Chronological
1 परमेश्वर की इच्छा से मसीह येशु के प्रेरित पौलॉस तथा हमारे भाई तिमोथियॉस की ओर से,
2 कोलोस्सॉय के पवित्र लोगों और मसीह में सच्चे विश्वासी भाइयों को,
हमारे पिता परमेश्वर की ओर से अनुग्रह और शान्ति.
आभार व्यक्ति और प्रार्थना
3 तुम्हारे लिए प्रार्थना करते समय हम हमारे प्रभु मसीह येशु के पिता परमेश्वर के सामने हमेशा अपना आभार प्रकट करते हैं 4 क्योंकि हमने मसीह येशु में तुम्हारे विश्वास तथा सभी पवित्र लोगों के प्रति तुम्हारे प्रेम के विषय में सुना है. 5 इनका आधार है वह प्रत्याशा, जो तुम्हारे लिए स्वर्ग में रखी हुई है तथा जिसके विषय में तुम पहले ही सच्चाई का वर्णन—उद्धार के सुसमाचार में सुन चुके हो, 6 जिसे तुमने प्राप्त किया है. यह सुसमाचार लगातार पूरे संसार में और तुम में भी उसी दिन से फूल और फल रहा है, जिस दिन से तुमने इसे सुना और तुम्हें तभी परमेश्वर के अनुग्रह का अहसास हुआ. 7 ठीक जिसे तुमने हमारे प्रिय सहकर्मी-दास एपाफ़्रास से सीखा, जो तुम्हारे लिए मसीह का सच्चा सेवक है. 8 वह हमें पवित्रात्मा में तुम्हारे प्रेम के विषय में सूचित भी करता रहा है.
9 इसी कारण जिस दिन से हमने यह सुना है, हमने तुम्हारे लिए प्रार्थना करना नहीं छोड़ा और हम यह विनती करते हैं कि तुम पूरे आत्मिक ज्ञान और समझ में परमेश्वर की इच्छा के सारे ज्ञान में भरपूर होते जाओ 10 कि तुम्हारा स्वभाव प्रभु के योग्य हो, जो उन्हें हर प्रकार से प्रसन्न करने वाला हो, जो हर एक भले कार्य में फलदाई हो तथा परमेश्वर के सारे ज्ञान में उन्नत होते हुए तुम 11 सारी सहनशीलता और धीरज के लिए उनकी महिमा की शक्ति के अनुसार सारे सामर्थ से बलवान होते जाओ तथा 12 पिता का खुशी से आभार मानो, जिन्होंने तुम्हें ज्योति के राज्य में पवित्र लोगों की मीरास में शामिल होने के लिए योग्य बना दिया, 13 क्योंकि वही हमें अन्धकार के वश से निकाल कर अपने प्रिय पुत्र के राज्य में ले आए हैं. 14 उन्हीं में हमारा छुटकारा अर्थात् पाप की क्षमा है.
औपचारिक अनुदेश व मसीह सारी सृष्टि के शिरोमणि
15 अनदेखे परमेश्वर का स्वरूप हैं. वह सारी सृष्टि में पहिलौठे हैं. 16 क्योंकि उन्हीं में सब कुछ रचाया गया है—स्वर्गीय स्थानों में तथा पृथ्वी पर, देखी तथा अनदेखी, सिंहासन तथा प्रभुताएं, राजा तथा अधिकारी—सभी कुछ उन्हीं के द्वारा तथा उन्हीं के लिए बनाया गया. 17 वह सारी सृष्टि में प्रथम हैं और सारी सृष्टि उनमें स्थिर रहती है. 18 वही सिर है कलीसिया के, जो उनका शरीर है; वही आदि है, मरे हुओं में से जी उठनेवालों में पहिलौठे हैं कि वही सब में प्रधान हों. 19 क्योंकि पिता की प्रसन्नता इसी में थी कि उनमें ही सारी परिपूर्णता वास करे और वह 20 क्रूस पर उनके बहाए गए लहू के द्वारा शान्ति की स्थापना कर उनके माध्यम से सभी का भौमिक या स्वर्गीय—स्वयं से मेल-मिलाप कराएँ.
