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Chronological

Read the Bible in the chronological order in which its stories and events occurred.
Duration: 365 days
New Chhattisgarhi Translation (नवां नियम छत्तीसगढ़ी) (NCA)
Version
याकूब 1-5

परमेसर अऊ परभू यीसू मसीह के सेवक याकूब कोति ले, ए चिट्ठी ओ बारह गोत्र के मनखेमन ला लिखे जावत हवय, जऊन मन संसार म एती-ओती बगर गे हवंय। तुमन जम्मो झन ला जोहार मिलय[a]

लोभ अऊ परिछा

हे मोर भाईमन, जब तुम्‍हर ऊपर नाना किसम के परिछा आथे, त एला बड़ आनंद के बात समझव, काबरकि तुमन जानत हव कि तुम्‍हर बिसवास के परखे जाय ले तुम्‍हर धीरज ह बढ़थे। पर धीरज ला अपन काम करन देवव कि तुमन पूरा अऊ सिद्ध हो जावव अऊ तुमन म कोनो बने बात के कमी झन रहय।

कहूं तुमन ले कोनो म बुद्धि के कमी हवय, त ओह परमेसर ले मांगय, जऊन ह बिगर गलती देखे, जम्मो झन ला खुला मन ले देथे अऊ एह ओला दिये जाही। पर ओह बिसवास के संग मांगय अऊ ओकर मन म कुछू संका झन रहय, काबरकि संका करइया ह समुंदर के लहरा के सहीं अय, जऊन ह हवा ले एती-ओती बहथे अऊ उछलथे। अइसने मनखे ह ए झन सोचय कि ओला परभू ले कुछू मिलही। ओह दुचित्ता मनखे ए अऊ ओह अपन जम्मो काम म चंचल ए।

गरीब आदमी ए बात के घमंड करय कि ओह परमेसर के नजर म बड़े अय। 10 अऊ धनवान मनखे ह खुस होवय कि परमेसर ह ओला दीन-हीन करे हवय। काबरकि ओह जंगली फूल सहीं खतम हो जाही। 11 जब सूरज ह निकरथे, त अब्‍बड़ घाम पड़थे अऊ पौधा ला सूखा देथे; ओकर फूल ह झर जाथे अऊ ओकर सुघरपन ह खतम हो जाथे; ओहीच किसम ले, धनवान घलो अपन काम ला करत नास हो जाही।

12 धइन ए ओ मनखे, जऊन ह जिनगी के परिछा म डोले नइं; काबरकि ओह चोखा निकरके जिनगी के ओ मुकुट ला पाही याने कि सदाकाल के जिनगी पाही, जेकर वायदा परभू ह अपन मया करइयामन ले करे हवय। 13 जब काकरो परिछा होथे, त ओह ए झन कहय कि मोर परिछा परमेसर ह करत हवय, काबरकि न तो खराप बात ले परमेसर के परिछा हो सकथे अऊ न ही ओह काकरो परिछा खुद करथे।

14 पर हर एक मनखे अपनेच खराप ईछा के कारन फंसथे अऊ परिछा म पड़थे। 15 तब खराप ईछा ह बढ़के पाप ला जनमथे अऊ जब पाप ह बढ़ जाथे, त मनखे के आतमिक मिरतू हो जाथे।

16 हे मोर भाईमन, भोरहा म झन रहव। 17 काबरकि हर एक बने अऊ उत्तम बरदान स्‍वरग ले आथे अऊ परमेसर ददा, जऊन ह अंजोर ला बनाईस, ओकर कोति ले, ए बरदान ह मिलथे, अऊ ओह बदलत छइहां सहीं नइं बदलय। 18 ओह अपन ईछा ले हमन ला सुघर संदेस के दुवारा नवां जिनगी दीस, ताकि हमन परमेसर बर ओकर बनाय जम्मो चीजमन ले अलग करे जावन।

