Book of Common Prayer
मया
13 कहूं मेंह मनखेमन अऊ स्वरगदूतमन के भासा म गोठियावंव, पर मया नइं रखंव, त मेंह सिरिप टनटनावत घंटा या फेर झनझनावत झांझ (मंजीरा) सहीं अंव। 2 कहूं मोर करा अगमबानी करे के बरदान हवय, अऊ मेंह जम्मो भेद अऊ जम्मो गियान के बात ला समझथंव, अऊ कहूं मोला इहां तक बिसवास हवय कि मेंह पहाड़मन ला घलो हटा सकथंव; पर मया नइं रखंव, त मेंह कुछूच नो हंव। 3 कहूं मेंह अपन जम्मो संपत्ति गरीबमन ला बांट देवंव अऊ अपन देहें ला जलाय बर दे दंव; पर मया नइं रखंव, त मोला कुछू फायदा नइं।
4 मया ह धीरज धरथे अऊ एह दयालु ए। मया ह जलन नइं रखय, एह डींग नइं मारय, अऊ एह घमंड नइं करय। 5 मया ह खराप बरताव नइं करय; एह अपन खुद के भलई नइं देखय, एह जल्दी गुस्सा नइं होवय; एह काकरो बात के बुरा नइं मानय। 6 मया ह कुकरम ले खुस नइं होवय, पर सच बात ले खुस होथे। 7 मया ह जम्मो बात ला सह लेथे, जम्मो बात ऊपर बिसवास करथे, जम्मो बात के आसा रखथे अऊ जम्मो बात म धीरज धरे रहिथे।
8 मया ह कभू खतम नइं होवय। अगमबानी बंद हो जाही; आने-आने भासा म गोठियाई बंद हो जाही; गियान ह खतम हो जाही। 9 काबरकि हमर गियान ह अधूरा हवय अऊ हमर अगमबानी ह अधूरा हवय, 10 पर जब सर्वसिद्ध आही, त अधूरा पन ह मिट जाही। 11 जब मेंह लइका रहेंव, त लइकामन सहीं गोठियावत रहेंव, लइकामन सहीं सोचत रहेंव, अऊ मोर समझ ह लइकामन सहीं रिहिस। पर जब मेंह सियाना हो गेंव, त मेंह लइकापन के बात ला छोंड़ देंव।
12 अभी हमन ला दरपन म धुंधला दिखथे, पर बाद म हमन आमने-सामने देखबो। अभी मेंह पूरा-पूरी नइं जानत हंव, पर बाद म मेंह पूरा-पूरी जानहूं, जइसने कि परमेसर ह मोला पूरा-पूरी जान गे हवय।
13 पर अब ए तीनों बचे हवंय: बिसवास, आसा अऊ मया। पर ए तीनों म सबले बड़े मया ए।
5 ए बारहों झन ला, यीसू ह ए हुकूम देके पठोईस, “आनजातमन इहां झन जावव अऊ न ही सामरीमन के कोनो सहर म जावव। 6 एकर बदले, इसरायल के घराना के गवांय भेड़मन करा जावव।[a] 7 जब तुमन जावव, त ए संदेस के परचार करव: ‘स्वरग के राज ह लकठा म आ गे हवय।’ 8 बेमरहामन ला चंगा करव, मरे मनखेमन ला जीयावव, कोढ़ी मनखेमन ला सुध करव, परेतमन ला निकारव। मुफत म तुमन ला मिले हवय, एकरसेति मुफत म देवव। 9 अपन जेब म सोना या चांदी या तांबा झन रखव। 10 रसता बर झोला या अतकिहा कुरता या पनही या लउठी झन रखव, काबरकि बनिहार ला ओकर जरूरत के चीज दिये जाना चाही।[b]
11 जऊन कोनो सहर या गांव म तुमन जावव, त उहां कोनो काबिल मनखे के पता लगावव अऊ उहां ले बिदा होवत तक ओकरे घर म ठहिरव। 12 जऊन घर म तुमन जावव, त ओ घर ला आसिस देवव। 13 यदि ओ घर के मनखेमन काबिल होहीं, त तुम्हर सांति ह उहां ठहरही, पर यदि ओमन काबिल नो हंय, त तुम्हर सांति ह तुम्हर करा लहुंट आही। 14 यदि कोनो तुमन ला गरहन नइं करय या तुम्हर गोठ ला नइं सुनय, त ओ घर या सहर ले निकरत बेरा अपन गोड़ के धूर्रा ला झर्रा देवव। 15 मेंह तुमन ला सच कहत हंव कि नियाय के दिन म, ए सहर के मनखेमन ले सदोम अऊ अमोरा सहर के मनखेमन के दसा ह जादा सहे के लइक होही।
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