M’Cheyne Bible Reading Plan
16 “मैंने तुम पर ये सच्चाई इसलिए प्रकट की कि तुम भरमाए जाने से बचे रहो. 2 वे सभागृह से तुमको निकाल देंगे, इतना ही नहीं, वह समय भी आ रहा है जब तुम्हारा हत्यारा अपने कुकाम को परमेश्वर की सेवा समझेगा. 3 ये कुकाम वे इसलिए करेंगे कि उन्होंने न तो पिता को जाना है और न मुझे. 4 ये सच्चाई मैंने तुम पर इसलिए प्रकट की है कि जब यह सब होने लगे तो तुम्हें याद आए कि इनके विषय में मैंने तुम्हें पहले से ही सावधान कर दिया था. मैंने ये सब तुम्हें शुरुआत में इसलिए नहीं बताया कि उस समय मैं तुम्हारे साथ था.
पवित्रात्मा की भूमिका का प्रकाशन
5 “अब मैं अपने भेजनेवाले के पास जा रहा हूँ, और तुम में से कोई नहीं पूछ रहा कि आप कहाँ जा रहे हैं? 6 ये सब सुन कर तुम्हारा हृदय शोक से भर गया है. 7 फिर भी सच यह है कि मेरा जाना तुम्हारे लिए लाभदायक है क्योंकि यदि मैं न जाऊँ तो वह स्वर्गीय सहायक तुम्हारे पास नहीं आएंगे. यदि मैं जाऊँ तो मैं उन्हें तुम्हारे पास भेजूँगा. 8 वह आ कर संसार के सामने पाप, धार्मिकता और न्याय के विषय में दोषों को प्रकाश में लाएंगे: 9 पाप के विषय में; क्योंकि वे मुझ में विश्वास नहीं करते; 10 धार्मिकता के विषय में; क्योंकि मैं पिता के पास जा रहा हूँ और इसके बाद तुम मुझे न देखोगे; 11 न्याय के विषय में; क्योंकि संसार का हाकिम दोषी ठहराया जा चुका है.
12 “मुझे तुमसे बहुत कुछ कहना है परन्तु अभी तुम उसे ग्रहण करने के योग्य नहीं हो. 13 जब सहायक—सच्चाई-का-आत्मा—आएंगे, वह पूरी सच्चाई में तुम्हारा मार्गदर्शन करेंगे. वह अपनी ओर से कुछ नहीं कहेंगे, परन्तु वही कहेंगे, जो वह सुनते हैं. वह तुम्हारे लिए आनेवाली घटनाओं को उजागर करेंगे. 14 वही मुझे महिमित करेंगे क्योंकि वह मुझसे प्राप्त बातों को तुम्हारे सामने प्रकट करेंगे. 15 वह सब कुछ, जो पिता का है, मेरा है; इसीलिए मैंने यह कहा कि वह मुझसे मिली हुई बातों को तुम पर प्रकट करेंगे.”
प्रार्थना में येशु नाम के प्रयोग का निर्देश
16 “कुछ ही समय में तुम मुझे नहीं देखोगे और कुछ समय बाद तुम मुझे दोबारा देखोगे.”
17 इस पर उनके कुछ शिष्य आपस में विचार-विमर्श करने लगे, “उनका इससे क्या मतलब है कि वह हमसे कह रहे हैं, ‘कुछ ही समय में तुम मुझे नहीं देखोगे और कुछ समय बाद तुम मुझे दोबारा देखोगे;’ और यह भी, ‘मैं पिता के पास जा रहा हूँ’?” 18 वे एक-दूसरे से पूछते रहे, “समझ नहीं आता कि वह क्या कह रहे हैं. क्या है यह कुछ समय बाद जिसके विषय में वह बार-बार कह रहे हैं?”
