Old/New Testament
राई के बीज का दृष्टान्त
(मारक 4:30-34)
31 येशु ने उनके सामने एक अन्य दृष्टान्त प्रस्तुत किया: “स्वर्ग-राज्य एक राई के बीज के समान है, जिसे एक व्यक्ति ने अपने खेत में रोप दिया. 32 यह अन्य सभी बीजों की तुलना में छोटा होता है किन्तु जब यह पूरा विकसित हुआ तब खेत के सभी पौधों से अधिक बड़ा हो गया और फिर वह बढ़कर एक पेड़ में बदल गया कि पक्षी आ कर उसकी डालिओं में बसेरा करने लगे.”
33 येशु ने उनके सामने एक और दृष्टान्त प्रस्तुत किया: “स्वर्ग-राज्य ख़मीर के समान है, जिसे एक स्त्री ने ले कर तीन माप आटे में मिला दिया और होते-होते सारा आटा ख़मीर बन गया, यद्यपि आटा बड़ी मात्रा में था.”
34 येशु ने ये पूरी शिक्षाएं भीड़ को दृष्टान्तों में दीं. कोई भी शिक्षा ऐसी न थी, जो दृष्टान्त में न दी गई 35 कि भविष्यद्वक्ता द्वारा की गई यह भविष्यवाणी पूरी हो जाए:
मैं दृष्टान्तों में वार्तालाप करूँगा,
मैं वह सब कहूँगा, जो सृष्टि के आरम्भ से गुप्त है.
जंगली बीज के दृष्टान्त की व्याख्या
36 जब येशु भीड़ को छोड़ कर घर के भीतर चले गए, उनके शिष्यों ने उनके पास आ कर उनसे विनती की, “गुरुवर, हमें खेत के जंगली बीज का दृष्टान्त समझा दीजिए.”
37 येशु ने दृष्टान्त की व्याख्या इस प्रकार की “अच्छे बीज बोनेवाला मनुष्य का पुत्र है. 38 खेत यह संसार है. अच्छा बीज राज्य की सन्तान हैं तथा जंगली बीज शैतान की. 39 शत्रु, जिसने उनको बोया है, शैतान है. कटनी इस युग का अन्त तथा काटने के लिए निर्धारित मज़दूर स्वर्गदूत हैं.
40 “इसलिए ठीक जिस प्रकार जंगली पौधे कटने के बाद आग में स्वाहा कर दिए जाते हैं, युग के अन्त में ऐसा ही होगा. 41 मानव-पुत्र अपने स्वर्गदूतों को भेजेगा और वे उस के राज्य में पतन के सभी कारणों तथा कुकर्मियों को इकट्ठा करेंगे और 42 उन्हें आग कुण्ड में झोंक देंगे, जहाँ लगातार रोना तथा दाँतों का पीसना होता रहेगा. 43 तब धर्मी अपने पिता के राज्य में सूर्य के समान चमकेंगे. जिसके सुनने के कान हों, वह सुन ले.”
छुपे हुए खज़ाने का दृष्टान्त
44 “स्वर्ग-राज्य खेत में छिपाए गए उस खज़ाने के समान है, जिसे एक व्यक्ति ने पाया और दोबारा छिपा दिया. आनन्द में उसने अपनी सारी सम्पत्ति बेच कर उस खेत को मोल ले लिया.
45 “स्वर्ग-राज्य उस व्यापारी के समान है, जो अच्छे मोतियों की खोज में था. 46 एक कीमती मोती मिल जाने पर उसने अपनी सारी सम्पत्ति बेच कर उस मोती को मोल ले लिया.
मछली के विशाल जाल का दृष्टान्त
47 “स्वर्ग-राज्य समुद्र में डाले गए उस जाल के समान है, जिसमें सभी प्रजातियों की मछलियां आ जाती हैं. 48 जब वह जाल भर गया और खींच कर तट पर लाया गया, उन्होंने बैठ कर अच्छी मछलियों को टोकरी में इकट्ठा कर लिया तथा निकम्मी को फेंक दिया. 49 युग के अन्त में ऐसा ही होगा. स्वर्गदूत आएंगे और दुष्टों को धर्मियों के मध्य से निकाल कर अलग करेंगे 50 तथा उन्हें आग के कुण्ड में झोंक देंगे, जहाँ रोना तथा दाँतों का पीसना होता रहेगा.
51 “क्या तुम्हें अब यह सब समझ आया?” उन्होंने उत्तर दिया.
“जी हाँ, प्रभु.”
52 येशु ने उनसे कहा, “यही कारण है कि व्यवस्था का हर एक शिक्षक, जो स्वर्ग-राज्य के विषय में प्रशिक्षित किया जा चुका है, परिवार के प्रधान के समान है, जो अपने भण्डार से नई और पुरानी हर एक वस्तु को निकाल लाता है.”
नाज़रेथवासियों द्वारा विश्वास करने में विरोध
(मारक 6:1-6)
53 दृष्टान्तों में अपनी शिक्षा दे चुकने पर येशु उस स्थान से चले गए.
54 तब येशु अपने गृहनगर में आए और वहाँ वह यहूदी-सभागृह में लोगों को शिक्षा देने लगे. इस पर वे चकित हो कर आपस में कहने लगे, “इस व्यक्ति को यह ज्ञान तथा इन अद्भुत कामों का सामर्थ्य कैसे प्राप्त हो गया? 55 क्या यह उस बढ़ई का पुत्र नहीं? और क्या इसकी माता का नाम मरियम नहीं और क्या याक़ोब, योसेफ़, शिमोन और यहूदाह इसके भाई नहीं? 56 और क्या इसकी बहनें हमारे बीच नहीं? तब इसे ये सब कैसे प्राप्त हो गया?” 57 वे येशु के प्रति क्रोध से भर गए.
इस पर येशु ने उनसे कहा, “अपने गृहनगर और परिवार के अलावा भविष्यद्वक्ता कहीं भी अपमानित नहीं होता.”
58 लोगों के अविश्वास के कारण येशु ने उस नगर में अधिक अद्भुत काम नहीं किए.
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