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Revised Common Lectionary (Complementary)

Daily Bible readings that follow the church liturgical year, with thematically matched Old and New Testament readings.
Duration: 1245 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
भजन संहिता 143

दाऊद का एक स्तुति गीत।

हे यहोवा, मेरी प्रार्थना सुन।
    मेरी विनती को सुन और फिर तू मेरी प्रार्थना का उत्तर दे।
    मुझको दिखा दे कि तू सचमुच भला और खरा है।
तू मुझ पर अपने दास पर मुकदमा मत चला।
    क्योंकि कोई भी जीवित व्यक्ति तेरे सामने नेक नहीं ठहर सकता।
किन्तु मेरे शत्रु मेरे पीछे पड़े हैं।
    उन्होंने मेरा जीवन चकनाचूर कर धूल में मिलाया।
वे मुझे अंधेरी कब्र में ढकेल रहे हैं।
    उन व्यक्तियों की तरह जो बहुत पहले मर चुके हैं।
मैं निराश हो रहा हूँ।
    मेरा साहस छूट रहा है।
किन्तु मुझे वे बातें याद हैं, जो बहुत पहले घटी थी।
    हे यहोवा, मैं उन अनेक अद्भुत कामों का बखान कर रहा हूँ।
    जिनको तूने किया था।
हे यहोवा, मैं अपना हाथ उठाकर के तेरी विनती करता हूँ।
    मैं तेरी सहायता कि बाट जोह रहा हूँ जैसे सूखी वर्षा कि बाट जोहती है।

हे यहोवा, मुझे शीघ्र उत्तर दे।
    मेरा साहस छूट गया:
मुझसे मुख मत मोड़।
    मुझको मरने मत दे और वैसा मत होने दे, जैसा कोई मरा व्यक्ति कब्र में लेटा हो।
हे यहोवा, इस भोर के फूटते ही मुझे अपना सच्चा प्रेम दिखा।
    मैं तेरे भरोसे हूँ।
मुझको वे बाते दिखा
    जिनको मुझे करना चाहिये।
हे यहोवा, मेरे शत्रुओं से रक्षा पाने को मैं तेरे शरण में आता हूँ।
    तू मुझको बचा ले।
10 दिखा मुझे जो तू मुझसे करवाना चाहता है।
    तू मेरा परमेश्वर है।
11 हे यहोवा, मुझे जीवित रहने दे,
    ताकि लोग तेरे नाम का गुण गायें।
मुझे दिखा कि सचमुच तू भला है,
    और मुझे मेरे शत्रुओं से बचा ले।
12 हे यहोवा, मुझ पर अपना प्रेम प्रकट कर।
    और उन शत्रुओं को हरा दे,
जो मेरी हत्या का यत्न कर रहे हैं।
    क्योंकि मैं तेरा सेवक हूँ।

2 राजा 4:18-37

18 लड़का बड़ा हुआ। एक दिन वह लड़का खेतों में अपने पिता और फसल काटते हुए पुरुषों को देखने गया। 19 लड़के ने अपने पिता से कहा, “ओह, मेरा सिर! मेरा सिर फटा जा रहा है!”

पिता ने अपने सेवक से कहा, “इसे इसकी माँ के पास ले जाओ!”

20 सेवक उस लड़के को उसकी माँ के पास ले गया। लड़का दोपहर तक अपनी माँ की गोद मैं बैठा। तब वह मर गया।

माँ एलीशा से मिलने जाती है

21 उस स्त्री ने लड़के को परमेश्वर के जन (एलीशा) के बिछौने पर लिटा दिया। तब उसने दरवाजा बन्द किया और बाहर चली गई। 22 उसने अपने पति को बुलाया और कहा, “कृपया मेरे पास सेवकों में से एक तथा गधों में से एक को भेजें। तब मैं परमेश्वर के जन (एलीशा) से मिलने शीघ्रता से जाऊँगी और लौट आऊँगी।”

23 उस स्त्री के पति ने कहा, “तुम आज परमेश्वर के जन (एलीशा) के पास क्यों जाना चाहती हो यह नवचन्द्र या सब्त का दिन नहीं है।”

उसने कहा, “परेशान मत होओ। सब कुछ ठीक होगा।”

24 तब उसने एक गधे पर काठी रखी और अपने सेवक से कहा, “आओ चलें और शीघ्रता करें। धीरे तभी चलो जब मैं कहूँ।”

25 वह स्त्री परमेश्वर के जन (एलीशा) से मिलने कर्म्मेल पर्वत पर गई।

परमेश्वर के जन (एलीशा) ने शूनेमिन स्त्री को दूर से आते देखा। एलीशा ने अपने सेवक गेहजी से कहा, “देखो, वह शूनेमिन स्त्री है! 26 कृपया अब दौड़ कर उससे मिलो। उससे पूछो, ‘क्या बुरा घटित हुआ है क्या तुम कुशल से हो क्या तुम्हारा पति कुशल से है क्या बच्चा ठीक है?’” गेहजी ने उस शूनेमिन स्त्री से यही पूछा।

उसने उत्तर दिया, “सब कुशल है।”

27 किन्तु शूनेमिन स्त्री पर्वत पर चढ़कर परमेश्वर के जन (एलीशा) के पास पहुँची। वह प्रणाम करने झुकी और उसने एलीशा के पाँव पकड़ लिये। गेहजी शूनेमिन स्त्री को दूर खींच लेने के लिये निकट आया। किन्तु परमेश्वर के जन (एलीशा) ने गेहजी से कहा, “उसे अकेला छोड़ दो! वह बहुत परेशान है और यहोवा ने इसके बारे में मुझसे नहीं कहा। यहोवा ने यह खबर मुझसे छिपाई।”

28 तब शूनेमिन स्त्री ने कहा, “महोदय, मैंने आपसे पुत्र नहीं माँगा था। मैंने आपसे कहा था, ‘आप मुझे मूर्ख न बनाए!’”

