Chronological
आभारी रहा
11 फिन जब ईसू यरूसलेम जात रहा तउ उ सामरिया अउर गलील क बीच क चउहद्दी क लगे स निकरा। 12 उ जब एक गाउँ मँ जात रहा तबहिं दस कोढ़ी ओका मिलेन। उ सबइ कछू दूरी प खड़ा रहेन। 13 उ पचे ऊँच आवाज मँ बोलेन, “हे ईसू! हे स्वामी! हम प दाया करा!”
14 फिन जब उ ओनका लखेस तउ उ बोला, “जा अउर आपन खुद क याजकन क देखावा।”
उ सबइ जात ही रहेन कि कोढ़ स छुटकारा पाएन। 15 मुला ओहमाँ स एक जब इ देखेस कि उ चंगा होइ ग अहइ, तउ उ वापस लौटा अउर ऊँच आवाज मँ परमेस्सर क गुन गावइ लाग। 16 उ मुँहना धइके ईसू क गोड़वा पर गिरि गवा अउर ओकर ऍहसान मानेस। (उ एक सामरी रहा।) 17 ईसू ओसे पूछेस, “का सबहिं दस क दसउ कोढ़ स छुटकारा नाहीं पाएन? फिन उ सबइ नौ कहाँ बाटेन? 18 का केवल सामरी क तजिके ओहमाँ स कउनो भी परमेस्सर क स्तुति करइ वापस नाहीं लौटा?” 19 फिन ईसू ओसे कहेस, “खड़ा ह्वा अउर चला जा, तोहार बिसवास तोहका चंगा किहेस ह।”
परमेस्सर क राज्य तोहरे भीतर बा
(मत्ती 24:23-28,37-41)
20 एक दाईं जब फरीसियन ईसू स पूछेन, “परमेस्सर क राज्य कब आई?”
तउ उ ओनका जवाब दिहस, “परमेस्सर क राज्य अइसे परगट होइके नाहीं आवत। 21 मनइयन इ न कइहीं, ‘उ हिआँ अहइ!’ या ‘उ हुवाँ अहइ!’ काहेकि परमेस्सर क राज्य तउ तोहरे भीतर ही अहइ।”
22 मुला चेलन उ बोलाएस, “अइसा समइ आइ जब तू मनई क पूत क दिनन मँ स एक दिन क भी तरसब्या मुला, ओका न लख पउब्या। 23 अउर मनइयन तोहसे कइहीं, ‘देखा, हिआँ!’ या ‘देखा, हुवाँ!’ तू हुवाँ जिन जा या ओकर पाछे जिन जा।
जब ईसू लौटी
24 “वइसे ही जइसे बिजुरी चमकिके एक छोर स दूसर छोर मँ चमकत ह, वइसे ही मनई क पूत भी आपन दिन मँ परगट होइ। 25 मुला ओका पहिले बहोत स दारुण दुःख झेलइ क होइ अउर इ पीढ़ी क जरिए उ जरूर ही न मान्न होइ।
26 “वइसे ही जइसे नूह क दिनन मँ भवा रहा, मनई क पूत क दिनन मँ भी होइ। 27 उ दिना तलक जब नूह नाउ मँ बइठा, मनई खात पिअत रहेन, बियाह करत रहेन, अउर बियाह मँ दीन्ह जात रहेन। फिन जल परलइ आइ अउर उ सबन क नास कइ दिहस।
28 “इहइ तरह होइ जइसे लूत क दिना मँ भी भवा रहा। मनइयन खात पिअत रहेन, बेसहत रहेन, बेचत रहेन अउर खेती अउर घर बनवत रहेन। 29 मुला उ दिन जब लूत सदोम स बाहेर निकरा तउ अकास स आगी अउर गंधक बरसइ लाग अउर उ सबइ बर्बाद होइ गएन। 30 उ दिना भी जब मनई क पूत परगट होइ, ठीक अइसे ही होइ।
31 “उ दिन जदि कउनो मनई छते प होइ अउर ओकर सामान घरे क भीतर होइ तउ ओका उठावइ बरे तरखाले न उतरइ। इहइ तरह जदि कउनो मनई खेते मँ होइ तउ उ पाछे न लौटइ। 32 लूत क पत्नी क याद करा,
33 “जउन कउनो आपन जिन्नगी बचावइ क जतन करी, उ ओका खोइ देइ अउर जउन आपन जिन्नगी खोइ, उ ओका बचाइ लेइ। 34 मइँ तोहका बतावत हउँ, उ राति एक खटिया प जउन दुइ मनई होइहीं, ओहमाँ स एक उठाइ लीन्ह जाइ अउर दूसर छोर दीन्ह जाइ। 35 दुइ स्त्रियन एक संग चकरी चलावत होइहीं, ओहमाँ स एक उठाइ लीन्ह जाइ अउर दूसर स्त्री छोर दीन्ह आइ।” 36 [a]
37 फिन ईसू क चेलन ओसे पूछेन, “हे पर्भू, अइसा कहाँ होइ?”
