Revised Common Lectionary (Complementary)
संगीत निर्देशक के लिये दाऊद का स्तुति गीत।
1 हे यहोवा, तूने मुझे परखा है।
मेरे बारे में तू सब कुछ जानता है।
2 तू जानता है कि मैं कब बैठता और कब खड़ा होता हूँ।
तू दूर रहते हुए भी मेरी मन की बात जानता है।
3 हे यहोवा, तुझको ज्ञान है कि मैं कहाँ जाता और कब लेटता हूँ।
मैं जो कुछ करता हूँ सब को तू जानता है।
4 हे यहोवा, इससे पहले की शब्द मेरे मुख से निकले तुझको पता होता है
कि मैं क्या कहना चाहता हूँ।
5 हे यहोवा, तू मेरे चारों ओर छाया है।
मेरे आगे और पीछे भी तू अपना निज हाथ मेरे ऊपर हौले से रखता है।
6 मुझे अचरज है उन बातों पर जिनको तू जानता है।
जिनका मेरे लिये समझना बहुत कठिन है।
7 हर जगह जहाँ भी मैं जाता हूँ, वहाँ तेरी आत्मा रची है।
हे यहोवा, मैं तुझसे बचकर नहीं जा सकता।
8 हे यहोवा, यदि मैं आकाश पर जाऊँ वहाँ पर तू ही है।
यदि मैं मृत्यु के देश पाताल में जाऊँ वहाँ पर भी तू है।
9 हे यहोवा, यदि मैं पूर्व में जहाँ सूर्य निकलता है जाऊँ
वहाँ पर भी तू है।
10 वहाँ तक भी तेरा दायाँ हाथ पहुँचाता है।
और हाथ पकड़ कर मुझको ले चलता है।
11 हे यहोवा, सम्भव है, मैं तुझसे छिपने का जतन करुँ और कहने लगूँ,
“दिन रात में बदल गया है
तो निश्चय ही अंधकार मुझको ढक लेगा।”
12 किन्तु यहोवा अन्धेरा भी तेरे लिये अंधकार नहीं है।
तेरे लिये रात भी दिन जैसी उजली है।
13 हे यहोवा, तूने मेरी समूची देह को बनाया।
तू मेरे विषय में सबकुछ जानता था जब मैं अभी माता की कोख ही में था।
14 हे यहोवा, तुझको उन सभी अचरज भरे कामों के लिये मेरा धन्यवाद,
और मैं सचमुच जानता हूँ कि तू जो कुछ करता है वह आश्चर्यपूर्ण है।
15 मेरे विषय में तू सब कुछ जानता है।
जब मैं अपनी माता की कोख में छिपा था, जब मेरी देह रूप ले रही थी तभी तूने मेरी हड्डियों को देखा।
16 हे यहोवा, तूने मेरी देह को मेरी माता के गर्भ में विकसते देखा। ये सभी बातें तेरी पुस्तक में लिखीं हैं।
हर दिन तूने मुझ पर दृष्टी की। एक दिन भी तुझसे नहीं छूटा।
17 हे परमेश्वर, तेरे विचार मेरे लिये कितने महत्वपूर्ण हैं।
तेरा ज्ञान अपरंपार है।
18 तू जो कुछ जानता है, उन सब को यदि मैं गिन सकूँ तो वे सभी धरती के रेत के कणों से अधिक होंगे।
किन्तु यदि मैं उनको गिन पाऊँ तो भी मैं तेरे साथ में रहूँगा।
21 जब योआश राजा हुआ, वह सात वर्ष का था।
योआश अपना शासन आरम्भ करता है
12 योआश ने इस्राएल में येहू के राज्यकाल के सातवें वर्ष में शासन करना आरम्भ किया। योआश ने चालीस वर्ष तक यरूशलेम में शासन किया। योआश की माँ सिब्या बर्शेबा की थी। 2 योआश ने वे कार्य किये जिन्हें यहोवा ने अच्छा कहा तथा। योआश ने पूरे जीवन यहोवा की आज्ञा का पालन किया। उसने वे कार्य किये जिनकी शिक्षा याजक यहोयादा ने उसे दी थी। 3 किन्तु उसने उच्च स्थानों को नष्ट नहीं किया। लोग तब तक भी उन पूजा के स्थानों पर बलि भेंट करते तथा सुगन्धि जलाते थे।
योआश ने मन्दिर की मरम्मत का आदेश दिया
4-5 योआश ने याजकों से कहा, “यहोवा के मन्दिर में बहुत धन है। लोगों ने मन्दिर में चीज़ें दी हैं। लोगों ने गणना के समय मन्दिर का कर दिया है और लोगों ने धन इसलिये दिया है कि वे स्वत: ही देना चाहते थे। याजको, आप लोग उस धन को ले लें और यहोवा के मन्दिर की मरम्मत करवा दें। हर एक याजक उस धन का इसमें उपयोग करे जो उसे उन लोगों से मिलता है जिनकी वे सेवा करते हैं। उसे उस धन का उपयोग यहोवा के मन्दिर की टूट—फूट की मरम्मत में करना चाहिये।”
