Read the New Testament in 24 Weeks
पहाड़ ऊपर यीसू के उपदेस
5 जब यीसू ह मनखेमन के भीड़ ला देखिस, त ओह पहाड़ ऊपर चघके उहां बईठ गीस। तब ओकर चेलामन ओकर करा आईन, 2 अऊ ओह ओमन ला ए कहिके उपदेस देवन लगिस:
3 “धइन अंय ओमन, जऊन मन आतमा म दीन अंय,
काबरकि स्वरग के राज ओमन के अय।
4 धइन अंय ओमन, जऊन मन सोक करथें,
काबरकि ओमन ला सांति दिये जाही।
5 धइन अंय ओमन, जऊन मन नरम सुभाव के अंय,
काबरकि ओमन धरती के उत्तराधिकारी होहीं।
6 धइन अंय ओमन, जऊन मन धरमीपन बर भूखन अऊ पीयासन हवंय,
काबरकि परमेसर ह ओमन ला संतोस करही।
7 धइन अंय ओमन, जऊन मन दयालु अंय,
काबरकि ओमन के ऊपर दया करे जाही।
8 धइन अंय ओमन, जऊन मन के हिरदय निरमल हवय,
काबरकि ओमन परमेसर के दरसन करहीं।
9 धइन अंय ओमन, जऊन मन मेल-मिलाप कराथें,
काबरकि ओमन ला परमेसर के बेटा कहे जाही।
10 धइन अंय ओमन, जऊन मन धरमीपन के कारन सताय जाथें,
काबरकि स्वरग के राज ओमन के अय।
11 धइन अव तुमन, जब मनखेमन मोर कारन तुम्हर बेजत्ती करथें, तुमन ला सताथें अऊ झूठ-मूठ के, तुम्हर बिरोध म किसम-किसम के खराप बात कहिथें। 12 आनंद मनावव अऊ खुस रहव, काबरकि स्वरग म तुम्हर बर बड़े इनाम रखे हवय। तुम्हर ले पहिली अगमजानीमन ला मनखेमन अइसनेच सताय रिहिन।”
नून अऊ अंजोर
(मरकुस 9:50; लूका 14:34-35)
13 “तुमन धरती के नून अव। पर कहूं नून ह अपन सुवाद ला गंवा देथे, त फेर एला कोनो किसम ले नूनचूर नइं करे जा सकय। एह कोनो काम के नइं रहि जावय। एला बाहिर फटिक दिये जाथे अऊ एह मनखेमन के गोड़ तरी रउंदे जाथे।
14 तुमन संसार के अंजोर अव। पहाड़ ऊपर बसे सहर ह छिपे नइं रह सकय। 15 अऊ न तो मनखेमन दीया ला बारके कटोरा के तरी म रखथें, पर दीया ला दीवट ऊपर मढ़ाथें, जिहां ले एह घर के हर एक जन ला अंजोर देथे। 16 ओही किसम ले, तुम्हर अंजोर ह मनखेमन के आघू म चमकय, ताकि ओमन तुम्हर बने काम ला देखंय अऊ स्वरग म रहइया तुम्हर ददा के बड़ई करंय।”
मूसा के कानून के पूरा होवई
17 “ए झन सोचव कि मेंह मूसा के कानून या अगमजानीमन के बातमन ला खतम करे बर आय हवंव। मेंह ओमन ला खतम करे खातिर नइं, पर ओमन ला पूरा करे खातिर आय हवंव। 18 मेंह तुमन ला सच कहत हंव कि जब तक स्वरग अऊ धरती हवय, तब तक मूसा के कानून के एक छोटे अकछर या बिन्दू घलो पूरा होय बिगर खतम नइं होवय। 19 जऊन ह ए हुकूममन के छोटे ले छोटे बात ला घलो नइं मानय अऊ आने मन ला घलो अइसने करे बर सिखोथे, ओह स्वरग के राज म सबले छोटे समझे जाही, पर जऊन ह ए हुकूममन ला मानथे अऊ आने मन ला माने बर सिखोथे, ओह स्वरग के राज म बड़े समझे जाही। 20 काबरकि मेंह तुमन ला कहत हवंव कि जब तक तुम्हर धरमीपन ह फरीसी अऊ कानून के गुरू मन के धरमीपन ले बढ़ के नइं होवय, तब तक तुमन स्वरग के राज म नइं जा सकव।”
हतिया अऊ गुस्सा
