हैं, पीड़ा मिटे. 8 उस अवसर पर वह उन सबसे बदला लेंगे, जो परमेश्वर को जानते नहीं है तथा उनसे भी, जो हमारे प्रभु मसीह येशु के ईश्वरीय सुसमाचार को नहीं मानते हैं. 9 अनन्त विनाश उनका दण्ड होगा. इसमें वे प्रभु की उपस्थिति तथा उनके सामर्थ्य के पराक्रम से दूर कर दिए जाएँगे. 10 उस समय वह अपने पवित्र लोगों के बीच महिमित होंगे तथा वे सभी, जिन्होंने उनमें विश्वास किया है, उन्हें चकित हो निहारेंगे. तुम भी उनमें शामिल हो क्योंकि तुमने हमारे सन्देश में विश्वास किया है.
11 इस बात के प्रकाश में हम तुम्हारे लिए हमेशा प्रार्थना करते हैं कि तुम हमारे परमेश्वर के मत में अपनी बुलाहट के अनुरूप पाए जाओ तथा तुम उत्तम उद्धेश्य की हर एक अभिलाषा तथा विश्वास के हर एक काम को सामर्थ से पूरा करते जाओ, 12 कि हमारे परमेश्वर तथा प्रभु मसीह येशु की कृपा के अनुसार तुम में हमारे प्रभु मसीह येशु की तथा उनमें तुम्हारी महिमा हो.
मसीह येशु के दोबारा आगमन से पहले की घटनाएँ
प्रभु के दोबारा आगमन के लक्षण
2 और अब, प्रियजन, हमारे प्रभु मसीह येशु के दोबारा आगमन तथा उनके साथ हमारे इकट्ठा होने के विषय में तुमसे हमारी विनती है, 2 कि तुम उतावली में न तो अपना मानसिक सन्तुलन खोना और न किसी आत्मिक प्रकाशन, वचन या किसी ऐसे पत्र के कारण घबराना, जो तुम्हें इस रीति से सौंपा जाए, जो मानो तुम्हें हमारे द्वारा लिखा गया है तथा जिसमें यह सूचना दी गई हो कि प्रभु के दिन का आगमन हो चुका. 3 कोई तुम्हें किसी भी रीति से भटकाने न पाए क्योंकि यह उस समय तक न होगा जब तक इसके पहले विश्वास का पतन न हो जाए तथा पाप का पुत्र, जो विनाश का पुत्र है, प्रकट न हो. 4 वह हर एक तथाकथित ईश्वर या आराधना योग्य वस्तु का विरोध करता तथा अपने आप को इन सब के ऊपर करता है कि स्वयं को परमेश्वर बताते हुए परमेश्वर के मन्दिर में ऊँचे आसन पर जा बैठे.
5 क्या तुम्हें याद नहीं कि तुम्हारे साथ रहते हुए मैंने तुम्हें यह सब बताया था? 6 तुम्हें यह भी मालूम है कि उसे इस समय किसने अपने वश में किया हुआ है कि वह अपने निर्धारित समय पर ही प्रकट किया जाए. 7 अधर्म की गुप्त शक्ति पहले ही सक्रिय है. वह, जो इस पर नियन्त्रण बनाए हुए हैं, केवल तब तक नियन्त्रण बनाए रखेंगे, जब तक उसे इस मार्ग से हटा न दिया जाए, 8 तभी वह अधर्मी प्रकट होगा. प्रभु अपने मुख की फूंक मात्र से उसका वध कर देंगे—वस्तुत: उनके दोबारा आगमन का प्रताप मात्र ही उसके अस्तित्व को समाप्त कर डालेगा. 9 अधर्मी का प्रकट होना शैतान के कार्यों के अनुसार सब प्रकार के झूठ चमत्कार चिह्नों के साथ होगा 10 नाश होने वालों के लिए शैतान की गतिविधि के अनुरूप होगा, जो नाश होने वाले हैं, क्योंकि उन्होंने अपने उद्धार के लिए सच्चे प्रेम को स्वीकार नहीं किया. 11 यही कारण है कि उन्हें परमेश्वर द्वारा ऐसी भटका देने वाली सामर्थ में डाल दिया जाएगा कि वे झूठ पर ही विश्वास करें 12 कि वे सभी, जिन्होंने सच का विश्वास नहीं किया परन्तु सिर्फ अधर्म में प्रसन्न होते रहे, दण्डित किए जा सकें.
