Chronological
1 मसीह येशु के दास तथा प्रेरित शिमोन पेतरॉस की ओर से उन्हें,
जिन्होंने हमारे परमेश्वर तथा उद्धारकर्ता मसीह येशु की धार्मिकता के द्वारा हमारे समान बहुमूल्य विश्वास प्राप्त किया है:
2 तुम्हें हमारे परमेश्वर तथा प्रभु मसीह येशु के सम्पूर्ण ज्ञान में अनुग्रह तथा शान्ति बहुतायत में प्राप्त हो.
मसीही जीवनशैली के लिए प्रोत्साहन
3 जिन्होंने हमारी बुलाहट स्वयं अपने प्रताप और परम उत्तमता के द्वारा की है. उनके ईश्वरीय सामर्थ ने उनके सत्य ज्ञान में हमें जीवन और भक्ति से संबंधित सभी कुछ दे दिया है. 4 क्योंकि इन्हीं के द्वारा उन्होंने हमें अपनी विशाल और बहुमूल्य प्रतिज्ञाएँ प्रदान की हैं कि तुम संसार में बसी हुई कामासक्ति से[a] प्रेरित भ्रष्टाचार से मुक्त हो ईश्वरीय स्वभाव में सहभागी हो जाओ.
5 इसीलिए तुम हर सम्भव कोशिश करते हुए अपने विश्वास में नैतिक सदगुण, नैतिक सदगुण में ज्ञान, 6 अपने ज्ञान में आत्मसंयम, आत्मसंयम में धीरज, धीरज में भक्ति, 7 भक्ति में भाईचारा तथा भाईचारे में निस्स्वार्थ प्रेम में बढ़ते जाओ. 8 यदि तुम में ये गुण मौजूद हैं और यदि तुम में इनका विकास हो रहा है तब इनके कारण तुम हमारे प्रभु मसीह येशु के सम्पूर्ण ज्ञान में न तो निकम्मे होगे और न ही निष्फल; 9 जिस व्यक्ति में ये गुण मौजूद नहीं हैं, वह अंधा है या धुंधला देखता है क्योंकि वह अपने पिछले पापों से शुद्ध होने को भुला चुका है.
10 इसलिए, प्रियजन, अपनी बुलाहट तथा चुन लिए जाने को साबित करने के लिए भली-भांति प्रयास करते रहो. यदि तुम ऐसा करते रहोगे तो कभी भी मार्ग से न भटकोगे. 11 इस प्रकार हमारे प्रभु तथा उद्धारकर्ता मसीह येशु के अनन्त काल के राज्य में तुम्हारे प्रवेश पर तुम्हारा भव्य स्वागत होगा.
प्रेरितों की गवाही
12 हालांकि तुम इन विषयों से अच्छी तरह से परिचित हो और उस सच्चाई में बने रहते हो तौभी मैं तुम्हें इन बातों की याद दिलाने के लिए हमेशा उत्सुक रहूँगा. 13 जब तक मैं इस शरीर-रूपी ड़ेरे में हूँ, तुम्हें याद दिलाते हुए सावधान रखना सही समझता हूँ. 14 मैं यह जानता हूँ कि मेरे देह छोड़ने का समय बहुत नज़दीक है. परमेश्वर करें कि ठीक वैसा ही हो जैसा हमारे प्रभु मसीह येशु ने मुझ पर प्रकाशित किया है. 15 मैं हर संभव कोशिश करूँगा कि मेरे जाने के बाद भी तुम इन बातों को याद रख सको.
16 जब हमने तुम पर हमारे प्रभु मसीह येशु की सामर्थ और दूसरे आगमन के सत्य प्रकाशित किए, हमने कोई चतुराई से गढ़ी गई कहानियों का सहारा नहीं लिया था—हम स्वयं उनके प्रताप के प्रत्यक्षदर्शी थे. 17 जब मसीह येशु ने पिता परमेश्वर से आदर और महिमा प्राप्त की, प्रतापमय महिमा ने उन्हें सम्बोधित करते हुए यह पुकारा, “यह मेरा प्रिय पुत्र है—मेरा अत्यन्त प्रिय—जिससे मैं प्रसन्न हूँ.” 18 उनके साथ जब हम पवित्र पर्वत पर थे, स्वर्ग से उद्भूत इस शब्द को हमने स्वयं सुना.