21 हालांकि इसके पहले तुम बुरे कामों के कारण परमेश्वर से अलग थे तथा तुम्हारे मन में बैरभाव था, 22 फिर भी अब मसीह ने अपनी शारीरिक देह में मृत्यु के द्वारा तुम्हारा मेल-मिलाप करवाया कि वह तुम्हें परमेश्वर के सामने पवित्र, निर्दोष तथा निष्कलंक रूप में उपस्थित करें, 23 कि वास्तव में तुम विश्वास में बने रहो तथा दृढ़तापूर्वक स्थिर रहते हुए उन्नत होते जाओ, और ईश्वरीय सुसमाचार में बसी आशा न छोड़ो, जिसे तुमने सुना था, जिसकी घोषणा स्वर्ग के नीचे सारी सृष्टि में की गई और मैं, पौलॉस, जिसका सेवक चुना गया.
अन्यजातियों की सेवा में पौलॉस का श्रम
24 अब तो मैं तुम्हारे लिए अपने कष्टों में प्रफुल्लित होता हूँ तथा मैं उनकी देह—कलीसिया के लिए अपने शरीर में मसीह की यातनाओं में बाकी रह गई कमी को पूरा करते हुए अपनी ज़िम्मेदारी पूरी कर रहा हूँ. 25 इसी कलीसिया के लिए मैं तुम्हारे लिए परमेश्वर द्वारा सौंपी गई सेवा के लिए सेवक चुना गया कि मैं परमेश्वर के आदेश को पूरी तरह प्रचार कर सकूँ. 26 वह भेद जो युगों और पीढ़ियों से छिपा रहा है किन्तु अब उनके पवित्र लोगों पर प्रकट किया गया है, 27 जिन पर परमेश्वर ने अन्यजातियों के बीच इस भेद के वैभव के धन को प्रकट कर देना सही समझा. वह भेद है तुम में स्थिर बना मसीह, तुम्हारी होने वाली महिमा की आशा.
28 हम बुद्धिमत्तापूर्वक हर एक को चेताते तथा हर एक को शिक्षा देते हुए उन्हीं का प्रचार करते हैं कि हम हर एक व्यक्ति को मसीह में परिपक्व रूप में प्रस्तुत करें. 29 इसी उद्धेश्य से मैं उनके सामर्थ के अनुसार, जो मुझमें प्रबल रूप से कार्य कर रही है, मेहनत करते हुए परिश्रम कर रहा हूँ.
2 मैं चाहता हूँ कि तुमको यह मालूम हो कि मैं तुम्हारे लिए तथा उन सबके लिए, जो लाओदीकेइया में हैं तथा उन सबके लिए, जिन्होंने मुझे व्यक्तिगत रूप से नहीं देखा है, कितना कठिन परिश्रम कर रहा हूँ. 2 कि उनके हृदय प्रोत्साहित होकर प्रेम में जुड़कर उस पूरे धन को प्राप्त हो, जो समझ के पूरे निश्चय में और परमेश्वर के भेद का वास्तविक ज्ञान हो, जो स्वयं मसीह है, 3 जिनमें बुद्धि और ज्ञान के सारे भण्ड़ार छिपे है. 4 मैं यह इसलिए कह रहा हूँ कि कोई भी तुम्हें लुभाने वाली बातों के द्वारा भटकाने न पाए. 5 हालांकि शारीरिक रूप से मैं वहाँ अनुपस्थित हूँ तौभी तुम्हारे उत्तम अनुशासन तथा मसीह में तुम्हारे विश्वास की दृढ़ता को देख कर प्रसन्न होते हुए, आत्मा में मैं तुम्हारे साथ हूँ.
गलत शिक्षाओं के विषय में चेतावनी व मसीही स्वभाव के लिए प्रोत्साहन
6 इसलिए कि तुमने प्रभु मसीह येशु को स्वीकार कर लिया है, अपना जीवन उनमें जीयों 7 उनमें गहराई तक जड़े हुए, और मसीह में उन्नत होते हुए अपने विश्वास में दृढ़ हो जाओ—ठीक जैसी शिक्षा तुम्हें दी गई थी—तथा तुम में धन्यवाद भाव अधिक से अधिक होता रहे.
8 यह ध्यान रहे कि कोई भी तुम्हें तत्व ज्ञान तथा खोखले छल के माध्यम से अपने वश में न कर ले, जो मनुष्य की परम्परा तथा संसार की आदि शिक्षा पर आधारित है—न कि मसीह के अनुसार.
