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Chronological

Read the Bible in the chronological order in which its stories and events occurred.
Duration: 365 days
Saral Hindi Bible (SHB)
Version
1 पेतरॉस 1-5

मसीह येशु के प्रेरित पेतरॉस की ओर से उन सभी को,

जो चुने हुए, प्रवासियों समान पोन्तॉस, गलातिया, कप्पादोकिया, आसिया तथा बिथुनिया प्रदेशों में तितर-बितर होकर निवास कर रहे हैं, तथा पिता परमेश्वर के भविष्य के ज्ञान के अनुसार, पवित्रात्मा के पवित्र करने के द्वारा प्रभु के लिए अलग किए गए हैं कि वे मसीह येशु के आज्ञाकारी हों तथा उनके लहू का छिड़काव लें:

तुम्हें अनुग्रह व शान्ति बहुतायत से प्राप्त हो.

भविष्य की आशा

स्तुति के योग्य हैं हमारे प्रभु मसीह येशु के पिता और परमेश्वर, जिन्होंने अपनी महान कृपा के अनुसार हमें मसीह येशु के मरे हुओं में से जी उठने के द्वारा जीवित आशा में नया जन्म प्रदान किया है कि हम उस मीरास को प्राप्त करें, जो अविनाशी, निर्मल तथा अजर है, जो तुम्हारे लिए, जो विश्वास के माध्यम से परमेश्वर के सामर्थ के द्वारा युग के अन्त में प्रकट होने के लिए ठहराए हुए उद्धार के लिए सुरक्षित रखे गए हो, स्वर्ग में आरक्षित है. इसके प्रति आशा तुम्हारे अतीव आनन्द का आधार है यद्यपि इस समय थोड़े समय के लिए तुम्हें अनेक प्रकार की परीक्षाएं सहना ज़रूरी हो गया है कि मसीह येशु के दोबारा आगमन के अवसर पर तुम्हारे विश्वास के प्रमाण का परिणाम प्रशंसा, गौरव और सम्मान में देखा जा सके. तुम्हारा यह विश्वास नाशमान सोने से कहीं अधिक कीमती है—यद्यपि इसे आग में परखा जाता है. हालांकि तुमने प्रभु को नहीं देखा है फिर भी उनसे प्रेम करते हो; और तुम उन्हें इस समय नहीं देख रहे, फिर भी तुम उनमें विश्वास करते हो और ऐसे आनन्द से, जो वर्णन से बाहर है विभोर हो, जो ईश्वरीय महिमा से भरा है, जिसे तुमने अपने विश्वास के परिणामस्वरूप प्राप्त किया है—तुम्हारी आत्मा का उद्धार.

10 इसी उद्धार के सम्बन्ध में भविष्यद्वक्ताओं ने अपनी भविष्यवाणियों में तुम्हारे आने वाले अनुग्रह की प्राप्ति के विषय में खोज और छानबीन की. 11 उनकी खोज का विषय था उनमें बसा हुआ मसीह के आत्मा द्वारा पहले से बताई गई मसीह की सताहटों तथा उनके बाद उनकी महिमा का संकेत किस व्यक्ति तथा किस काल की ओर था. 12 उन पर यह प्रकट कर दिया गया था कि यह सब उनके जीवनकाल में नहीं परन्तु वर्षों बाद तुम्हारे जीवनकाल में सम्पन्न होगा. अब तुम तक यही ईश्वरीय सुसमाचार उनके द्वारा लाया गया है, जिन्होंने स्वर्ग से भेजे गए पवित्रात्मा द्वारा प्रचार क्षमता प्राप्त की थी. स्वर्गदूत तक इनकी एक झलक पाने के लिए लालायित रहते हैं.

प्रभु के लिए अलग किए जाने की बुलाहट

13 इसलिए मानसिक रूप से कमर कस लो, सचेत रहो और अपनी आशा पूरी तरह उस अनुग्रह पर केन्द्रित करो, जो मसीह येशु के प्रकट होने पर तुम्हें प्रदान किया जाएगा. 14 परमेश्वर की आज्ञाकारी सन्तान होने के कारण उन अभिलाषाओं को तृप्त न करो, तुम पहले अज्ञानतावश जिनके अधीन थे. 15 अपने पवित्र बुलानेवाले के समान तुम स्वयं अपने सारे स्वभाव में पवित्र हो जाओ 16 क्योंकि लिखा है: चाहने योग्य है तुम्हारा पवित्र होना, क्योंकि मैं पवित्र हूँ.