सुनव अऊ करव

19 हे मोर भाईमन, ए गोठ ला तुमन जान लेवव: हर एक मनखे पहिली धियान देके सुनय अऊ धीर धरके बोलय अऊ तुरते गुस्सा झन होवय। 20 काबरकि मनखे के गुस्सा ह परमेसर के धरमीपन नइं लाने सकय। 21 एकरसेति जम्मो गंदगी अऊ बईरता ला छोंड़ देवव, अऊ दीन-हीन होके ओ बचन ला गरहन कर लेवव, जऊन ह तुम्‍हर हिरदय म बोय गे हवय अऊ तुम्‍हर उद्धार कर सकथे। 22 पर बचन के मुताबिक चलइया बनव अऊ बचन के सिरिप सुनइया बनके अपन-आप ला धोखा झन देवव। 23 जऊन ह बचन ला सुनथे अऊ ओकर मुताबिक नइं चलय, त ओह ओ मनखे सहीं अय, जऊन ह अपन चेहरा ला दरपन म देखथे। 24 अऊ ओह अपन-आप ला देखके चल देथे अऊ तुरते भुला जाथे कि ओह कइसने दिखथे। 25 पर जऊन मनखे ह ओ सिद्ध कानून ऊपर धियान लगाथे, जऊन ह हमन ला सुतंतर करथे, ओ मनखे ह अपन काम म एकरसेति आसिस पाही, काबरकि ओह सुनके भूलय नइं, पर ओकर मुताबिक चलथे।

26 कहूं कोनो अपन-आप ला धारमिक समझथे अऊ अपन जीभ ला अपन बस म नइं रखय, त ओह अपन-आप ला धोखा देथे अऊ ओकर धरम ह बेकार ए। 27 हमर परमेसर ददा के नजर म सही अऊ बने धरम ए अय कि दुःख म अनाथ अऊ बिधवामन के देख-रेख करय, अऊ अपन-आप ला संसार के बुरई ले अलग रखय।

गरीबमन के आदर करव

हे मोर भाईमन हो, जब तुमन हमर महिमामय परभू यीसू मसीह ऊपर बिसवास करथव, त काकरो संग भेदभाव झन करव। कहूं कोनो मनखे सोन के मुन्दरी अऊ सुघर कपड़ा पहिरके तुम्‍हर सभा म आवय अऊ एक गरीब मनखे घलो फटहा-पुराना कपड़ा पहिरके आवय, अऊ कहूं तुमन ओ सुघर कपड़ा पहिरे मनखे के मुहूं देखके कहव, “तेंह इहां बने ठऊर म बईठ” अऊ ओ गरीब मनखे ला कहव, “तेंह इहां खड़े रह या मोर गोड़ करा भुइयां म बईठ।” त का तुमन आपस म भेदभाव नइं करेव? अऊ खराप बिचार ले नियाय करइया नइं ठहिरेव।

हे मोर मयारू भाईमन, सुनव: का परमेसर ह ए संसार के गरीबमन ला नइं चुनिस कि ओमन बिसवास म धनी, अऊ ओ स्‍वरग राज के भागीदार बनंय, जेकर वायदा परमेसर ह ओमन ले करिस, जऊन मन ओकर ले मया करथें। पर तुमन ओ गरीब के बेजत्ती करेव; का धनी मनखे तुम्‍हर ऊपर अतियाचार नइं करंय अऊ का ओमन तुमन ला कचहरी म घसीटके नइं ले जावंय? का ओमन परमेसर के सुघर नांव के निन्दा नइं करंय, जेकर तुमन अव?

कहूं तुमन परमेसर के बचन म लिखाय ए राजकीय कानून ला पूरा करथव, “तें अपन पड़ोसी ले अपन सहीं मया कर।”[b] त सही म बने करथव। पर कहूं तुमन भेदभाव करथव, त पाप करथव अऊ परमेसर के कानून ह तुमन ला दोसी ठहिराथे। 10 काबरकि जऊन कोनो जम्मो कानून के पालन करथे, पर एकेच बात म चूक जाथे, त ओह जम्मो बात म दोसी ठहिरही। 11 काबरकि परमेसर ह ए कहे हवय, “छिनारी झन करव।”[c] ओही परमेसर ह ए घलो कहे हवय, “हतिया झन करव।”[d] कहूं तुमन छिनारी नइं करव, पर काकरो हतिया करथव, त तुमन दोसी ठहरेव। 12 तुमन ओ मनखेमन सहीं गोठियावव, अऊ काम करव, जऊन मन के नियाय ओ कानून के मुताबिक होही, जऊन ह सुतंतर करथे। 13 काबरकि जऊन ह दया नइं करय, ओकर नियाय परमेसर ह बिगर दया के करही। काबरकि दया ह नियाय ऊपर जय पाथे।