सिर्फ मसीह ही मनुष्यों और स्वर्गदूतों के शिरोमणि हैं
9 परमेश्वरत्व की सारी परिपूर्णता उनके शरीर में वास करती है. 10 तुमने उन्हीं में, जो प्रधानता तथा अधिकार में सबसे ऊपर हैं, सारी परिपूर्णता प्राप्त की है. 11 मसीह द्वारा किए गए ख़तना के द्वारा, जब तुम्हारा सारा पाप का स्वभाव उतार दिया गया, तुम्हारा ऐसा ख़तना किया गया, जिसे हाथ से नहीं बनाया गया; 12 जब तुम बपतिस्मा में उनके साथ गाड़े गए तथा उसी में उनके साथ उस विश्वास के द्वारा जिलाए भी गए, जो परमेश्वर के सामर्थ में है, जिन्होंने मसीह को मरे हुओं में से जीवित किया.
13 तुम जब अपने अपराधों और अपनी शारीरिक खतनाहीनता में मरे हुए थे, उन्होंने हमारे सभी अपराधों को क्षमा करते हुए तुम्हें उनके साथ जीवित कर दिया. 14 उन्होंने हमारे कर्ज़ के प्रमाण-पत्र को, जिसमें हमारे विरुद्ध लिखा गया अध्यादेश था, मिटाकर क्रूस पर कीलों से जड़ कर सामने से हटा दिया 15 और परमेश्वर ने प्रधानों तथा अधिकारियों को निहत्था कर उन्हें अपनी विजय-यात्रा में खुल्लम-खुल्ला तमाशे का पात्र बना दिया.
संसार की रीतियों को मिटा देना
16 इसलिए तुम्हारे खान-पान या उत्सव, नए चाँद या शब्बाथ को लेकर कोई तुम्हारा फैसला न करने पाए. 17 ये सब होनेवाली घटनाओं की छाया मात्र हैं. मूल वस्तुएं तो मसीह की हैं. 18 कोई भी, जो विनम्रता के दिखावे और स्वर्गदूतों की उपासना में लीन है, तुम्हें तुम्हारे पुरस्कार से दूर न करने पाए. ऐसा व्यक्ति अपने देखे हुए ईश्वरीय दर्शनों का वर्णन विस्तार से करता है तथा खोखली सांसारिक समझ से फूला रहता है. 19 यह व्यक्ति उस सिर को दृढ़तापूर्वक थामे नहीं रहता जिससे सारा शरीर जोड़ों और सांस लेनेवाले अंगों द्वारा पोषित तथा सम्बद्ध रहता और परमेश्वर द्वारा किए गए विकास से बढ़ता जाता है.
20 जब तुम सांसारिक तत्व-ज्ञान के प्रति मसीह के साथ मर चुके हो तो अब तुम्हारी जीवनशैली ऐसी क्यों है, जो संसार के इन नियमों के अधीन है: 21 “इसे मत छुओ! इसे मत चखो! इसे व्यवहार में मत लाओ!” 22 लगातार उपयोग के कारण इन वस्तुओं का नाश होना इनका स्वभाव है क्योंकि इनका आधार सिर्फ मनुष्य की आज्ञाएँ तथा शिक्षाएं हैं. 23 अपनी ही सुविधा के अनुसार गढ़ी गई आराधना विधि, विनम्रता के दिखावे तथा शरीर को कष्ट देने के भाव से ज़रूर दिखाई दे सकती है किन्तु शारीरिक वासनाओं के दमन के लिए ये सब हमेशा विफल सिद्ध होते हैं.
महिमित मसीह के साथ जुड़े रहना ही जीवन है
3 इसलिए जब तुम मसीह के साथ नवजीवन में जिलाए गए हो तो उन वस्तुओं की खोज में रहो, जो ऊँचे पर विराजमान हैं, जहाँ मसीह परमेश्वर की दायीं ओर बैठे हैं. 2 अपना चित्त ऊपर की वस्तुओं में लीन रखो—उन वस्तुओं में नहीं, जो शारीरिक हैं 3 क्योंकि तुम्हारी मृत्यु हो चुकी है तथा तुम्हारा जीवन मसीह के साथ परमेश्वर में छिपा हुआ है. 4 जब मसीह, जो हमारा जीवन हैं, प्रकट होंगे, तब तुम भी उनके साथ महिमा में प्रकट होगे.
