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M’Cheyne Bible Reading Plan

The classic M'Cheyne plan--read the Old Testament, New Testament, and Psalms or Gospels every day.
Duration: 365 days
Saral Hindi Bible (SHB)
Version
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लूकॉ 15

परमेश्वर की दयालुता के विषय में तीन दृष्टान्त

15 सभी चुँगी लेने वाले और पापी लोग मसीह येशु के प्रवचन सुनने उनके पास आए किन्तु फ़रीसी और शास्त्री बड़बड़ाने लगे, “यह व्यक्ति पापियों से मित्रता रखते हुए उनके साथ संगति करता है.”

इसलिए मसीह येशु ने उनके सामने यह दृष्टान्त प्रस्तुत किया: “तुम में से ऐसा कौन होगा, जिसके पास सौ भेड़ें हों और उनमें से एक खो जाए तो वह निन्यानबे को जंगल में छोड़ कर उस खोई हुई को तब तक खोजता न रहेगा, जब तक वह मिल न जाए? और जब वह उसे मिल जाती है, उसे आनन्दपूर्वक कन्धों पर लाद लेता है. घर लौटने पर वह अपने मित्रों और पड़ोसियों को इकट्ठा कर कहता है, ‘मेरे आनन्द में सम्मिलित हो जाओ क्योंकि मुझे मेरी खोई हुई भेड़ मिल गई है!’” “यह बात याद रखो: पश्चाताप करते हुए एक पापी के लिए उन निन्यानबे धर्मियों की तुलना में स्वर्ग में कहीं अधिक आनन्द मनाया जाता है, जिन्हें मन फिराने की ज़रूरत नहीं है.”

खोया हुआ सिक्का

“या कौन ऐसी स्त्री होगी, जिसके पास चांदी के दस सिक्के हों और उनमें से एक खो जाए तो वह घर में रोशनी कर घर को बुहारते हुए उस सिक्के को तब तक खोजती न रहेगी जब तक वह मिल नहीं जाता? सिक्का मिलने पर वह अपनी पड़ोसिनों और सहेलियों से कहती है, ‘मेरे आनन्द में शामिल हो जाओ क्योंकि मेरा खोया हुआ सिक्का मिल गया है.’

10 “मैं तुमसे कहता हूँ कि स्वर्ग में इसी प्रकार परमेश्वर के दूतों के सामने उस पापी के लिए आनन्द मनाया जाता है, जिसने मन फिराया है.”

खोया हुआ पुत्र

11 मसीह येशु ने आगे कहा, “किसी व्यक्ति के दो पुत्र थे. 12 छोटे पुत्र ने पिता से विनती की, ‘पिताजी, सम्पत्ति में से मेरा भाग मुझे दे दीजिए.’ इसलिए पिता ने दोनों पुत्रों में अपनी सम्पत्ति बांट दी.

13 “शीघ्र ही छोटे पुत्र ने अपने भाग में आई सारी सम्पत्ति ली और एक दूर देश की ओर चला गया. वहाँ उसने अपना सारा धन मनमानी जीवनशैली में उड़ा दिया. 14 और अब, जब उसका सब कुछ समाप्त हो गया था, सारे देश में भीषण अकाल पड़ा किन्तु उसके पास अब कुछ भी बाकी न रह गया था. 15 इसलिए वह उसी देश के एक नागरिक के यहाँ चला गया जिसने उसे अपने खेतों में सूअर चराने भेज दिया. 16 वह सूअरों के चारे से ही अपना पेट भरने के लिए तरस जाता था. कोई भी उसे खाने के लिए कुछ नहीं देता था.

17 “अपनी परिस्थिति के बारे में होश में आने पर वह विचार करने लगा: ‘मेरे पिता के कितने ही सेवकों को अधिक मात्रा में भोजन उपलब्ध है और यहाँ मैं भूखा मर रहा हूँ! 18 मैं लौट कर अपने पिता के पास जाऊँगा और उनसे कहूँगा: पिताजी! मैंने वह, जो स्वर्ग में हैं, उनके विरुद्ध तथा आपके विरुद्ध पाप किया है. 19 इसके बाद मैं इस योग्य नहीं रह गया कि आपका पुत्र कहलाऊँ. अब आप मुझे अपने यहाँ मज़दूर ही रख लीजिए’. 20 इसलिए वह अपने पिता के पास लौट गया.

