Print Page Options
Previous Prev Day Next DayNext

Revised Common Lectionary (Semicontinuous)

Daily Bible readings that follow the church liturgical year, with sequential stories told across multiple weeks.
Duration: 1245 days
Awadhi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-AWA)
Version
भजन संहिता 104:24-34

24 हे यहोवा, तू अचरज भरा बहुतेरा काम किहा।
    धरती तोहरी वस्तुअन स भरी पड़ी अहइ।
    तू जउन कछू करत अहा, ओहमा आपन विवेक देखाँत ह।
25 इ समुद्दर क लखा, इ केतॅना बिसाल अहइ!
    हुआँ बहुतेरी जीव-जन्तु अहइ जेका गना नाहीं जाइ सकिहीं।
    ओहमाँ कछू बिसाल अहइँ अउर कछू नान्ह।
26 समुद्दर क ऊपर जलपोत तैरत हीं,
    अउर लिब्याथान[a] जेका तू बनाएस ह
    समुद्दर मँ खेल-खेलत ह।

27 यहोवा, इ सब कछू तोहरे आसरे पइ अहइ।
    हे परमेस्सर, ओन सबहीं जीवन क खाना तू ठीक समइ पइ देत अहा।
28 हे परमेस्सर, तू ही अहा जउन सबइ जीव-जन्तुअन क खाना जेका उ पचे खात हीं,
    उपलब्ध करावत अहा।
29 फुन जब तू ओनसे मुँह मोड़ लेत अहा तब उ पचे डेराइ जात हीं।
    ओनकर साँस रुकि जात हीं।
उ पचे दुर्बल होइ जात हीं अउर मर जात हीं।
    अउर ओनकर देह फुन धूरि मँ बदलि जात हीं।
30 जब तू आपन आतिमा भेज्या ह, उ ओहसे जीवित होइ जात ह अउर
    धरती पइ जिन्नगी क संग फुन नवा कइ दीन्ह जात ह।

31 यहोवा क महिमा सदा-सदा बनी रहइ।
    यहोवा आपन रचना स सदा आनन्द मँ रहइ।
32 यहोवा क दृस्टि स इ धरती काँप उठी।
    पहाड़न स धुआँ उठइ लग जाइ।

33 मइँ जिन्नगी भइ यहोवा बरे गाउब।
    मइँ जब तलक जिअत हउँ यहोवा क गुण गावत रहब।
34 मोर सोच-बिचार ओका खुस करी।
    मइँ यहोवा क संग खुस अहउँ।

भजन संहिता 104:35

35 धरती स पाप क लोप होइ जाइ।
    दुट्ठ लोग सदा बरे मिटि जाइँ।

हे मोर आतिमा,
    यहोवा क स्तुति करा।

उत्पत्ति 11:1-9

संसार बँटि गवा

11 बाढ़ क पाछे संसार एक ही भाखा बोलत रहा। सब लोग एक ही सब्द-भण्डार बइपरत रहेन। लोग पूरब कइँती स बढ़ेन। ओनका सिनार देस मँ एक मइदान मिला। लोग हुवाँ बसइ गएन। लोग कहेन, “हम पचन क ईंटा बनउब अउ ओका पजावा मँ तपावइ चाही, ताकि उ सबइ पककी होइ जाइँ।” ऍह बरे मनइयन आपन घर बनावइ बरे पाथरन क जगह ईंटा क बइपरेन। अउ मनइयन चूना क गारा क जगह राल क प्रयोग किहेन।

लोग कहेन, “हम पचे आपन खातिर एक ठु सहर बनाई अउ हम सबइ एक बहोत ऊँच इमारत बनाउब जउन अकासे क छुइ। हम पचे नामी होइ जाब। अगर हम पचे अइसा करब तउ पूरी धरती प बिखरेब नाही। हम पचे एक ही ठउर प एक संग रहब।”

यहोवा सहर अउ बहोत ऊँच इमारत क लखइ बरे तरखाले आवा। यहोवा मनइयन क इ सब बनावत लखेस। यहोवा कहेस, “इ सबइ लोग एक भाखा बोलत हीँ अउर मइँ निहारत हउँ कि उ पचे इ काम खतम करइ बरे एकउटा अहइँ, इ तउ, इ सबइ जउन कछू कइ सकत हीँ ओकर, सिरिफ सुरुआत अंहइ। हाली ही उ पचे सब कछू करइ जोग्ग होइ जइहीं जउन इ पचे करइ चइही। ऍह बरे आवा हम तरखाले चली अउ एनकइ भाखा क गड्डमड्ड कइ देइ। तब उ पचे एक दूसर क बात न बूझि पइही।”