5 इसलिए अपनी पृथ्वी की देह के अंगों को—वेश्यागामी, अशुद्धता, दुष्कामना, लालसा तथा लोभ को, जो वास्तव में मूर्तिपूजा ही है—मार दो 6 क्योंकि इन्हीं के कारण परमेश्वर का क्रोध भड़क उठता है. 7 एक समय तुम्हारा जीवन भी इन्हीं में लीन था. 8 किन्तु अब तुम सभी क्रोध, रोष, बैरभाव, निन्दा तथा गंदी भाषा का भी त्याग कर दो. 9 एक दूसरे से झूठ मत बोलो क्योंकि तुम पुराने स्वभाव को उसके कामों सहित उतार चुके 10 और अब तुमने नए स्वभाव को धारण कर लिया है. यह स्वभाव अपने सृष्टिकर्ता की छवि के अनुसार वास्तविक ज्ञान के लिए नया होता जाता है. 11 परिणामस्वरूप अब यूनानी या यहूदी, ख़तनित या खतनारहित, बरबर या स्कूती, दास या मुक्त में कोई भेद नहीं है—मसीह ही सब कुछ और सब में मुख्य हैं.
12 इसलिए परमेश्वर के चुने हुए, पवित्र लोगों तथा प्रिय पात्रों के समान अपने हृदयों में करुणा, भलाई, विनम्रता, दीनता तथा धीरज धारण कर लो. 13 आपस में सहनशीलता और क्षमा करने का भाव बना रहे. यदि किसी को किसी अन्य के प्रति शिकायत हो, वह उसे उसी प्रकार क्षमा करे जैसे प्रभु ने तुम्हें क्षमा किया है 14 और इन सब से बढ़कर प्रेम-भाव बनाए रखो, जो एकता का समूचा सूत्र है.
15 तुम्हारे हृदय में मसीह की शान्ति राज्य करे—वस्तुत: एक शरीर में तुम्हें इसी के लिए बुलाया गया है. हमेशा धन्यवादी बने रहो. 16 तुम में मसीह के वचन को अपने हृदय में पूरी अधिकाई से बसने दो. एक दूसरे को सिद्ध ज्ञान में शिक्षा तथा चेतावनी दो और परमेश्वर के प्रति हार्दिक धन्यवाद के साथ स्तुति, भजन तथा आत्मिक गीत गाओ 17 तथा वचन और काम में जो कुछ करो, वह सब प्रभु मसीह येशु के नाम में पिता परमेश्वर का आभार मानते हुए करो.
घर-परिवार सम्बन्धित नैतिक शिक्षा
18 जैसा उनके लिए उचित है, जो प्रभु में हैं, पत्नी अपने पति के अधीन रहे.
19 पति अपनी पत्नी से प्रेम करे—उसके प्रति कठोर न हो.
20 बालक हमेशा अपने माता-पिता की आज्ञा पालन करें क्योंकि प्रभु के लिए यही प्रसन्नता है.
21 पिता अपनी सन्तान को असंतुष्ट न करे कि उनका साहस टूट जाए.
22 दास, पृथ्वी पर ठहराए गए अपने स्वामियों की हमेशा आज्ञापालन करें—मात्र दिखावे के लिए नहीं—उनके जैसे नहीं, जो मनुष्यों को प्रसन्न करने के लिए ऐसा करते हैं, परन्तु प्रभु के भय में मन की सच्चाई में. 23 तुम जो कुछ करते हो, पूरे मन से करो, मानो प्रभु के लिए, न कि मनुष्यों के लिए 24 यह जानते हुए कि प्रभु से तुम्हें इसके फल के रूप में मीरास प्राप्त होगी. तुम प्रभु मसीह की सेवा कर रहे हो. 25 वह जो बुरा काम करता है, उसे परिणाम भी बुरा ही प्राप्त होगा—बिना किसी भेद-भाव के.
4 स्वामी अपने दासों से बिना पक्षपात के और उचित व्यवहार करें, यह ध्यान रखते हुए कि स्वर्ग में उनका भी एक स्वामी है.
