Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
1 मइँ यहोवा क धन्यवाद देत हउँ, काहेकि उ नीक अहइ।
ओकर पिरेम सदा ही रहत ह।
2 इस्राएल इ कहइ द्या,
“ओकर बिस्ससनीय पिरेम सदा ही रहत ह।”
14 यहोवा मोर सक्ति अउर मेार विजय गीत अहइ।
अउर उ रच्छक बनि गवा ह।
15 सज्जनन क घर मँ जउन विजय पर्व मनत अहइ तू ओका सुन सकत ह।
देखा, यहोवा आपन महासक्ति फुन देखाएस ह।
16 यहोवा क भुजन विजय मँ उठी भइ अहइँ।
देखा यहोवा आपन महासक्ति फुन स देखाएस।
17 मइँ जिअत रहब, मइँ मरब नाहीं,
अउर जउन करम यहोवा किहस ह, मइँ ओन लोगन क गनती फुन स करब।
18 यहोवा मोका दण्ड दिहस,
मुला उ मोका मरइ नाहीं दिहस।
19 सच्चाई क दुआरन क खोला,
ताकि मइँ भीतर आइ पाउँ अउर यहोवा क आराधना करउँ।
20 यहोवा क मौजूदगी मँ जाइ क दुआर हिआँ अहइ।
बस सिरिफ धर्मी लोग ही ओन दुआरन स होइके जाइ सकत हीं।
21 हे यहोवा, मोर पराथना क जवाब देइ बरे
अउर मोका रच्छा करइ बरे तोहका धन्यवाद देत अहउँ।
22 जउन पाथार क राज मिस्त्रियन नकार दिहे रहेन
उहइ पाथर क प्रयोग कोना क पाथर क रूप मँ कीन्ह गवा।
23 यहोवा इ घटना क होइ दिहस।
अउर हम सबइ एहमाँ अद्भूत महसूस कीन्ह।
24 इ उहइ दिना अहइ जेका यहोवा बनाएस ह।
आवा हम खुसी क अनुभव करी अउर आजु आनन्दित होइ जाइ।
संसार क उत्पत्ति
1 सुरु मँ परमेस्सर अकास अउ भुइँया क रचेस। 2 भुइँया सुनसान रही: अउ भुइयाँ प कछू भी नाहीं रहा। समुद्दर प अँधियारा छावा रहा, अउ परमेस्सर क आतिमा पानी प मँड़रात रहा।
पहिला दिन – उजियारा
3 तब परमेस्सर कहेस, “उजियारा होइ” अउ उजियारा होइ गवा। 4 परमेस्सर उजियारा क लखेस अउ उ जानि गवा कि इ नीक बाटइ। तबहि उ उजियारा का अँधयारा से अलग कई दिहेस। 5 परमेस्सर उजियारा क नाउँ “दिन” अउ अँधियारा क नाउँ “रात” दिहेस।
साँझ भइ अउ भिन्सार भवा। इ पहिला दिन रहा।
दूसर दिन – अकास
6 तब्बइ परमेस्सर कहेस, “पानी क एक ढेर क दूसर ढेर स अलगावइ बरे वायुमण्डल[a] होइ जाइ।” 7 ऍह बरे परमेस्सर वायुमण्डल क बनएस अउ पानी क अलग किहेस। कछू पानी वायुमण्डल क ऊपर रहा अउ कछू वायुमण्डल क नीचे। 8 परमेस्सर वायुमण्डल क “अकास” कहेस। तब साँझ भइ अउ भिन्सार भवा। इ दूसर दिन रहा।
तीसर दिन – झुरान भुइँया अउ पेड़-पौधा
9 अउर तब परमेस्सर कहेस, “भुइँया क पानी एक ठउरे प बटुर जाइ जेहसे झुरान भुइँया देखाइ देइ” अउ अइसा ही भवा। 10 परमेस्सर झुरान भुइँया क नाउँ “धरती” धरेस अउ जउन पानी बटुरा रहा, ओका “समुद्दर” क नाउँ दिहेस। परमेस्सर लखेस कि इ नीक अहइ।
11 तब परमेस्सर कहेस, “भुइँया, घास अउ पौधा जउन अन्न पइदा करत ही अउर फलन क बिरवा उगावइ। फलन क बिरवा जेकरे फलन क भीतर बिया होइ अइसा फल पइदा करइँ अउ हर एक ठु पौधा आपन जाति क बिया बनावइ। इ पौधन क भुइयाँ प निकरइ द्या।” अउ अइसा ही भवा। 12 भुइयाँ घास अउ पौधा पइदा किहस जउन अनाज पइदा करत ही अउ अइसा बिरवा अउ पौधा उगाएस जेनके फलन क भीतर बिया होत हीं। हर एक ठु पौधा आपन आपन जाति क मुताबिक बिया पइदा किहस अउ परमेस्सर लखेस कि इ नीक अहइ।
13 तब साँझ भइ अउ भिन्सार भवा। इ तीसर दिन रहा।
चउथा दिन – सूरज, चाँद अउ तारा
14 तब परमेस्सर कहेस, “अकास मँ जोतियन होइ द्या। इ जोतियन दिन क रात स अलगाइ देइ। इ जोतियन खास त्यौहार क दिनन क अवइ अउर दिन अउ रात होइ ऍकरे बरे मँ एक चीन्हा होब्या। 15 इ जोतियन भुइयाँ प प्रकास देइ बरे अकासे मँ ठहारि जाइँ।” अउर अइसा ही भवा।
16 तब परमेस्सर दुइ बड़की जोतियन बनाएस। परमेस्सर ओहमाँ स बड़की जोति क दिन प राज करइ बरे बनाएस अउ छोटकी जोति क राति प राज करइ खातिर बनाएस। परमेस्सर तारा भी बनाएस। 17 परमेस्सर इ जोतियन क अकासे मँ ऍह बरे धरेस कि पृथ्वी पइ चमकइ। 18 परमेस्सर इ जोतियन क अकासे मँ ऍह बरे धरेस कि उ दिन अउ राति प राज करइ। इ सबइ जोतियन उजियारा क अँधियारा स अलगाइ दिहन अउ परमेस्सर इ लखेस कि इ नीक बा।
19 तब साँझ भइ अउ भिन्सार भवा। इ चउथा दिन रहा।
हमका कइसेन देह मिली?