बिसवास अऊ काम

14 हे मोर भाईमन हो, कहूं कोनो कहय कि ओह बिसवास करथे, पर ओह बिसवास के मुताबिक काम नइं करय, त एकर ले का फायदा? का अइसने बिसवास ह कभू ओकर उद्धार कर सकथे? 15 कहूं कोनो भाई या बहिनी उघरा हवय अऊ ओला रोज खाय बर नइं मिलथे। 16 अऊ तुमन ले कोनो ओला कहय, “खुसी रह, गरम रह अऊ तोला भरपेट खाना मिलय।” पर जऊन चीजमन देहें बर जरूरी अंय, ओमन ला नइं देवय, त का फायदा? 17 वइसनेच बिसवास घलो करम के बिगर मरे सहीं होथे। 18 पर कोनो कह सकथे, “तोर करा बिसवास हवय अऊ मोर करा करम हवय।”

तेंह अपन बिसवास ला मोला करम के बिगर तो देखा; अऊ मेंह अपन बिसवास ला मोर करम के दुवारा तोला देखाहूं। 19 तेंह बिसवास करथस कि एकेच परमेसर हवय; बने करथस; परेत आतमामन घलो अइसनेच बिसवास रखथें अऊ कांपथें।

20 पर हे मुरुख अऊ अलाल मनखे, का तेंह ए नइं जानत हवस कि करम बिगर बिसवास ह बेकार ए। 21 जब हमर पुरखा अब्राहम ह अपन बेटा इसहाक ला बेदी ऊपर चघाईस, त का ओह अपन करम के दुवारा परमेसर के नजर म धरमी नइं ठहरिस। 22 तेंह देखे कि ओकर करम ह बिसवास के मुताबिक रिहिस अऊ करम के दुवारा ओकर बिसवास ह पूरा होईस। 23 अऊ परमेसर के ए बचन ह पूरा होईस, “अब्राहम ह परमेसर ऊपर बिसवास करिस अऊ धरमी गने गीस,[e] अऊ ओला परमेसर के संगवारी कहे गीस।” 24 तुमन देख डारेव कि मनखेमन सिरिप बिसवास के दुवारा ही नइं, पर संग म करम के दुवारा धरमी ठहिरथें। 25 वइसनेच, का राहाब बेस्या ह घलो अपन करम के दुवारा धरमी नइं ठहरिस, जब ओह इसरायली भेदियामन ला अपन घर म ठऊर दीस, अऊ आने रसता ले ओमन ला बिदा कर दीस? 26 जइसने देहें ह आतमा के बिगर मरे हवय, वइसनेच बिसवास ह घलो करम के बिगर मरे हवय।

हे मोर भाईमन हो, तुमन ले बहुंत झन गुरू झन बनव, काबरकि तुमन जानत हव कि गुरूमन के अऊ कड़ई ले नियाय होही। हमन जम्मो झन अक्सर गलती करथन। जऊन कोनो अपन गोठ म कभू गलती नइं करय, ओह सिद्ध मनखे ए; अऊ ओह अपन देहें ला बस म कर सकथे।