21 “तुमन सुने हवव कि बहुंत पहिले मनखेमन ला ए कहे गे रिहिस, ‘हतिया झन करव, अऊ यदि कोनो हतिया करथे, त ओह कचहरी म दंड के भागी होही।’ 22 पर मेंह तुमन ला कहत हंव कि यदि कोनो अपन भाई ऊपर गुस्सा करथे, त ओह दंड के भागी होही। जऊन कोनो अपन भाई के बेजत्ती करथे, त ओला धरम महासभा के आघू म जबाब देना पड़ही। पर जऊन कोनो अपन भाई ला कहिथे, ‘ए मुरुख!’ ओह नरक के आगी म पड़े के खतरा म होही।
23 एकरसेति, यदि तेंह बेदी म अपन भेंट चघावत हस अऊ उहां तोला सुरता आथे कि तोर भाई के मन म तोर बिरोध म कुछू हवय, 24 त उहां बेदी के आघू म अपन भेंट ला छोंड़ दे अऊ पहिली अपन भाई करा जा अऊ ओकर संग मेल-मिलाप कर, तब आ अऊ अपन भेंट ला चघा। 25 ओ मनखे जऊन ह तोर बिरोध म अदालत जावत हे, ओकर संग जल्दी करके मेल-मिलाप कर ले। कचहरी जावत बेरा डहार म ही ओकर संग मेल-मिलाप कर ले, नइं तो ओह तोला नियायधीस ला सऊंप दिही, अऊ नियायधीस ह तोला पुलिस ला सऊंपही, अऊ तेंह जेल म डाल दिये जाबे। 26 मेंह तोला सच कहत हंव कि जब तक तेंह कौड़ी-कौड़ी नइं चुका देबे, तब तक तेंह उहां ले छुटे नइं सकस।”
छिनारीपन
27 “तुमन सुने हवव कि ए कहे गे रिहिस, ‘छिनारी झन करव।’ 28 पर मेंह तुमन ला कहत हंव कि जऊन कोनो माईलोगन ला खराप नजर ले देखथे, त ओह अपन मन म ओकर संग छिनारी कर चुकिस। 29 यदि तोर जेवनी आंखी ह तोर पाप म परे के कारन बनथे, त ओला निकारके फटिक दे। तोर बर एह बने अय कि अपन देहें के एक ठन अंग ला गंवा दे, पर तोर जम्मो देहें ह नरक म झन डारे जावय। 30 अऊ कहूं तोर जेवनी हांथ ह तोर पाप म परे के कारन बनथे, त ओला काटके फटिक दे। तोर बर एह बने अय कि अपन देहें के एक ठन अंग ला गंवा दे, पर तोर जम्मो देहें ह नरक म झन चले जावय।”
तलाक
(मत्ती 19:9; मरकुस 10:11-12; लूका 16:18)
31 “ए घलो कहे गे रिहिस, ‘जऊन कोनो अपन घरवाली ला छोंड़ देथे, त ओह ओला तियाग पतर जरूर देवय।’[a] 32 पर मेंह तुमन ला कहत हंव कि जऊन कोनो छिनारीपन के अलावा कोनो आने कारन ले अपन घरवाली ला छोंड़ देथे, त ओह ओकर छिनारी करे के कारन बनथे, अऊ जऊन ह ओ तियागे गय माईलोगन ले बिहाव करथे, त ओह घलो छिनारी करथे।”
किरिया
33 “तुमन ए घलो सुने हवव कि बहुंत पहिले मनखेमन ला ए कहे गे रिहिस, ‘तुमन झूठ-मूठ के किरिया झन खावव, पर परभू के आघू म करे गे किरिया ला पूरा करव।’ 34 पर मेंह तुमन ला कहत हंव कि किरिया कभू झन खावव; न तो स्वरग के काबरकि ओह परमेसर के सिंघासन अय; 35 न तो धरती के, काबरकि एह परमेसर के गोड़ के चउकी अय; न तो यरूसलेम के, काबरकि ओह महाराजा के सहर अय। 36 अऊ अपन मुड़ के घलो किरिया झन खावव, काबरकि तुमन एको ठन चुंदी ला घलो पंडरा या करिया नइं कर सकव। 37 साफ-साफ तुम्हर गोठ ह हां के हां अऊ नइं के नइं होवय। एकर ले जादा जऊन कुछू होथे, ओह सैतान के तरफ ले होथे।”[b]
बदला लेय के बारे म उपदेस
(लूका 6:29-30)