17 यदि तुम उन्हें पिता कहते हो, जो मनुष्यों के कामों के आधार पर बिना पक्षपात के निर्णय करते हैं तो तुम पृथ्वी पर अपने रहने का समय उन्हीं के भय में बिताओ, 18 इस अहसास के साथ कि पूर्वजों से चली आ रही तुम्हारे निकम्मे चाल-चलन से तुम्हारी छुटकारा नाशमान सोने-चांदी के द्वारा नहीं, 19 परन्तु मसीह के बहुमूल्य लहू से हुआ है—निर्दोष और निष्कलंक मेमने के लहू से. 20 यद्यपि वह सृष्टि के पहले से ही चुने हुए थे किन्तु इन अन्तिम दिनों में तुम्हारे लिए प्रकट हुए हैं. 21 तुम, जो प्रभु द्वारा परमेश्वर में विश्वास करते हो, जिन्होंने उन्हें मरे हुओं में से जीवित कर महिमित किया, जिसके परिणामस्वरूप तुम्हारा विश्वास और आशा परमेश्वर में है.

22 इसलिए कि तुमने उस सच्चाई की आज्ञा मानने के द्वारा अपनी आत्मा को निश्छल भाईचारे के लिए पवित्र कर लिया है, अब तुम में आपस में उत्तम हार्दिक प्रेम ही देखा जाए. 23 तुम्हारा नया जन्म नाशमान नहीं परन्तु अनन्त जीवन तत्व अर्थात् परमेश्वर के जीवित और सदा ठहरने वाले वचन के द्वारा हुआ है 24 क्योंकि

सभी मनुष्य घास के समान
    तथा उनकी शोभा जंगली फ़ूलों के समान है;
घास मुरझा जाती तथा फ़ूल झड़ जाता है;
25     परन्तु प्रभु का वचन युगानुयुग बना रहता है

यही है वह वचन, जो तुम्हें सुनाया गया था.

इसलिए सब प्रकार का बैरभाव, सारे छल, कपट, ड़ाह तथा सारी निन्दा को दूर करते हुए वचन के निर्मल दूध के लिए तुम्हारी लालसा नवजात शिशुओं के समान हो कि तुम उसके द्वारा उद्धार पाने के लिए बढ़ते जाओ अब तुम ने यह चखकर जान लिया है कि प्रभु कृपानिधान हैं.

नई याजकता

अब तुम उनके पास आए हो, जो जीवित पत्थर हैं, जो मनुष्यों द्वारा त्यागा हुआ किन्तु परमेश्वर के लिए बहुमूल्य और प्रतिष्ठित हैं. तुम भी जीवित पत्थरों के समान पवित्र पौरोहित्य के लिए एक आत्मिक भवन बनते जा रहे हो कि मसीह येशु के द्वारा परमेश्वर को भानेवाली आत्मिक बलि भेंट करो. पवित्रशास्त्र का लेख है:

“देखो, मैं त्सियोन में एक उत्तम पत्थर; एक बहुमूल्य कोने के पत्थर की स्थापना कर रहा हूँ.
वह, जो उनमें विश्वास करता है,
    कभी भी लज्जित न होगा.”

इसलिए तुम्हारे लिए, जो विश्वासी हो, वह बहुमूल्य हैं; किन्तु अविश्वासियों के लिए:

वही पत्थर, जो राजमिस्त्रियों द्वारा नकार दिया गया था,
    कोने का सिरा बन गया.

तथा

वह पत्थर जिससे ठोकर लगती है,
    वह चट्टान,
    जो उनके पतन का कारण है.

वे लड़खड़ाते इसलिए हैं कि वे वचन को नहीं मानते हैं और यही दण्ड उनके लिये परमेश्वर द्वारा ठहराया गया है.