“वह दूर ही था कि पिता ने उसे देख लिया और वह दया से भर गया. वह दौड़ कर अपने पुत्र के पास गया और उसे गले लगा कर चूमता रहा.

21 “पुत्र ने पिता से कहा, ‘पिताजी! मैंने परमेश्वर के विरुद्ध तथा आपके प्रति पाप किया है, मैं अब इस योग्य नहीं रहा कि मैं आपका पुत्र कहलाऊँ.’

22 “किन्तु पिता ने अपने सेवकों को आज्ञा दी, ‘बिना देर किए सबसे अच्छे वस्त्र ला कर इसे पहनाओ और इसकी उँगली में अंगूठी और पाँवों में जूतियाँ भी पहनाओ; 23 जा कर एक सबसे अच्छे बछड़े से भोजन तैयार करो. चलो, हम सब आनन्द मनाएँ 24 क्योंकि मेरा यह पुत्र मर गया था, अब जीवित हो गया है; यह खो गया था किन्तु अब मिल गया है.’ इसलिए वे सभी आनन्द से भर गए.

25 “उस समय बड़ा बेटा अपने खेतों में काम कर रहा था. जब वह लौट कर घर आ रहा था, पास आने पर उसे संगीत और नाचने की आवाज़ सुनाई दी. 26 उसने एक सेवक को बुला कर उससे पूछा, ‘यह सब क्या हो रहा है?’ 27 ‘आपका भाई लौट आया है,’ उस सेवक ने उत्तर दिया, ‘और आपके पिता ने सबसे अच्छा बछड़ा ले कर भोज तैयार करवाया है क्योंकि उनका पुत्र उन्हें सकुशल और सुरक्षित मिल गया है.’

28 “गुस्से में बड़े भाई ने घर के भीतर तक जाना न चाहा. इसलिए उसके पिता ने ही बाहर आ कर उससे विनती की. 29 उसने अपने पिता को उत्तर दिया, ‘देखिए, इन सभी वर्षों में मैं दास जैसे आपकी सेवा करता रहा हूँ और कभी भी आपकी आज्ञा नहीं टाली फिर भी आपने कभी मुझे एक मेमना तक न दिया कि मैं अपने मित्रों के साथ मिल कर आनन्द मना सकूँ. 30 किन्तु जब आपका यह पुत्र, जिसने आपकी सम्पत्ति वेश्याओं पर उड़ा दी, घर लौट आया, तो आपने उसके लिए सबसे अच्छे बछड़े का भोजन बनवाया है!’

31 “‘मेरे पुत्र!’ पिता ने कहा, ‘तुम तो सदा से ही मेरे साथ हो. वह सब, जो मेरा है, तुम्हारा ही है. 32 हमारे लिए आनन्द मनाना और हर्षित होना सही ही है क्योंकि तुम्हारा यह भाई, जो मर गया था, अब जीवित हो गया है; वह, जो खो गया था, अब मिल गया है.’”

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1 कोरिन्थॉस 16

सहायता के लिए धनराशि सम्बन्धी निर्देश

16 अब पवित्र लोगों की सहायता के लिए धनराशि के सम्बन्ध में: इस विषय में मैंने, जो आज्ञा गलातिया प्रदेश की कलीसियाओं को दी थी, उन्हीं आज्ञाओं का पालन तुम भी करो. सप्ताह के पहिले दिन तुममें से हर एक अपनी आय के अनुसार कुछ धनराशि अलग रख छोड़े कि मेरे वहाँ आने पर तुम्हें धन इकट्ठा न करना पड़े. जब मैं वहाँ आऊँगा तुम्हारे द्वारा चुने गए व्यक्तियों को पत्रों के साथ भेज दूँगा कि वे इकट्ठा राशि को येरूशालेम पहुँचा दें. यदि मेरा जाना भी सही हुआ तो वे मेरे साथ जा सकेंगे.