38 “तुमन सुने हवव कि ए कहे गे रिहिस, ‘आंखी के बदला म आंखी अऊ दांत के बदला म दांत।’[c] 39 पर मेंह तुमन ला कहत हंव कि दुस्ट मनखे के सामना झन करव। यदि कोनो तुम्हर जेवनी गाल म थपरा मारथे, त अपन डेरी गाल ला घलो ओकर अंग कर देवव। 40 अऊ यदि कोनो तुम्हर ऊपर मुकदमा चलाके तुम्हर कुरता ला लेय चाहथे, त तुमन ओला अपन कोटी ला घलो लेवन दव। 41 यदि कोनो तुमन ला जबरदस्ती एक मील ले जाथे, त तुमन ओकर संग दू मील चले जावव। 42 जऊन ह तुम्हर ले मांगथे, ओला देवव, अऊ जऊन ह तुम्हर ले उधार मांगथे, ओला उधार देवव।”
बईरीमन बर मया
(लूका 6:27-28, 32-36)
43 “तुमन सुने हवव कि ए कहे गे रिहिस, ‘अपन पड़ोसी ले मया, अऊ बईरीमन ले नफरत करव।’ 44 पर मेंह तुमन ला कहत हंव कि अपन बईरीमन ले मया करव, अऊ जऊन मन तुम्हर ऊपर अतियाचार करथें, ओमन बर पराथना करव।[d] 45 ताकि तुमन अपन स्वरगीय ददा के संतान बन जावव। ओह खराप अऊ बने दूनों मनखेमन ऊपर अपन सूरज चमकाथे, अऊ धरमी अऊ अधरमी दूनों के ऊपर पानी बरसाथे। 46 यदि तुमन ओमन ला मया करथव, जऊन मन तुम्हर ले मया करथें, त तुमन ला का इनाम मिलही? लगान लेवइया पापीमन घलो अइसने करथें। 47 यदि तुमन सिरिप अपन भाईमन ला ही जोहार करथव, त आने मन ले तुमन का बड़े बुता करथव? का आनजातमन घलो अइसने नइं करंय? 48 एकरसेति, तुमन सिद्ध बनव, जइसने स्वरग म रहइया तुम्हर ददा ह सिद्ध अय।”
जरूरतमंद ला दान
6 “सचेत रहव! तुमन मनखेमन के आघू म ओमन ला देखाय बर अपन धरमीपन के काम झन करव। नइं तो तुमन ला अपन स्वरगीय ददा ले कुछू इनाम नइं मिलय।
2 एकरसेति, जब तुमन जरूरतमंद मनखे ला देथव, त डुगडुगी झन पिटवाव, जइसने कि ढोंगी मनखेमन सभा-घर अऊ गली मन म करथें, ताकि मनखेमन ओमन के बड़ई करंय। मेंह तुमन ला सच कहत हंव कि ओमन अपन जम्मो इनाम पा गीन। 3 पर जब तुमन जरूरतमंद मनखे ला देथव, त तुम्हर डेरी हांथ ए बात ला झन जानय कि तुम्हर जेवनी हांथ का करत हवय। 4 तुम्हर दान ह गुपत म रहय। तब तुम्हर स्वरगीय ददा जऊन ह गुपत म करे गय काम ला घलो देखथे, तुमन ला इनाम दिही।”
पराथना
(लूका 11:2-4)
5 “जब तुमन पराथना करथव, त ढोंगी मनखेमन सहीं झन करव, काबरकि मनखेमन ला देखाय बर, सभा-घर अऊ गली के चऊकमन म ठाढ़ होके पराथना करई, ओमन ला बने लगथे। मेंह तुमन ला सच कहत हंव कि ओमन अपन जम्मो इनाम पा गीन। 6 जब तुमन पराथना करथव, त अपन खोली म जावव, अऊ कपाट ला बंद करके, अपन ददा ले पराथना करव जऊन ह नइं दिखय। तब तुम्हर ददा जऊन ह गुपत म करे गय काम ला घलो देखथे, तुमन ला इनाम दिही। 7 अऊ जब तुमन पराथना करथव, त आनजातमन सहीं बेमतलब के बातमन ला घेरी-बेरी झन दुहराव, काबरकि ओमन ए सोचथें कि ओमन के बहुंत बात बोले के कारन, परमेसर ह ओमन के सुनही। 8 ओमन सहीं झन बनव, काबरकि तुम्हर मांगे के पहिली, तुम्हर ददा ह जानथे कि तुमन ला का चीज के जरूरत हवय।
