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M’Cheyne Bible Reading Plan

The classic M'Cheyne plan--read the Old Testament, New Testament, and Psalms or Gospels every day.
Duration: 365 days
Saral Hindi Bible (SHB)
Version
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योहन 10

आदर्श चरवाहे का रूपक

10 “मैं तुम पर यह अटल सच्चाई प्रकट कर रहा हूँ. वह, जो भेड़शाला में द्वार से प्रवेश नहीं करता परन्तु बाड़ा फाँद कर घुसता है, चोर और लुटेरा है, परन्तु जो द्वार से प्रवेश करता है, वह भेड़ों का चरवाहा है. उसके लिए द्वारपाल द्वार खोल देता है, भेड़ें उसकी आवाज़ सुनती हैं. वह अपनी भेड़ों को नाम ले कर बुलाता और उन्हें बाहर ले जाता है. अपनी सब भेड़ों को बाहर निकाल लेने के बाद वह उनके आगे-आगे चलता है और भेड़ें उसके पीछे-पीछे क्योंकि वे उसकी आवाज़ पहचानती हैं. वे किसी अनजान के पीछे कभी नहीं चलेंगी परन्तु उससे भागेंगी क्योंकि वे उस अनजान की आवाज़ नहीं पहचानतीं.” मसीह येशु के इस दृष्टांत का मतलब सुननेवाले नहीं समझे कि वह उनसे कहना क्या चाह रहे थे.

इसलिए मसीह येशु ने दोबारा कहा, “मैं तुम पर यह अटल सच्चाई प्रकट कर रहा हूँ: मैं ही भेड़ों का द्वार हूँ. वे सभी, जो मुझसे पहले आए, चोर और लुटेरे थे. भेड़ों ने उनकी नहीं सुनी. मैं ही द्वार हूँ. यदि कोई मुझसे हो कर प्रवेश करता है तो उद्धार प्राप्त करेगा. वह भीतर-बाहर आया-जाया करेगा और चारा पाएगा. 10 चोर किसी अन्य उद्धेश्य से नहीं, मात्र चुराने, हत्या करने और नाश करने आता है; मैं इसलिए आया कि वे जीवन पाएँ और बहुतायत का जीवन पाएँ.

11 “मैं ही आदर्श चरवाहा हूँ. आदर्श चरवाहा अपनी भेड़ों के लिए अपने प्राण दे देता है. 12 मज़दूर, जो न तो चरवाहा है और न भेड़ों का स्वामी, भेड़िये को आते देख भेड़ों को छोड़ कर भाग जाता है. भेड़िया उन्हें पकड़ता है और वे तितर-बितर हो जाती हैं. 13 इसलिए कि वह मज़दूर है, उसे भेड़ों की कोई चिन्ता नहीं है.

14 “मैं ही आदर्श चरवाहा हूँ. मैं अपनों को जानता हूँ और मेरे अपने मुझे; 15 ठीक जिस प्रकार पिता परमेश्वर मुझे जानते हैं, और मैं उन्हें. भेड़ों के लिए मैं अपने प्राण भेंट कर देता हूँ. 16 मेरी और भी भेड़ें हैं, जो अब तक इस भेड़शाला में नहीं हैं. मुझे उन्हें भी लाना है. वे मेरी आवाज़ सुनेंगी; तब एक ही झुण्ड़ और एक ही चरवाहा होगा. 17 परमेश्वर मुझसे प्रेम इसीलिए करते हैं कि मैं अपने प्राण भेंट कर देता हूँ—कि उन्हें दोबारा प्राप्त करूँ. 18 कोई भी मुझसे मेरे प्राण छीन नहीं रहा—मैं अपने प्राण अपनी इच्छा से भेंट कर रहा हूँ. मुझे अपने प्राण भेंट करने और उसे दोबारा प्राप्त करने का अधिकार है, जो मुझे अपने पिता की ओर से प्राप्त हुआ है.”

