New Testament in a Year
30 ओमन ओ जगह ला छोंड़के गलील प्रदेस म होवत जावत रिहिन अऊ यीसू नइं चाहत रिहिस कि कोनो ओमन के ठिकाना के बारे म जानंय। 31 काबरकि ओह अपन चेलामन ला सिखोवत रिहिस। ओह ओमन ला कहिस, “मनखे के बेटा ह मनखेमन के हांथ म पकड़वाय जाही अऊ ओमन ओला मार डारहीं अऊ मरे के तीन दिन के पाछू ओह जी उठही।” 32 पर ए गोठ ह ओमन के समझ म नइं आईस अऊ ओमन एकर बारे म ओकर ले पुछे बर डर्रावत रिहिन।
सबले बड़े कोन
(मत्ती 18:1-5; लूका 9:46-48)
33 फेर ओमन कफरनहूम सहर म आईन अऊ घर म आके यीसू ह चेलामन ले पुछिस, “रसता म तुमन का गोठ ला लेके बहस करत रहेव?” 34 पर ओमन चुपेचाप रिहिन, काबरकि डहार म ओमन ए बहस करत रिहिन कि ओमन के बीच म सबले बड़े कोन ए।
35 बईठे के पाछू, यीसू ह बारह चेलामन ला बलाके कहिस, “कहूं कोनो सबले बड़े होय चाहथे, त ओह सबले छोटे अऊ सबके सेवक बनय।”
36 तब ओह एक छोटे लइका ला लेके ओमन के बीच म ठाढ़ करिस अऊ ओला अपन कोरा म पाके ओमन ला कहिस, 37 “जऊन कोनो मोर नांव म अइसने छोटे लइका ला गरहन करथे, ओह मोला गरहन करथे, अऊ जऊन कोनो मोला गरहन करथे ओह सिरिप मोला नइं, पर मोर पठोइया (परमेसर) ला घलो गरहन करथे।”
जऊन ह हमर बिरोध म नइं ए, ओह हमर संग हवय
(लूका 9:49-50)
38 यूहन्ना ह यीसू ला कहिस, “गुरूजी! हमन एक मनखे ला तोर नांव म परेत आतमामन ला निकारत देखेन, अऊ हमन ओला कहेंन कि अइसने झन कर। काबरकि ओह हमर संग के नो हय।”
39 यीसू ह कहिस, “ओला झन रोकव। अइसने कोनो नइं ए जऊन ह मोर नांव म चमतकार के काम करय अऊ तुरते मोर बारे म खराप बात बोल सकय। 40 काबरकि जऊन ह हमर बिरोध म नइं ए, ओह हमर संग हवय। 41 कहूं कोनो तुमन ला मोर नांव म, मसीह के मनखे जानके एक गिलास पानी देथे, त मेंह तुमन ला सच कहत हंव, ओह एकर इनाम जरूर पाही।”
दूसर ला पाप म फंसई
(मत्ती 18:6-9; लूका 17:1-2)
42 “अऊ ए छोटे मन, जऊन मन मोर ऊपर बिसवास करथें, कहूं कोनो एमन के पाप म परे के कारन बनथे, त ओकर बर बने होतिस कि एक ठन बड़े चकिया के पथरा ला ओकर घेंच म बांधके ओला समुंदर म फटिक दिये जावय। 43-44 कहूं तोर हांथ ह तोर ले पाप करवाथे, त ओला काट डार। ठुठुवा होके सदाकाल के जिनगी म परवेस करई ह बने अय, एकर बनिसपत कि दूनों हांथ के रहत, तोला नरक के आगी म डारे जावय, जऊन ह कभू नइं बुथावय। 45 अऊ कहूं तोर गोड़ ह तोर ले पाप करवाथे, त ओला काट डार। 46 तोर बर ए बने होही कि तेंह खोरवा होके सदाकाल के जिनगी म परवेस कर, एकर बनिसपत कि दूनों गोड़ के रहत, तोला नरक म डारे जावय। 47 अऊ कहूं तोर आंखी ह तोर ले पाप करवाथे, त ओ आंखी ला निकार दे। तोर बर ए बने होही कि कनवां होके परमेसर के राज म परवेस कर, एकर बनिसपत कि दूनों आंखी के रहत, तोला नरक म डारे जावय, 48 जिहां कीरा ह कभू नइं मरय अऊ आगी ह कभू नइं बुथावय।[a] 49 काबरकि हर एक मनखे आगी के दुवारा नूनचूर करे जाही।
50 नून ह बने ए। पर कहूं एह अपन सुवाद ला गंवा देथे, त तुमन एला फेर कइसने नूनचूर कर सकथव? एकर खातिर सुध जिनगी जीये के दुवारा अपन म नून के सुवाद रखव, अऊ एक-दूसर के संग मिल जुरके रहव।”
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