29 तब एलीशा ने गेहजी से कहा, “जाने के लिये तैयार हो जाओ। मेरी टहलने की छड़ी ले लो और जाओ। किसी से बात करने के लिये न रुको। यदि तुम किसी व्यक्ति से मिलो तो उसे नमस्कार भी न कहो। यदि कोई व्यक्ति नमस्कार करे तो तुम उसका उत्तर भी न दो। मेरी टहलने की छड़ी को बच्चे के चेहरे पर रखो।”

30 किन्तु बच्चे की माँ ने कहा, “जैसा कि यहोवा शाश्वत है और आप जीवित हैं मैं इसको साक्षी कर प्रतिज्ञा करती हूँ कि मैं आपके बिना यहाँ से नहीं जाऊँगी।”

अतः एलीशा उठा और शूनेमिन स्त्री के साथ चल पड़ा।

31 गेहजी शूनेमिन स्त्री के घर, एलीशा और शूनेमिन से पहले पहुँचा। गेहजी ने टहलने की छड़ी को बच्चे के चेहरे पर रखा। किन्तु बच्चे ने न कोई बात की और न ही कोई ऐसा संकेत दिया जिससे यह लगे कि उसने कुछ सुना है। तब गेहजी एलीशा से मिलने लौटा। गेहजी ने एलीशा से कहा, “बच्चा नहीं जागा!”

शूनेमिन स्त्री का पुत्र पुनःजीवित होता है

32 एलीशा घर में आया और बच्चा अपने बिछौने पर मरा पड़ा था। 33 एलीशा कमरे में आया और उसने दरवाजा बन्द कर लिया। अब एलीशा और वह बच्चा कमरे में अकेले थे। तब एलीशा ने यहोवा से प्रार्थना की। 34 एलीशा बिछौनो पर गया और बच्चे पर लेटा। एलीशा ने अपना मुख बच्चे के मुख पर रखा। एलीशा ने अपनी आँखें बच्चे की आँखों पर रखीं। एलीशा ने अपने हाथों को बच्चे के हाथों पर रखा। एलीशा ने अपने को बच्चे के ऊपर फैलाया। तब बच्चे का शरीर गर्म हो गया।

35 एलीशा कमरे के बाहर आया और घर में चारों ओर घूमा। तब वह कमरे में लौटा और बच्चे के ऊपर लेट गया। तब बच्चा सात बार छींका और उसने आँखें खोलीं।

36 एलीशा ने गेहजी को बुलाया और कहा, “शूनेमिन स्त्री को बुलाओ!”

गेहजी ने शूनेमिन स्त्री को बुलाया और वह एलीशा के पास आई। एलीशा ने कहा, “अपने पुत्र को उठा लो।”

37 तब शूनेमिन स्त्री कमरे में गई और एलीशा के चरणों पर झुकी। तब उसने अपने पुत्र को उठाया और वह बाहर गई।

इफिसियों 2:1-10

मृत्यु से जीवन की ओर

एक समय था जब तुम लोग उन अपराधों और पापों के कारण आध्यात्मिक रूप से मरे हुए थे जिनमें तुम पहले, संसार के बुरे रास्तों पर चलते हुए और उस आत्मा का अनुसरण करते हुए जीते थे जो इस धरती के ऊपर की आत्मिक शक्तियों का स्वामी है। वही आत्मा अब उन व्यक्तियों में काम कर रही है जो परमेश्वर की आज्ञा नहीं मानते। एक समय हम भी उन्हीं के बीच जीते थे और अपनी पापपूर्ण प्रकृति की भौतिक इच्छाओं को तृप्त करते हुए अपने हृदयों और पापपूर्ण प्रकृति की आवश्यकताओं को पूरा करते हुए संसार के दूसरे लोगों के समान परमेश्वर के क्रोध के पात्र थे।

किन्तु परमेश्वर करुणा का धनी है। हमारे प्रति अपने महान् प्रेम के कारण उस समय अपराधों के कारण हम आध्यात्मिक रूप से अभी मरे ही हुए थे, मसीह के साथ साथ उसने हमें भी जीवन दिया (परमेश्वर के अनुग्रह से ही तुम्हारा उद्धार हुआ है।) और क्योंकि हम यीशु मसीह में हैं इसलिए परमेश्वर ने हमें मसीह के साथ ही फिर से जी उठाया और उसके साथ ही स्वर्ग के सिंहासन पर बैठाया। ताकि वह आने वाले हर युग में अपने अनुग्रह के अनुपम धन को दिखाये जिसे उसने मसीह यीशु में अपनी दया के रूप में हम पर दर्शाया है।

परमेश्वर के अनुग्रह द्वारा अपने विश्वास के कारण तुम्हारा उद्धार हुआ है। यह तुम्हें तुम्हारी ओर से प्राप्त नहीं हुआ है, बल्कि यह तो परमेश्वर का वरदान है। यह हमारे किये कर्मों का परिणाम नहीं है कि हम इसका गर्व कर सकें। 10 क्योंकि परमेश्वर हमारा सृजनहार है। उसने मसीह यीशु में हमारी सृष्टि इसलिए की है कि हम नेक काम करें जिन्हें परमेश्वर ने पहले से ही इसलिए तैयार किया हुआ है कि हम उन्हीं को करते हुए अपना जीवन बितायें।

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

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