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Revised Common Lectionary (Complementary)

Daily Bible readings that follow the church liturgical year, with thematically matched Old and New Testament readings.
Duration: 1245 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
भजन संहिता 95

आओ हम यहोवा के गुण गाएं!
    आओ हम उस चट्टान का जय जयकार करें जो हमारी रक्षा करता है।
आओ हम यहोवा के लिये धन्यवाद के गीत गाएं।
    आओ हम उसके प्रशंसा के गीत आनन्दपूर्वक गायें।
क्यों? क्योंकि यहोवा महान परमेश्वर है।
    वह महान राजा सभी अन्य “देवताओं” पर शासन करता है।
गहरी गुफाएँ और ऊँचे पर्वत यहोवा के हैं।
सागर उसका है, उसने उसे बनाया है।
    परमेश्वर ने स्वयं अपने हाथों से धरती को बनाया है।
आओ, हम उसको प्रणाम करें और उसकी उपासना करें।
    आओ हम परमेश्वर के गुण गाये जिसने हमें बनाया है।
वह हमारा परमेश्वर
    और हम उसके भक्त हैं।
    यदि हम उसकी सुने

तो हम आज उसकी भेड़ हैं।
परमेश्वर कहता है, “तुम जैसे मरिबा और मरूस्थल के मस्सा में कठोर थे
    वैसे कठोर मत बनो।
तेरे पूर्वजों ने मुझको परखा था।
    उन्होंने मुझे परखा, पर तब उन्होंने देखा कि मैं क्या कर सकता हूँ।
10 मैं उन लोगों के साथ चालीस वर्ष तक धीरज बनाये रखा।
    मैं यह भी जानता था कि वे सच्चे नहीं हैं।
    उन लोगों ने मेरी सीख पर चलने से नकारा।
11 सो मैं क्रोधित हुआ और मैंने प्रतिज्ञा की
    वे मेरे विशाल कि धरती पर कभी प्रवेश नहीं कर पायेंगे।”

निर्गमन 16:27-35

27 शनिवार को कुछ लोग थोड़ा भोजन एकत्र करने गए, किन्तु वे वहाँ ज़रा सा भी भोजन नहीं पा सके। 28 तब यहोवा ने मूसा से कहा, “तुम्हारे लोग मेरे आदेश का पालन करने और उपदेशों पर चलने से कब तक मना करेंगे? 29 देखो यहोवा ने शनिवार को तुम्हारे आराम का दिन बनाया है। इसलिए शुक्रवार को यहोवा दो दिन के लिए पर्याप्त भोजन तुम्हें देगा। इसलिए सब्त को हर एक को बैठना और आराम करना चाहिए। वहीं ठहरे रहो जहाँ हो।” 30 इसलिए लोगों ने सब्त को आराम किया।

31 इस्राएली लोगों ने इस विशेष भोजन को “मन्ना” कहना आरम्भ किया। मन्ना छोटे सफ़ेद धनिया के बीजों के समान था और इसका स्वाद शहद के साथ बने पापड़ की तरह था। 32 तब मूसा ने कहा, “यहोवा ने आदेश दिया कि, ‘इस भोजन का आठ प्याले भर अपने वंशजों के लिए बचाना। तब वे उस भोजन को देख सकेंगे जिसे मैंने तुम लोगों को मरुभूमि में तब दिया था जब मैंने तुम लोगों को मिस्र से निकाला था।’”

33 इसलिए मूसा ने हारून से कहा, “एक घड़ा लो और इसे आठ प्याले मन्ना से भरो और इस मन्ना को यहोवा के सामने रखने के लिए और अपने वंशजों के लिए बचाओ।” 34 (इसलिए हारून ने वैसा ही किया जैसा यहोवा ने मूसा को आदेश दिया था। हारून ने आगे चलकर मन्ना के घड़े को साक्षीपत्र के सन्दूक के सामने रखा।) 35 लोगों ने चालीस वर्ष तक मन्ना खाया। वे मन्ना तब तक खाते रहे जब तक उस प्रदेश में नहीं आ गए जहाँ उन्हें बसना था। वे उसे तब तक खाते रहे जब तक वे कनान के निकट नहीं आ गए।

यूहन्ना 4:1-6

यीशु और सामरी स्त्री

जब यीशु को पता चला कि फरीसियों ने सुना है कि यीशु यूहन्ना से अधिक लोगों को बपतिस्मा दे रहा है और उन्हें शिष्य बना रहा है। (यद्यपि यीशु स्वयं बपतिस्मा नहीं दे रहा था बल्कि यह उसके शिष्य कर रहे थे।) तो वह यहूदिया को छोड़कर एक बार फिर वापस गलील चला गया। इस बार उसे सामरिया होकर जाना पड़ा।

इसलिये वह सामरिया के एक नगर सूखार में आया। यह नगर उस भूमि के पास था जिसे याकूब ने अपने बेटे यूसुफ को दिया था। वहाँ याकूब का कुआँ था। यीशु इस यात्रा में बहुत थक गया था इसलिये वह कुएँ के पास बैठ गया। समय लगभग दोपहर का था।

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

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