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New Testament in a Year

Read the New Testament from start to finish, from Matthew to Revelation.
Duration: 365 days
Saral Hindi Bible (SHB)
Version
याक़ोब 4

मसीह के विश्वासियों में एकता का अभाव

तुम्हारे बीच लड़ाई व झगड़े का कारण क्या है? क्या तुम्हारे सुख-विलास ही नहीं, जो तुम्हारे अंगों से लड़ते रहते हैं? तुम इच्छा तो करते हो किन्तु प्राप्त नहीं कर पाते इसलिए हत्या कर देते हो. जलन के कारण तुम लड़ाई व झगड़े करते हो क्योंकि तुम प्राप्त नहीं कर पाते. तुम्हें प्राप्त नहीं होता क्योंकि तुम माँगते नहीं. तुम माँगते हो फिर भी तुम्हें प्राप्त नहीं होता क्योंकि माँगने के पीछे तुम्हारा उद्धेश्य ही बुरी इच्छा से होता है—कि तुम उसे भोग-विलास में उड़ा दो.

अरे विश्वासघातियो! क्या तुम्हें यह मालूम नहीं कि संसार से मित्रता परमेश्वर से शत्रुता है? इसलिए उसने, जो संसार की मित्रता से बंधा हुआ है, अपने आप को परमेश्वर का शत्रु बना लिया है. कहीं तुम यह तो नहीं सोच रहे कि पवित्रशास्त्र का यह कथन अर्थहीन है: वह आत्मा, जिनको उन्होंने हमारे भीतर बसाया है, बड़ी लालसा से हमारे लिए कामना करते हैं? वह और अधिक अनुग्रह देते हैं, इसलिए लिखा है:

परमेश्वर घमण्ड़ियों के विरुद्ध रहते
    और दीनों को अनुग्रह देते हैं.

इसलिए परमेश्वर के आधीन रहो, शैतान का विरोध करो तो वह तुम्हारे सामने से भाग खड़ा होगा. परमेश्वर के पास आओ तो वह तुम्हारे पास आएंगे. पापियो! अपने हाथ स्वच्छ करो. तुम, जो दुचित्ते हो, अपने हृदय शुद्ध करो. आँसू बहाते हुए शोक तथा विलाप करो कि तुम्हारी हँसी रोने में तथा तुम्हारा आनन्द उदासी में बदल जाए. 10 स्वयं को प्रभु के सामने दीन बनाओ तो वह तुमको शिरोमणि करेंगे.

11 प्रियजन, एक-दूसरे की निन्दा मत करो. जो साथी विश्वासी की निन्दा करता फिरता या उस पर दोष लगाता फिरता है, वह व्यवस्था का विरोध करता है. यदि तुम व्यवस्था का विरोध करते हो, तुम व्यवस्था के पालन करने वाले नहीं, सिर्फ उसके आलोचक बन जाते हो. 12 व्यवस्था देनेवाला और न्यायाध्यक्ष एक ही हैं—वह, जिनमें रक्षा करने का सामर्थ्य है और नाश करने का भी. तुम कौन होते हो जो अपने पड़ोसी पर दोष लगाते हो?

धनवानों तथा घमण्ड़ियों के लिए चेतावनी

13 अब तुम, सुनो, जो यह कहते हो, “आज या कल हम अमुक नगर को जाएँगे और वहाँ एक वर्ष रहकर धन कमाएंगे”, 14 जबकि सच तो यह है कि तुम्हें तो अपने आनेवाले कल के जीवन के विषय में भी कुछ मालूम नहीं है, तुम तो सिर्फ वह भाप हो, जो क्षण भर के लिए दिखाई देती है और फिर लुप्त हो जाती है. सुनो! 15 तुम्हारा इस प्रकार कहना सही होगा: “यदि प्रभु की इच्छा हो, तो हम जीवित रहेंगे तथा यह या वह काम करेंगे.” 16 परन्तु तुम अपने अहंकार में घमण्ड़ कर रहे हो. यह घमण्ड़ पाप से भरा है. 17 भलाई करना जानते हुए उसको न करना पाप है.

Saral Hindi Bible (SHB)

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