किन्तु तुम एक चुना हुआ वंश, राजकीय याजक, पवित्र राष्ट्र तथा परमेश्वर की अपनी प्रजा हो कि तुम उनकी सर्वश्रेष्ठता की घोषणा कर सको, जिन्होंने अन्धकार में से तुम्हारा बुलावा अपनी अद्भुत ज्योति में किया है. 10 एक समय था जब तुम प्रजा ही न थे, किन्तु अब परमेश्वर की प्रजा हो; तुम कृपा से वंचित थे परन्तु अब तुम उनके कृपापात्र हो गए हो.

विनम्रता व समर्पण निर्देश: अन्यजातियों के प्रति

11 प्रियजन, मैं तुम्हारे परदेशी और यात्री होने के कारण तुमसे विनती करता हूँ कि तुम शारीरिक अभिलाषाओं से बचे रहो, जो आत्मा के विरुद्ध युद्ध करते हैं. 12 अन्यजातियों में अपना चाल-चलन भला रखो, जिससे कि जिस विषय में वे तुम्हें कुकर्मी मानते हुए तुम्हारी निन्दा करते हैं, तुम्हारे भले कामों को देख कर उस आगमन दिवस पर परमेश्वर की वन्दना करें.

13 प्रभु के लिए मनुष्य द्वारा चुने हुए हर एक शासक के अधीन रहो: चाहे राजा के, जो सर्वोच्च अधिकारी है 14 या राज्यपालों के, जो कुकर्मियों को दण्ड देने परन्तु सुकर्मियों की सराहना के लिए चुने गए हैं, 15 क्योंकि परमेश्वर की इच्छा यही है कि तुम अपने सच्चे चरित्र के द्वारा उन मूर्खों का मुख बन्द करो, जो बेबुनियादी बातें करते रहते हैं. 16 तुम्हारा स्वभाव स्वतन्त्र व्यक्तियों के समान तो हो किन्तु तुम अपनी स्वतन्त्रता का प्रयोग बुराई पर पर्दा डालने के लिए नहीं परन्तु परमेश्वर के सेवकों के रूप में ही करो. 17 सभी का सम्मान करो, साथी विश्वासियों के समुदाय से प्रेम करो; परमेश्वर के प्रति श्रद्धाभाव रखो और राजा का सम्मान करो.

18 सेवको, पूरे आदर भाव में अपने स्वामियों के अधीन रहो; भले और हितैषी स्वामियों के ही नहीं परन्तु बुरे स्वामियों के भी. 19 यदि कोई परमेश्वर के प्रति विवेकशीलता के कारण क्लेश भोगता है और अन्यायपूर्ण रीति से सताया जाता है, वह प्रशंसनीय है. 20 भला इसमें प्रशंसनीय क्या है कि तुमने अपराध किया, उसके लिए सताए गए और उसे धीरज के साथ सहते रहे? परन्तु यदि तुमने वह किया, जो उचित है और उसके लिए धीरज के साथ दुःख सहे तो तुम परमेश्वर के कृपापात्र हो. 21 इसी के लिए तुम बुलाए गए हो क्योंकि मसीह ने भी तुम्हारे लिए दुःख सहे और एक आदर्श छोड़ गए कि तुम उनके पद-चिह्नों पर चलो.

22 “न उन्होंने कोई पाप किया और न उनके मुख से
    छल का कोई शब्द निकला”

23 जब उनकी उल्लाहना की जा रही थी, उन्होंने इसके उत्तर में उल्लाहना नहीं की; दुःख सहते हुए भी, उन्होंने धमकी नहीं दी; परन्तु स्वयं को परमेश्वर के हाथों में सौंप दिया, जो धार्मिकता से न्याय करते हैं. 24 मसीह ने काठ पर स्वयं अपने शरीर में हमारे पाप उठा लिए कि हम पाप के लिए मरकर तथा धार्मिकता के लिए जीवित हो जाएँ. उनके घावों के द्वारा तुम्हारी चंगाई हुई है. 25 तुम लगातार भेड़ों के समान भटक रहे थे किन्तु अब अपने चरवाहे व अपनी आत्मा के रखवाले के पास लौट आए हो.

