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New Testament in a Year

Read the New Testament from start to finish, from Matthew to Revelation.
Duration: 365 days
Saral Hindi Bible (SHB)
Version
इफ़ेसॉस 5:17-33

17 इसलिए निर्बुद्धि नहीं परन्तु प्रभु की इच्छा के ज्ञान के लिए विवेक प्राप्त करो. 18 दाखरस से मतवाले न हो क्योंकि यह लुचपन है परन्तु पवित्रात्मा से भर जाओ. 19 तब प्रभु के लिए आपस में सारे हृदय से तुम भजन, स्तुतिगान व आत्मिक गीत गाते रहो. 20 हर एक विषय के लिए हमेशा हमारे प्रभु मसीह येशु के नाम में पिता परमेश्वर के प्रति धन्यवाद देते रहो.

दाम्पत्य नैतिकता के लिए निर्देश

21 मसीह में आदर के कारण एक दूसरे के प्रति समर्पित रहो.

22 पत्नी अपने पति के अधीन उसी प्रकार रहे, जैसे प्रभु के 23 क्योंकि पति उसी प्रकार अपनी पत्नी का सिर है, जिस प्रकार मसीह अपनी देह कलीसिया के सिर हैं, जिसके वह उद्धारकर्ता भी हैं. 24 जिस प्रकार कलीसिया मसीह के आधीन है, उसी प्रकार पत्नी हर एक विषय में पति के आधीन रहे.

25 पति अपनी पत्नी से उसी प्रकार प्रेम करे जिस प्रकार मसीह ने कलीसिया से प्रेम किया और स्वयं को उसके लिए बलिदान कर दिया 26 कि वह उसे वचन के स्नान के द्वारा पाप से शुद्ध कर अपने लिए अलग करे 27 कि उसे अपने लिए ऐसी तेजस्वी कलीसिया बना कर पेश करें जिसमें न कोई कलंक, न कोई झुर्री, न ही इनके जैसा कोई दोष हो परन्तु वह पवित्र व निष्कलंक हो. 28 इसी प्रकार पति के लिए उचित है कि वह अपनी पत्नी से वैसे ही प्रेम करे जैसे अपने शरीर से करता है. वह, जो अपनी पत्नी से प्रेम करता है, स्वयं से प्रेम करता है 29 क्योंकि कोई भी अपने शरीर से घृणा नहीं करता परन्तु स्नेहपूर्वक उसका पोषण करता है—जिस प्रकार मसीह कलीसिया का करते हैं 30 क्योंकि हम उनके शरीर के अंग हैं. 31 इस कारण पुरुष अपने माता-पिता का मोह त्याग कर अपनी पत्नी से जुड़ा रहेगा और वे दोनों एक तन हो जाएँगे 32 यह एक गहरा भेद है और मैं यह मसीह और कलीसिया के संदर्भ में उपयोग कर रहा हूँ 33 फिर भी तुम में से हर एक अपनी पत्नी से अपने समान प्रेम करें और पत्नी अपने पति का सम्मान करे.

Saral Hindi Bible (SHB)

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