भविष्यवाणी की महानता
19 इसलिए भविष्यद्वक्ताओं का वचन और अधिक विश्वसनीय हो गया है. उस पर तुम्हारा ध्यान केन्द्रित करना ठीक वैसे ही भला है जैसे जलते हुए दीपक पर ध्यान केन्द्रित करना—जब तक पौ नहीं फटती और तुम्हारे हृदयों में भोर का तारा उदित नहीं होता. 20 किन्तु सबसे पहिले यह समझ लो कि पवित्रशास्त्र की कोई भी भविष्यवाणी स्वयं भविष्यद्वक्ताओं का अपना विचार नहीं है, 21 क्योंकि कोई भी भविष्यवाणी मनुष्य की इच्छा के आदेश से मुँह से नहीं निकलती, परन्तु भविष्यद्वक्ता पवित्रात्मा से उत्तेजित किए जा कर परमेश्वर की ओर से घोषणा किया करते थे.
झूठे शिक्षक
2 झूठे भविष्यद्वक्ता इस्राएल राष्ट्र में भी उठे थे, ठीक इसी प्रकार तुम्हारे बीच भी झूठे शिक्षक उठेंगे. वे उन स्वामी को, जिन्होंने उन्हें मोल लिया है, अस्वीकार करते हुए गुप्त रूप से विनाशकारी पाखण्ड़ों का उद्घाटन करेंगे. इनके द्वारा वे स्वयं अपने ऊपर शीघ्र, अचानक विनाश ले आएंगे. 2 अनेक लोग उनके अनुसार लुचपन के स्वभाव का अनुसरण करेंगे. उनके कारण सच का मार्ग निन्दित हो जाएगा. 3 वे लालच के कारण तुम्हें अपनी झूठी गढ़ी हुई बातों में फँसा कर तुमसे अनुचित लाभ उठाएंगे. उनके लिए पहले से तय किया न्याय-दण्ड न तो निष्क्रिय हुआ है और न ही उनका विनाश सोया हुआ है.
4 जब परमेश्वर ने उन स्वर्गदूतों को भी क्षमा नहीं किया, जिन्होंने पाप किया था परन्तु उन्हें न्याय के लिए पाताल के अन्धेरे गड्ढों में धकेल रखा है; 5 जब उन्होंने प्राचीन संसार को भी नहीं छोड़ा परन्तु पानी की बाढ़ द्वारा अधर्मियों के संसार का नाश किया—धार्मिकता के प्रचारक नोहा तथा सात अन्य के अतिरिक्त; 6 यदि उन्होंने सोदोम और अमोराह नगरों को भस्म कर विनाशकारी दण्ड दिया कि वे आनेवाले कुकर्मियों के लिए उदाहरण बन जाएँ; 7 यदि परमेश्वर ने अधर्मियों के अशुद्ध चाल-चलन से बहुत दुःखी धर्मी लोत का उद्धार किया, 8 जो उन लोगों के बीच निवास करते हुए, उनका अधर्म का स्वभाव देख व सुन दिन-प्रतिदिन अपनी धर्मी अन्तरात्मा में तीव्र यातना सहते थे, 9 तो यह स्पष्ट है कि परमेश्वर यह जानते हैं कि धर्मियों को किस प्रकार परीक्षा से निकाला जाए तथा यह भी कि किस प्रकार अधर्मियों को न्याय के दिन पर दण्डित किए जाने के लिए संभाल कर रखा जाए, 10 विशेष रूप से उन्हें, जो कामुकता की अशुद्ध अभिलाषाओं में लीन रहते तथा प्रभुता को तुच्छ समझते हैं.
ये ढ़ीठ तथा घमण्ड़ी व्यक्ति तेजोमय स्वर्गीय प्राणियों तक की निन्दा करने का दुस्साहस कर बैठते हैं, 11 जबकि स्वर्गदूत तक, जो इनसे कहीं अधिक शक्तिशाली और समर्थ हैं, प्रभु के सामने उन पर भला-बुरा कहकर दोष नहीं लगाते. 12 ये व्यक्ति उन निर्बुद्धि पशुओं के समान हैं, जिनका जन्म ही ऐसे प्राणियों के रूप में हुआ है कि इन्हें पकड़ कर इनका वध किया जाए. ये उन विषयों की उल्लाहना करते हैं, जिनका इन्हें कोई ज्ञान नहीं. ये भी इन्हीं पशुओं के समान नाश हो जाएँगे.