19 यह जानते हुए कि वे उनसे कुछ पूछना चाहते हैं, मसीह येशु ने उनसे प्रश्न किया, “क्या तुम इस विषय पर विचार कर रहे हो कि मैंने तुमसे कहा कि कुछ ही समय में तुम मुझे नहीं देखोगे और कुछ समय बाद मुझे दोबारा देखोगे? 20 मैं तुम पर यह अटल सच्चाई प्रकट कर रहा हूँ: तुम रोओगे और विलाप करोगे जबकि संसार आनन्द मना रहा होगा. तुम शोकाकुल होगे किन्तु तुम्हारा शोक आनन्द में बदल जाएगा. 21 प्रसव के पहले स्त्री शोकित होती है क्योंकि उसका प्रसव पास आ गया है किन्तु शिशु के जन्म के बाद संसार में उसके आने के आनन्द में वह अपनी पीड़ा भूल जाती है. 22 इसी प्रकार अभी तुम भी शोकित हो किन्तु मैं तुमसे दोबारा मिलूँगा, जिससे तुम्हारा हृदय आनन्दित होगा कोई तुमसे तुम्हारा आनन्द छीन न लेगा. 23 उस दिन तुम मुझसे कोई प्रश्न न करोगे. मैं तुम पर यह अटल सच्चाई प्रकट कर रहा हूँ: यदि तुम पिता से कुछ भी माँगोगे, वह तुम्हें मेरे नाम में दे देंगे. 24 अब तक तुमने मेरे नाम में पिता से कुछ भी नहीं मांगा; माँगो और तुम्हें अवश्य प्राप्त होगा कि तुम्हारा आनन्द पूरा हो जाए.
25 “इस समय मैंने ये सब बातें तुम्हें कहावतों में बतायी है किन्तु समय आ रहा है, जब मैं पिता के विषय में कहावतों में नहीं परन्तु साफ़ शब्दों में बताऊँगा. 26 उस दिन तुम स्वयं मेरे नाम में पिता से माँगोगे. मैं यह नहीं कह रहा कि मुझे ही तुम्हारी ओर से पिता से विनती करनी पड़ेगी. 27 पिता स्वयं तुमसे प्रेम करते हैं क्योंकि तुमने मुझसे प्रेम किया और यह विश्वास किया है कि मैं पिता का भेजा हुआ हूँ. 28 हाँ, मैं—पिता का भेजा हुआ—संसार में आया हूँ और अब संसार को छोड़ रहा हूँ कि पिता के पास लौट जाऊँ.”
29 तब शिष्य कह उठे, “हाँ, अब आप कहावतों में नहीं, साफ़ शब्दों में समझा रहे हैं. 30 अब हम समझ गए हैं कि आप सब कुछ जानते हैं और अब किसी को आप से कोई प्रश्न करने की ज़रूरत नहीं. इसीलिए हम विश्वास करते हैं कि आप परमेश्वर की ओर से आए हैं.”
31 मसीह येशु ने उनसे कहा, “तुम्हें अब विश्वास हो रहा है!” 32 देखो, समय आ रहा है परन्तु आ चुका है, जब तुम तितर-बितर हो अपने आप में व्यस्त हो जाओगे और मुझे अकेला छोड़ दोगे; किन्तु मैं अकेला नहीं हूँ, मेरे पिता मेरे साथ हैं.
33 “मैंने तुमसे ये सब इसलिए कहा है कि तुम्हें मुझमें शान्ति प्राप्त हो. संसार में तुम्हारे लिए क्लेश ही क्लेश है किन्तु आनन्दित हो कि मैंने संसार पर विजय प्राप्त की है.”
पारिवारिक नैतिकता के विषय में निर्देश
6 हे बालकों, प्रभु में अपने माता-पिता का आज्ञापालन करें क्योंकि उचित यही है. 2 अपने माता-पिता का सम्मान करो—आज्ञाओं में से यह ऐसा पहिली आज्ञा है जिसके साथ प्रतिज्ञा जुड़ी है 3 तुम्हारा भला हो और तुम पृथ्वी पर बहुत दिन तक जीवित रहो. 4 तुम में जो पिता हैं, अपनी सन्तान को रिस न दिलाएं परन्तु प्रभु की शिक्षा व अनुशासन में उनका पालन-पोषण करें.
