Book of Common Prayer
अभिलेख का उद्देश्य
1 अनेक व्यक्तियों ने उन घटनाओं को लिखकर इकट्ठा करने का कार्य किया है, जो हमारे बीच में घटी. 2 ये सबूत हमें उनसे प्राप्त हुए हैं, जो प्रारम्भ ही से इनके प्रत्यक्षदर्शी और परमेश्वर के वचन के सेवक रहे. 3 मैंने स्वयं हर एक घटनाओं की शुरुआत से सावधानीपूर्वक जांच की है. इसलिए परम सम्मान्य थियोफ़िलॉस महोदय, मुझे भी यह उचित लगा कि आपके लिए मैं यह सब क्रम के अनुसार लिखूँ 4 कि जो शिक्षाएं आपको दी गई हैं, आप उनकी विश्वसनीयता को जान लें.
परिचय
1 थियोफिलॉस महोदय, मेरे पहले अभिलेख का विषय था मसीह येशु की शिक्षाएं और उनके द्वारा शुरु किए गए वे काम, 2 जो उन्होंने अपने चुने हुए प्रेरितों को पवित्रात्मा के निर्देश में दिए गए आदेशों के बाद स्वर्ग में स्वीकार कर लिए जाने तक किए. 3 मसीह येशु इन प्रेरितों के सामने अपने प्राणों के अंत तक की यातना के बाद अनेक अटल सबूतों के साथ चालीस दिन स्वयं को जीवित प्रकट करते रहे तथा परमेश्वर के राज्य सम्बन्धी विषयों का वर्णन करते रहे. 4 एक दिन मसीह येशु ने उन्हें इकट्ठा कर आज्ञा दी, “येरूशालेम उस समय तक न छोड़ना, जब तक परमेश्वर द्वारा की गई प्रतिज्ञा, जिसका वर्णन मैं कर चुका हूँ, पूरी न हो जाए. 5 योहन तो जल में बपतिस्मा देते थे किन्तु शीघ्र ही तुम को पवित्रात्मा में बपतिस्मा दिया जाएगा.”
स्वर्ग में स्वीकार किया जाना
6 इसलिए जब वे सब वहाँ उपस्थित थे, उन्होंने प्रभु से प्रश्न किया, “प्रभु, क्या आप अब इस समय इस्राएल राज्य की दोबारा स्थापना करेंगे?”
7 “पिता के अधिकार में तय तिथियों या युगों के पूरे ज्ञान की खोज करना तुम्हारा काम नहीं है,” मसीह येशु ने उन्हें उत्तर दिया, 8 “पवित्रात्मा के तुम पर उतरने पर तुम्हें सामर्थ्य प्राप्त होगा और तुम येरूशालेम, सारे यहूदिया, शोमरोन तथा पृथ्वी के दूर-दूर तक के क्षेत्रों में मेरे गवाह होगे.”
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