Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
12 दुट्ठ लोग सज्जनन बरे कुचाल चलत हीं।
दुट्ठ जन सज्जनन क ऊपर दाँत पीसिके देखाँवत हीं कि उ पचे कोहान अहइँ।
13 मुला हमार सुआमी ओन दुर्जनन पइ हँसत ह।
उ ओन बातन क लखत ह जउन ओन पइ पड़इ क अहइ।
14 दुर्जन तउ आपन तरवार उठावत हीं अउर धनुस साधत हीं।
उ पचे दीन लोगन, बेसहारा लोगन क मारइ चाहत हीं।
उ सबइ सच्चे लोगन, सज्जन लोगन क मारइ चाहत हीं।
15 मुला ओनकर धनुस चूर चूर होइ जइहीं।
अउर ओनकर तरवारन ओनकर आपन ही हिरदय मँ उतरिहीं।
16 थोड़ा स भला मनई,
दुर्जनन क भीड़ स भी उत्तिम अहइँ।
17 काहेकि दुर्जनन क तउ नस्ट कीन्ह जाइ।
मुला भले मनइयन क यहोवा धियान रखत ह।
18 सुद्ध सज्जन लोगन क यहोवा ओनकइ जिन्नगी भइ बचावत ह।
ओनकर प्रतिफल सदा बना रही।
19 जबहिं संकट होइ,
सज्जन बरबाद नाहीं होइहीं।
जब अकाल पड़ी,
सज्जन लोगन क लगे खइया क भरपूर होइ।
20 मुला बुरा मनई यहोवा क दुस्मन होत रहत हीं।
तउ ओन बुरे लोगन क नस्ट कइ दीन्ह जाइ,
ओनकर सबइ घाटी झुराइ जइहीं अउर बर जइहीं।
ओनका तउ पूरी तरह स मेट दीन्ह जाई।
21 दुट्ठ तउ फउरन ही धन उधार माँग लेत ह, अउर ओका फुन कबहुँ नाहीं चुकावत।
मुला एक सज्जन अउरन क खुसी स देत रहत ह।
22 अगर कउनो सज्जन कउनो क आसीर्बाद देइ, तउ उ सबइ मनई उ धरती क जेका परमेस्सर देइ क वचन दिहस ह, पइहीं।
मुला अगर उ सराप देइ मनइयन क तउ उ सबइ नास होइ जइहीं।
दाऊद ऊरिय्याह क मउत क जोजना बनावत ह
14 अगले भिंसारे, दाऊद योआब बरे एक ठु पत्र लिखेस। दाऊद ऊरिय्याह क उ पत्र लइ जाइ क दिहस। 15 पत्र मँ दाऊद लिखेस: “ऊरिय्याह क कतार क आगे मँ रखा जहाँ पइ जुद्ध मुसकिल होत ह। तब ओका अकेले तजि द्या अउर ओका जुद्ध मँ मारा जाइ द्या।”
16 जब योआब नगर क घेर लिहस तउ उ लखेस कि सब स जियादा बीर अम्मीनी जोधा कहाँ अहइँ। उ ऊरिय्याह क हुवाँ जाइ बरे चुनेस। 17 नगर (रब्बा) क आदमी योआब क खिलाफ लड़इ क आएन। दाऊद क कछू फउजी मारे गएन। हित्ती ऊरिय्याह ओन लोगन मँ स एक रहा।
18 तब योआब दाऊद क जुद्ध मँ जउन भवा, ओकर खबर पठएस। 19 योआब दूत स कहेस: “राजा दाऊद क इ सबइ जउन जुद्ध मँ का भवा ह क पाछे। 20 होइ सकत ह कि राजा कोहाइ जाइ। होइ सकत ह कि राजा पूछइ, ‘योआब क फउज नगर क निचके लड़इ काहे गइ? का इ योआब अहइ मालूम नाहीं कि लोग नगर क देवारन स भी बाण चलाइ सकत हीं? 21 का ओका याद नाहीं कि यरुब्बेसेत क पूत अबीमेलेक क कउन मारेस? हुवाँ एक ठु मेहरारू नगर-दीवार पइ रही जउन अबीमेलेक क ऊपर चक्की क ऊपरी पाट लोकाएस। उ मेहरारू ओका तेबेस मँ मार डाएस। तू देवार क निचके काहे गया?’ (जदि राजा दाऊद इ पूछत ह) तउ तोहका जवाब देइ चाही: “आप क सेवक हित्ती ऊरिय्याह भी मर गवा।”