पत्नियो, अपने-अपने पति के अधीन रहो, जिससे कि यदि उनमें से कोई परमेश्वर के वचन के प्रति आज्ञा न माननेवाले हों तो वे तुम्हारे कुछ कहे बिना ही अपनी-अपनी पत्नियों के स्वभाव के द्वारा विश्वास में शामिल किए जा सकें, क्योंकि वे तुम्हारे पवित्र तथा अच्छे स्वभाव को देखते रहते हैं. तुम्हारा सौन्दर्य सिर्फ दिखावटी न हो, जैसे बाल संवारना, सोने के गहने व वस्त्रों से सजना; परन्तु तुम्हारा भीतरी व्यक्तित्व नम्रता व मन की दीनता जैसे अविनाशी गुणों से सजा हुआ हो, जो परमेश्वर की दृष्टि में बहुमूल्य हैं. पूर्वकाल में पवित्र स्त्रियाँ, जिनकी भक्ति परमेश्वर में थी, अपने पति के अधीन रहते हुए इसी रीति से श्रृंगार करती थीं. साराह अब्राहाम को स्वामी सम्बोधित करते हुए उनकी आज्ञाकारी रहीं. यदि तुम निड़र होकर वही करती हो, जो उचित है, तो तुम उनकी सन्तान हो गई हो.

तुम, जो पति हो, इसी प्रकार अपनी-अपनी पत्नी के साथ सम्वेदनशील होकर रहो क्योंकि वह नारी है—निर्बल पात्र. जीवन के अनुग्रह के संगी वारिस के रूप में उसे सम्मान दो कि किसी रीति से तुम्हारी प्रार्थनाएँ रुक न जाएं.

भाईचारे के प्रति

अन्ततः:, तुम सब हृदय में मैत्री भाव बनाए रखो; सहानुभूति रखो; आपस में प्रेम रखो, करुणामय और नम्र बनो; बुराई का बदला बुराई से तथा निन्दा का उत्तर निन्दा से न दो; परन्तु इसके विपरीत, उन्हें आशीष ही दो क्योंकि इसी के लिए तुम बुलाए गए हो कि तुम्हें मीरास में आशीष प्राप्त हो, 10 क्योंकि लिखा है:

“वह, जो जीवन से प्रेम करना और भले दिन देखना चाहे,
    अपनी जीभ को बुराई से,
    अपने होठों को छल की बातों से बचाए रखे;
11 तथा बुराई से अलग होकर
    भलाई करे; वह शान्ति को खोजे और उसका पालन करे.
12 क्योंकि परमेश्वर की दृष्टि धर्मियों पर
    तथा उनके कान उनकी विनती पर लगे रहते हैं
परन्तु वह बुराई करनेवालों से दूर रहते हैं.”

13 यदि तुम में भलाई की धुन है तो तुम्हें हानि कौन पहुंचाएगा? 14 परन्तु यदि तुम वास्तव में धार्मिकता के कारण कष्ट सहते हो, तो तुम आशीषित हो. उनकी धमकियों से न तो डरो और न घबराओ. 15 मसीह को अपने हृदय में प्रभु के रूप में बसा लो. तुम्हारे अन्दर बसी हुई आशा के प्रति जिज्ञासु हर एक व्यक्ति को उत्तर देने के लिए हमेशा तैयार रहो 16 किन्तु विनम्रता और सम्मान के साथ. अपना विवेक शुद्ध रखो कि जिन विषयों में वे, जो मसीह में तुम्हारे उत्तम स्वभाव की निन्दा करते हैं, लज्जित हों. 17 भलाई के कामों के लिए दुःख सहना अच्छा है—यदि यही परमेश्वर की इच्छा है—इसकी बजाय कि बुराई के लिए दुःख सहा जाए.