9 तुमन ला ए किसम ले पराथना करना चाही:
‘हे हमर ददा, तें जो स्वरग म हवस,
तोर नांव ह पबितर माने जावय,
10 तोर राज आवय,
जइसने तोर ईछा स्वरग म पूरा होथे,
वइसने धरती म घलो पूरा होवय।
11 हमन ला आज के भोजन दे,
जइसने कि तेंह हर दिन देथस।
12 हमर पापमन ला छेमा कर,
जइसने हमन ओमन ला छेमा करे हवन,
जऊन मन हमर बिरोध म पाप करे हवंय।
13 अऊ हमन ला परिछा म झन डार,
पर हमन ला बुरई ले बचा,
काबरकि राज, अऊ पराकरम अऊ महिमा सदाकाल तक तोर अय। आमीन।’
14 यदि तुमन ओ मनखेमन ला छेमा करथव, जऊन मन तुम्हर बिरोध म पाप करे हवंय, त तुम्हर स्वरगीय ददा घलो तुमन ला छेमा करही। 15 पर यदि तुमन ओ मनखेमन के पाप ला छेमा नइं करव, त तुम्हर ददा घलो तुम्हर पाप ला छेमा नइं करही।”
उपास
16 “जब तुमन उपास करथव, त तुमन अपन चेहरा ला उदास झन बनावव, जइसने कि ढोंगीमन करथें; ओमन अपन चेहरा ला ओरमाय रहिथें, ताकि मनखेमन देखंय कि ओमन उपास करत हवंय। मेंह तुमन ला सच कहत हंव कि ओमन अपन जम्मो इनाम पा चुकिन। 17 पर जब तुमन उपास करथव, त अपन मुड़ म तेल चुपरव अऊ मुहूं ला धोवव, 18 ताकि मनखेमन ए झन जानंय कि तुमन उपास करत हवव, पर सिरिप तुम्हर ददा परमेसर ह जानय, जऊन ह नइं दिखय। अऊ तुम्हर ददा, जऊन ह हर गुपत के काम ला देखथे, तुमन ला इनाम दिही।”
स्वरग म धन
(लूका 12:33-34)
19 “अपन खातिर ए धरती म धन जमा झन करव, जिहां कीरा अऊ मुर्चा एला नास करथें, अऊ चोरमन सेंध मारके चुरा लेथें। 20 पर अपन खातिर स्वरग म धन जमा करव, जिहां कीरा अऊ मुर्चा एला नास नइं कर सकंय, अऊ न ही चोरमन सेंध मारके चोरी कर सकंय। 21 काबरकि जिहां तुम्हर धन हवय, उहां तुम्हर मन घलो लगे रहिही।
22 आंखी ह देहें के दीया अय। यदि तुम्हर आंखीमन बने हवंय, त तुम्हर जम्मो देहें ह अंजोर ले भर जाही। 23 पर यदि तुम्हर आंखीमन खराप हवंय, त तुम्हर जम्मो देहें ह अंधियार ले भर जाही। एकरसेति, ओ अंजोर जऊन ह तुमन म हवय, यदि अंधियार हो जाथे, त ओह कतेक भयंकर अंधियार होही।[e]
24 कोनो मनखे दू झन मालिक के सेवा नइं कर सकय। या तो ओह एक झन ले नफरत करही अऊ दूसर झन ले मया; या फेर ओह एक झन बर समर्पित रहिही अऊ दूसर झन ला तुछ जानही। तुमन परमेसर अऊ धन दूनों के सेवा नइं कर सकव।”
चिंता झन करव
(लूका 12:22-34)
25 “एकरसेति, मेंह तुमन ला कहत हंव कि तुमन अपन जिनगी के बारे म चिंता झन करव कि तुमन का खाहू या का पीहू, अऊ न अपन देहें के बारे म चिंता करव कि तुमन का पहिरहू। का जिनगी ह भोजन ले जादा महत्व के नो हय? अऊ देहें ह ओन्ढा ले बढ़ के नो हय? 26 अकास के चिरईमन ला देखव; ओमन ह न बोवंय, न लुवंय अऊ न कोठार म जमा करंय; तभो ले तुम्हर स्वरगीय ददा ह ओमन ला खवाथे। का तुमन चिरईमन ले जादा महत्व के नो हव? 27 तुम्हर म ले कोन ह चिंता करे के दुवारा अपन जिनगी म एको घरी घलो बढ़ा सकथे?