13 इन्हें बुरे कामों का बुरा फल मिलेगा. दिन में भोग-विलास इनके लिए आनन्द का साधन है. ये वे घोर कलंक हैं, जो तुम्हारे प्रेम-भोजों में घुसकर अपने छलावे का आनन्द लेते हैं. 14 इनकी आँखें व्यभिचार से भरी हुई हैं और ये पाप करने से नहीं चूकते. ये चंचल व्यक्तियों को लुभाते हैं, इनके हृदय में लालच भरा है, ये शापित सन्तान हैं. 15 बिओर के पुत्र बालाम के समान, जिसने अधर्म से कमाए हुए धन का लालच किया, ये भी सच्चाई का मार्ग को छोड़कर भटक गए. 16 उसे अपने अपराधों के लिए फटकार भी पड़ी—एक गूँगे गधे ने मनुष्य के शब्द में बातें कर उस भविष्यद्वक्ता के बावलेपन को रोका.
17 ये सूखे कुएँ तथा आँधी द्वारा उड़ाई धुन्ध हैं, जिनके लिए घना अन्धेरा ठहराया गया है. 18 ये घमण्ड़ भरी व्यर्थ की बातों से उन लोगों को कामुकता की शारीरिक अभिलाषाओं में लुभाते हैं, जो मार्ग से भटके लोगों में से बाल-बाल बच कर निकल आए हैं. 19 ये उनसे स्वतन्त्रता की प्रतिज्ञा तो करते हैं, जबकि स्वयं विनाश के दास हैं. मनुष्य उसी का दास बन जाता है, जिससे वह हार जाता है. 20 यदि वे मसीह येशु हमारे प्रभु और उद्धारकर्ता के सारे ज्ञान के द्वारा संसार की मलिनता से छूटकर निकलने के बाद दोबारा उसी में फँसकर कर उसी के अधीन हो गए हैं, तो यह स्पष्ट है कि उनकी वर्तमान स्थिति पिछली स्थिति से बदतर हो चुकी है. 21 उत्तम तो यही होता कि उन्हें धार्मिकता के मार्ग का अहसास ही न हुआ होता बजाय इसके कि वह उसे जानने के बाद जो पवित्र आज्ञा उन्हें सौंपी गई थी उस से मुँह मोड़ते. 22 उनका स्वभाव इस कहावत को सच साबित करता है, “कुत्ता अपनी ही उल्टी की ओर लौटता है,” तथा “नहाई हुई सूअरिया कीचड़ में लोटने लौट जाती है.”
पत्र का उद्देश्य
3 प्रियजन, मेरी ओर से यह तुम्हें दूसरा पत्र है. इन दोनों पत्रों के द्वारा मैं तुम्हें दोबारा याद दिलाते हुए तुम्हारे निर्मल मन को छलकाना चाहता हूँ: 2 यह तुम्हारे लिए ज़रूरी है कि तुम पवित्र भविष्यद्वक्ताओं द्वारा पहले से कही बातों तथा प्रेरितों के माध्यम से दिए गए हमारे प्रभु व उद्धारकर्ता के आदेशों को याद करो.
3 सबसे पहिले, तुम्हारे लिए यह समझ लेना ज़रूरी है कि अन्तिम दिनों में अपनी ही वासनाओं द्वारा नियन्त्रित ठट्ठा करनेवालों का आगमन होगा, 4 जो ठट्ठा करते हुए यह कहेंगे: “क्या हुआ प्रभु के दूसरे आगमन की प्रतिज्ञा का? पूर्वजों की मृत्यु से अब तक सब कुछ वैसा ही चल रहा है जैसा सृष्टि के प्रारम्भ से था.” 5 जब वे जानबूझकर यह भूल जाते हैं कि प्राचीन काल में परमेश्वर के शब्द मात्र द्वारा आकाशमण्डल अस्तित्व में आया तथा शब्द ही के द्वारा जल में से, जल के द्वारा ही पृथ्वी की रचना हुई. 6 यह उनके ठट्ठे का ही परिणाम था कि उस समय का संसार जल की बाढ़ के द्वारा नाश किया गया. 7 इसी शब्द के द्वारा वर्तमान आकाशमण्डल तथा पृथ्वी अग्नि के लिए रखे गए तथा न्याय के दिन पर अधर्मियों के नाश के लिए सुरक्षित रखे जा रहे है.
8 किन्तु प्रियजन, इस बात को कभी भूलने न देना कि प्रभु के सामने एक दिन एक हज़ार वर्ष और हज़ार वर्ष एक दिन के बराबर हैं. 9 प्रभु अपनी प्रतिज्ञा को पूरी करने में देर नहीं करते जैसा कुछ लोगों का विचार है. वह तुम्हारे प्रति धीरज धरते हैं और नहीं चाहते कि किसी का भी विनाश हो परन्तु यह कि सभी को पाप से मन फिराने का सुअवसर प्राप्त हो.