जब हमन अपन गोठ ला मनवाय बर घोड़ामन के मुहूं म लगाम लगाथन, त हमन ओकर पूरा देहें ला घलो अपन बस म कर लेथन। देखव, पानी जहाज घलो, जऊन ह बहुंत बड़े होथे; अऊ तेज हवा के दुवारा चलथे, तभो ले एक नानकून पतवार के दुवारा मांझी ह अपन ईछा के मुताबिक ओला जिहां चाहथे उहां ले जाथे। वइसनेच जीभ ह घलो देहें के एक नानकून अंग ए, पर ओह बहुंते डींग मारथे। देखव, एक नानकून आगी के चिनगारी ले कतेक बड़े जंगल म आगी लग जाथे। जीभ ह घलो आगी सहीं अय। एह हमर देहें म अधरम के एक संसार ए। एह एक अइसने आगी ए, जऊन ला नरक कुन्‍ड के आगी ले बारे गे हवय अऊ पूरा जिनगी म आगी लगाके मनखे ला बरबाद कर देथे।

हर एक किसम के जीव-जन्तु, चिरई अऊ पेट के भार रेंगइया जीव-जन्तु अऊ पानी के जीव-जन्तु, मनखेमन के बस म हो सकथें अऊ ओमन बस म हो घलो गे हवंय। पर जीभ ला कोनो मनखे अपन बस म नइं कर सकय। ओह अइसने सैतान ए, जऊन ह कभू चुप नइं रहय। ओह अइसने जहर ले भरे हवय, जऊन ह परान ले लेथे।

जीभ ले हमन परभू अऊ ददा के महिमा करथन अऊ इही जीभ ले मनखेमन ला सराप घलो देथन, जऊन मन परमेसर के सरूप म बनाय गे हवंय। 10 ओहीच मुहूं ले महिमा अऊ सराप दूनों निकरथे। हे मोर भाईमन हो, अइसने नइं होना चाही। 11 का मीठा अऊ नूनचूर पानी झरना के एकेच मुहूं ले निकर सकथे? 12 हे मोर भाईमन, का अंजीर के रूख म जैतून या अंगूर के नार म अंजीर फर सकथे? वइसने नूनचूर झरना ले मीठा पानी नइं निकर सकय।

दू किसम के बुद्धि

13 तुमन म बुद्धिमान अऊ समझदार कोन ए? ओह अपन काम अऊ बने चाल-चलन के दुवारा एला नमरता सहित देखावय, जऊन ह बुद्धि ले उपजथे। 14 पर कहूं तुमन अपन मन म भारी जलन अऊ सुवारथ रखथव, त एकर बर घमंड झन करव अऊ सत के बिरोध झन करव। 15 अइसने बुद्धि ह स्‍वरग ले नइं आवय, पर एह संसारिक, सारीरिक अऊ सैतान के अय। 16 काबरकि जिहां जलन अऊ सुवारथ होथे, उहां झंझट अऊ हर किसम के बुरई पाय जाथे।

17 पर जऊन बुद्धि ह स्‍वरग ले आथे, ओह पहिली सुध, ओकर बाद मिलनसार, कोमल, नम्र सुभाव, दया, अऊ बने फर ले भरे रहिथे अऊ ओम भेदभाव अऊ कपट नइं रहय। 18 अऊ जऊन मेल-मिलाप करइयामन ह मेल-मिलाप करवाथें, ओमन धरमीपन के फर उपजाथें।

तुमन म लड़ई अऊ झगरा कहां ले आ गीस? का एमन तुम्‍हर संसारिक ईछा ले नइं आवंय, जऊन मन तुम्‍हर भीतर लड़त-भिड़त रहिथें? तुमन कुछू चीज ला पाय के आसा रखथव, पर तुमन ला नइं मिलय। तुमन मनखे के हतिया करथव अऊ लालच करथव, अऊ जऊन कुछू के ईछा रखथव, ओह तुमन ला नइं मिलय। तुमन लड़थव-झगरथव। तुमन ला नइं मिलय, काबरकि तुमन परमेसर ले नइं मांगव। जब तुमन मांगथव, त तुमन ला नइं मिलय, काबरकि तुमन गलत मनसा ले मांगथव कि ओला अपन भोग-बिलास म उड़ा देवव।