19 मसीह येशु के इस वक्तव्य के कारण यहूदियों में दोबारा मतभेद उत्पन्न हो गया. 20 उनमें से कुछ ने कहा, “यह दुष्टात्मा से पीड़ित है या निपट सिरफिरा. क्यों सुनते हो तुम उसकी?” 21 कुछ अन्य लोगों ने कहा, “ये शब्द दुष्टात्मा से पीड़ित व्यक्ति के नहीं हो सकते; क्या कोई दुष्टात्मा अन्धों को आँखों की रोशनी दे सकता है?”

कुपित यहूदी अगुवों द्वारा पूछताछ

22 शीत ऋतु थी और येरूशालेम में समर्पण-पर्व मनाया जा रहा था. 23 मसीह येशु मन्दिर परिसर में शलोमोन के द्वारा बनाए हुए आँगन में टहल रहे थे. 24 यहूदियों ने उन्हें घेर लिया और जानना चाहा, “तुम हमें कब तक दुविधा में डाले रहोगे? यदि तुम ही मसीह हो तो हमें स्पष्ट बता दो.” 25 मसीह येशु ने उत्तर दिया, “मैंने तो आपको बता दिया है किन्तु आप ही विश्वास नहीं करते. सभी काम, जो मैं अपने पिता के नाम में करता हूँ, वे ही मेरे गवाह हैं. 26 आप विश्वास नहीं करते क्योंकि आप मेरी भेड़ें नहीं हैं. 27 मेरी भेड़ें मेरी आवाज़ सुनती हैं. मैं उन्हें जानता हूँ और वे मेरे पीछे-पीछे चलती हैं. 28 मैं उन्हें अनन्त काल का जीवन देता हूँ. वे कभी नाश न होंगी और कोई भी उन्हें मेरे हाथ से छीन नहीं सकता. 29 मेरे पिता, जिन्होंने उन्हें मुझे सौंपा है, सबसे बड़ा हैं और कोई भी इन्हें पिता के हाथ से छीन नहीं सकता. 30 मैं और पिता एक तत्व हैं.”

31 तब यहूदियों ने दोबारा उनका पथराव करने के लिए पत्थर उठा लिए. 32 मसीह येशु ने उनसे प्रश्न किया, “मैंने अपने पिता की ओर से तुम्हारे सामने अनेक भले काम किए. उनमें से किस काम के लिए तुम मेरा पथराव करना चाहते हो?”

33 यहूदियों ने उत्तर दिया, “भले काम के कारण नहीं, परन्तु परमेश्वर-निन्दा के कारण: तुम मनुष्य होते हुए स्वयं को परमेश्वर घोषित करते हो!” 34 मसीह येशु ने उनसे पूछा, “क्या तुम्हारे व्यवस्था में यह नहीं लिखा: मैंने कहा कि तुम ईश्वर हो? 35 जिन्हें परमेश्वर का सन्देश दिया गया था, उन्हें ईश्वर कह कर सम्बोधित किया गया—और पवित्रशास्त्र का लेख टल नहीं सकता, 36 तो जिसे परमेश्वर ने विशेष उद्धेश्य पूरा करने के लिए अलग कर संसार में भेज दिया है, उसके विषय में आप यह घोषणा कर रहे हैं: ‘तुम परमेश्वर-निन्दा कर रहे हो!’ क्या मात्र इसलिए कि मैंने यह दावा किया है, ‘मैं परमेश्वर-पुत्र हूँ’? 37 मत करो मुझमें विश्वास यदि मैं अपने पिता के काम नहीं कर रहा. 38 परन्तु यदि मैं ये काम कर ही रहा हूँ, तो भले ही तुम मुझमें विश्वास न करो, इन कामों में तो विश्वास करो कि तुम जान जाओ और समझ लो कि पिता परमेश्वर मुझ में हैं और मैं पिता परमेश्वर में.” 39 इस पर उन्होंने दोबारा मसीह येशु को बन्दी बनाने का प्रयास किया किन्तु वह उनके हाथ से बच कर निकल गए.