फिलिप्पि मसीहियन क पौलुस क धन्यवाद
10 तू सबइ निस्चय ही मोरे भलाई बरे सोचत रहत ह परन्तु तू पचन क ओका देखावइ क अवसर नाहीं मिला रहा, परन्तु अब अखिरकार तोहमें मोरे बरे फिन स फिकिर जागी बा। एहसे मइँ पर्भू मँ बहुत आनन्दित भवा हउँ। 11 कउनउ व्यक्तिगत जरूरत क कारण मइँ इ नाहीं कहत हउँ। काहेकि जइसेन परिस्थिति मँ मइँ रहउँ, मइँ उही मँ सन्तोस करइ सीख लिहे हउँ। 12 मइँ अभाव क बीच रहई क रहस्य भी जानत हउँ अउर इहउ जानत हउँ कि सप्मन्नता मँ कइसे रहा जात ह। कइसेउ समइ होइ अउर कइसेउ परिस्थिति, चाहे पेट भरा होइ अउर चाहे भूखा, चाहे पास मँ बहुत कछू होइ अउर चाहे कछू भी न होइ, मइँ ओन सबे मँ सुखी रहइ सीख लिहे हउँ। 13 मसीह क जरिये मइँ सब कछू कइ सकत हउँ काहेकि उ मोका सक्ती देत ह।
14 कछू भी होइ हमरे कस्टन मँ तू पचे मोरे कामे मँ हाथ बटाई क अच्छा ही किये अहा। 15 हे फिलिप्पियन! तू पचे तउ जनतइ अहा, सुसमाचार क प्रचार क ओन्हन सुरु क दिनवा मँ जब मइँ मैसीडोनिया छोड़े रहेउँ, तउ लेन-देन क बारे मँ केवल मात्र तोहर कलीसिया क छोड़िके कउनउ अउर कलीसिया तउ मोर हाथ नाही बटाएस। 16 मई जब थिस्सलुनीके में रहेउँ, मोर जरूरत पूरा करइ बरे तू बार-बार मोका सहायता भेजे रह्या। 17 अइसेन नाहीं कि मइँ उपहारन क इच्छुक हउँ बल्कि मइँ तउ इ चाहत हउँ कि तोहरे खाता मँ लाभ जुड़त ही चला जाइ। 18 तू पचे इपफ्रुदीतुस क हाथे जउन उपहार मधुर गंध भेट क रूप मँ मोरे लेग भेजे रह्या, उ सबइ एक अइसेन स्वीकार करइ योग्य बलिदान अहइँ जेहसे परमेस्सर खुस होत ह। ओन्हन उपहारन क कारण मोरे लगे मोरे जरूरत स कहूँ ज्यादा होइ गवा बा, मोका पूरी तरह दिहा गवा बा। बल्कि ओहसे भी जियादा भरपूरा दिहा गवा बा। उ चीजन मधुर गंध भेटे क रूप मँ बाटिन, एक अइसेन स्वीकार करइ योग्य बलिदान जेहसे परमेस्सर खुस होत ह। 19 मोरे परमेस्सर भी ईसू क महिमा स बहोत धनवान अहइ। उ अपने उस धने क अनुसार तोहार सभन जरूरतन क पूरा करी। 20 हमरे परमेस्सर अउर परमपिता क हमेसा-हमेसा महिमा होत रहइ! आमीन!
Awadhi Bible: Easy-to-Read Version. Copyright © 2005 Bible League International.