35 मुला केउ पूछ सकत ह, “मरा भवा कइसे जिआवा जात ह? अउर उ फिन कइसेन देह धारन कइके आवत ह?” 36 तू केतना मूरख अहा। तू जउन बोअत अहा उ जब तलक पहिले मरि नाहीं जात जिन्दा नाहीं होत। 37 अउर जहाँ तलक जउन तू बोवत अहा, ओकर प्रस्न बा, तउ जउन पऊधा बिकसित होइ क बा, तू ओह भरा-पूरा पऊधा क तउ धरती मँ नाहीं बोउत्या। बस केवल बीया बोवत अहा, चाहे उ गोहूँ क दाना होइ अउर चाहे कछू अउर क। 38 फिन परमेस्सर जइसेन चाहत ह, वइसेन रूप ओका देत ह। हर बीज क उ ओकर आपन सरीर प्रदान करत ह। 39 सबहिं जिन्दा मनइयन क सरीर एक जइसा नाहीं होत। मनइयन क सरीर एक तरह क होत ह जबकि पसुवन क सरीर दूसरे तरह क। चिड़ियन क देह अलग तरह क होत ह अउर मछलियन क अलग। 40 कछू देह दिव्य होत ह अउर कुछ पार्थिव मुला दिव्य देह क आभा एक तरह क होत ह अउर पार्थिव सरीर क दुसरे प्रकार क। 41 सूरज क तेज एक तरह क होत ह अउर चाँद क दुसरे तहर क। तारन मँ भी एक भिन्न तरह प्रकास रहत ह। अउर हाँ, तारन क प्रकास भी एक दुसरे स भिन्न रहत ह।
42 तउन जब मरे भए जी उठिहीं तबऊ अइसेन ही होई। उ देह जेका धरती मँ दफनाइ क “बोवा” गवा बा, नासवान बा मुला उ देह जेकर पुनरुत्थान भवा बा, अबिनासी बाटइ। 43 उ काया जउन धरती मँ “दफनाई” गइ बा अनादरपूर्ण बा मुला उ काया जेकर पुनरुत्थान भवा बा, महिमा स मंड़ित बा। उ काया जेका धरती मँ “दफनाई” गवा बा, कमजोर बा मुला उ काया जेका फिन स जिन्दा कीन्ह गवा बा, सक्तिसाली बा। 44 जेह काया क धरती मँ “दफनावा” गवा बा, उ प्राकृतिक बा मुला जेका फिन स जिन्दा कीन्ह गवा बा, उ आध्यात्मिक देह अहइ।
अगर प्राकृतिक सरीर होत हीं, तउ आध्यात्मिक सरीरन क भी अस्तित्व बा। 45 पवित्तर सास्तरन कहत ह: “पहिला मनई (आदम) एक सजीव प्रानी बना।”(A) मुला अंतिम आदम (ईसू) जीवन दाता आतिमा बना। 46 आध्यात्मिक पहिले नाहीं अउतेन, बल्कि पहिले आवत हीं भौतिक अउर फिन ओकरे बाद ही आवत हीं आध्यात्मिक। 47 पहिले मनई क धरती क माँटी स बनावा गवा अउर दूसर मनई सरगे स आवा। 48 जइसेन ओह मनई क रचना माँटी स भइ, वइसेन ही सबन लोग माँटी स ही बेनन। अउर ओह, दिव्य मनई क समान अउर दिव्य मनइयन भी स्वर्गीय बाटेन। 49 हम उ माटी स बरे मनई क तरह बनाए गयेन ह, तउ ओह स्वर्गीय क रूप भी हम धारन करब।
Awadhi Bible: Easy-to-Read Version. Copyright © 2005 Bible League International.