5 जो दास हैं, अपने सांसारिक स्वामियों का आज्ञापालन सच्चाई से व एकचित्त होकर ऐसे करें मानो मसीह का. 6 यह सब दिखावे मात्र व उन्हें प्रसन्न करने के उद्धेश्य मात्र से नहीं परन्तु मसीह के दास के रूप में हृदय से परमेश्वर की इच्छा की पूर्ति करते हुए हो. 7 सच्चे हृदय से स्वामियों की सेवा इस प्रकार करते रहो मानो मनुष्य मात्र की नहीं परन्तु प्रभु की सेवा कर रहे हो 8 यह जानते हुए कि हर एक मनुष्य चाहे वह दास हो या स्वतन्त्र, अपने अच्छे कामों का प्रतिफल प्रभु से प्राप्त करेगा.
9 जो स्वामी हैं, वे भी दासों के साथ ऐसा ही व्यवहार करें और उन्हें डराना-धमकाना छोड़ दें, यह ध्यान रखते हुए कि तुम्हारे व दासों दोनों ही के स्वामी स्वर्ग में हैं, जिनके स्वभाव में किसी भी प्रकार का भेद-भाव नहीं है.
परमेश्वर के अस्त्र-शस्त्र धारण करना
10 इसलिए, प्रभु व उनके अपार सामर्थ्य में बलवन्त बनो. 11 परमेश्वर के सभी अस्त्र-शस्त्रों से स्वयं को सुसज्जित कर लो कि तुम शैतान के छल-बल के प्रतिरोध में खड़े रह सको. 12 हमारा मल्ल-युद्ध सिर्फ मनुष्यों से नहीं, परन्तु प्रधानों, अधिकारियों, अन्धकार की सांसारिक शक्तियों और आकाशमण्डल में दुष्टता की आत्मिक सेनाओं से है. 13 इसलिए स्थिर खड़े रहने के लिए सभी ज़रूरतों को पूरी कर परमेश्वर के सभी अस्त्र-शस्त्रों से स्वयं को सुसज्जित कर लो कि तुम उस बुरे दिन में सामना कर सको. 14 इसलिए अपनी कमर सच से कस कर, धार्मिकता का कवच धारण कर स्थिर खड़े रहो. 15 पाँवों में शान्ति के ईश्वरीय सुसमाचार के प्रचार की तत्परता के जूते धारण कर लो. 16 इनके अलावा विश्वास की ढाल भी, कि तुम दुष्ट के सभी जलते हुए बाणों को बुझा सको. 17 तब उद्धार का टोप तथा आत्मा की तलवार—परमेश्वर का वचन—धारण कर लो 18 तथा आत्मा में हर समय विनती और प्रार्थना की जाती रहे. जागते हुए लगातार बिना थके प्रयास करना तुम्हारा लक्ष्य हो. सभी पवित्र लोगों के लिए निरन्तर प्रार्थना किया करो.
19 मेरे लिए भी प्रार्थना करो कि मेरा मुख खुलने पर मुझे ईश्वरीय सुसमाचार के भेद की साहस के साथ बोलने की क्षमता प्रदान की जाए, 20 जिस ईश्वरीय सुसमाचार के लिए मैं इन बेड़ियों में भी राजदूत हूँ कि मैं इनमें रहते हुए साहस के साथ बोल सकूँ—जैसा कि सही भी है.
व्यक्तिगत समाचार और आशीर्वचन
21 तुख़िकॉस, जो प्रभु में मेरा प्रिय भाई और एक विश्वासयोग्य सेवक है, तुम्हें मेरी सभी परिस्थितियों और गतिविधियों से अवगत करा देगा. 22 मैं उसे तुम्हारे पास इसी उद्धेश्य से भेज रहा हूँ कि तुम हमारी स्थिति से अवगत हो जाओ और वह तुम्हें प्रोत्साहित कर सके.
23 पिता परमेश्वर और प्रभु मसीह येशु की ओर से सभी विश्वासियों को शान्ति. विश्वास के साथ सप्रेम नमस्कार. 24 उन सभी पर अनुग्रह होता रहे, जो हमारे प्रभु मसीह येशु से कभी न खत्म होने वाला प्रेम करते हैं.
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