व्यक्तिगत विनती

में मकेदोनिया यात्रा के बाद तुम्हारे पास आऊँगा क्योंकि मैं मकेदोनिया यात्रा की योजना बना रहा हूँ. सम्भवत: मैं आकर तुम्हारे साथ कुछ समय व्यतीत करूँ या पूरी शीत ऋतु ही कि तुम मुझे मेरे आगे के सफर की ओर, मैं जहाँ कहीं जाऊँ, विदा कर सको. मैं नहीं चाहता कि तुमसे केवल चलते-चलते मिलूँ परन्तु मेरी आशा है कि यदि परमेश्वर चाहें तो मैं तुम्हारे साथ कुछ समय व्यतीत करूँ. मैं पेन्तेकॉस्त पर्व तक इफ़ेसॉस नगर में ही रहूँगा क्योंकि मेरे लिए वहाँ उपयोगी सेवा का द्वार खुला है. इसके अतिरिक्त वहाँ मेरे अनेक विरोधी भी हैं.

10 जब तिमोथियॉस वहाँ आए तो यह सुनिश्चित करना कि वह तुम्हारे साथ निश्चिन्त रहे क्योंकि मेरे समान वह भी प्रभु के काम में जुड़ा है. 11 ध्यान रहे कि कोई उसे तुच्छ न समझे. उसे सकुशल विदा करना कि वह मेरे पास लौट आए. मैं अन्य भाइयों के साथ उसकी प्रतीक्षा में हूँ.

12 अब हमारे भाई अपोल्लॉस के सम्बन्ध में: मैंने उनसे बार-बार विनती की कि वह अन्य भाइयों के साथ तुम्हारे पास आएँ किन्तु वह इस समय यात्रा के लिए तैयार नहीं किन्तु सही अवसर प्राप्त होते ही वह वहाँ आएंगे.

13 जागते रहो, विश्वास में स्थिर रहो, निड़र बनो, निश्चय करो 14 तथा हर एक काम प्रेमभाव में ही करो.

15 स्तेफ़ानॉस के कुटुम्बियों के विषय में तो तुम्हें मालूम ही है कि वे आख़ेया प्रदेश के पहिले फल हैं. उन्होंने स्वयं को पवित्र लोगों की सेवा के लिए समर्पित किया हुआ है. इसलिए प्रियजन, मेरी तुमसे विनती है 16 कि तुम उनका तथा ऐसे व्यक्तियों का नेतृत्व स्वीकार करो, जो मेरे काम में सहायक तथा परिश्रम करते हैं. 17 स्तेफ़ानॉस, फ़ॉरतुनातॉस तथा अखियाकॉस का यहाँ आना मेरे लिए आनन्द का विषय है. उनके कारण तुम्हारी ओर से जो कमी थी, वह पूरी हो गई. 18 उनके कारण मेरे और तुम्हारे मन में नई ताज़गी का संचार हुआ है. ऐसे व्यक्तियों को मान्यता अवश्य दी जाए.

अभिनन्दन व आशीर्वचन

19 आसिया प्रदेश की कलीसियाओं का तुम्हें नमस्कार, अकुलॉस और प्रिस्का तथा उस कलीसिया की ओर से, जो उनके घर पर आराधना के लिए इकट्ठा होती है, प्रभु में तुम्हें बहुत-बहुत नमस्कार. 20 यहाँ सभी प्रियों की ओर से तुम्हें नमस्कार. पवित्र चुम्बन के साथ एक दूसरे का नमस्कार करो.

21 मैं, पौलॉस तुम्हें अपने हाथ से यह नमस्कार लिख रहा हूँ.

22 जो कोई प्रभु से प्रेम नहीं करता, वह शापित हो. हे हमारे प्रभु आ!

23 तुम पर प्रभु मसीह येशु का अनुग्रह हो.

24 मसीह येशु में मेरा प्रेम तुम पर हमेशा रहे, आमेन.

Saral Hindi Bible (SHB)

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