Revised Common Lectionary (Complementary)
लोगों को याद दिलाने के लिये संगीत निर्देशक को दाऊद का एक पद।
1 हे परमेश्वर, मेरी रक्षा कर!
हे परमेश्वर, जल्दी कर और मुझको सहारा दे!
2 लोग मुझे मार डालने का जतन कर रहे हैं।
उन्हें निराश
और अपमानित कर दे!
ऐसा चाहते हैं कि लोग मेरा बुरा कर डाले।
उनका पतन ऐसा हो जाये कि वे लज्जित हो।
3 लोगों ने मुझको हँसी ठट्टों में उड़ाया।
मैं उनकी पराजय की आस करता हूँ और इस बात की कि उन्हें लज्जा अनुभव हो।
4 मुझको यह आस है कि ऐसे वे सभी लोग जो तेरी आराधना करते हैं,
वह अति प्रसन्न हों।
वे सभी लोग तेरी सहायता की आस रहते हैं
वे तेरी सदा स्तुती करते रहें।
5 हे परमेश्वर, मैं दीन और असहाय हूँ।
जल्दी कर! आ, और मुझको सहारा दे!
हे परमेश्वर, तू ही बस ऐसा है जो मुझको बचा सकता है,
अधिक देर मत कर!
प्रस्तावना
1 आमोस का सन्देश। आमोस तकोई नगर का गड़ेरिया था। यहूदा पर राजा उज्जिय्याह के शासन काल और इस्राएल पर योआश के पुत्र राजा यारोबाम के शासन काल में आमोस को इस्राएल के बारे में (अन्त) दर्शन हुआ। यह भूकम्प के दो वर्ष पूर्व हुआ।
अराम के विरूद्ध दण्ड
2 आमोस ने कहा:
“यहोवा सिय्योन में सिंह की तरह दहाड़ेगा।
यहोवा की दहाड़ यरूशलेम से होगी।
गड़ेरियों के हरे मैदान सूख जायेंगे।
यहाँ तक कि कर्म्मेल पर्वत भी सूखेगा।”
3 यह सब यहोवा कहता है: “मैं दमिश्क के लोगों को उनके द्वारा किये गये अनेक अपराधों का दण्ड अवश्य दूँगा। क्यों क्योकि उन्होंने गिलाद को, अन्न को भूसे से अलग करने वाले लोहे के औजारों से पीटा। 4 अत: मैं हजाएल के घर (सिरिया) में आग लगाऊँगा, और वह आग बेन्हदद के ऊँचे किलों को नष्ट केरेगी।”
5 “मैं दमिश्क क द्वार की मजबूत छड़ों को भी तोड़ दूँगा। आवेन की घाटी में सिंहासन पर बैठाने वाले व्यक्ति को भी मैं नष्ट करुँगा। एदेन में राजदण्ड धारण करने वाले राजा को भी मैं नष्ट करुँगा। अराम के लोग पराजित होंगे। लोग उन्हें बन्दी बनाकर कीर देश में ले जाएंगे।” यहोवा ने वह सब कहा।
पलिश्तियों को दण्ड
6 यहोवा यह कहता है: “मैं निश्चय ही अज्जा के लोगों द्वारा किये गये अनेक पापों के लिये उन्हें दण्ड दूँगा। क्यों क्योंकि उन्होंने लोगों के एक पूरे राष्ट्र को पकड़ा और दास के रूप में एदोम को भेजा था। 7 इसलिये मैं अज्जा नगर की दीवार पर आग लगाऊँगा। यह आग अज्जा के महत्वपूर्ण किलों को नष्ट करेगी। 8 मैं अशदोद में राजसिंहासन पर बैठने वाले व्यक्ति को नष्ट करूँगा। मैं अश्कलोन में राजदण्ड धारण करने वाले राजा को नष्ट करूँगा। मैं एक्रोन के लोगों को दण्ड दूँगा। तब अभी तक जीवित बचे पलिश्ती मरेंगे।” परमेश्वर यहोवा ने यह सब कहा।
फनूशिया को दण्ड
9 यहोवा यह सब कहता है: “मैं निश्चय ही सोर के लोगों को उनके द्वारा किये गए अनेक अपराधों के लिए दण्ड दूँगा। क्यों क्योंकि उन्होंने लोगों के एक पूरे राष्ट्र को पकड़ा और एदोम को दास के रूप में भेजा था। उन्होंने उस वाचा को याद नहीं रखा जिसे उन्होंने अपने भाईयों (इस्राएल) के साथ किया था 10 अत: मैं सोर की दीवारों पर आग लगाऊँगा। वह आग सोर की ऊँची मीनारों को नष्ट करेगी।”
