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M’Cheyne Bible Reading Plan

The classic M'Cheyne plan--read the Old Testament, New Testament, and Psalms or Gospels every day.
Duration: 365 days
Saral Hindi Bible (SHB)
Version
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मत्तियाह 8

कोढ़ के रोगी की शुद्धि

(मारक 1:40-45; लूकॉ 5:12-16)

जब येशु पर्वत से उतर कर आए तब बड़ी भीड़ उनके पीछे-पीछे चलने लगी. एक कोढ़ के रोगी ने उनके सामने झुक कर उनसे विनती कर के कहा, “प्रभु, यदि आप चाहें तो मुझे शुद्ध कर सकते हैं.”

येशु ने हाथ बढ़ा कर उसे स्पर्श करते हुए कहा, “मैं चाहता हूँ. शुद्ध हो जाओ.” वह उसी क्षण कोढ़ रोग से शुद्ध हो गया. येशु ने उसे आज्ञा दी, “यह ध्यान रहे कि तुम इसके विषय में किसी को न बताओ. अब जा कर याजक के सामने स्वयं को परीक्षण के लिए प्रस्तुत करो, और मोशेह द्वारा निर्धारित बलि भेंट करो कि तुम्हारा स्वास्थ्य-लाभ उनके सामने गवाही हो जाए.”

रोमी अधिकारी का विश्वास

(लूकॉ 7:1-10)

जब येशु ने कफ़रनहूम नगर में प्रवेश किया, तब एक सेनापति ने आ कर उनसे नम्रतापूर्वक निवेदन किया, “प्रभु, घर पर मेरा सेवक लकवा रोग से पीड़ित है और वह घोर पीड़ा में है.”

येशु ने उसे आश्वासन दिया, “मैं आ कर उसे चंगा करूँगा.”

किन्तु सेनापति ने कहा, “नहीं प्रभु, नहीं, मैं इस योग्य नहीं कि आप मेरे घर आएँ. आप केवल मुँह से कह दीजिए और मेरा सेवक स्वस्थ हो जाएगा. मैं स्वयं किसी के अधीन व्यक्ति हूँ और मेरे अधीन एक सैनिक टुकड़ी है. मैं एक को जाने की आज्ञा देता हूँ तो वह जाता है और दूसरे को आने की, वह आता है. मैं अपने दास को आज्ञा देता हूँ ‘यह करो’ और वह ऐसा ही करता है.”

10 यह सुन कर येशु आश्चर्यचकित रह गए. उन्होंने पीछे आ रही भीड़ से कहा, “यह एक सच है कि मैंने इस्राएल राष्ट्र में भी किसी में ऐसा विश्वास नहीं देखा. 11 मैं तुम्हें सूचित करना चाहता हूँ कि स्वर्ग-राज्य में अब्राहाम, इसहाक और याक़ोब के साथ भोज में शामिल होने के लिए पूर्व और पश्चिम दिशाओं से अनेकानेक आ कर संगति करेंगे 12 किन्तु राज्य के वारिस बाहर अन्धकार में फेंक दिए जाएँगे. वह स्थान ऐसा होगा जहाँ रोना और दाँत पीसना होता रहेगा.”

13 तब येशु ने सेनापति से कहा, “जाओ, तुम्हारे लिए वैसा ही होगा जैसा तुम्हारा विश्वास है.” उसी क्षण वह सेवक चंगा हो गया.

पेतरॉस की सास की चंगाई

(मारक 1:29-34; लूकॉ 4:38-41)

14 जब येशु पेतरॉस के घर पर आए, उन्होंने उनकी सास को बुखार से पीड़ित पाया. 15 उन्होंने उनके हाथ का स्पर्श किया और वह बुखार से मुक्त हो गईं और उठ कर उन सबकी सेवा करने में जुट गईं.

16 जब सन्ध्या हुई तब लोग प्रेतात्मा से पीड़ित लोगों को उनके पास लाने लगे और येशु अपने वचन मात्र से उन्हें प्रेत मुक्त करते गए, साथ ही रोगियों को स्वस्थ. 17 यह भविष्यद्वक्ता यशायाह द्वारा की गई इस भविष्यवाणी की पूर्ति थी:

“उन्होंने स्वयं हमारी दुर्बलताओं को
    अपने ऊपर ले लिया तथा हमारे रोगों को उठा लिया.”

प्रेरिताई की बुलाहट पर अनुसरण की कठिनाई

(लूकॉ 9:51-62)

18 अपने आसपास भीड़ को देख येशु ने शिष्यों को झील की दूसरी ओर जाने की आज्ञा दी. 19 उसी समय एक शास्त्री ने आ कर येशु से विनती की, “गुरुवर, आप जहाँ भी जाएँ, मैं आपके साथ चलूँगा.”

