Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
4 पर मेंह तुमन ला ए बात एकरसेति कहेंव ताकि जब ओ समय ह आवय, त तुमन ला सुरता रहय कि मेंह तुमन ला चेताय रहेंव। मेंह तुमन ला ए बात सुरू म एकरसेति नइं बताएंव काबरकि मेंह तुम्हर संग म रहेंव।”
पबितर आतमा के काम
5 “अब मेंह ओकर करा जावत हंव जऊन ह मोला पठोय हवय, पर तुमन ले कोनो नइं पुछत हव कि मेंह कहां जावत हंव। 6 मेंह तुमन ला ए बात कहेंव, एकरसेति तुम्हर हिरदय ह दुःख ले भर गे हवय। 7 पर मेंह तुमन ला सच कहथंव: एह तुम्हर बर बने ए कि मेंह जावथंव; काबरकि यदि मेंह नइं जावंव, त मददगार ह तुम्हर करा नइं आवय, पर यदि मेंह जाहूं, त मेंह ओला तुम्हर करा पठोहूं। 8 अऊ जब ओह आही, त संसार के मनखेमन ला पाप अऊ धरमीपन अऊ नियाय के बारे म दोसी ठहराही[a]। 9 ओह पाप के बारे म दोसी ठहराही, काबरकि ओमन मोर ऊपर बिसवास नइं करंय। 10 ओह धरमीपन के बारे म दोसी ठहराही, काबरकि मेंह ददा करा जावत हंव अऊ तुमन मोला फेर नइं देखहू। 11 अऊ ओह नियाय के बारे म दोसी ठहराही, काबरकि ए संसार के राजकुमार (सैतान) ला पहिली ले दोसी ठहराय गे हवय।
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