Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
समुंदर म आंधी
13 जब हवा ह दक्खिन कोति ले धीरे-धीरे चले के सुरू होईस, त ओमन सोचिन कि ओमन जो चाहथें, ओह पूरा होही। ओमन जहाज ला खोल दीन अऊ क्रेते के तीरे-तीर चले लगिन। 14 पर थोरकन देर म, दीप ले एक बड़े आंधी उठिस जऊन ह उत्तर-पूरबी आंधी कहाथे। 15 आंधी ह जहाज ले टकराईस अऊ जब हवा के उलटा जहाज ला चलाना असंभव हो गीस, त हमन कोसिस करे बर छोंड़ देन, अऊ अइसने हवा म बोहावत चले गेन। 16 कौदा नांव के एक छोटकन टापू के आड़ म जावत-जावत, हमन बड़ मुसकुल म जहाज के डोंगी ला संभालेन। 17 मनखेमन ओला जहाज म रखिन अऊ जहाज ला संभाले बर ओकर चारों कोति दऊंरा (डोर) बांध दीन। सुरतिस के बालू म जहाज के फंस जाय के डर म, ओमन जहाज के लंगर ला खाल्हे उतारिन अऊ जहाज ला अइसने हवा म चलन दीन। 18 आंधी ह भयंकर रूप से जहाज म टकराय लगिस, त दूसर दिन ओमन जहाज के माल ला फटिके लगिन। 19 तीसरा दिन ओमन अपन हांथ ले जहाज म लदे वजन नापे के मसीन ला फटिक दीन। 20 जब हमन ला बहुंते दिन तक न सूरज अऊ न तारामन दिखिन अऊ लगातार भारी आंधी चलत रहय, त आखिर म हमन हमर बांचे के जम्मो आसा छोंड़ देन।
21 जब मनखेमन बहुंत दिन तक खाना नइं खाईन, त पौलुस ह ओमन के आघू म ठाढ़ होके कहिस, “हे मनखेमन, यदि तुमन मोर बात ला सुनके जहाज ला क्रेते ले नइं खोले रहितेव, तब हमन ला ए बिपत अऊ हानि नइं उठाय पड़तिस। 22 पर अब मेंह तुमन ले बिनती करत हंव कि हिम्मत करव, काबरकि तुमन के काकरो परान के हानि नइं होवय, सिरिप जहाज ह नास होही। 23 काबरकि जऊन परमेसर के मेंह अंव अऊ जेकर मेंह सेवा करथंव, ओकर एक स्वरगदूत ह बिते रतिहा मोर करा आके कहिस, 24 ‘हे पौलुस, झन डर। तोला महाराजा के आघू म ठाढ़ होना जरूरी ए, अऊ परमेसर ह अपन दया ले, ए जम्मो झन के जिनगी ला, जऊन मन तोर संग जावत हवंय, तोला दे हवय।’ 25 एकरसेति, हे मनखेमन हो, हिम्मत करव, काबरकि मोला परमेसर ऊपर बिसवास हवय कि जइसने ओह मोला कहे हवय, वइसनेच होही। 26 पर हमन ला कोनो टापू म पहुंचे बर पड़ही।”
पानी जहाज ह डुब जाथे
27 चौदह रात हो गे, हमन अद्रिया समुंदर म भटकत फिरत रहेंन, तब आधा रतिहा के करीब मांझीमन ला लगिस कि ओमन भुइयां के लकठा म आ गे हवंय। 28 ओमन पानी के थाह लगाईन, त ओमन एक सौ बीस फुट गहिरा पाईन। थोरकन देर बाद, ओमन फेर गहिरई नापिन, त नब्बे फुट गहिरा पाईन। 29 तब ए डरके कि जहाज ह पथरा ले टकरा जाही, ओमन जहाज के पाछू भाग म चार ठन लंगर डारिन अऊ दिन के अंजोर बर पराथना करे लगिन। 30 मांझीमन पानी जहाज ले भागे चाहत रहंय, एकरसेति ओमन जहाज के आघू म कुछू लंगर डारे के ओढ़र म, डोंगी ला समुंदर म उतार दीन। 31 तब पौलुस ह सेना के अधिकारी अऊ सैनिकमन ला कहिस, “कहूं ए मनखेमन जहाज ला छोंड़ दीन, त तुमन नइं बांचव।” 32 तब सैनिकमन डोंगी ले बंधे डोर ला काटके डोंगी ला गिरा दीन।
33 बिहान होय के पहिली, पौलुस ह ओ जम्मो झन ला खाना खाय बर समझाईस। ओह कहिस, “आज चौदह दिन हो गे, तुमन आस लगाय हवव अऊ अभी तक ले कुछू नइं खाय हवव। 34 मेंह तुमन ले बिनती करत हंव कि कुछू खा लेवव। जीयत रहे बर तुमन ला कुछू खाना जरूरी ए। तुमन के काकरो मुड़ के एको ठन बाल घलो बांका नइं होवय।” 35 ए कहिके पौलुस ह कुछू रोटी लीस अऊ जम्मो के आघू म परमेसर ला धनबाद दीस अऊ टोरके खावन लगिस। 36 ओमन जम्मो झन उत्साहित होईन अऊ कुछू खाना खाईन। 37 हमन जम्मो झन मिलके पानी जहाज म दू सौ छिहत्तर मनखे रहेंन। 38 जब खाना खाके ओमन के मन ह भर गे, त अनाज ला समुंदर म फटिक के जहाज ला हरू करन लगिन।
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