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Each day includes a passage from both the Old Testament and New Testament.
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Saral Hindi Bible (SHB)
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लूकॉ 10:1-24

बहत्तर प्रचारकों का भेजा जाना

10 इसके बाद प्रभु ने अन्य बहत्तर व्यक्तियों को चुन कर उन्हें दो-दो कर के उन नगरों और स्थानों पर अपने आगे भेज दिया, जहाँ वह स्वयं जाने पर थे. मसीह येशु ने उनसे कहा, “फसल तो काफी है किन्तु मज़दूर कम. इसलिए फसल के स्वामी से खेत में मज़दूर भेजने की विनती करो. जाओ! मैं तुम्हें भेज रहा हूँ. तुम भेड़ियों के मध्य मेमनों के समान हो. अपने साथ न तो धन, न झोला और न ही जूतियाँ ले जाना. मार्ग में किसी का कुशल मंगल पूछने में भी समय खर्च न करना.

“जिस किसी घर में प्रवेश करो, तुम्हारे सबसे पहिले शब्द हों, ‘इस घर में शान्ति बनी रहे.’ यदि परिवार-प्रधान शान्तिप्रिय व्यक्ति है, तुम्हारी शान्ति उस पर बनी रहेगी. यदि वह ऐसा नहीं है तो तुम्हारी शान्ति तुम्हारे ही पास लौट आएगी. उसी घर के मेहमान बने रहना. भोजन और पीने के लिए जो कुछ तुम्हें परोसा जाए, उसे स्वीकार करना क्योंकि सेवक अपने वेतन का अधिकारी है. एक घर से निकल कर दूसरे घर में मेहमान न बनना.

“जब तुम किसी नगर में प्रवेश करो और वहाँ लोग तुम्हें सहर्ष स्वीकार करें, तो जो कुछ तुम्हें परोसा जाए, उसे खाओ. वहाँ जो बीमार हैं, उन्हें चँगा करना और उन्हें सूचित करना, ‘परमेश्वर का राज्य तुम्हारे निकट आ गया है.’ 10 किन्तु यदि तुम किसी नगर में प्रवेश करो और वहाँ नगरवासियों द्वारा स्वीकार न किए जाओ तो उस नगर की गलियों में जा कर यह घोषणा करो, 11 ‘तुम्हारे नगर की धूल तक, जो हमारे पाँवों में लगी है, उसे हम तुम्हारे सामने झाड़े दे रहे हैं; परन्तु यह जान लो कि परमेश्वर का राज्य निकट आ गया है.’ 12 सच मानो, न्याय के दिन पर सोदोम नगर के लिए तय किया गया दण्ड उस नगर के लिए तय किए दण्ड की तुलना में सहने योग्य होगा.

13 “तुम पर धिक्कार है कोराज़ीन नगर! धिक्कार है तुम पर बैथसैदा नगर! यदि वे सामर्थ्य के काम, जो तुम में किए गए हैं, त्सोर और त्सीदोन नगरों में किए जाते तो वे कब के शोक के वस्त्र धारण कर, राख में बैठ पश्चाताप कर चुके होते. 14 किन्तु तुम दोनों नगरों की तुलना में त्सोर और त्सीदोन नगरों का दण्ड सहने योग्य होगा. 15 और तुम, कफ़रनहूम! क्या तुम आकाश तक ऊँचे किए जाओगे? बिलकुल नहीं! तुम तो पाताल में उतार दिए जाओगे.

16 “वह, जो तुम्हारी शिक्षा को सुनता है, मेरी शिक्षा को सुनता है; वह, जो तुम्हें अस्वीकार करता है, मुझे अस्वीकार करता है किन्तु वह, जो मुझे अस्वीकार करता है, उन्हें अस्वीकार करता है, जिन्होंने मुझे भेजा है.”

17 वे बहत्तर बहुत उत्साह से भरकर लौटे और कहने लगे, “प्रभु! आपके नाम में तो प्रेत भी हमारे सामने समर्पण कर देते हैं!”

18 इस पर मसीह येशु ने उनसे कहा, “मैं शैतान को बिजली के समान स्वर्ग से गिरते देख रहा था. 19 मैंने तुम्हें साँपों और बिच्छुओं को रौन्दने तथा शत्रु के सभी सामर्थ्य का नाश करने का अधिकार दिया है इसलिए किसी भी रीति से तुम्हारी हानि न होगी. 20 फिर भी, तुम्हारे लिए आनन्द का विषय यह न हो कि प्रेत तुम्हारी आज्ञाओं का पालन करते हैं परन्तु यह कि तुम्हारे नाम स्वर्ग में लिखे जा चुके हैं.”

येशु की प्रार्थना

21 मसीह येशु पवित्रात्मा के आनन्द से भरकर कहने लगे, “पिता! स्वर्ग और पृथ्वी के स्वामी, मैं आपकी स्तुति करता हूँ कि आपने ये सभी सच बुद्धिमानों और ज्ञानियों से छुपा रखे और नन्हे बालकों पर प्रकट कर दिए क्योंकि पिता, आपकी दृष्टि में यही अच्छा था.

22 “सब कुछ मुझे मेरे पिता द्वारा सौंपा गया है. कोई नहीं जानता कि पुत्र कौन है अतिरिक्त पिता के और कोई नहीं जानता कि पिता कौन हैं अतिरिक्त पुत्र के तथा उनके, जिन पर पुत्र ने उन्हें—पिता को—प्रकट करना सही समझा.”

23 तब मसीह येशु ने अपने शिष्यों की ओर उन्मुख हो उनसे व्यक्तिगत रूप से कहा, “धन्य हैं वे आँख, जो वह देख रही हैं, जो तुम देख रहे हो 24 क्योंकि सच मानो, अनेक भविष्यद्वक्ताओं और राजाओं ने यही देखने की कामना की थी, जो तुम देख रहे हो किन्तु वे इससे वंचित रहे और वे वह सब सुनने की इच्छा करते रहे, जो तुम सुन रहे हो किन्तु न सुन सके.”

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