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Revised Common Lectionary (Complementary)

Daily Bible readings that follow the church liturgical year, with thematically matched Old and New Testament readings.
Duration: 1245 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
भजन संहिता 142

दाऊद का एक कला गीत।

मैं सहायता पाने के लिये यहोवा को पुकारुँगा।
    मै यहोवा से प्रार्थना करुँगा।
मैं यहोवा के सामने अपना दु:ख रोऊँगा।
    मैं यहोवा से अपनी कठिनाईयाँ कहूँगा।
मेरे शत्रुओं ने मेरे लिये जाल बिछाया है।
    मेरी आशा छूट रही है किन्तु यहोवा जानता है।
    कि मेरे साथ क्या घट रहा है।

मैं चारों ओर देखता हूँ
    और कोई अपना मिस्र मुझको दिख नहीं रहा
मेरे पास जाने को कोई जगह नहीं है।
    कोई व्यक्ति मुझको बचाने का जतन नहीं करता है।
इसलिये मैंने यहोवा को सहारा पाने को पुकारा है।
    हे यहोवा, तू मेरी ओट है।
    हे यहोवा, तू ही मुझे जिलाये रख सकता है।
हे यहोवा, मेरी प्रार्थना सुन।
    मुझे तेरी बहुत अपेक्षा है।
तू मुझको ऐसे लोगों से बचा ले
    जो मेरे लिये मेरे पीछे पड़े हैं।
मुझको सहारा दे कि इस जाल से बच भागूँ।
    फिर यहोवा, मैं तेरे नाम का गुणगान करुँगा।
मैं वचन देता हूँ। भले लोग आपस में मिलेंगे और तेरा गुणगान करेंगे
    क्योकि तूने मेरी रक्षा की है।

आमोस 9:1-4

दर्शन में यहोवा का वेदी के सहारे खड़ा होना

मैंने अपने स्वामी को दर्शन के सामने खड़ा देखा। उसने कहा,

“स्तम्भों के सिरे पर प्रहार करो, और पूरी इमारत की देहली तक काँप उठेगी।
स्तम्भों को लोगों के सिर पर गिराओ।
    यदि कोई जीवित बचेगा, सो उसे तलवार से मारो।
कोई व्यक्ति भाग सकता है, किन्तु वह बच नहीं सकेगा।
    लोगों में से कोई भी व्यक्ति बचकर नहीं निकलेगा।
यदि वे नीचे पाताल में खोदकर जाएंगे,
    मैं उन्हें वहाँ से खीच लूँगा।
यदि वे ऊपर आकाश में जाएंगे
    मैं उन्हें वहाँ से नीचे लाऊँगा।
यदि वे कर्म्मेल पर्वत की चोटी पर जा छिपेंगे,
    मैं उन्हें वहाँ खोज लूँगा और मैं उन्हें उस स्थान से ले आऊँगा।
यदि वे मुझसे, समुद्र के तल में छिपना चाहते हैं,
    मैं सर्प को आदेश दूँगा और वह उन्हें डस लेगा।
यदि वे पकड़े जाएंगे और अपने शत्रु द्वारा ले जाए जाएंगे,
    मैं तलवार को आदेश दूँगा
    और वह उन्हें वहीं मारेगी।
हाँ, मैं उन पर कड़ी निगाह रखूँगा किन्तु
    मैं उन्हें कष्ट देने के तरीकों पर निगाह रखूँगा।
    उनके लिये अच्छे काम करने के तरीकों पर नहीं।”

प्रेरितों के काम 23:12-35

कुछ यहूदि की पौलुस को मारने की योजना

12 फिर दिन निकले। यहूदियों ने एक षड्यन्त्र रचा। उन्होंने शपथ उठायी कि जब तक वे पौलुस को मार नहीं डालेंगे, न कुछ खायेंगे, न पियेंगे। 13 उनमें से चालीस से भी अधिक लोगों ने यह षड्यन्त्र रचा था। 14 वे प्रमुख याजकों और बुजुर्गों के पास गये और बोले, “हमने सौगन्ध उठाई है कि हम जब तक पौलुस को मार नहीं डालते हैं, तब तक न हमें कुछ खाना है, न पीना। 15 तो अब तुम और यहूदी महासभा, सेनानायक से कहो कि वह उसे तुम्हारे पास ले आए यह बहाना बनाते हुए कि तुम उसके विषय में और गहराई से छानबीन करना चाहते हो। इससे पहले कि वह यहाँ पहुँचे, हम उसे मार डालने को तैयार हैं।”