दृढ़ बने रहने के लिए प्रोत्साहन
13 किन्तु, प्रियजन, यहाँ तुम्हारे लिए परमेश्वर के सामने हमारा सदैव धन्यवाद देना सही ही है. तुम प्रभु के प्रिय हो क्योंकि परमेश्वर ने प्रारम्भ ही से पवित्रात्मा द्वारा पाप से अलग करके तथा सच में तुम्हारे विश्वास के कारण उद्धार के लिए तुम्हें चुन लिया है. 14 परमेश्वर ने हमारे ईश्वरीय सुसमाचार बताने के द्वारा तुम्हें बुलाया कि तुम हमारे प्रभु मसीह येशु की महिमा में शामिल हो सको. 15 इसलिए, प्रियजन, स्थिर रहो. उन पारम्परिक शिक्षाओं में अटल रहो, जो तुमने हमसे मौखिक रूप से या पत्र के द्वारा प्राप्त की हैं.
16 अब स्वयं हमारे प्रभु मसीह येशु तथा पिता परमेश्वर, जिन्होंने अपने प्रेम में अनुग्रह द्वारा हमें अनन्त धीरज-प्रोत्साहन तथा उत्तम आशा प्रदान की है, 17 तुम्हें हर एक सत्कर्म तथा वचन-सन्देश में मनोबल और प्रोत्साहन प्रदान करें.
3 अन्त में, प्रियजन, हमारे लिए प्रार्थना करो कि परमेश्वर का सन्देश तेज़ गति से हर जगह फैलता जाए और उसे महिमा प्राप्त हो—ठीक जैसी तुम्हारे बीच 2 और यह भी कि हम टेढ़े मनवाले व्यक्तियों तथा दुष्ट मनुष्यों से सुरक्षित रहें क्योंकि विश्वास का वरदान सभी ने प्राप्त नहीं किया है 3 किन्तु प्रभु विश्वासयोग्य हैं. वही तुम्हें स्थिर करेंगे और उस दुष्ट से तुम्हारी रक्षा करेंगे. 4 प्रभु में हमें तुम्हारे विषय में पूरा निश्चय है कि तुम हमारे आदेशानुसार ही स्वभाव कर रहे हो और ऐसा ही करते रहोगे. 5 प्रभु तुम्हारे हृदयों को परमेश्वर के प्रेम तथा मसीह येशु के धीरज की ओर अगुवाई करें.
आलस्य तथा मन मुटाव के विरुद्ध चेतावनी
6 प्रियजन, मसीह येशु के नाम में हम तुम्हें यह आज्ञा देते हैं कि तुम ऐसे हर एक व्यक्ति से दूर रहो, जो अनुचित चाल चलता है, जो हमारे द्वारा दी गई शिक्षाओं का पालन नहीं करता. 7 यह तुम्हें मालूम है कि तुम्हारे लिए हमारे जैसी चाल चलना सही है क्योंकि तुम्हारे बीच रहते हुए हम निकम्मे नहीं रहे. 8 इतना ही नहीं, हमने किसी के यहाँ दाम चुकाए बिना भोजन नहीं किया परन्तु हमने दिन-रात परिश्रम किया और काम करते रहे कि हम तुममें से किसी के लिए भी बोझ न बनें. 9 यह इसलिए नहीं कि तुमसे सहायता पाना हमारा अधिकार नहीं है परन्तु इसलिए कि हम स्वयं को तुम्हारे सामने आदर्श स्वभाव प्रस्तुत करें और तुम हमारी सी चाल चलो. 10 यहाँ तक कि जब हम तुम्हारे बीच में थे, हम तुम्हें यह आज्ञा दिया करते थे: किसी आलसी को भोजन न दिया जाए.
11 सुनने में यह आया है कि तुममें से कुछ की जीवनशैली आलस भरी हो गई है—वे कोई भी काम नहीं कर रहे, वस्तुत: वे अन्यों के लिए बाधा बन गए हैं. 12 ऐसे व्यक्तियों के लिए मसीह येशु में हमारी विनती भरी आज्ञा है कि वे गम्भीरता पूर्वक काम पर लग जाएँ तथा वे अपने ही परिश्रम से कमाया हुआ भोजन करें. 13 किन्तु, प्रियजन, तुम स्वयं वह करने में पीछे न हटना, जो सही और भला है.
14 यदि कोई व्यक्ति हमारे इस पत्र के आदेशों को नहीं मानता है, उस पर विशेष ध्यान दो. उसका साथ न दो कि वह लज्जित हो. 15 इतना सब होने पर भी उसे शत्रु न मानो परन्तु एक भाई समझ कर उसे समझाओ.
आशीर्वचन
16 शान्ति के परमेश्वर स्वयं तुम्हें हर एक परिस्थिति में निरन्तर शान्ति प्रदान करते रहें. प्रभु तुम सबके साथ हों.
17 मैं, पौलॉस, अपने हाथों से नमस्कार लिख रहा हूँ. मेरे हर एक पत्र का पहचान चिह्न यही है. यही मेरे लिखने का तरीका है.
18 हमारे प्रभु मसीह येशु का अनुग्रह तुम सब पर बना रहे.
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