20 येशु ने उसके उत्तर में कहा, “लोमड़ियों के पास उनकी गुफाएं तथा पक्षियों के पास उनके बसेरे होते हैं किन्तु मनुष्य के पुत्र के पास तो सिर रखने तक का स्थान नहीं है!”

21 एक अन्य शिष्य ने उनसे विनती की, “प्रभु, मुझे अपने पिता का अन्तिम संस्कार तक परिचर्या करने की अनुमति दे दीजिए.”[a]

22 किन्तु येशु ने उससे कहा, “मृत अपने मरे हुओं का प्रबन्ध कर लेंगे,[b] तुम मेरे पीछे हो लो.”

बवण्डर का शमन

(मारक 4:35-41; लूकॉ 8:22-25)

23 जब उन्होंने नाव में प्रवेश किया उनके शिष्य भी उनके साथ हो लिए. 24 अचानक झील में ऐसा प्रचण्ड बवण्डर उठा कि लहरों ने नाव को ढ़ांक लिया किन्तु येशु इस समय सो रहे थे. 25 इस पर शिष्यों ने येशु के पास जा कर उन्हें जगाते हुए कहा, “प्रभु, हमारी रक्षा कीजिए, हम नाश हुए जा रहे हैं!”

26 येशु ने उनसे कहा, “क्यों डर रहे हो, अल्पविश्वासियो!” वह उठे और उन्होंने बवण्डर और झील को डाँटा और उसी क्षण ही पूरी शान्ति छा गई.

27 शिष्य हैरान रह गए और विचार करने लगे, “ये किस प्रकार के व्यक्ति हैं कि बवण्डर और झील तक इनकी आज्ञा का पालन करते हैं!”

प्रेतों को सूअरों के झुण्ड में भेजना

(मारक 5:1-20; लूकॉ 8:26-39)

28 झील पार कर वे गदारा नामक अंचल (प्रदेश) में आए. वहाँ क़ब्रों की गुफाओं से निकल कर दो प्रेतात्मा से पीड़ित व्यक्ति उनके सामने आ गए. वे दोनों इतने अधिक हिंसक थे कि कोई भी उस ओर से निकल नहीं पाता था. 29 येशु को देख वे दोनों चिल्ला-चिल्ला कर कहने लगे, “परमेश्वर-पुत्र, आपका हमसे क्या लेना-देना? क्या आप समय से पहले ही हमें दुःख देने आ पहुँचे हैं?”

30 वहाँ कुछ दूर सूअरों का एक झुण्ड चर रहा था. 31 प्रेत येशु से विनती करने लगे, “यदि आप हमें बाहर निकाल ही रहे हैं तो हमें इन सूअरों के झुण्ड में भेज दीजिए.”

32 येशु ने उन्हें आज्ञा दी, “जाओ!” वे निकल कर सूअरों में प्रवेश कर गए और पूरा झुण्ड ढलान पर सरपट भागता हुआ झील में जा गिरा और डूब गया. 33 रखवाले भागे और नगर में जा कर घटना का सारा हाल कह सुनाया; साथ ही यह भी कि उन प्रेतात्मा से पीड़ित व्यक्तियों के साथ क्या-क्या हुआ. 34 सभी नागरिक नगर से निकल कर येशु के पास आने लगे. जब उन्होंने येशु को देखा तो उनसे विनती करने लगे कि वह उस क्षेत्र की सीमा से बाहर चले जाएँ.

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प्रेरित 8

स्तेफ़ानॉस की हत्या में पूरी तरह शाऊल सहमत था.

कलीसिया की सताहट और बिखराव

उसी दिन से येरूशालेम नगर की कलीसियाओं पर घोर सताहट शुरु हो गयी, जिसके फलस्वरूप प्रेरितों के अलावा सभी शिष्य यहूदिया तथा शोमरोन के क्षेत्रों में बिखर गए. कुछ श्रद्धालु व्यक्तियों ने स्तेफ़ानॉस के शव की अंत्येष्टि की तथा उनके लिए गहरा शोक मनाया. शाऊल कलीसिया को सता रहा था; वह घरों में घुस, स्त्री-पुरुषों को घसीट कर कारागार में डाल रहा था.

दीकन फ़िलिप्पॉस शोमरोन नगर में

वे, जो यहाँ-वहाँ बिखर गए थे, शुभसन्देश सुनाने लगे. फ़िलिप्पॉस शोमरोन के एक नगर में जाकर मसीह के विषय में शिक्षा देने लगे. फ़िलिप्पॉस के अद्भुत चिह्नों को देख भीड़ एक मन होकर उनके प्रवचन सुनने लगी. अनेक दुष्टात्माओं के सताए हुओं में से प्रेत ऊँचे शब्द में चिल्लाते हुए बाहर आ रहे थे. अनेक अपंग और लकवे के पीड़ित भी स्वस्थ हो रहे थे. नगर में आनन्द की लहर दौड़ गई थी.