16 किन्तु पौलुस के भाँन्जे को इस षड्यन्त्र की भनक लग गयी थी, सो वह छावनी में जा पहुँचा और पौलुस को सब कुछ बता दिया। 17 इस पर पौलुस ने किसी एक सेनानायक को बुलाकर उससे कहा, “इस युवक को सेनापति के पास ले जाओ क्योंकि इसे उससे कुछ कहना है।” 18 सो वह उसे सेनापति के पास ले गया और बोला, “बंदी पौलुस ने मुझे बुलाया और मुझसे इस युवक को तेरे पास पहुँचाने को कहा क्योंकि यह तुझसे कुछ कहना चाहता है।”

19 सेनापति ने उसका हाथ पकड़ा और उसे एक ओर ले जाकर पूछा, “बता तू मुझ से क्या कहना चाहता है?”

20 युवक बोला, “यहूदी इस बात पर एकमत हो गये हैं कि वे पौलुस से और गहराई के साथ पूछताछ करने के बहाने महासभा में उसे लाये जाने की तुझ से प्रार्थना करें। 21 इसलिये उनकी मत सुनना। क्योंकि चालीस से भी अधिक लोग घात लगाये उसकी प्रतीक्षा कर रहे हैं। उन्होंने यह कसम उठाई है कि जब तक वे उसे मार न लें, उन्हें न कुछ खाना है, न पीना। बस अब तेरी अनुमति की प्रतीक्षा में वे तैयार बैठे हैं।”

22 फिर सेनापति ने युवक को यह आदेश देकर भेज दिया, “तू यह किसी को मत बताना कि तूने मुझे इसकी सूचना दे दी है।”

पौलुस का कैसरिया भेजा जाना

23 फिर सेनापति ने अपने दो सेनानायकों को बुलाकर कहा, “दो सौ सैनिकों, सत्तर घुड़सवारों और सौ भालैतों को कैसरिया जाने के लिये तैयार रखो। रात के तीसरे पहर चल पड़ने के लिये तैयार रहना। 24 पौलुस की सवारी के लिये घोड़ों का भी प्रबन्ध रखना और उसे सुरक्षा पूर्वक राज्यपाल फ़ेलिक्स के पास ले जाना।” 25 उसने एक पत्र लिखा जिसका विषय था:

26 महामहिम राज्यपाल फ़ेलिक्स को

क्लोदियुस लूसियास का

नमस्कार पहुँचे।

27 इस व्यक्ति को यहूदियों ने पकड़ लिया था और वे इसकी हत्या करने ही वाले थे कि मैंने यह जानकर कि यह एक रोमी नागरिक है, अपने सैनिकों के साथ जा कर इसे बचा लिया। 28 मैं क्योंकि उस कारण को जानना चाहता था जिससे वे उस पर दोष लगा रहे थे, उसे उनकी महा-धर्म सभा में ले गया। 29 मुझे पता चला कि उनकी व्यवस्था से संबंधित प्रश्नों के कारण उस पर दोष लगाया गया था। किन्तु उस परकोई ऐसा अभियोग नहीं था जो उसे मृत्यु दण्ड के योग्य या बंदी बनाये जाने योग्य सिद्ध हो। 30 फिर जब मुझे सूचना मिली कि वहाँ इस मनुष्य के विरोध में कोई षड्यन्त्र रचा गया है तो मैंने इसे तुरंत तेरे पास भेज दिया है। और इस पर अभियोग लगाने वालों को यह आदेश दे दिया है कि वे इसके विरुद्ध लगाये गये अपने अभियोग को तेरे सामने रखें।

31 सो सिपाहियों ने इन आज्ञाओं को पूरा किया और वे रात में ही पौलुस को अंतिपतरिस के पास ले गये। 32 फिर अगले दिन घुड़-सवारों को उसके साथ आगे जाने के लिये छोड़ कर वे छावनी को लौट आये। 33 जब वे कैसरिया पहुँचे तो उन्होंने राज्यपाल को वह पत्र देते हुए पौलुस को उसे सौंप दिया।

34 राज्यपाल ने पत्र पढ़ा और पौलुस से पूछा कि वह किस प्रदेश का निवासी है। जब उसे पता चला कि वह किलिकिया का रहने वाला है 35 तो उसने उससे कहा, “तुझ पर अभियोग लगाने वाले जब आ जायेंगे, मैं तभी तेरी सुनवाई करूँगा।” उसने आज्ञा दी कि पौलुस को पहरे के भीतर हेरोदेस के महल में रखा जाये।

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

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