एदोमियों को दण्ड
11 यहोवा यह सब कहता है: “मैं निश्चय ही एदोम के लोगों को उनके द्वारा किये गए अनेक अपराधों के लिये दण्ड दूँगा। क्यों क्योंकि एदोम ने अपने भाई (इस्राएल) का पीछा तलवार लेकर किया। एदोम ने तनिक भी दया न दिखाई। एदोम का क्रोध बराबर बना रहा। वह जंगली जानवर की तरह इस्राएल को चीर—फाड़ करता रहा। 12 अत: मैं तेमान में आग लगाऊँगा। वह आग बोस्रा के ऊँचे किलों को नष्ट करेगी।”
अम्मोनियों को दण्ड
13 यहोवा यह सब कहता है: “मैं निश्चय ही अम्मोन के लोगों को उनके द्वारा किये गये अनेक अपराधों के लिये दण्ड दूँगा। क्यों क्योंकि उन्होंने गिलाद में गर्भवती स्त्रियों को मार डाला। अम्मोनी लोगों ने यह इसलिये किया कि वे उस देश को ले सकें और अपने देश को बड़ कर सकें। 14 अत: मैं रब्बा की दीवार पर आग लगाऊँगा। यह आग रब्बा के ऊँचे किलों को नष्ट करेगी। युद्ध के दिन यह आग लगेगी। यह आग एक ऐसे दिन लगेगी जब तूफ़ानी दिन में आंधियाँ चल रही होंगी। 15 तब इनके राजा और प्रमुख पकड़े जायेंगे। वे सब एक साथ बन्दी बनाकर ले जाए जाएंगे।” यहोवा ने वह सब कहा है।
मोआब को दण्ड
2 यहोवा यह सब कहता है: “मैं मोआब के लोगों को इनके द्वारा किये गए अपराधों के लिये अवश्य दण्ड दूँगा। क्यों क्योंकि मोआब ने एदोम के राजा की हड्डियों को जलाकर चूना बनाया। 2 अत: मैं मोआब में आग लगाऊँगा और वह आग करिय्योत के ऊँचे किलों को नष्ट करेगी। वहाँ भयंकर चिल्लाहट और तुही का घोष होगा, और मोआब मर जाएगा। 3 अत: मैं मोआब के राजाओ को समाप्त कर दूँगा और मैं मोआब के सभी प्रमुखों को मार डालूँगा।” यहोवा ने वह सब कहा।
यहूदा को दण्ड
4 यहोवा यह कहता है: “मैं यहूदा को उसके द्वारा किये अनेकों अपराधों के लिये अवश्य दण्ड दूँगा। क्यों क्योंकि उन्होंने यहोवा के आदेशों को मानने से इनकार किया। उन्होंने उनके आदेशों का पालन नहीं किया। उनके पूर्वजों ने झूठ पर विश्वास किया और उन झूठी बातों ने यहूदा के लोगों से परमेश्वर का अनुसरण करना छुड़ाया। 5 इसलिये मैं यहूदा में आग लगाऊँगा और यह आग यरूशलेम के ऊँचे किलों को नष्ट करेगी।”
सात स्वर्गदूतों का उनकी तुरहियाँ बजाना
6 फिर वे सात स्वर्गदूत, जिनके पास सात तुरहियाँ थी, उन्हें फूँकने को तैयार हो गए।
7 पहले स्वर्गदूत ने तुरही में जैसे ही फूँक मारी, वैसे ही लहू ओले और अग्नि एक साथ मिले जुले दिखाई देने लगे और उन्हें धरती पर नीचे उछाल कर फेंक दिया गया। जिससे धरती का एक तिहाई भाग जल कर भस्म हो गया। एक तिहाई पेड़ जल गए और समूची हरी घास राख हो गई।
8 दूसरे स्वर्गदूत ने तुरही फूँकी तो मानो अग्नि का जलता हुआ एक विशाल पहाड़ सा समुद्र में फेंक दिया गया हो। इससे एक तिहाई समुद्र रक्त में बदल गया। 9 तथा समुद्र के एक तिहाई जीव-जन्तु मर गए और एक तिहाई जल पोत नष्ट हो गए।
