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Book of Common Prayer

Daily Old and New Testament readings based on the Book of Common Prayer.
Duration: 861 days
Saral Hindi Bible (SHB)
Version
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1 कोरिन्थॉस 15:30-41

30 तो फिर हम क्यों हर घड़ी अपने जीवन को जोखिम में डाले फिर रहे हैं? 31 मैं हर दिन मृत्यु का सामना करता हूँ. यह मैं उस गौरव की शपथ खाकर कह रहा हूँ, जो मसीह येशु में मुझे तुम पर है. 32 इफ़ेसॉस नगर में यदि मैं जंगली पशुओं से सिर्फ मनुष्य की रीति से लड़ता तो मुझे क्या लाभ होता? यदि मरे हुए जीवित नहीं किए जाते तो, जैसी कि उक्ति है:

“आओ, हम खाएं-पिएं,
    क्योंकि कल तो हमें मरना ही है.”

33 धोखे में मत रहना: बुरी संगति अच्छे चरित्र को बिगाड़ देती है. 34 सावधान हो जाओ, पाप करना छोड़ दो. यह मैं तुम्हें लज्जित करने के लिए ही कह रहा हूँ क्योंकि तुममें से कुछ तो परमेश्वर को जानते ही नहीं.

कैसा होगा पुनरुत्थान, कैसा होगा जी उठा शरीर?

35 सम्भवत: कोई यह पूछे: कैसे जीवित हो जाते हैं मुर्दे? कैसा होता है उनका शरीर? 36 मूर्खताभरा प्रश्न! तुम जो कुछ बोते हो तब तक पोषित नहीं होता, जब तक वह पहले मर न जाए. 37 तुम उस शरीर को, जो पोषित होने को है, नहीं रोपते—तुम तो सिर्फ बीज रोपते हो—चाहे गेहूं या कोई और 38 मगर परमेश्वर अपनी इच्छा के अनुसार उसे देह प्रदान करते हैं—हर एक बीज को उसकी अपनी विशेष देह. 39 सभी प्राणियों की देह अलग होती है—मनुष्य की देह एक प्रकार की, पशु की देह एक प्रकार की, पक्षी की देह तथा मछली की देह एक प्रकार की. 40 देह स्वर्गीय भी होती है और शारीरिक भी. स्वर्गीय देह का तेज अलग होता है और शारीरिक देह का अलग. 41 सूर्य का तेज एक प्रकार का होता है, चन्द्रमा का अन्य प्रकार का और तारों का अन्य प्रकार का और हर एक तारे का तेज अन्य तारे के तेज से अलग होता है.

मत्तियाह 11:16-24

16 “इस पीढ़ी की तुलना मैं किस से करूँ? यह हाट में बैठे हुए उन बालकों के समान है, जो पुकारते हुए अन्यों से कह रहे हैं:

17 “‘जब हमने तुम्हारे लिए बाँसुरी बजाई,
    तुम न नाचे;
हमने शोकगीत भी गाए,
    फिर भी तुम न रोए.

18 “बपतिस्मा देने वाले योहन न तो रोटी का सेवन करते थे, न दाखरस का इसलिए उन्होंने घोषित कर दिया, ‘उसमें प्रेत का वास है.’ 19 मानव-पुत्र का खान-पान सामान्य है और उन्होंने घोषित कर दिया, ‘अरे, वह तो पेटू और पियक्कड़ है; वह तो चुँगी लेनेवालों और अपराधी व्यक्तियों का मित्र है!’ बुद्धि अपनी सन्तान द्वारा साबित हुई है.”

झील तट के नगरों पर विलाप

20 येशु ने अधिकांश अद्भुत काम इन्हीं नगरों में किए थे; फिर भी इन नगरों ने पश्चाताप नहीं किया था, इसलिए येशु इन नगरों को धिक्कारने लगे.

21 “धिक्कार है तुझ पर कोराजिन! धिक्कार है तुझ पर बैथसैदा! ये ही अद्भुत काम, जो तुझमें किए गए हैं यदि त्सोर और त्सीदोन नगरों में किए जाते तो वे विलाप-वस्त्र पहन, सिर पर राख डाल कब के पश्चाताप कर चुके होते! 22 फिर भी मैं कहता हूँ, सुनो: न्याय-दिवस पर त्सोर और त्सीदोन नगरों का दण्ड तेरे दण्ड से अधिक सहने योग्य होगा. 23 और कफ़रनहूम, तू! क्या तू स्वर्ग तक ऊँचा किए जाने की आशा कर रहा है? अरे! तुझे तो पाताल में उतार दिया जाएगा क्योंकि जो अद्भुत काम तुझ में किए गए, यदि वे ही सदोम नगर में किए गए होते तो वह आज भी बना होता. 24 फिर भी आज जो मैं कह रहा हूँ उसे याद रख: न्याय-दिवस पर सदोम नगर का दण्ड तेरे दण्ड से अधिक सहने योग्य होगा.”

Saral Hindi Bible (SHB)

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