मसीहियों के लिये सलाह
2 सावधानी और धन्यवाद के भाव में लगातार प्रार्थना करते रहो; 3 साथ ही हमारे लिए भी प्रार्थना करो कि परमेश्वर हमारे लिए वचन के सुनाने के लिए द्वार खोलें कि हम मसीह के भेद को स्पष्ट करें. इसी कारण मैं बेड़ियों में हूँ, 4 जिससे कि मैं उसे उसी प्रकार स्पष्ट कर सकूँ जैसा कि आवश्यक है. 5 समय का सदुपयोग करते हुए उनके प्रति, जिनका मसीह में अब तक विश्वास नहीं है, तुम्हारा व्यवहार विवेकपूर्ण हो. 6 तुम्हारी बातचीत हमेशा ही गरिमामय और सलोनी हो—इस अहसास के साथ कि तुम्हें किस व्यक्ति को कैसा उत्तर देना है.
व्यक्तिगत समाचार
7 तुख़िकस तुम्हें मेरे विषय में सारी जानकारी देगा. वह हमारा प्रिय भाई, प्रभु में विश्वासयोग्य सेवक तथा सहदास है, 8 जिसे मैंने तुम्हारे पास इसी उद्धेश्य से भेजा है कि तुम हमारी सभी परिस्थितियों के विषय में जान सको तथा वह तुम्हारे हृदयों में प्रोत्साहन का संचार करे 9 और उसके साथ मैंने ओनेसिमॉस—हमारे प्रिय और विश्वासयोग्य भाई को भी भेजा है, जो तुम में से एक है. ये हमारी सारी परिस्थिति से तुम्हें अवगत कराएँगे.
10 मेरे साथ कैदी अरिस्तारखस की ओर से नमस्कार और मारकास की ओर से भी, जो बारनबास का सम्बन्धी है, जिसके विषय में तुम्हें यह निर्देश दिया गया था कि यदि वह आए तो उसकी पहुनाई करना 11 और येशु का भी, जिसका उपनाम युस्तस है. ख़तनितों में से मात्र ये ही परमेश्वर के राज्य के काम में मेरे सहकर्मी हैं, जो मेरे लिए प्रोत्साहन का कारण बने हैं. 12 एपाफ़्रास की ओर से भी तुम्हें नमस्कार, जो तुम में से एक तथा मसीह येशु का दास है. वह तुम्हारे लिए हमेशा मन की एकाग्रता से प्रार्थनारत रहता है कि तुम परमेश्वर की सारी इच्छा में सिद्ध तथा पूरी तरह आश्वस्त होकर स्थिर रहो. 13 उसके मन में, लाओदीकेइया तथा हिरापोलिस के विश्वासियों और तुम्हारी भलाई की गहरी चिन्ता है. मैं इसका गवाह हूँ. 14 हमारे प्रिय चिकित्सक लूकॉस तथा देमास का तुम्हें नमस्कार. 15 लाओदीकेइया नगर के विश्वासियों तथा नुम्फ़े तथा उस कलीसिया को, जो उसके घर पर इकट्ठा होती है, नमस्कार.
16 इस पत्र के तुम्हारे मध्य पढ़े जाने के बाद यह ध्यान रहे कि यह लाओदीकेइया नगर की कलीसिया के सामने भी पढ़ा जाए. तुम मेरे उस पत्र को पढ़ लेना, जो लाओदीकेइया नगर से आएगा.
17 आरखिप्पॉस से कहना कि वह ध्यान रखे कि जो सेवकाई उसे प्रभु में सौंपी गई है, वह उसे पूरा करे.
18 मैं, पौलॉस, अपने ही हाथ से यह शुभकामना लिख रहा हूँ. मैं बेड़ियों में हूँ, मुझे प्रार्थना में याद रखना. तुम पर अनुग्रह निरन्तर बना रहे.
1 मसीह येशु के लिए बंदी पौलॉस तथा हमारे भाई तिमोथियॉस की ओर से,
हमारे प्रिय सहकर्मी फ़िलेमोन, 2 हमारी बहन आप्फ़िया, हमारे साथी योद्धा आरखिप्पॉस और कलीसिया को, जो तुम्हारे घर में इकट्ठा होती है:
3 हमारे पिता परमेश्वर और प्रभु मसीह येशु का अनुग्रह व शान्ति प्राप्त हो.
