Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
5 हम स्वयं को ऊँचा नहीं करते—हम मसीह येशु को प्रभु तथा स्वयं को मसीह येशु के लिए तुम्हारे दास घोषित करते हैं. 6 परमेश्वर, जिन्होंने कहा, “अंधकार में से ज्योति चमके,” वही परमेश्वर हैं, जिन्होंने हमारा हृदय चमका दिया कि हमें मसीह के मुख में चमकते हुए परमेश्वर के प्रताप के ज्ञान का प्रकाश प्रदान करें.
7 यह बेशकीमती खजाना मिट्टी के पात्रों में इसलिए रखा हुआ है कि यह साफ़ हो जाए कि यह असीम सामर्थ हमारा नहीं परन्तु परमेश्वर का है. 8 हम चारों ओर से कष्टों से घिरे रहते हैं किन्तु कुचले नहीं जाते; घबराते तो हैं किन्तु निराश नहीं जाते; 9 सताए तो जाते हैं किन्तु त्यागे नहीं जाते; बहुत चोटिल किए जाते हैं किन्तु नष्ट नहीं किए जाते. 10 हम हरदम मसीह येशु की मृत्यु को अपने शरीर में लिए फिरते हैं कि मसीह येशु का जीवन हमारे शरीर में प्रकट हो जाए. 11 इसलिए हम, जो जीवित हैं, हरदम मसीह येशु के लिए मृत्यु को सौंपे जाते हैं कि हमारी शारीरिक देह में मसीह येशु का जीवन प्रकट हो जाए. 12 इस स्थिति में मृत्यु हममें सक्रिय है और जीवन तुममें.
शिष्यों का शब्बाथ पर बालें तोड़ना
(मत्ति 12:1-8; लूकॉ 6:1-5)
23 एक शब्बाथ पर मसीह येशु अन्न के खेतों में से हो कर जा रहे थे. चलते हुए उनके शिष्य बालें तोड़ने लगे. 24 इस पर फ़रीसियों ने मसीह येशु से कहा, “देखो! वे लोग वह काम क्यों कर रहे हैं, जो शब्बाथ पर व्यवस्था के अनुसार नहीं है?”
25 मसीह येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “क्या आपने कभी पढ़ा नहीं? क्या किया था दाविद ने जब वह तथा उनके साथी भूखे और भोजन की कमी में थे? 26 महायाजक अबियाथार के समय में उन्होंने परमेश्वर के भवन में प्रवेश किया तथा समर्पित पवित्र रोटी खाई जिसे खाना याजक के अतिरिक्त अन्य किसी के लिए व्यवस्था के अनुसार नहीं था. यही रोटी उन्होंने अपने साथियों को भी दी.”
27 तब उन्होंने आगे कहा, “शब्बाथ की स्थापना मनुष्य के लिए की गई है न कि मनुष्य की शब्बाथ के लिए. 28 यह भी सुनो: मनुष्य का पुत्र शब्बाथ का भी स्वामी है.”
सूखे हाथ के व्यक्ति को स्वास्थ्यदान
(मत्ति 12:9-14; लूकॉ 6:6-11)
3 मसीह येशु एक यहूदी सभागृह में थे, जहाँ एक व्यक्ति था, जिसका हाथ सूख गया था. 2 कुछ व्यक्ति इस अवसर की ताक में थे कि शब्बाथ पर मसीह येशु उस व्यक्ति को स्वस्थ करें और वे उन पर दोष लगा सकें. 3 मसीह येशु ने उस व्यक्ति को, जिसका हाथ सूख गया था, आज्ञा दी, “उठो! सबके सामने खड़े हो जाओ!”
4 तब अन्यों को सम्बोधित करते हुए मसीह येशु ने पूछा, “शब्बाथ पर क्या करना व्यवस्था के अनुसार है—भला या बुरा? जीवन की रक्षा या विनाश?” वे सब मौन बने रहे.
5 तब उन सब पर गुस्से से भरी दृष्टि डालते हुए उनके मन की कठोरता पर व्यथित हो कर मसीह येशु ने उस व्यक्ति से कहा, “अपना हाथ आगे बढ़ाओ.” उसने अपना हाथ आगे बढ़ाया—उसका हाथ पुनस्वस्थ हो गया था. 6 फ़रीसियों ने तुरन्त जा कर राजा हेरोदेस के समर्थकों से मसीह येशु के विरुद्ध विचार किया कि उन्हें किसी भी प्रकार नाश करें.
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