Revised Common Lectionary (Complementary)
अलामौथ बैन राग पर आधारित दाऊद का पद: संगीत निर्देशक के लिये।
1 मैं अपने सम्पूर्ण मन से यहोवा की स्तुति करता हूँ।
हे यहोवा, तूने जो अद्भुत कर्म किये हैं, मैं उन सब का वर्णन करुँगा।
2 तूने ही मुझे इतना आनन्दित बनाया है।
हे परम परमेश्वर, मैं तेरे नाम के प्रशंसा गीत गाता हूँ।
3 जब मेरे शत्रु मुझसे पलट कर मेरे विमुख होते हैं,
तब परमेश्वर उनका पतन करता और वे नष्ट हो जाते हैं।
4 तू सच्चा न्यायकर्ता है। तू अपने सिंहासन पर न्यायकर्ता के रुप में विराजा।
तूने मेरे अभियोग की सुनवाई की और मेरा न्याय किया।
5 हे यहोवा, तूने उन शत्रुओं को कठोर झिड़की दी
और हे यहोवा, तूने उन दुष्टों को नष्ट किया।
उनके नाम तूने जीवितों की सूची से सदा सर्वदा के लिये मिटा दिये।
6 शत्रु नष्ट हो गया है!
हे यहोवा, तूने उनके नगर मिटा दिये हैं! उनके भवन अब खण्डहर मात्र रह गये हैं।
उन बुरे व्यक्तियों की हमें याद तक दिलाने को कुछ भी नहीं बचा है।
7 किन्तु यहोवा, तेरा शासन अविनाशी है।
यहोवा ने अपने राज्य को शक्तिशाली बनाया। उसने जग में न्याय लाने के लिये यह किया।
8 यहोवा धरती के सब मनुष्यों का निष्पक्ष होकर न्याय करता है।
यहोवा सभी जातियों का पक्षपात रहित न्याय करता है।
9 यहोवा दलितों और शोषितों का शरणस्थल है।
विपदा के समय वह एक सुदृढ़ गढ़ है।
10 जो तुझ पर भरोसा रखते,
तेरा नाम जानते हैं।
हे यहोवा, यदि कोई जन तेरे द्वार पर आ जाये
तो बिना सहायता पाये कोई नहीं लौटता।
11 अरे ओ सिय्योन के निवासियों, यहोवा के गीत गाओ जो सिय्योन में विराजता है।
सभी जातियों को उन बातों के विषय में बताओ जो बड़ी बातें यहोवा ने की हैं।
12 जो लोग यहोवा से न्याय माँगने गये,
उसने उनकी सुधि ली।
जिन दीनों ने उसे सहायता के लिये पुकारा,
उनको यहोवा ने कभी भी नहीं बिसारा।
13 यहोवा की स्तुति मैंने गायी है: “हे यहोवा, मुझ पर दया कर।
देख, किस प्रकार मेरे शत्रु मुझे दु:ख देते हैं।
‘मृत्यु के द्वार’ से तू मुझको बचा ले।
14 जिससे यहोवा यरूशलेम के फाटक पर मैं तेरी स्तुति गीत गा सकूँ।
मैं अति प्रसन्न होऊँगा क्योंकि तूने मुझको बचा लिया।”
घोड़ों का दर्शन
7 जकर्याह ने फारस में दारा के राज्यकाल के दूसरे वर्ष के ग्यारहवें महीने के चौबीसवें दिन (अर्थात् शबात) यहोवा का दूसरा सन्देश पाया। (जकर्याह बेरेक्याह का पुत्र था और बेरेक्याह इद्दो नबी का पुत्र था।) सन्देश यह है:
8 रात को, मैंने एक व्यक्ति को लाल घोड़े पर बैठे देखा। वह घाटी में कुछ मालती की झाड़ियों के बीच खड़ा था। उसके पीछे लाल, भूरे और श्वेत रंग के घोड़े थे। 9 मैंने पूछा, “महोदय, ये घोड़े किसलिये हैं”
तब मुझसे बात करते हुए, स्वर्गदूत ने कहा, “मैं तुम्हें दिखाऊँगा कि ये घोड़े किसलिये हैं।”
10 तब मालती की झाड़ियों के बीच स्थित उस व्यक्ति ने कहा, “यहोवा ने इन घोड़ों को पृथ्वी पर इधर—उधर घूमने के लिये भेजे हैं।”