उ ओनसे कहेस, “जहाँ ल्हास पड़ी होइ, गिद्ध भी हुवँइ एकट्ठा होइहीं।”
परमेस्सर आपन मनइयन क जरूर सुनी
18 फिन ईसू चेलन क इ बतावइ बरे एक दिस्टान्त कथा सुनाएस कि उ पचे लगातार पराथना करत रहइँ अउर निरास न होइँ। उ इ दिस्टान्त कथा कहेस: 2 “कउनो सहर मँ एक न्यायाधीस होत रहा। उ न तो परमेस्सर स डेरात रहा अउर न ही मनइयन क परवाह करत रहा। 3 उहइ सहर मँ, अब लखा एक ठु विधवा भी रहत रही। अउर उ ओनके लगे बार बार आवत अउर कहत, ‘देखा, मोरे बरे कीन्ह गवा अनिआउ क खिलाफ निआउ मिलइ चाही!’ 4 तउ एक लम्बा समइ तलक तउ उ न्यायाधीस नाहीं चाहत रहा मुला आखिर मँ उ आपन मने मँ सोचेस, ‘चाहे मइँ परमेस्सर स न डेरात हउँ अउर न मनइयन क परवाह करत हउँ। 5 तउ भी काहेकि इ विधवा स मोर कान पक ग अहइँ तउ मइँ देखिहउँ कि ओका निआउ मिलि जाइ जेहसे इ मोरे लगे कइउ दाइँ आइके कहूँ मोरे नाक मँ दम करि देइ!’”
6 फिन पर्भू कहेस, “देखा! उ दुस्ट न्यायाधीस का कहे रहा। 7 तउ का परमेस्सर आपन चुना भए मनइयन प धियान न देइ कि ओनका, जउन ओका राति दिन टेरत हीं, निआव मिलइ? का उ ओनकइ मदद करइ मँ देर लगाई? 8 मइँ तोहसे कहत हउँ कि उ ओनका जल्दी निआव देई। फिन भी जब मनई क पूत आइ तउ का उ धरती प बिसवास पाई?”
दीन होइके परमेस्सर क आराधना
9 फिन ईसू ओन मनइयन बरे जउन आपन क नेक तउ मानत रहेन, अउर कउनो क कछू नाहीं समझतेन, इ दिस्टान्त कथा सुनाएस: 10 “मन्दिर मँ दुइ मनई पराथना करत रहेन, एक फरीसी रहा अउर दूसर चुंगी (टैक्स) क उगहिया। 11 उ फरीसी अलग खड़ा होइके इ पराथना करइ लाग, ‘हे परमेस्सर मइँ तोहार धन्यबाद करत हउँ कि मइँ दूसर मनइयन जउन डाकू, ठग अउर व्यभिचार नाहीं हउँ अउर न ही इ चुंगी उगहिया जइसा हउँ। 12 मइँ हप्ता मँ दुइ दाई उपास राखत हउँ अउर आपन समूची आमदनी क दसवाँ हींसा दान मँ दइ देत हउँ।’
13 “मुला उ चुंगी उगहिया जउन दूर खड़ा रहा अउर हिआँ तलक कि सरगे कइँती आपन आँखिन उठाइके नाहीं लखत रहा, आपन छतिया पीटत भवा बोला, ‘हे परमेस्सर, मोहे पापी प द्या कर!’ 14 मइँ तोहका बतावत हउँ, इहइ मनई धर्मी कहवाइके आपन घरे लौट गवा, न कि उ दूसर। काहेकि हर उ मनई जउन आपन खुद क बड़का समझी, ओका छोटका बनइ दीन्ह जाइ अउर जउन दीन मानी, ओका बड़का बनइ दीन्ह जाइ।”
Awadhi Bible: Easy-to-Read Version. Copyright © 2005 Bible League International.