Print Page Options
Previous Prev Day Next DayNext

Old/New Testament

Each day includes a passage from both the Old Testament and New Testament.
Duration: 365 days
Saral Hindi Bible (SHB)
Version
Error: '1 राजा 3-5' not found for the version: Saral Hindi Bible
लूकॉ 20:1-26

मसीह येशु के अधिकार को चुनौती

(मत्ति 21:23-27; मारक 11:27-33)

20 एक दिन जब मसीह येशु मन्दिर में शिक्षा दे रहे तथा सुसमाचार का प्रचार कर रहे थे, प्रधान पुरोहितों तथा शास्त्रियों ने पुरनियों के साथ आ कर मसीह येशु का सामना किया और उन्होंने उनसे पूछा, “यह बताओ, तुम किस अधिकार से ये सब कर रहे हो? कौन है वह, जिसने तुम्हें यह अधिकार दिया है?”

मसीह येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “एक प्रश्न मैं भी आप से पूछता हूँ: मुझे बताइए, योहन का बपतिस्मा परमेश्वर की ओर से था या मनुष्यों की ओर से?”

इस पर वे आपस में विचार-विमर्श करने लगे, “यदि हम कहते हैं, ‘परमेश्वर की ओर से’, तो वह कहेगा, ‘तब तुमने योहन का विश्वास क्यों नहीं किया?’ किन्तु यदि हम कहें, ‘मनुष्यों से’, तब तो जनता हमारा पथराव कर हमें मार डालेगी क्योंकि उनका तो यह पक्का विश्वास है कि योहन एक भविष्यद्वक्ता थे.”

इसलिए उन्होंने मसीह येशु को उत्तर दिया, “हम नहीं जानते कि वह बपतिस्मा कहाँ से था.”

मसीह येशु ने इसके उत्तर में कहा, “तो मैं भी तुम्हें नहीं बताता कि किस अधिकार से मैं ये काम कर रहा हूँ.”

बुरे किसानों का दृष्टान्त

(मत्ति 21:33-46; मारक 12:1-12)

मसीह येशु ने भीड़ को यह दृष्टान्त सुनाया: “एक व्यक्ति ने एक दाख की बारी लगाई और उसे किसानों को पट्टे पर दे कर लम्बी यात्रा पर चला गया. 10 फसल तैयार होने पर उसने अपने एक दास को उनके पास भेजा कि वे फसल का एक भाग उसे दे दें किन्तु उन किसानों ने उसकी पिटाई कर उसे खाली हाथ ही लौटा दिया. 11 तब उसने दूसरे दास को उनके पास भेजा. किसानों ने उस दास की भी पिटाई की, उसके साथ शर्मनाक व्यवहार किया और उसे भी खाली हाथ लौटा दिया. 12 उसने तीसरे दास को उनके पास भेजा. उन्होंने उसे भी घायल कर बाहर फेंक दिया.

13 “तब दाख की बारी के स्वामी ने विचार किया: ‘अब मेरा क्या करना सही होगा? मैं अपने प्रिय पुत्र को उनके पास भेजूँगा. ज़रूर वे उसका सम्मान करेंगे.’

14 “किन्तु उसके पुत्र को देख किसानों ने आपस में विचार-विमर्श किया, ‘सुनो, यह तो वारिस है! चलो, इसकी हत्या कर दें जिससे यह सम्पत्ति ही हमारी हो जाए.’ 15 उन्होंने उसे बारी के बाहर निकाल कर उसकी हत्या कर दी.

“यह बताओ, उद्यान का स्वामी अब उनके साथ क्या करेगा? 16 यही कि वह आएगा और इन किसानों का वध कर बारी अन्य किसानों को सौंप देगा.” यह सुन लोगों ने कहा, “ऐसा कभी न हो!”

17 तब उनकी ओर देखकर मसीह येशु ने उनसे प्रश्न किया, “तो इस लेख का मतलब क्या है:

“‘राज मिस्त्रियों द्वारा निकम्मी ठहराई शिला ही
    आधार की शिला बन गई’?

18 हर एक, जो उस पर गिरेगा, वह टुकड़े-टुकड़े हो जाएगा और जिस पर यह गिरेगी, उसे पीस डालेगी.”

19 फलस्वरूप प्रधान याजक तथा शास्त्री उसी समय मसीह येशु को पकड़ने की योजना में जुट गए किन्तु उन्हें भीड़ का भय था. वे यह समझ गए थे कि मसीह येशु ने उन पर ही यह दृष्टान्त कहा है.

कर का प्रश्न

(मत्ति 22:15-22; मारक 12:13-17)

20 वे मसीह येशु की गतिविधियों पर दृष्टि रखे हुए थे. उन्होंने मसीह येशु के पास अपने गुप्तचर भेजे कि वे धर्म का ढोंग कर मसीह येशु को उनकी ही किसी बात में फँसा कर उन्हें राज्यपाल को सौंप दें.

21 गुप्तचरों ने मसीह येशु से प्रश्न किया, “गुरुवर, यह तो हम जानते हैं कि आपकी बातें तथा शिक्षाएं सही हैं और आप किसी के प्रति पक्षपाती भी नहीं हैं. आप पूरी सच्चाई में परमेश्वर के विषय में शिक्षा दिया करते हैं. 22 इसलिए यह बताइए कि कयसर को कर देना विधानसम्मत है या नहीं?”

23 मसीह येशु ने उनकी चतुराई भाँपते हुए उनसे कहा.

24 “मुझे एक दीनार दिखाओ. इस पर आकृति तथा मुद्रण किसका है?”

उन्होंने उत्तर दिया, “कयसर का.”

25 मसीह येशु ने उनसे कहा, “तो जो कयसर का है. वह कयसर को और जो परमेश्वर का है, वह परमेश्वर को दो.”

26 भीड़ की उपस्थिति में वे मसीह येशु को उनकी बातों के कारण पकड़ने में असफल रहे. मसीह येशु के इस उत्तर से वे चकित थे और आगे कुछ भी न कह पाए.

Saral Hindi Bible (SHB)

New Testament, Saral Hindi Bible (नए करार, सरल हिन्दी बाइबल) Copyright © 1978, 2009, 2016 by Biblica, Inc.® All rights reserved worldwide.