आभार व्यक्ति तथा प्रार्थना
4 अपनी प्रार्थनाओं में तुम्हें याद करते हुए मैं हमेशा अपने परमेश्वर का धन्यवाद करता हूँ 5 क्योंकि मैं प्रभु मसीह येशु तथा सभी पवित्र लोगों के प्रति तुम्हारे प्रेम और विश्वास के बारे में सुना करता हूँ. 6 मेरी प्रार्थना है कि तुम्हारे विश्वास का सहभागी होना हर एक वरदान के स्पष्ट अहसास के द्वारा, जो तुम में मसीह के लिए है, प्रभावशाली हो. 7 प्रियजन, तुम्हारी प्रेमभावना से मुझे बहुत आनन्द व प्रोत्साहन मिला है क्योंकि तुम्हारे कारण पवित्र लोगों के मन आनन्दित हुए हैं.
उनेसिमॉस के लिए विनती
8 यद्यपि मुझे मसीह में तुम्हें यह आज्ञा देने का अधिकार है कि तुम्हारा क्या करना सही है, 9 मैं, मसीह येशु के लिए बन्दी बूढ़ा पौलॉस, प्रेमवश तुमसे इस समय मात्र विनती कर रहा हूँ. 10 मेरी विनती मेरे पुत्र उनेसिमॉस के सम्बन्ध में है, जो कारावास में मेरा आत्मिक पुत्र बन गया है, 11 जो इससे पहले तुम्हारे लिए किसी काम का न था किन्तु अब तुम्हारे और मेरे, दोनों के लिए बड़े काम का हो गया है; 12 उसे, जो अब मेरे हृदय का टुकड़ा है, मैं तुम्हारे पास वापस भेज रहा हूँ. 13 हालांकि मैं चाहता था कि उसे अपने पास ही रखूँ कि वह तुम्हारा स्थान लेकर ईश्वरीय सुसमाचार के लिए मुझ बन्दी की सेवा करे 14 किन्तु मैंने तुम्हारी सलाह के बिना कुछ भी करना उचित न समझा कि तुम्हारी उदारता मजबूरीवश नहीं परन्तु अपनी इच्छा से हो. 15 क्योंकि वह तुमसे कुछ समय के लिए इसी कारण अलग हुआ कि तुम उसे हमेशा-हमेशा के लिए प्राप्त कर लो. 16 दास के रूप में नहीं परन्तु दास से ऊँचे एक प्रिय भाई के रूप में, विशेषकर मेरे लिए. वह मुझे तो अत्यन्त प्रिय है ही किन्तु मुझसे बढ़कर तुम्हें दोनों ही रूपों में—व्यक्ति के रूप में तथा प्रभु में भाई के रूप में.
17 इसलिए यदि तुम मुझे अपना सहभागी समझते हो तो मेरी विनती है कि तुम उसे ऐसे अपना लो जैसे तुमने मुझे अपनाया था. 18 यदि उसने किसी भी प्रकार से तुम्हारी कोई हानि की है या उस पर तुम्हारा कोई कर्ज़ है तो उसे मेरे नाम लिख देना. 19 मैं, पौलॉस, अपने हाथ से यह लिख रहा हूँ कि मैं वह कर्ज़ चुका दूँगा—मुझे तुम्हें यह याद दिलाना आवश्यक नहीं कि तुम्हारा सारा जीवन मेरा कर्ज़दार है. 20 प्रियजन, मेरी कामना है कि प्रभु में मुझे तुमसे यह सहायता प्राप्त हो और मेरा मन मसीह में आनन्दित हो जाए.
एक व्यक्तिगत विनती तथा आशीर्वचन
21 तुम्हारे आज्ञाकारी होने पर भरोसा करके मैं तुम्हें यह लिख रहा हूँ क्योंकि मैं जानता हूँ कि तुम मेरे कहे से कहीं अधिक करोगे. 22 इसके साथ ही मेरे घर का भी प्रबन्ध करो क्योंकि मुझे आशा है कि तुम्हारी प्रार्थनाओं के उत्तर में मैं परमेश्वर द्वारा तुम्हें दोबारा लौटा दिया जाऊँगा.
23 मसीह येशु में मेरा साथी बन्दी इपाफ़्रास 24 तथा मेरे सहकर्मी मारकास, आरिस्तारख़ॉस, देमास और लूकॉस तुम्हें नमस्कार करते हैं.
25 प्रभु मसीह येशु का अनुग्रह तुम्हारी आत्मा के साथ रहे.
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