10 प्रभु का दिन चोर के समान अचानक से आएगा, जिसमें आकाशमण्डल गड़गड़ाहट की तेज़ आवाज़ करते हुए नष्ट हो जाएगा, तत्व बहुत ही गरम होकर पिघल जाएँगे तथा पृथ्वी और उस पर किए गए सभी काम प्रकट हो जाएँगे.
11 जब इन सभी वस्तुओं का इस रीति से नाश होना निश्चित है तो पवित्र चाल-चलन तथा भक्ति में तुम्हारा किस प्रकार के व्यक्ति होना सही है, 12 जब तुम परमेश्वर के दिन के लिए ऐसी लालसा में इंतज़ार कर रहे हो, मानो उसे गति प्रदान कर रहे हो तो इस बात के प्रकाश में जब आकाशमण्डल आग से नाश कर दिया जाएगा तथा तेज़ गर्मी के कारण तत्व पिघल जाएँगे 13 प्रभु की प्रतिज्ञा के अनुसार हम नए आकाश और नई पृथ्वी की प्रतीक्षा कर रहे हैं, जहाँ धार्मिकता का वास है.
14 इसलिए प्रियजन, जब तुम उस दिन की प्रतीक्षा कर रहे हो, कोशिश करो कि प्रभु की दृष्टि में निष्कलंक तथा निर्दोष पाए जाओ तथा तुममें उनकी शान्ति का वास हो. 15 हमारे प्रभु के धीरज को उद्धार समझो—ठीक जैसे हमारे प्रिय भाई पौलॉस ने उन्हें दिए गए ज्ञान के अनुसार तुम्हें लिखा है, 16 जैसे उन्होंने अपने सभी पत्रों में भी इन्हीं विषयों का वर्णन किया है, जिनमें से कुछ विषय समझने में कठिन हैं, जिन्हें अस्थिर तथा अनपढ़ लोग बिगाड़ देते हैं—जैसा कि वे शेष पवित्रशास्त्र के साथ भी करते हैं; जिससे वे स्वयं अपना ही विनाश कर लेते हैं.
17 इसलिए प्रियजन, यह सब पहले से जानते हुए सचेत रहो. ऐसा न हो कि अधर्मियों की गलत शिक्षा में बहककर स्थिरता से तुम गिर न जाओ. 18 हमारे प्रभु और उद्धारकर्ता मसीह येशु के अनुग्रह और ज्ञान में बढ़ते जाओ. उनकी महिमा अब भी और युगानुयुग होती रहे. आमेन.
1 मसीह येशु के दास और याक़ोब के भाई यहूदाह की ओर से,
तुम सबको, जो परमेश्वर पिता के द्वारा बुलाए गए हैं और प्रेमपात्र हो और मसीह येशु के लिए सुरक्षित रखे गए हो:
2 कृपा, शान्ति और प्रेम अधिकता में मिलते जाएँ.
पत्र लिखने का उद्देश्य
3 प्रियों, हालांकि मैं बहुत ही उत्सुक था कि तुमसे हम सभी को मिले समान उद्धार का वर्णन करूँ किन्तु अब मुझे यह ज़रूरी लग रहा है कि मैं तुम्हें उस विश्वास की रक्षा के प्रयास के लिए प्रेरित करूँ, जो पवित्र लोगों को सदा के लिए एक ही बार में सौंप दिया गया है. 4 तुम्हारे बीच कुछ ऐसे व्यक्ति चुपचाप घुस आए हैं, जिनके लिए यह दण्ड बहुत पहले ही तय कर दिया गया था. ये वे भक्तिहीन हैं, जो हमारे एकमात्र स्वामी व प्रभु मसीह येशु को अस्वीकार करते हुए परमेश्वर के अनुग्रह को बिगाड़ कर कामुकता में बदल देते हैं.
5 हालांकि तुम इस सच्चाई से पहले से ही परिचित हो, तौभी यहाँ मेरा उद्धेश्य तुम्हें यह याद दिलाना है कि प्रभु ने अपनी प्रजा को मिस्र से छुड़ाने के बाद अन्ततः: उन्हीं में से उन लोगों का विनाश कर दिया, जो विश्वास से दूर हो गए थे. 6 जिस प्रकार परमेश्वर ने उन स्वर्गदूतों को भीषण न्याय के दिन तक के लिए सदाकाल के लिए अन्धकार में रख छोड़ा है, जिन्होंने अपने आचार नियमों का उल्लंघन करके अपने राजपद तथा घर को त्याग दिया, 7 उसी प्रकार सोदोम और अमोराह और आस-पास के नगरों को, जो इनके समान व्यभिचारी हो गये और अप्राकृतिक वासना का अनुसरण करने लगे और अग्नि के दण्ड के भोगी होकर अन्यों के लिये उदाहरण ठहरें.