28 तुमन ओन्ढा बर काबर चिंता करथव? खेत के जंगली फूलमन ला देखव कि ओमन कइसने बढ़थें। ओमन न तो मिहनत करंय अऊ न ही ओन्ढा बिनंय। 29 तभो ले मेंह तुमन ला बतावत हंव कि राजा सुलेमान घलो अपन जम्मो सोभा म एमन ले एको झन सहीं नइं सजे-धजे रिहिस। 30 यदि परमेसर ह खेत के कांदी ला, जऊन ह आज इहां हवय अऊ कल आगी म झोंक दिये जाही, अइसने ओन्ढा पहिराथे, तब हे अल्प बिसवासी मनखेमन, ओह तुमन ला अऊ बने ओन्ढा काबर नइं पहिराही? 31 एकरसेति तुमन चिंता झन करव अऊ ए झन कहव कि हमन का खाबो? या का पीबो? या का पहिरबो? 32 आनजातमन ए जम्मो चीज के खोज म रहिथें। तुम्हर स्वरगीय ददा ह जानथे कि तुमन ला ए जम्मो चीज के जरूरत हवय। 33 परमेसर के राज अऊ ओकर धरमीपन के खोज करव, त ए जम्मो चीजमन घलो संग म तुमन ला दिये जाही। 34 एकरसेति, कल के चिंता झन करव, काबरकि कल के दिन ह अपन चिंता खुद कर लिही। आज के दुःख ह आज खातिर बहुंते हवय।”
आने ऊपर दोस लगई
(लूका 6:37-38, 41-42)
7 “आने ऊपर दोस झन लगावव, ताकि तुम्हर ऊपर घलो दोस झन लगाय जावय। 2 काबरकि जऊन किसम ले तुमन आने ऊपर दोस लगाथव, ओही किसम ले तुम्हर ऊपर घलो दोस लगाय जाही, अऊ जऊन नाप ले तुमन नापथव, ओही नाप ले तुम्हर बर नापे जाही।
3 तुमन काबर अपन भाई के आंखी के छोटे कचरा ला देखथव, जबकि अपन खुद के आंखी म पड़े लकड़ी के लट्ठा ला धियान नइं देवव? 4 जब तुम्हर खुद के आंखी म लकड़ी के लट्ठा हवय, त तुमन अपन भाई ला कइसने कह सकथव, ‘लान मेंह तोर आंखी के छोटे कचरा ला निकार दंव?’ 5 हे ढोंगीमन हो, पहिली अपन खुद के आंखी के लट्ठा ला निकारव, तभे तुमन अपन भाई के आंखी के छोटे कचरा ला साफ-साफ देखहू अऊ ओला निकार सकहू।
6 पबितर चीज कुकुरमन ला झन देवव, अऊ अपन मोती ला सुरामन के आघू म झन डालव, नइं तो ओमन ओला अपन गोड़ तरी कुचरहीं अऊ तब लहुंटके तुम्हर ऊपर चढ़ बईठहीं।”
मांगव, खोजव, खटखटावव
(लूका 11:9-13)
7 “मांगव, त तुमन ला दिये जाही; खोजव त तुमन ह पाहू; खटखटावव त तुम्हर बर कपाट ह खोले जाही। 8 काबरकि जऊन ह मांगथे, ओला मिलथे; जऊन ह खोजथे, ओह पाथे; अऊ जऊन ह खटखटाथे, ओकर खातिर कपाट ला खोले जाथे।
9 तुमन म अइसने कोन मनखे अय कि यदि ओकर बेटा ह ओकर ले रोटी मांगथे, त ओह ओला पथरा देथे? 10 या यदि ओह मछरी मांगथे, त ओला सांप देथे? 11 खराप मनखे होके घलो, जब तुमन अपन लइकामन ला बने चीज देय बर जानथव, त स्वरग म रहइया तुम्हर ददा ह ओमन ला अऊ बने चीज काबर नइं दिही, जऊन मन ओकर ले मांगथें। 12 आने मन संग वइसने बरताव करव, जइसने तुमन चाहथव कि ओमन तुम्हर संग करंय, काबरकि मूसा के कानून अऊ अगमजानीमन के एहीच सिकछा अय।”