यरदन पार मसीह येशु की सेवा

40 इसके बाद मसीह येशु यरदन नदी के पार दोबारा उस स्थान को चले गए, जहाँ पहले योहन बपतिस्मा देते थे और वह वहीं ठहरे रहे. 41 वहाँ अनेक लोग उनके पास आने लगे. वे कह रहे थे, “यद्यपि योहन ने कोई अद्भुत चिह्न नहीं दिखाया, फिर भी जो कुछ उन्होंने इनके विषय में कहा था, वह सब सच है.” 42 वहाँ अनेक लोगों ने मसीह येशु में विश्वास किया.

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गलातिया 6

कृपालुता तथा सतत-प्रयास-प्रवृत्ति सम्बन्धी निर्देश

प्रियजन, यदि तुम्हें यह मालूम हो कि किसी व्यक्ति ने कोई अपराध किया है, तो तुम, जो आत्मिक हो, उसे नम्रतापूर्वक सुधारो किन्तु तुम स्वयं सावधान रहो कि कहीं तुम भी परीक्षा में न पड़ जाओ. एक दूसरे का बोझ उठाया करो. इसके द्वारा तुम मसीह की व्यवस्था को पूरा करोगे. यदि कोई व्यक्ति कुछ न होने पर भी स्वयं को पहुँचा हुआ समझता है तो वह स्वयं को धोखा देता है. हर एक व्यक्ति अपने कामों की जांच स्वयं करे, तब उसके सामने किसी और पर नहीं, खुद अपने पर घमण्ड़ करने का कारण होगा क्योंकि हर एक व्यक्ति अपना बोझ स्वयं ही उठाएगा.

जिसे वचन की शिक्षा दी जा रही है, वह हर एक उत्तम वस्तु में अपने शिक्षक को सम्मिलित करे.

किसी भ्रम में न रहना, परमेश्वर मज़ाक के विषय नहीं हैं क्योंकि मनुष्य जो कुछ बोता है, वही काटता है. वह, जो अपने शरीर के लिए बोता है, शरीर के द्वारा विनाश की उपज काटेगा, किन्तु वह, जो पवित्रात्मा के लिए बोता है, पवित्रात्मा के द्वारा अनन्त जीवन प्राप्त करेगा. हम भलाई के काम करने में साहस न छोड़ें क्योंकि यदि हम ढ़ीले न हो जाएँ तो हम निर्धारित समय पर उपज अवश्य काटेंगे. 10 जब तक हमारे सामने सुअवसर है, हम सभी का भला करते रहें, विशेषकर विश्वासी परिवार के सदस्यों का.

उपसंहार

11 ध्यान दो कि कैसे बड़े आकार के अक्षरों में मैंने तुम्हें अपने हाथों से यह लिखा है!

12 जितने भी लोग तुम पर उत्तम प्रभाव डालने के लक्ष्य से तुम्हें ख़तना के लिए मजबूर करते हैं, वे यह सिर्फ इसलिए करते हैं कि वे मसीह येशु के क्रूस के कारण सताए न जाएं. 13 वे, जो ख़तनित हैं, स्वयं तो व्यवस्था का पालन नहीं करते किन्तु वे यह चाहते अवश्य हैं कि तुम्हारा ख़तना हो जिससे यह उनके लिए घमण्ड़ करने का विषय बन जाए. 14 ऐसा कभी न हो कि मैं हमारे प्रभु मसीह येशु के क्रूस के अलावा और किसी भी विषय पर घमण्ड़ करूँ. इन्हीं मसीह के कारण संसार मेरे लिए क्रूस पर चढ़ाया जा चुका है और मैं संसार के लिए. 15 महत्व न तो ख़तना का है और न खतनाविहीनता का. महत्व है तो सिर्फ नई सृष्टि का. 16 वे सभी, जो इस सिद्धान्त का पालन करते हैं, उनमें तथा परमेश्वर के इस्राएल में शान्ति व कृपा व्याप्त हो.

17 अन्त में, अब कोई मुझे किसी प्रकार की पीड़ा न पहुंचाए क्योंकि मेरे शरीर पर मसीह येशु के घाव के चिन्ह हैं.

18 प्रियजन, हमारे प्रभु मसीह येशु का अनुग्रह तुम पर बना रहे. आमेन!

Saral Hindi Bible (SHB)

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