Revised Common Lectionary (Complementary)
1 यहोवा की प्रशंसा करो!
यहोवा का धन्यवाद करो क्योंकि वह उत्तम है!
परमेश्वर का प्रेम सदा ही रहता है!
2 सचमुच यहोवा कितना महान है, इसका बखान कोई व्यक्ति कर नहीं सकता।
परमेश्वर की पूरी प्रशंसा कोई नहीं कर सकता।
3 जो लोग परमेश्वर का आदेश पालते हैं, वे प्रसन्न रहते हैं।
वे व्यक्ति हर समय उत्तम कर्म करते हैं।
4 यहोवा, जब तू निज भक्तों पर कृपा करे।
मुझको याद कर। मुझको भी उद्धार करने को याद कर।
5 यहोवा, मुझको भी उन भली बातों में हिस्सा बँटाने दे
जिन को तू अपने लोगों के लिये करता है।
तू अपने भक्तों के साथ मुझको भी प्रसन्न होने दे।
तुझ पर तेरे भक्तों के साथ मुझको भी गर्व करने दे।
6 हमने वैसे ही पाप किये हैं जैसे हमारे पूर्वजों ने किये।
हम अधर्मी हैं, हमने बुरे काम किये है!
13 किन्तु हमारे पूर्वज उन बातों को शीघ्र भूले जो परमेश्वर ने की थी।
उन्होंने परमेश्वर की सम्मति पर कान नहीं दिया।
14 हमारे पूर्वजों को जंगल में भूख लगी थी।
उस मरूभूमि में उन्होंने परमेश्वर को परखा।
15 किन्तु हमारे पूर्वजों ने जो कुछ भी माँगा परमेश्वर ने उनको दिया।
किन्तु परमेश्वर ने उनको एक महामारी भी दे दी थी।
16 लोग मूसा से डाह रखने लगे
और हारून से वे डाह रखने लगे जो यहोवा का पवित्र याजक था।
17 सो परमेश्वर ने उन ईर्ष्यालु लोगों को दण्ड दिया।
धरती फट गयी और दातान को निगला और फिर धरती बन्द हो गयी। उसने अविराम के समूह को निगल लिया।
18 फिर आग ने उन लोगों की भीड़ को भस्म किया।
उन दुष्ट लोगों को आग ने जाला दिया।
19 उन लोगों ने होरब के पहाड़ पर सोने का एक बछड़ा बनाया
और वे उस मूर्ति की पूजा करने लगे!
20 उन लोगों ने अपने महिमावान परमेश्वर को
एक बहुत जो घास खाने वाले बछड़े का था उससे बेच दिया!
21 हमारे पूर्वज परमेश्वर को भूले जिसने उन्हें बचाया था।
वे परमेशवर के विषय में भूले जिसने मिस्र में आश्चर्य कर्म किये थे।
22 परमेश्वर ने हाम के देश में आश्चर्य कर्म किये थे।
परमेश्वर ने लाल सागर के पास भय विस्मय भरे काम किये थे।
23 परमेश्वर उन लोगों को नष्ट करना चाहता था,
किन्तु परमेश्वर के चुने दास मूसा ने उनको रोक दिया।
परमेश्वर बहुत कुपित था किन्तु मूसा आड़े आया
कि परमेश्वर उन लोगों का कहीं नाश न करे।
47 यहोवा हमारे परमेश्वर, ने हमारी रक्षा की।
परमेश्वर उन अन्य देशों से हमको एकत्र करके ले आया,
ताकि हम उसके पवित्र नाम का गुण गान कर सके:
ताकि हम उसके प्रशंसा गीत गा सकें।
48 इस्राएल के परमेश्वर यहोवा को धन्य कहो।
परमेश्वर सदा ही जीवित रहता आया है। वह सदा ही जीवित रहेगा।
और सब जन बोले, “आमीन।”
यहोवा के गुण गाओ।
15 “उस दिन यहोवा ने होरेब पर्वत की आग से तुमसे बातें कीं। तुमने उसको किसी शारीरिक रूप में नहीं देखा। 16 इसलिए सावधान रहो! पाप मत करो और किसी जीवित के रूप में किसी का प्रतीक या उसकी मूर्ति बनाकर अपने जीवन को चौपट न करो। ऐसी मूर्ति न बनाओ जो किसी पुरुष या स्त्री के सदृश हो। 17 ऐसी मूर्ति न बनाओ जो धरती के किसी जानवर या आकाश के किसी पक्षी की तरह दिखाई देती हो। 18 और ऐसी मूर्ति न बनाओ जो थरती पर रेंगने वाले या समुद्र की मछली की तरह दिखाई देती है। 19 जब तुम आकाश की ओर दृष्टि डालो और सूरज, चाँद, तारे और बहुत कुछ तुम जो कभी आकाश में देखो, उससे सावधान रहो कि तुम में उनकी पूजा या सेवा के लिए प्रलोभन न उत्पन्न हो। यहोवा तुम्हारे परमेशवर ने इन सभी चीजों को संसार के दूसरे लोगों को दिया है। 20 किन्तु यहोवा तुम्हें मिस्र से बाहर लाया है जो तुम्हारे लिए लोहे की भट्टी[a] थी। वह तुम्हें इसलिए लाया कि तुम उसके निज लोग वैसे ही बन सको जैसे तुम आज हो।
19 क्योंकि यदि कोई परमेश्वर के प्रति सचेत रहते हुए यातनाएँ सहता है और अन्याय झेलता है तो वह प्रशंसनीय है। 20 किन्तु यदि बुरे कर्मो के कारण तुम्हें पीटा जाता है और तुम उसे सहते हो तो इसमें प्रशंसा की क्या बात है। किन्तु यदि तुम्हें तुम्हारे अच्छे कामों के लिए सताया जाता है तो परमेश्वर के सामने वह प्रशंसा के योग्य है। 21 परमेश्वर ने तुम्हें इसलिए बुलाया है क्योंकि मसीह ने भी हमारे लिए दुःख उठाये हैं और ऐसा करके हमारे लिए एक उदाहरण छोड़ा है ताकि हम भी उसी के चरण चिन्हों पर चल सकें।
22 “उसने कोई पाप नहीं किया
और न ही उसके मुख से कोई छल की बात ही निकली।”(A)
23 जब वह अपमानित हुआ तब उसने किसी का अपमान नहीं किया, जब उसने दुःख झेले, उसने किसी को धमकी नहीं दी, बल्कि उस सच्चे न्याय करने वाले परमेश्वर के आगे अपने आपको अर्पित कर दिया। 24 उसने क्रूस पर अपनी देह में हमारे पापों को ओढ़ लिया। ताकि अपने पापों के प्रति हमारी मृत्यु हो जाये और जो कुछ नेक है उसके लिए हम जीयें। यह उसके उन घावों के कारण ही हुआ जिनसे तुम चंगे किये गये हो। 25 क्योंकि तुम भेड़ों के समान भटक रहे थे किन्तु अब तुम अपने गड़रिये और तुम्हारी आत्माओं के रखवाले के पास लौट आये हो।
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