हे छिनारी करइया मनखेमन, का तुमन नइं जानव कि संसार ले मितानी करई के मतलब परमेसर ले बईरता करई ए? जऊन कोनो संसार के संगवारी होय चाहथे, ओह अपन-आप ला परमेसर के बईरी बनाथे। का तुमन ए समझथव कि परमेसर के बचन ह बिगर कारन के कहिथे कि जऊन आतमा ला ओह हमन म बसाय हवय, ओकर दुवारा जलन पैदा होवय। ओह तो अनुग्रह देथे। एकर कारन परमेसर के बचन ह कहिथे:

“परमेसर ह घमंडीमन के बिरोध करथे,
    पर दीन-हीन मनखेमन ऊपर अनुग्रह करथे।”[f]

एकरसेति तुमन परमेसर के बस म रहव, अऊ सैतान के सामना करव, त सैतान ह तुम्‍हर करा ले भाग जाही। परमेसर के लकठा म आवव, त ओह घलो तुम्‍हर लकठा म आही। हे पापी मनखेमन, अपन हांथ ला धोवव, अऊ हे ढोंगी मनखेमन, अपन हिरदय ला सुध करव। दुःखी होवव, अऊ सोक करव अऊ रोवव। तुम्‍हर हंसई ह सोक म अऊ तुम्‍हर आनंद ह उदासी म बदल जावय। 10 परभू के आघू म दीन-हीन बनव, त ओह तुमन ला बढ़ाही।

11 हे भाईमन हो, एक-दूसर ला बदनाम झन करव। जऊन ह अपन भाई के बदनामी करथे अऊ अपन भाई ऊपर दोस लगाथे, ओह परमेसर के कानून ला बदनाम करथे अऊ कानून ऊपर दोस लगाथे। जब तेंह कानून ऊपर दोस लगाथस, त तेंह कानून म चलइया नइं, पर ओकर ऊपर हाकिम ठहिरे। 12 कानून के देवइया अऊ नियाय करइया एकेच झन अय अऊ ओह परमेसर ए, जेकर करा बचाय अऊ नास करे के सामरथ हवय। पर तेंह कोन अस कि अपन पड़ोसी ऊपर दोस लगाथस?

घमंड के बिरोध म चेतउनी

13 सुनव, तुमन जऊन मन ए कहिथव कि आज या कल हमन कोनो अऊ सहर म जाके उहां एक बछर रहिबो, अऊ काम-धंधा करके पईसा कमाबो। 14 तुमन ए नइं जानत हव कि कल का होही। तुम्‍हर जिनगी ह का ए? तुमन त भाप के सहीं अव, जऊन ह छिन भर दिखथे, अऊ तब लोप हो जाथे। 15 एकर बदले, तुमन ला ए कहना चाही कि कहूं परभू के ईछा होही, त हमन जीयत रहिबो अऊ ए या ओ बुता ला करबो। 16 पर तुमन अपन डींग मारथव अऊ घमंड करथव। अइसने जम्मो घमंड के बात ह गलत ए। 17 एकरसेति, जऊन मनखे ह भलई करे ला जानथे अऊ नइं करय, ओकर बर एह पाप ए।

धनवानमन ला चेतउनी

हे धनवान मनखेमन, मोर बात ला सुनव; तुमन अपन ऊपर अवइया बिपत के कारन गोहार पारके रोवव। तुम्‍हर धन-दौलत ह सड़ गे हवय अऊ तुम्‍हर कपड़ामन ला कीरा खा गे हवय। तुम्‍हर सोना-चांदी म जंक लग गे हवय, अऊ ए जंक ह तुम्‍हर बिरोध म गवाही दिही कि तुमन कतेक लालची अव अऊ एमन तुम्‍हर कठोर सजा के कारन बनहीं। तुमन संसार के आखिरी समय म धन बटोरे हवव। देखव, जऊन बनिहारमन तुम्‍हर खेत के फसल ला लुईन, ओमन के बनी ला तुमन धोखा देके रख ले हवव, एकरसेति ओमन रोवत हवंय; अऊ ओमन के रोवई ह सर्वसक्तिमान परभू के कान तक पहुंच गे हवय। तुमन धरती म भोग-बिलास अऊ सुख के जिनगी बिताय हवव। तुमन बध होय के दिन खातिर अपन-आप ला मोटा-ताजा कर ले हवव। तुमन धरमी मनखेमन ऊपर दोस लगाके ओमन ला मार डारेव। ओमन तुम्‍हर बिरोध नइं करत रिहिन।