18 मसीह ने भी पापों के लिए एक ही बार प्राणों को दे दिया—एक धर्मी ने सभी अधर्मियों के लिए—कि वह तुम्हें परमेश्वर तक ले जाएँ. उनकी शारीरिक मृत्यु तो हुई किन्तु परमेश्वर की आत्मा के द्वारा वह जीवित किए गए. 19 उन्होंने आत्मा ही में जाकर कैदी आत्माओं के सामने प्रचार किया. 20 ये उस युग की आज्ञा न मानने वाली आत्माएँ थीं, जब नोहा द्वारा जलयान निर्माण के समय परमेश्वर धीरज के साथ प्रतीक्षा करते रहे थे. उस जलयान में केवल कुछ ही व्यक्ति—कुल आठ—प्रलयकारी जल से सुरक्षित रखे गए थे. 21 उसके अनुसार जलयान में उनका प्रवेश बपतिस्मा का दृष्टान्त है, जो अब तुम्हें भी सुरक्षित रखता है. बपतिस्मा का अर्थ शरीर की मलिनता से स्वच्छ करना नहीं परन्तु मसीह येशु के पुनरुत्थान के द्वारा परमेश्वर के प्रति शुद्ध विवेक से प्रतिज्ञा है. 22 मसीह येशु स्वर्ग में जाकर परमेश्वर की दायीं ओर बैठ गए और सारे स्वर्गदूतों, अधिकारियों तथा शक्तियों को उनके अधीन कर दिया गया.

इसलिए कि मसीह ने शरीर में दुःख सहा, तुम स्वयं भी वैसी ही मनसा धारण कर लो, क्योंकि जिस किसी ने शरीर में दुःख सहा है, उसने पाप को त्याग दिया है. इसलिए अब से तुम्हारा शेष शारीरिक जीवन मानवीय लालसाओं को पूरा करने में नहीं परन्तु परमेश्वर की इच्छा के नियन्त्रण में व्यतीत हो. काफ़ी था वह समय, जो तुम अन्यजातियों के समान इन लालसाओं को पूरा करने में बिता चुके: कामुकता, वासना, मद्यव्यसन, मद्यपान उत्सव, रंगरेलियाँ तथा घृणित मूर्तिपूजन. अब वे अचम्भा करते हैं कि तुम उसी व्यभिचारिता की अधिकता में उनका साथ नहीं दे रहे इसलिए अब वे तुम्हारी बुराई कर रहे हैं. अपने कामों का लेखा वे उन्हें देंगे, जो जीवितों और मरे हुओं के न्याय के लिए तैयार हैं. इसी उद्धेश्य से ईश्वरीय सुसमाचार उन्हें भी सुनाया जा चुका है, जो अब मरे हुए हैं कि वे मनुष्यों के न्याय के अनुसार शरीर में तो दण्डित किए जाएँ किन्तु अपनी आत्मा में परमेश्वर की इच्छानुसार जीवित रह सकें.

अन्य निर्देश

संसार का अन्त पास है इसलिए तुम प्रार्थना के लिए संयम और सचेत भाव धारण करो. सबसे उत्तम तो यह है कि आपस में उत्तम प्रेम रखो क्योंकि प्रेम अनगिनत पापों पर पर्दा डाल देता है. बिना कुड़कुड़ाए एक दूसरे का अतिथि-सत्कार करो. 10 हर एक ने परमेश्वर द्वारा विशेष क्षमता प्राप्त की है इसलिए वह परमेश्वर के असीम अनुग्रह के उत्तम भण्ड़ारी के रूप में एक दूसरे की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए उसका प्रयोग करे. 11 यदि कोई प्रवचन करे, तो इस भाव में, मानो वह स्वयं परमेश्वर का वचन हो; यदि कोई सेवा करे, तो ऐसी सामर्थ से, जैसा परमेश्वर प्रदान करते हैं कि सभी कामों में मसीह येशु के द्वारा परमेश्वर का धन्यवाद हो, जिनका साम्राज्य और महिमा सदा-सर्वदा है. आमेन.

12 प्रियो, उस अग्नि रूपी परीक्षा से चकित न हो, जो तुम्हें परखने के उद्धेश्य से तुम पर आएगी, मानो कुछ अनोखी घटना घट रही है, 13 परन्तु जब तुम मसीह के दुःखों में सहभागी होते हो, आनन्दित होते रहो कि मसीह येशु की महिमा के प्रकट होने पर तुम्हारा आनन्द उत्तम विजय आनन्द हो जाए. 14 यदि मसीह के कारण तुम्हारी निन्दा की जाती है तो तुम आशीषित हो क्योंकि तुम पर परमेश्वर की महिमा का आत्मा छिपा है. 15 तुममें से कोई भी किसी भी रीति से हत्यारे, चोर, दुराचारी या हस्तक्षेपी के रूप में यातना न भोगे; 16 परन्तु यदि कोई विश्वासी होने के कारण दुःख भोगे, वह इसे लज्जा की बात न समझे परन्तु मसीह की महिमा के कारण परमेश्वर की स्तुति करे. 17 परमेश्वर के न्याय के प्रारम्भ होने का समय आ गया है, जो परमेश्वर की सन्तान से प्रारम्भ होगा और यदि यह सबसे पहिले हमसे प्रारम्भ होता है तो उनका अन्त क्या होगा, जो परमेश्वर के ईश्वरीय सुसमाचार को नहीं मानते हैं?

