Book of Common Prayer
अपंग को चंगाई
8 लुस्त्रा नगर में एक व्यक्ति था, जो जन्म से अपंग था और कभी चल-फिर ही न सका था. 9 वह पौलॉस का प्रवचन सुन रहा था. पौलॉस उसको ध्यान से देख रहा था और यह पाकर कि उसमें स्वस्थ होने का विश्वास है. 10 पौलॉस ने ऊँचे शब्द में उसे आज्ञा दी, “अपने पैरों पर सीधे खड़े हो जाओ!” उसी क्षण वह व्यक्ति उछल कर खड़ा हो गया और चलने लगा.
11 जब पौलॉस द्वारा किए गए इस काम को लोगों ने देखा वे लुकाओनियाई भाषा में चिल्लाने लगे, “देवता हमारे मध्य मानव रूप में उतर आए हैं.” 12 उन्होंने बारनबास को ज़्यूस नाम से सम्बोधित किया तथा पौलॉस को हरमेस नाम से क्योंकि वह प्रधान प्रचारक थे. 13 नगर के बाहर ज़्यूस का मन्दिर था. ज़्यूस का याजक बैल तथा पुष्पहार लिए हुए नगर फ़ाटक पर आ गया क्योंकि वह भीड़ के साथ बलि चढ़ाना चाह रहा था.
14 यह मालूम होने पर प्रेरित पौलॉस व बारनबास अपने कपड़े फाड़ कर, यह चिल्लाते हुए भीड़ की ओर लपके, 15 “प्रियजन, तुम यह सब क्यों कर रहे हो! हम भी तुम्हारे समान मनुष्य हैं. हम तुम्हारे लिए यह ईश्वरीय सुसमाचार लाए हैं कि तुम इन व्यर्थ की परम्पराओं को त्यागकर जीवित परमेश्वर की ओर मन फिराओ, जिन्होंने स्वर्ग, पृथ्वी तथा समुद्र और इनमें रहनेवाले सभी जीवों को बनाया है. 16 हालांकि उन्होंने पिछली सभी पीढ़ियों को उनकी अपनी मान्यताओं के अनुसार व्यवहार करने दिया 17 तौभी उन्होंने स्वयं अपने विषय में गवाह स्पष्ट रखा—वह भलाई करते हुए आकाश से वर्षा तथा ऋतुओं के अनुसार हमें उपज प्रदान करते रहे. वह पर्याप्त भोजन और आनन्द प्रदान करते हुए हमारे मनों को तृप्त करते रहे हैं.” 18 उनके इतनी सफ़ाई देने के बाद भी भीड़ को उनके लिए बलि भेंट चढ़ाने से बड़ी कठिनाई से रोका जा सका.
पापी स्त्री द्वारा मसीह येशु के चरणों का अभ्यंजन
36 एक फ़रीसी ने मसीह येशु को भोज पर आमन्त्रित किया. मसीह येशु आमन्त्रण स्वीकार कर वहाँ गए और भोजन के लिए बैठ गए. 37 नगर की एक पापिन स्त्री, यह मालूम होने पर कि मसीह येशु वहाँ आमन्त्रित हैं, संगमरमर के बर्तन में इत्र ले कर आई 38 और उनके चरणों के पास रोती हुई खड़ी हो गई. उसके आँसुओं से उनके पांव भीगने लगे. तब उसने प्रभु के पावों को अपने बालों से पोंछा, उनके पावों को चूमा तथा उस इत्र को उनके पावों पर उण्डेल दिया.
39 जब उस फ़रीसी ने, जिसने मसीह येशु को आमन्त्रित किया था, यह देखा तो मन में विचार करने लगा, “यदि यह व्यक्ति वास्तव में भविष्यद्वक्ता होता तो अवश्य जान जाता कि जो स्त्री उसे छू रही है, वह कौन है—एक पापी स्त्री!”
40 मसीह येशु ने उस फ़रीसी को कहा, “शिमोन, मुझे तुमसे कुछ कहना है.”
“कहिए, गुरुवर,” उसने कहा.
41 मसीह येशु ने कहा, “एक साहूकार के दो कर्ज़दार थे—एक पाँच सौ दीनार का तथा दूसरा पचास का. 42 दोनों ही कर्ज़ चुकाने में असमर्थ थे इसलिए उस साहूकार ने दोनों ही के कर्ज़ क्षमा कर दिए. यह बताओ, दोनों में से कौन उस साहूकार से अधिक प्रेम करेगा?”
43 शिमोन ने उत्तर दिया, “मेरे विचार से वह, जिसकी बड़ी राशि क्षमा की गई.”
“तुमने सही उत्तर दिया,” मसीह येशु ने कहा.
44 तब उस स्त्री से उन्मुख हो कर मसीह येशु ने शिमोन से कहा, “इस स्त्री की ओर देखो. मैं तुम्हारे यहाँ आया, तुमने तो मुझे पांव धोने के लिए भी जल न दिया किन्तु इसने अपने आँसुओं से मेरे पांव भिगो दिए और अपने केशों से उन्हें पोंछ दिया. 45 तुमने चुम्बन से मेरा स्वागत नहीं किया किन्तु यह स्त्री मेरे पाँवों को चूमती रही. 46 तुमने मेरे सिर पर तेल नहीं मला किन्तु इसने मेरे पाँवों पर इत्र उण्डेल दिया है. 47 मैं तुम्हें बताना चाहता हूँ कि यह मुझसे इतना अधिक प्रेम इसलिए करती है कि इसके बहुत पाप क्षमा कर दिए गए हैं; किन्तु वह, जिसके थोड़े ही पाप क्षमा किए गए हैं, प्रेम भी थोड़ा ही करता है.”
48 तब मसीह येशु ने उस स्त्री से कहा, “तुम्हारे पाप क्षमा कर दिए गए हैं.”
49 आमन्त्रित अतिथि आपस में विचार-विमर्श करने लगे, “कौन है यह, जो पाप भी क्षमा करता है?”
50 मसीह येशु ने उस स्त्री से कहा, “तुम्हारा विश्वास ही तुम्हारे उद्धार का कारण है. परमेश्वर की शान्ति में विदा हो जाओ.”
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