यहोवा मनइयन क समूचइ धरती प फइलाइ दिहस। ऍहसे मनइयन सहर क बनाउब पूरा नाही किहन। इहइ उ ठउर रहा जहाँ यहोवा समूचइ संसार क भाखा क गड्डमड्ड कइ दिहस। ऍह बरे इ ठउर क नाउँ बाबुल धरा गवा। इ तरह यहोवा उ जगहिया स मनइयन क पृथ्वी क सब देसन मँ फइलाएस।

1 कुरिन्थियन 12:12-27

मसीह क देह

12 जइसेन हममें स हर एक क सरीर तउ एक्कइ बा, पर ओहमाँ अंग कइयउ बाटेन। अउर यद्यपि अंगन क कइयउ रहत भए ओनसे देह एकइ बनत ह वइसेन ही मसीह अहइ। 13 काहेकि चाहे हम यहूदी रहा अही, चाहे गैर यहूदी, सेवक होइ य स्वतन्त्र एकइ सरीर क विभिन्न अंग बनी जाइ क बरे हम सब क एकइ आतिमा द्वारा बपतिस्मा दीन्ह गवा अउर पियास बुझावइ क हम सब क एकइ आतिमा दीन्ह गइ बा।

14 अब देखा, मनई सरीर कउनो एक अंग स ही तउ बना नाहीं होत, बल्कि ओहमाँ बहुत स अंग होत हीं। 15 अगर गोड़ कहई, “काहेकि मइँ हाथ नाहीं हउँ, इही बरे मोर सरीर स कउनउ सम्बन्ध नाहीं।” तउ इही बरे क उ सरीर क अंग न रही। 16 इही तरह अगर कान कहइ, “काहेकि मइँ आँख नाहीं हउँ, एह बरे मइँ सरीर क नाहीं हउँ।” तउ का इही कारण स उ सरीर क अंग न रही? 17 अगर एक आँख ही सब सरीर होत तउ सुना कहाँ स जात? अगर कान ही सब सरीर होत तउ सूँघा कहाँ स जात? 18 मुला परमेस्सर जइसा ठीक समझेस उ सही मँ सरीर मँ वइसेन ही स्थान दिहेस। 19 तउ सरीर क सब अंग एक जइसा ही होइ जात तउ सरीर ही कहाँ होत। 20 मुला स्थिति इ बा कि अंग त कइयउ होत हीं मुला सरीर एक्कइ रहत ह।

21 आँख हाथे स इ नाहीं कहि सकत, “मोका तोहार जरूरत नाहीं बाटइ!” या अइसे ही सिर, गोड़न स इ नाहीं कहि सकत, “हमका तोहार जरूरत नाहीं!” 22 एकरे बिलकूल उल्टा सरीर क अंगन क हम कमजोर समझित ह, उ सबइ बहुत जरूरी होत हीं। 23 अउर सरीर क जउने अंगन क हम कम आदरणीय समझित ह, ओनकर हम जियादा धियान रखित ह। अउर हमार गुप्त अगं अउर जियादा सालीनता पाइ लेत हीं। 24 जब कि हमरे प्रदर्सनीय अंगन क एह तरह क उपचार क जरूरत नाहीं होत। मुला परमेस्सर तउ हमरे सरीर क रचना एह ढंग स किहेस ह जेहसे ओन अंगन क जउन कम सुन्दर बा अउर जियादा आदर मिलइ। 25 ताकि देहे मँ कहूँ कउनउ फूट न पड़इ बल्कि देहे क अंग परस्पर एक दुसरे क समान रूप स धियान रखइँ। 26 अगर सरीर क कउनउ एक अंग दुख पावत ह तउ ओकरे साथे सरीर क अउर सभन अंग दुखी होत हीं। अगर कउनउ एक अंग क मान बढ़वत ह त ओकर खुसी मँ सभन अगं हिस्सा बटाव थीं।

27 एह तरह तू सभन लोग मसीह क देह अहा अउर अलग-अलग रूप मँ ओकर अंग अहा।

Awadhi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-AWA)

Awadhi Bible: Easy-to-Read Version. Copyright © 2005 Bible League International.