18 “यदि धर्मी का ही उद्धार कठिन होता है
    तो भक्तिहीन व पापी का क्या होगा?”

19 इसलिए वे भी, जो परमेश्वर की इच्छानुसार दुःख सहते हैं, अपनी आत्मा विश्वासयोग्य सृजनहार को सौंप दें, और भले काम करते रहें.

प्राचीन

इसलिए मैं, एक सह-प्राचीन होकर, जो मसीह येशु के दुःखों का प्रत्यक्ष गवाह तथा उस महिमा का सहभागी हूँ, जो भविष्य में प्रकट होने पर है, तुम्हारे पुरनियों से विनती कर रहा हूँ कि वे परमेश्वर की इच्छा में परमेश्वर के झुण्ड़ की देखरेख करें—दबाव में नहीं परन्तु अपनी इच्छा के अनुसार; अनुचित लाभ की दृष्टि से नहीं परन्तु शुद्ध सेवाभाव में, अपने झुण्ड़ पर प्रभुता दिखाकर नहीं परन्तु उनके लिए एक आदर्श बन कर; क्योंकि प्रधान चरवाहे के प्रकट होने पर तुम महिमा का अविनाशी मुकुट प्राप्त करोगे.

विनीत भावना

इसी प्रकार युवाओ, तुम प्राचीनों के अधीन रहो तथा तुम सभी एकदूसरे के प्रति दीनता की भावना धारण करो क्योंकि

“परमेश्वर घमण्ड़ियों का विरोध करते हैं
    परन्तु दीनों के पक्ष में रहते हैं.”

इसलिए परमेश्वर के सामर्थी हाथों के नीचे स्वयं को दीन बनाए रखो कि वह तुम्हें सही समय पर बढ़ाएं. अपनी सारी चिन्ता का बोझ परमेश्वर पर डाल दो क्योंकि वह तुम्हारा ध्यान रखते हैं.

धीरज रखो, सावधान रहो. तुम्हारा विरोधी शैतान गरजते हुए सिंह जैसे इस खोज में फिरता रहता है कि किसको फाड़ खाए. विश्वास में स्थिर रहकर उसका सामना करो क्योंकि तुम जानते हो कि इस संसार में साथी विश्वासी इसी प्रकार दुःख भोग रहे हैं.

10 जब तुम थोड़े समय के लिए दुःख भोग चुके होगे तब सारे अनुग्रह के परमेश्वर, जिन्होंने तुम्हें मसीह में अपनी अनन्त काल की महिमा में आमन्त्रित किया है, स्वयं तुम्हें सिद्ध, स्थिर, मजबूत तथा प्रतिष्ठित करेंगे. 11 उनका साम्राज्य सदा-सर्वदा हो, आमेन.

समापन सन्देश तथा आशीर्वचन

12 सिलवानॉस की सहायता से, जिसे मैं एक विश्वासयोग्य भाई मानता हूँ, मैंने तुम्हें प्रोत्साहित तथा आश्वस्त करते हुए संक्षेप में लिखा है कि यही परमेश्वर का वास्तविक अनुग्रह है. तुम इसी में स्थिर रहो. 13 तुम्हें उसकी शुभकामनाएँ, जो बाबेल में है, जिसे तुम्हारे ही साथ चुन कर अलग किया गया है और उसी प्रकार मेरे पुत्र मारकास की भी. 14 प्रेम के चुम्बन के द्वारा एकदूसरे को नमस्कार करो.

तुम सभी को, जो मसीह में हैं, शान्ति!

Saral Hindi Bible (SHB)

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