Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
6 हमन परमेसर के संगी करमी के रूप म, तुमन ले बिनती करथन कि परमेसर ले मिले अनुग्रह ला बेकार झन होवन देवव। 2 काबरकि परमेसर ह कहिथे,
“अपन ठीक समय म मेंह तुम्हर पराथना ला सुनेंव,
अऊ उद्धार के दिन म मेंह तुम्हर मदद करेंव।”[a]
मेंह तुमन ला बतावत हंव, देखव, एह सही समय ए, एह उद्धार के दिन ए।
पौलुस के दुःख सहई
3 हमन काकरो रसता म बाधा नइं डालन, ताकि कोनो हमर सेवा म दोस झन पावय। 4 पर हर बात म हमन अपन-आप ला परमेसर के सेवक जताथन – सहन करे म, समस्या, दुःख, अऊ बिपत्ती म, 5 मार खाय, जेल जाय म अऊ मनखेमन के हंगामा करे म; कठोर मिहनत, रात-रात भर जगई अऊ भूख म; 6 सुधता, समझ, धीरज अऊ दयालुता म; पबितर आतमा म अऊ निस्कपट मया म; 7 सच बात गोठियाय म, अऊ परमेसर के सामरथ म; धरमीपन के हथियार संग लड़े म अऊ बचाव करे म; 8 आदर अऊ अनादर म, बड़ई अऊ बदनामी म। हमन सच गोठियाथन, तभो ले हमर संग लबरामन सहीं बरताव करे जाथे। 9 हमन ला जम्मो झन जानथें, तभो ले हमर संग अनजानमन सहीं बरताव करे जाथे। हमन मरे सहीं रहिथन, पर हमन जीयत हवन। हमन मार खाथन, पर मार डारे नइं जावन। 10 हमन दुःखी तो हवन, पर हमेसा आनंद मनावत रहिथन। हमन गरीब अन, पर बहुंत झन ला धनवान बनाथन। हमर करा कुछू नइं ए, तभो ले हमन जम्मो चीज ऊपर अधिकार रखथन।
11 हे कुरिन्थुस सहर के मनखेमन, हमन तुमन ले खुलके गोठियाय हवन अऊ हमर हिरदय तुम्हर बर खुला हवय। 12 तुम्हर बर हमन अपन मया ला नइं रोकत हवन, पर हमर बर तुमन अपन मया ला रोकत हवव। 13 मेंह तुमन ला अपन लइका जानके कहथंव कि एकर बदला म, तुमन घलो अपन हिरदय ला खोल देवव।
यीसू ह आंधी ला सांत करथे
(मत्ती 8:23-27; लूका 8:22-25)
35 ओहीच दिन संझा के बखत, ओह अपन चेलामन ला कहिस, “आवव, हमन झील के ओ पार चली।” 36 भीड़ ला पाछू छोंड़के, ओमन जइसने यीसू रिहिस वइसने ओला अपन संग डोंगा म ले गीन। उहां ओकर संग अऊ डोंगामन घलो रहंय। 37 तब एक बड़े भारी आंधी आईस अऊ पानी के बड़े-बड़े लहरा उठिस, जेकर कारन पानी ह डोंगा म हमाय लगिस अऊ डोंगा ह बुड़े बर होवत रहय। 38 यीसू ह डोंगा के पाछू म गद्दी ऊपर सोवत रहय। तब चेलामन ओला उठाके कहिन, “हे गुरू, का तोला कोनो फिकर नइं ए कि हमन पानी म बुड़त हवन?”
39 ओह उठके आंधी ला दबकारिस अऊ पानी के लहरामन ला कहिस, “सांत हो जावव, थम जावव।” तब आंधी ह थम गीस अऊ एकदम सांत हो गीस।
40 ओह अपन चेलामन ला कहिस, “काबर डर्रावत हवव? का तुमन ला अब घलो मोर ऊपर बिसवास नइं ए?”
41 ओमन अब्बड़ डर्रा गे रिहिन अऊ एक-दूसर ला पुछन लगिन, “एह कोन ए कि आंधी अऊ पानी घलो एकर बात ला मानथें।”
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