6 किन्तु याजकों ने मरम्मत नहीं की। योआश के राज्यकाल के तेईसवें वर्ष में भी याजकों ने तब तक मन्दिर की मरम्मत नहीं की थी। 7 इसलिये योआश ने याजक यहोयादा और अन्य याजकों को बुलाया। योआश ने यहोयादा और अन्य याजकों से पूछा, “आपने मन्दिर की मरम्मत क्यों नहीं की आप उन लोगों से धन लेना बन्द करें जिनकी आप सेवा करते हैं। उस धन को उपयोग में लाना बन्द करें। उस धन का उपयोग मन्दिर की मरम्मत में होना चाहिये।”
8 याजकों ने लोगों से धन न लेना स्वीकार किया। किन्तु उन्होंने मन्दिर की मरम्मत न करने का भी निश्चय किया। 9 इसलिये याजक यहोयादा ने एक सन्दूक लिया और उसके ऊपरी भाग में एक छेद कर दिया। तब यहोयादा ने सन्दूक को वेदी के दक्षिण की ओर रख दिया। यह सन्दूक उस दरवाजे के पास था जिससे लोग यहोवा के मन्दिर में आते थे। कुछ याजक मन्दिर के द्वार—पथ की रक्षा करते थे। वे याजक उस धन को, जिसे लोग यहोवा को देते थे, ले लेते थे और उस सन्दूक में डाल देते थे।
10 जब लोग मन्दिर को जाते थे तब वे उस सन्दूक में सिक्के डालते थे। जब भी राजा का सचिव और महायाजक यह जानते कि सन्दूक में बहुत धन है तो वे आते और सन्दूक से धन को निकाल लेते। वे धन को थैलों में रखते और उसे गिन लेते थे। 11 तब वे उन मजदूरों का भुगतान करते जो यहोवा के मन्दिर में काम करते थे। वे यहोवा के मन्दिर में काम करने वाले बढ़ईयों और अन्य कारीगरों का भुगतान करते थे। 12 वे धन का उपयोग पत्थर के कामगारों और पत्थर तराशों का भुगतान करने में करते थे और वे उस धन का उपयोग लकड़ी, कटे पत्थर, और यहोवा के मन्दिर की मरम्मत के लिये अन्य चीज़ों को खरीदने में करते थे।
13-14 लोगों ने यहोवा के मन्दिर के लिये धन दिया। किन्तु याजक उस धन का उपयोग चाँदी के बर्तन, बत्ती—झाड़नी, चिलमची, तुरही या कोई भी सोने—चाँदी के तश्तरियों को बनाने में नहीं कर सके। वह धन मजदूरों का भुगतान करने में लगा और उन मजदूरों ने यहोवा के मन्दिर की मरम्मत की। 15 किसी ने सारे धन का हिसाब नहीं किया या किसी कार्यकर्ता को यह बताने के लिये विवश नहीं किया गया कि धन क्या हुआ क्यों क्योंकि उन कार्यकर्ताओं पर विश्वास किया जा सकता था।
16 लोगों ने उस समय धन दिया जब उन्होंने दोषबलि या पापबलि चढ़ाई। किन्तु उस धन का उपयोग मजदूर के भुगतान के लिये नहीं किया गया। वह धन याजकों का था।
स्वार्थी धनी दण्ड के भागी होंगे
5 हे धनवानो सुनो, जो विपत्तियाँ तुम पर आने वाली हैं, उनके लिए रोओ और ऊँचे स्वर में विलाप करो। 2 तुम्हारा धन सड़ चुका है। तुम्हारी पोशाकें कीड़ों द्वारा खा ली गई हैं। 3 तुम्हारा सोना चाँदी जंग लगने से बिगड़ गया है। उन पर लगी जंग तुम्हारे विरोध में गवाही देगी और तुम्हारे मांस को अग्नि की तरह चट कर जाएगी। तुमने अपना खज़ाना उस आयु में एक ओर उठा कर रख दिया है जिसका अंत आने को है। 4 देखो, तुम्हारे खेतों में जिन मज़दूरों ने काम किया, तुमने उनका मेहनताना रोक रखा है। वही मेहनताना चीख पुकार कर रहा है और खेतों में काम करने वालों की वे चीख पुकारें सर्वशक्तिमान प्रभु के कानों तक जा पहुँची हैं।
5 धरती पर तुमने विलासपूर्ण जीवन जीया है और अपने आपको भोग-विलासों में डुबोये रखा है। इस प्रकार तुमने अपने आपको वध किए जाने के दिन के लिए पाल-पोसकर हृष्ट-पुष्ट कर लिया है। 6 तुमने भोले लोगों को दोषी ठहराकर उनके किसी प्रतिरोध के अभाव में ही उनकी हत्याएँ कर डाली।
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