धीरज अऊ पराथना

एकरसेति, हे भाईमन, परभू यीसू के लहुंटके आवत तक ले धीरज धरे रहव। देखव, किसान ह कइसने खेत के कीमती फसल के बाट जोहथे अऊ कइसने पहिली अऊ आखिरी बरसा होवत तक धीरज धरे रहिथे। तुमन घलो धीरज धरव, अऊ अपन हिरदय ला मजबूत करव, काबरकि परभू के अवई लकठा म हवय। हे भाईमन, एक दूसर ऊपर दोस झन लगावव ताकि परमेसर तुमन ला दोसी झन ठहिरावय। देखव, मसीह ह नियाय करे बर बहुंत जल्दी अवइया हवय। ओह दुवारी म ठाढ़े हे सहीं समझव।

10 हे भाईमन, ओ अगमजानीमन ला सुरता करव, जऊन मन परभू परमेसर के नांव म तुम्‍हर ले गोठियाईन। दुःख के बेरा म ओमन जऊन धीरज धरिन, ओला एक उदाहरन के रूप म लेवव। 11 जइसने कि तुमन जानत हव कि धीरज धरइयामन ला हमन आसिसित मनखे समझथन। तुमन अय्यूब के धीरज के बारे म तो सुने हवव अऊ परभू परमेसर ह कइसने ओकर धीरज के परतिफल दीस, ओला घलो जानत हव। परभू परमेसर ह अब्‍बड़ दयालु अऊ किरपालू अय।

12 हे मोर भाईमन, जम्मो ले बड़े बात ए अय कि कोनो बात म, तुमन कसम झन खावव – न स्‍वरग के, न धरती के, अऊ न कोनो आने चीज के। पर तुम्‍हर गोठ ह “हां” के “हां”, अऊ “नइं” के “नइं” होवय, ताकि तुमन दंड के भागीदार झन होवव।

बिसवास के पराथना

13 कहूं तुमन म कोनो दुःखी हवय, त ओह पराथना करय, अऊ कहूं कोनो खुस हवय, त ओह परभू के भजन गावय। 14 कहूं तुमन म कोनो बेमार हवय, त ओह कलीसिया के अगुवामन ला बलावय कि ओमन परभू के नांव म ओकर ऊपर तेल लगाके ओकर बर पराथना करंय। 15 अऊ बिसवास के पराथना ले बेमरहा ह बने हो जाही, अऊ परभू ह ओला ठाढ़ कर दिही। अऊ कहूं ओह पाप घलो करे होही, त ओकर छेमा हो जाही। 16 एकरसेति, तुमन एक-दूसर के आघू म अपन-अपन पाप ला मान लेवव; अऊ एक-दूसर बर पराथना करव, ताकि तुम्‍हर बेमारी ह ठीक हो जावय। धरमी मनखे के पराथना ह सक्तिसाली अऊ परभावी होथे।

17 एलियाह घलो हमरेच सहीं दुःख-सुख भोगी मनखे रिहिस। ओह गिड़गिड़ाके पराथना करिस कि पानी झन बरसय, अऊ साढ़े तीन बछर तक ले धरती म पानी नइं गिरिस। 18 तब ओह फेर पराथना करिस कि बरसा होवय, त अकास ले बरसा होईस, अऊ भुइयां म फेर फसल होईस। 19 हे मोर भाईमन, कहूं तुमन ले कोनो सत के रसता ले भटक जावय, अऊ कोनो ओला सही रसता म वापिस ले आवय, 20 त एला जान लेवव कि जऊन कोनो भटके पापी ला सही रसता म लानही, ओह ओकर परान ला मिरतू ले बचाही, अऊ बहुंते पाप के छेमा के कारन बनही।

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