संकरा दुवार अऊ चाकर दुवार
(लूका 13:24)
13 “छोटे कपाट ले घुसरव। काबरकि चाकर हवय ओ कपाट अऊ सरल हवय ओ रसता, जऊन ह बिनास कोति ले जाथे अऊ बहुंते झन ओम ले होके जाथें। 14 पर छोटे हवय ओ कपाट अऊ कठिन हवय ओ रसता, जऊन ह जिनगी कोति ले जाथे, अऊ सिरिप थोरकन झन एला पाथें।”
रूख अऊ ओकर फर
(लूका 6:43-44, 46; 13:25-27)
15 “लबरा अगमजानीमन ले सचेत रहव। ओमन भेड़ के भेस म तुम्हर करा आथें, पर भीतर ले ओमन ह भयंकर भेड़िया अंय। 16 ओमन के काम के दुवारा ओमन ला तुमन चिन डारहू। का मनखेमन कंटिली झाड़ी ले अंगूर या ऊंटकटारा झाड़ी ले अंजीर के फर टोरथें? 17 ओही किसम ले बने रूख ह बने फर देथे, अऊ खराप रूख ह खराप फर देथे। 18 बने रूख ह खराप फर नइं दे सकय अऊ न ही खराप रूख बने फर दे सकथे। 19 हर ओ रूख जऊन ह बने फर नइं देवय, काटे अऊ आगी म झोंके जाथे। 20 ए किसम ले, ओमन के फर के दुवारा, तुमन ओमन ला चिन डारहू।
21 जऊन मन मोला, ‘हे परभू! हे परभू!’ कहिथें, ओमन म ले जम्मो झन स्वरग के राज म नइं जा सकंय, पर जऊन ह स्वरग म रहइया मोर ददा के ईछा ला पूरा करथे, सिरिप ओहीच ह स्वरग के राज म जाही। 22 नियाय के दिन म कतको मनखेमन मोला कहिहीं, ‘हे परभू! हे परभू! का हमन ह तोर नांव म अगमबानी नइं करेन? का हमन तोर नांव म परेत आतमामन ला नइं निकारेन? अऊ तोर नांव म कतको अचरज के काम नइं करेन?’ 23 तब मेंह ओमन ला साफ-साफ बता दूहूं, ‘मेंह तुमन ला कभू नइं जानेंव। हे कुकरमीमन हो, मोर ले दूरिहा हटव।’ ”
घर बनवइया दू झन मनखे: बुद्धिमान अऊ मुरुख
(लूका 6:47-49)
24 “एकरसेति, जऊन ह मोर ए गोठमन ला सुनथे अऊ ओकर पालन करथे, ओह ओ बुद्धिमान मनखे सहीं अय, जऊन ह चट्टान ऊपर अपन घर बनाईस। 25 पानी बरसिस, नदीमन म पूरा आईस, गरेर चलिस, अऊ ओ घर ले टकराईस, तभो ले ओ घर ह नइं गिरिस, काबरकि ओकर नींव ह चट्टान ऊपर डारे गे रिहिस। 26 पर जऊन ह मोर ए गोठमन ला सुनथे अऊ ओकर पालन नइं करय, ओह ओ मुरुख मनखे सहीं अय, जऊन ह बालू ऊपर अपन घर बनाईस। 27 पानी बरसिस, नदीमन म पूरा आईस, गरेर चलिस अऊ ओ घर ले टकराईस अऊ ओ घर ह भरभरा के गिर गीस।”
28 जब यीसू ह ए बातमन ला कह चुकिस, त मनखेमन के भीड़ ह ओकर उपदेस ला सुनके चकित हो गीस। 29 काबरकि यीसू ह ओमन के कानून के गुरूमन सहीं नइं, पर अधिकार के संग ओमन ला उपदेस देवत रिहिस।
Copyright: New Chhattisgarhi Translation (नवां नियम छत्तीसगढ़ी) Copyright © 2012, 2016 by Biblica, Inc.® All rights reserved worldwide.