Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
पौलॉस की योजना बदलने का कारण
12 इसलिए हमारे गर्व करने का कारण यह है: हमारी अन्तरात्मा की पुष्टि कि हमारे शारीरिक जीवन में, विशेष रूप से तुम्हारे सम्बन्ध में हमारा व्यवहार परमेश्वर द्वारा दी गई पवित्रता तथा सच्चाई सहित रहा है. यह सांसारिक ज्ञान का नहीं परन्तु मात्र परमेश्वर के अनुग्रह का परिणाम था. 13 हमारे पत्रों में ऐसा कुछ नहीं होता, जो तुम पढ़ या समझ न सको और मेरी आशा यह है कि तुम अन्त में सब कुछ समझ लोगे. 14 ठीक जिस प्रकार तुम हमें बहुत थोड़ा ही समझ पाए हो कि तुम हमारे गर्व का विषय हो, प्रभु के दिन तुम भी हम पर गर्व करोगे.
15 इस निश्चय के द्वारा सबसे पहिले, मैं इस उद्धेश्य से तुम्हारे पास आना चाहता था कि तुम्हें दुगनी कृपा का अनुभव हो. 16 मेरी योजना थी कि मैं मकेदोनिया जाते हुए तुम्हारे पास आऊँ तथा वहाँ से लौटते हुए भी. इसके बाद तुम मुझे यहूदिया प्रदेश की यात्रा पर भेज देते. 17 क्या मेरी यह योजना मेरी अस्थिर मानसिकता थी? या मेरे उद्धेश्य मनुष्य के ज्ञान प्रेरित होते हैं कि मेरा बोलना एक ही समय में हाँ-हाँ भी होता है और न-न भी?
18 जिस प्रकार निस्सन्देह परमेश्वर विश्वासयोग्य हैं, उसी प्रकार हमारी बातों में भी “हाँ” का मतलब हाँ और “न” का मतलब न ही होता है. 19 परमेश्वर-पुत्र मसीह येशु, जिनका प्रचार सिलवानॉस, तिमोथियॉस तथा मैंने तुम्हारे मध्य किया, वह प्रचार कभी “हाँ” या कभी “न” नहीं परन्तु परमेश्वर में हमेशा हाँ ही रहा है.
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