उनका दुराचारी स्वभाव
8 फिर भी ये स्वप्नदर्शी, शरीर को उसी प्रकार अशुद्ध करते हैं, प्रभुत्व को अस्वीकार करते हैं और महिमामय स्वर्गीय प्राणियों की निन्दा करते हैं. 9 प्रधान स्वर्गदूत मीख़ाएल तक ने, जब वह मोशेह के शव के विषय में शैतान से वाद-विवाद कर रहा था, उसे लांछित कर अपमानित नहीं किया, परन्तु सिर्फ इतना ही कहा, “परमेश्वर ही तुझे फटकारें.” 10 ये लोग जिन विषयों को नहीं समझते, उन्हीं की बुराई करते और जिन विषयों को मूल रूप से अचेतन पशुओं की तरह समझते हैं, उन्हीं के द्वारा नाश हो जाते हैं.
11 धिक्कार है इन पर! जिन्होंने काइन का मार्ग अपना लिया; धन के लालच के कारण उन्होंने वही गलती की, जो बिलाम ने की थी और उसी प्रकार नाश हुए जिस प्रकार विद्रोही कोरह.
12 ये लोग समुद्र में छिपी हुई विनाशकारी चट्टानें हैं, जो तुम्हारे प्रेम-भोजों में प्रेम जताते हुए सिर्फ अपनी सन्तुष्टि के लिए बेशर्म हो भाग लेते हैं. ये निर्जल बादल हैं जिन्हें हवा उड़ा ले जाती है. यह शरद ऋतु के फलहीन और जड़ से गिरे हुए पेड़ हैं, जिनकी दोहरी मृत्यु हुई है. 13 ये समुद्र की प्रचण्ड लहरों के समान हैं, जो अपनी लज्जा फेन के रूप में उछालते हैं. ये मार्ग से भटके हुए तारागण हैं, जिनके लिए अनन्तकाल के लिए घोर अन्धकार तय किया गया है.
14 हनोक ने भी, जो आदम की सातवीं पीढ़ी में थे, इनके विषय में भविष्यवाणी की थी: “देखो, प्रभु अपने हज़ारों पवित्र लोगों के साथ आए 15 कि सबका न्याय करें और दुष्टों को उनके सभी बुरे कामों के लिए, जो उन्होंने बुराई से किए हैं और दुष्ट पापियों को, जिन्होंने परमेश्वर के विरोध में कड़वे वचन इस्तेमाल किए हैं, दोषी ठहराएं.” 16 ये वे हैं, जो कुड़कुड़ाते रहते हैं, सदा खोट निकालते रहते हैं तथा जो वासना-लिप्त, घमण्ड़ी और अपने लाभ के लिए चापलूसी करने वाले हैं.
एक चेतावनी
17 इसलिए प्रियो, यह आवश्यक है कि तुम हमारे प्रभु मसीह येशु के प्रेरितों की पहले से की गई घोषणाओं को याद रखो. 18 वे तुमसे कहते थे, “अन्तिम दिनों में ऐसे लोग होंगे, जिनका स्वभाव उनकी अभक्ति की अभिलाषाओं के अनुसार होगा.” 19 ये लोग फूट ड़ालनेवाले, संसारी और आत्मा से रहित हैं.
20 किन्तु प्रियो, तुम स्वयं को अपने अति पवित्र विश्वास में बढ़ाते जाओ. पवित्रात्मा में प्रार्थना करते हुए 21 अनन्त काल के जीवन के लिए हमारे प्रभु मसीह येशु की दया की बड़ी आशा से प्रतीक्षा करते हुए स्वयं को परमेश्वर के प्रेम में स्थिर बनाए रखो.
22 जो विश्वास में अस्थिर हैं, उनके लिए दया दिखाओ, 23 बाकियों को आग में से झपट कर निकाल लो, दया करते हुए सावधान रहो, यहाँ तक कि शरीर के द्वारा कलंकित वस्त्रों से भी घृणा करो.
स्तुति
24 अब वह जो ठोकर खाने से तुम्हारी रक्षा करने और अपनी महिमामय उपस्थिति में आनन्दपूर्वक तुम्हें निर्दोष प्रस्तुत करने में समर्थ हैं, 25 उन अतुल्य परमेश्वर हमारे उद्धारकर्ता की महिमा, वैभव, पराक्रम और राज्य मसीह येशु, हमारे प्रभु के द्वारा जैसी सनातन काल से थी, अब है, युगानुयुग बनी रहे, आमेन.
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