10 तीसरे स्वर्गदूत ने जब तुरही बजाई तो आकाश से मशाल की तरह जलता हुआ एक विशाल तारा गिरा। यह तारा एक तिहाई नदियों तथा झरनों के पानी पर जा पड़ा। 11 इस तारे का नाम था नागदौना[a] सो समूचे जल का एक तिहाई भाग नागदौना में ही बदल गया। तथा उस जल के पीने से बहुत से लोग मारे गए। क्योंकि जल कड़वा हो गया था।
12 जब चौथे स्वर्गदूत ने तूरही बजाई तो एक तिहाई सूर्य, और साथ में ही एक तिहाई चन्द्रमा और एक तिहाई तारों पर विपत्ति आई। सो उनका एक तिहाई काला पड़ गया। परिणामस्वरूप एक तिहाई दिन तथा उसी प्रकार एक तिहाई रात अन्धेरे में डूब गए।
13 फिर मैंने देखा कि एक गरुड़ ऊँचे आकाश में उड़ रहा है। मैंने उसे ऊँचे स्वर में कहते हुए सुना, “उन बचे हुए तीन स्वर्गदूतों की तुरहियों के उद्घोष के कारण जो अपनी तुरहियाँ अभी बजाने ही वाले हैं, धरती के निवासियों पर कष्ट हो! कष्ट हो! कष्ट हो!”
पाँचवी तुरही पहला आतंक फैलाना
9 पाँचवे स्वर्गदूत ने जब अपनी तुरही फूँकी तब मैंने आकाश से धरती पर गिरा हुआ एक तारा देखा। इसे उस चिमनी की कुंजी दी गई थी जो पाताल में उतरती है। 2 फिर उस तारे ने उस चिमनी का ताला खोल दिया जो पाताल में उतरती थी और चिमनी से वैसे ही धुआँ फूट पड़ा जैसे वह एक बड़ी भट्टी से निकलता है। सो चिमनी से निकले धुआँ से सूर्य और आकाश काले पड़ गए।
3 तभी उस धुआँ से धरती पर टिड्डी दल उतर आया। उन्हें धरती के बिच्छुओं के जैसी शक्ति दी गई थी। 4 किन्तु उनसे कह दिया गया था कि वे न तो धरती की घास को हानि पहुँचाए और न ही हरे पौधों या पेड़ों को। उन्हें तो बस उन लोगों को ही हानि पहुँचानी थी जिनके माथों पर परमेश्वर की मुहर नहीं लगी हुई थी। 5 टिड्डी दल को निर्देश दे दिया गया था कि वे लोगों के प्राण न लें बल्कि पाँच महीने तक उन्हें पीड़ा पहुँचाते रहें। वह पीड़ा जो उन्हें पहुँचाई जा रही थी, वैसी थी जैसे किसी व्यक्ति को बिच्छू के काटने से होती है। 6 उन पाँच महीनों के भीतर लोग मौत को ढूँढते फिरेंगे किन्तु मौत उन्हें मिल नहीं पाएगी। वे मरने के लिए तरसेंगे किन्तु मौत उन्हें चकमा देकर निकल जाएगी।
7 और अब देखो कि वे टिड्डी युद्ध के लिए तैयार किए गए घोड़ों जैसी दिख रहीं थीं। उनके सिरों पर सुनहरी मुकुट से बँधे थे। उनके मुख मानव मुखों के समान थे। 8 उनके बाल स्त्रियों के केशों के समान थे तथा उनके दाँत सिंहों के दाँतों के समान थे। 9 उनके सीने ऐसे थे जैसे लोहे के कवच हों। उनके पंखों की ध्वनि युद्ध में जाते हुए असंख्य अश्व रथों से पैदा हुए शब्द के समान थी। 10 उनकी पूँछों के बाल ऐसे थे जैसे बिच्छू के डंक हों। तथा उनमें लोगों को पाँच महीने तक क्षति पहुँचाने की शक्ति थी। 11 पाताल के अधिकारी दूत को उन्होंने अपने राजा के रूप में लिया हुआ था। इब्रानी भाषा में उनका नाम है अबद्दोन[b] और यूनानी भाषा में वह अपुल्लयोन (अर्थात् विनाश करने वाला) कहलाता है।
12 पहली महान विपत्ति तो बीत चुकी है किन्तु इसके बाद अभी दो बड़ी विपत्तियाँ आने वाली हैं।
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