11 तब घोड़ों ने मालती की झाड़ियों में स्थित यहोवा के दूत से बातें कीं। उन्होंने कहा, “हम लोग पृथ्वी पर इधर—उधर घूम चुके हैं, और सब कुछ शान्त और व्यवस्थित हैं।”
12 तब यहोवा के दूत ने कहा, “यहोवा, आप यरूशलेम और यहूदा के नगर को कब तक आराम दिलायेंगे अब तो आप इन नगरों पर सत्तर वर्ष तक अपना क्रोध प्रकट कर चुके हैं।”
13 तब यहोवा ने उस दूत को उत्तर दिया जो मुझसे बातें कर रहा था। यहोवा ने अच्छे शान्तिदायक शब्द कहे।
14 तब यहोवा के दूत ने मुझे लोगों से यह सब कहने को कहा:
सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है:
“मैं यरूशलेम और सिय्योन से विशेष प्रेम रखता हूँ
15 और मैं उन राष्ट्रों पर बहुत क्रोधित हूँ जो अपने को इतना सुरक्षित अनुभव करते हैं।
मैं कुछ क्रोधित हो गया था
और मैंने उन राष्ट्रों का उपयोग अपने लोगों को दण्ड देने के लिये किया।
किन्तु उन राष्ट्रों ने बहुत अधिक विनाश किया।”
16 अत: यहोवा कहता है, “मैं यरूशलेम लौटूँगा और उसे आराम दूँगा।”
सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है, “यरूशलम का निर्माण पुन: होगा।
और वहां मेरा मंदिर बनेगा।”
17 स्वर्गदूत ने कहा, “लोगों से यह भी कहो:
‘सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है,
मेरे नगर फिर सम्पन्न होंगे, मैं सिय्योन को आराम दूँगा।
मैं यरूशलेम को अपना विशेष नगर चुनूँगा।’”
तुम लोग भी पापी हो
2 सो, न्याय करने वाले मेरे मित्र तू चाहे कोई भी है, तेरे पास कोई बहाना नहीं है क्योंकि जिस बात के लिये तू किसी दूसरे को दोषी मानता है, उसी से तू अपने आपको भी अपराधी सिद्ध करता है क्योंकि तू जिन कर्मों का न्याय करता है उन्हें आप भी करता है। 2 अब हम यह जानते हैं कि जो लोग ऐसे काम करते हैं उन्हें परमेश्वर का उचित दण्ड मिलता है। 3 किन्तु हे मेरे मित्र क्या तू सोचता है कि तू जिन कामों के लिए दूसरों को अपराधी ठहराता है और अपने आप वैसे ही काम करता है तो क्या तू सोचता है कि तू परमेश्वर के न्याय से बच जायेगा। 4 या तू उसके महान अनुग्रह, सहनशक्ति और धैर्य को हीन समझता है? और इस बात की उपेक्षा करता है कि उसकी करुणा तुझे प्रायश्चित्त की तरफ़ ले जाती है।
5 किन्तु अपनी कठोरता और कभी पछतावा नहीं करने वाले मन के कारण उसके क्रोध को अपने लिए उस दिन के वास्ते इकट्ठा कर रहा है जब परमेश्वर का सच्चा न्याय प्रकट होगा। 6 परमेश्वर हर किसी को उसके कर्मों के अनुसार फल देगा। 7 जो लगातार अच्छे काम करते हुए महिमा, आदर और अमरता की खोज में हैं, उन्हें वह बदले में अनन्त जीवन देगा। 8 किन्तु जो अपने स्वार्थीपन से सत्य पर नहीं चल कर अधर्म पर चलते हैं उन्हें बदले में क्रोध और प्रकोप मिलेगा। 9 हर उस मनुष्य पर दुःख और संकट आएंगे जो बुराई पर चलता है। पहले यहूदी पर और फिर ग़ैर यहूदी पर। 10 और जो कोई अच्छाई पर चलता है उसे महिमा, आदर और शांति मिलेगी। पहले यहूदी को और फिर ग़ैर यहूदी को 11 क्योंकि परमेश्वर किसी का पक्षपात नहीं करता।
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