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Revised Common Lectionary (Complementary)

Daily Bible readings that follow the church liturgical year, with thematically matched Old and New Testament readings.
Duration: 1245 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
भजन संहिता 116:1-9

जब यहोवा मेरी प्रार्थनाएँ सुनता है
    यह मुझे भाता है।
जब मै सहायता पाने उसको पुकारता हूँ वह मेरी सुनता है:
    यह मुझे भाता है।
मैं लगभग मर चुका था।
    मेरे चारों तरफ मौत के रस्से बंध चुके थे। कब्र मुझको निगल रही थी।
    मैं भयभीत था और मैं चिंतित था।
तब मैंने यहोवा के नाम को पुकारा,
    मैंने कहा, “यहोवा, मुझको बचा ले।”
यहोवा खरा है और दयापूर्ण है।
    परमेश्वर करूणापूर्ण है।
यहोवा असहाय लोगों की सुध लेता है।
    मैं असहाय था और यहोवा ने मुझे बचाया।
हे मेरे प्राण, शांत रह।
    यहोवा तेरी सुधि रखता है।
हे परमेश्वर, तूने मेरे प्राण मृत्यु से बचाये।
    मेरे आँसुओं को तूने रोका और गिरने से मुझको तूने थाम लिया।
जीवितों की धरती में मैं यहोवा की सेवा करता रहूँगा।

यहोशू 2:1-14

यरीहो में गुप्तचर

नून का पुत्र यहोशू और सभी लोगों ने शित्तीम में डेरा डाला था। यहोशू ने दो गुप्तचरों को भेजा। किसी दूसरे व्यक्ति को यह पता नहीं चला कि यहोशू ने इन लोगों को भेजा था। यहोशू ने इन लोगों से कहा, “जाओ और प्रदेश की जाँच करो, यरीहो नगर को सावधानी से देखो।”

इसलिए वे व्यक्ति यरीहो गए। वे एक वेश्या के घर गए और वहाँ ठहरे। इस स्त्री का नाम राहाब था।

किसी ने यरीहो के राजा से कहा, “इस्राएल के कुछ व्यक्ति आज रात हमारी धरती पर गुप्तचरी करने आए हैं।”

इसलिए यरीहो के राजा ने राहाब के यहाँ यह खबर भेजी: “उन व्यक्तियों को छिपाओ नहीं जो आकर तुम्हारे घर में ठहरे हैं। उन्हें बाहर लाओ। वे भेद लेने अपने देश में आए हैं।”

स्त्री ने दोनों व्यक्तियों को छिपा रखा था। किन्तु स्त्री ने कहा, “वे दो व्यक्ति आए तो थे, किन्तु मैं नहीं जानती कि वे कहाँ से आए थे। नगर द्वार बन्द होने के समय वे व्यक्ति शाम को चले गए। मैं नहीं जानती कि वे कहाँ गए। किन्तु यदि तुम जल्दी जाओगे, तो शायद तुम उन्हें पकड़ लोगे।” (राहाब ने वह सब कहा, लेकिन वास्तव में स्त्री ने उन्हें छत पर पहुँचा दिया था, और उन्हें उस चारे में छिपा दिया था, जिसका ढेर उसने ऊपर लगाया था।)

इसलिए इस्राएल के दो आदमियों की खोज में राजा के व्यक्ति चले गए। राजा के व्यक्तियों द्वारा नगर छोड़ने के तुरन्त बाद नगर द्वार बन्द कर दिये गए। वे उन स्थानों पर गए जहाँ से लोग यरदन नदी को पार करते थे।

दोनों व्यक्ति रात में सोने की तैयारी में थे। किन्तु स्त्री छत पर गई और उसने उनसे बात की। राहाब ने कहा, “मैं जानती हूँ कि यह देश याहोवा ने तुम्हारे लोगों को दिया है। तुम हम लोगों को भयभीत करते हो। इस देश में रहने वाले सभी तुम लोगों से भयभीत हैं। 10 हम लोग डरे हुए हैं क्योंकि हम सुन चुके हैं कि यहोवा ने तुम लोगों की सहायता कैसे की है। हमने सुना है कि तुम मिस्र से बाहर आए तो यहोवा न लाल सागर के पानी को सुखा दिया। हम लोगों ने यह भी सुना है कि तुम लोगो ने दो एमोरी राजाओं सीहोन और ओग के साथ क्या किया। हम लोगों ने सुना कि तुम लोगों ने यरदन नदी के पूर्व में रहने वाले उन दोनों राजाओं को कैसे नष्ट किया। 11 हम लोगों ने उन घटनाओं को सुना और बहुत अधिक डर गए और अब हम में से कोई व्यक्ति इतना साहसी नहीं कि तुम लोगों से लड़ सके। क्यों? क्योंकि तुम्हारा परमेश्वर यहोवा ऊपर स्वर्ग और नीचे धरती पर शासन करता है 12 तो अब, मैं चाहती हूँ कि तुम मुझे वचन दो। मैंने तुम्हारी सहायता की है और तुम पर दया की है। इसलिए यहोवा के सामने वचन दो कि तुम हमारे परिवार पर दया करोगे। कृपया मुझे कहो कि तुम ऐसा करोगे। 13 मुझसे तुम यह कहो कि तुम मेरे परिवार को जीवित रहने दोगे जिसमें मेरे पिता, माँ, भाई, बहनें, और उनके परिवार होंगे। तुम प्रतिज्ञा करो कि तुम हमें मृत्यु से बचाओगे।”

14 उन व्यक्तियों ने उसे मान लिया। उनहोंने कहा, “हम तुम्हारे जीवन के लिये अपने जीवन की बाज़ी लगा देंगे। किसी व्यक्ति से न बताओ कि हम क्या कर रहे हैं। तब जब यहोवा हम लोगों को हमारा देश देगा, तब हम तुम पर दया करेंगे। तुम हम लोगों पर विश्वास कर सकते हो।”

इब्रानियों 11:17-22

17 विश्वास के कारण ही इब्राहीम ने, जब परमेश्वर उसकी परीक्षा ले रहा था, इसहाक की बलि चढ़ाई। वही जिसे प्रतिज्ञाएँ प्राप्त हुई थीं, अपने एक मात्र पुत्र की जब बलि देने वाला था 18 तो यद्यपि परमेश्वर ने उससे कहा था, “इसहाक के द्वारा ही तेरा वंश बढ़ेगा।” 19 किन्तु इब्राहीम ने सोचा कि परमेश्वर मरे हुए को भी जिला सकता है और यदि आलंकारिक भाषा में कहा जाए तो उसने इसहाक को मृत्यु से फिर वापस पा लिया।

20 विश्वास के कारण ही इसहाक ने याकूब और इसाऊ को उनके भविष्य के विषय में आशीर्वाद दिया। 21 विश्वास के कारण ही याकूब ने, जब वह मर रहा था, यूसुफ़ के हर पुत्र को आशीर्वाद दिया और अपनी लाठी के ऊपरी सिरे पर झुक कर सहारा लेते हुए परमेश्वर की उपासना की।

22 विश्वास के कारण ही यूसुफ़ ने जब उसका अंत निकट था, इस्राएल निवासियों के मिस्र से निर्गमन के विषय में बताया तथा अपनी अस्थियों के बारे में आदेश दिए।

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

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