शिमोन टोनहा

उसी नगर में शिमोन नामक एक व्यक्ति था, जिसने शोमरोन राष्ट्र को जादू-टोने के द्वारा चकित कर रखा था. वह अपनी महानता का दावा करता था. 10 छोटे-बड़े सभी ने यह कहकर उसका लोहा मान रखा था: “यही है वह, जिसे परमेश्वर की महाशक्ति कहा जाता है.” 11 उसके इन चमत्कारों से सभी अत्यन्त प्रभावित थे क्योंकि उसने उन्हें बहुत दिनों से अपनी जादूई विद्या से चकित किया हुआ था. 12 किन्तु जब लोगों ने परमेश्वर के राज्य और मसीह येशु के नाम के विषय में फ़िलिप्पॉस का सन्देश सुन कर विश्वास किया, स्त्री और पुरुष दोनों ही ने बपतिस्मा लिया. 13 स्वयं शिमोन ने भी विश्वास किया, बपतिस्मा लिया और फ़िलिप्पॉस का शिष्य बन गया. वह अद्भुत चिह्न और सामर्थ्य से भरे महान कामों को देख कर हैरान था.

14 जब येरूशालेम नगर में प्रेरितों को यह मालूम हुआ कि शोमरोन नगर ने परमेश्वर के वचन को स्वीकार कर लिया है, उन्होंने पेतरॉस तथा योहन को वहाँ भेज दिया. 15 वहाँ पहुँच कर उन्होंने उनके लिए प्रार्थना की कि वे पवित्रात्मा प्राप्त करें 16 क्योंकि वहाँ अब तक किसी पर भी पवित्रात्मा नहीं उतरा था. उन्होंने प्रभु येशु के नाम में बपतिस्मा मात्र ही लिया था. 17 तब प्रेरितों ने उन पर हाथ रखे और उन्होंने पवित्रात्मा प्राप्त किया.

18 जब शिमोन ने यह देखा कि प्रेरितों के मात्र हाथ रखने से पवित्रात्मा प्राप्ति सम्भव है, उसने प्रेरितों को यह कहते हुए धन देना चाहा, 19 “मुझे भी यह अधिकार प्रदान कर दीजिए कि मैं जिस किसी पर हाथ रखूँ उसे पवित्रात्मा प्राप्त हो जाए.”

20 किन्तु पेतरॉस ने उससे कहा, “सर्वनाश हो तेरा और तेरे धन का! क्योंकि तूने परमेश्वर का वरदान धन से प्राप्त करना चाहा. 21 इस सेवा में तेरा न कोई भाग है न कोई हिस्सेदारी, क्योंकि तेरा हृदय परमेश्वर के सामने सच्चा नहीं है. 22 इसलिए सही यह होगा कि तू अपनी दुर्वृत्ति से पश्चाताप करे और प्रार्थना करे कि यदि सम्भव हो तो प्रभु तेरी इस बुराई को क्षमा करें, 23 क्योंकि मुझे यह स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि तू कड़वाहट से भरा हुआ और पूरी तरह पाप में जकड़ा हुआ है.”

24 यह सुन टोनहे शिमोन ने उनसे विनती की “आप ही प्रभु से मेरे लिए प्रार्थना कीजिए कि आपने जो कुछ कहा है, उसमें से कुछ भी मुझ पर असर न करने पाए.”

25 पेतरॉस तथा योहन परमेश्वर के वचन की शिक्षा और गवाही देते हुए येरूशालेम लौट गए. वे शोमरोन क्षेत्र के अनेक गाँवों में ईश्वरीय सुसमाचार सुनाते गए.

दीकन फ़िलिप्पॉस द्वारा वित्तमंत्री का बपतिस्मा

26 प्रभु के एक स्वर्गदूत ने फ़िलिप्पॉस से कहा, “उठो, दक्षिण दिशा की ओर उस मार्ग पर जाओ, जो येरूशालेम से अज्ज़ाह नगर को जाता है.” यह जंगल का मार्ग है. 27 फ़िलिप्पॉस इस आज्ञा के अनुसार चल पड़े. मार्ग में उनकी भेंट एक खोजे से हुई, जो इथियोपिया की रानी कन्दाके की राज्यसभा में खजाँची था. वह आराधना के लिए येरूशालेम आया हुआ था. 28 वह स्वदेश लौटते समय अपने रथ में बैठे हुए भविष्यद्वक्ता यशायाह का लेख पढ़ रहा था. 29 पवित्रात्मा ने फ़िलिप्पॉस को आज्ञा दी, “आगे बढ़ो और रथ के साथ-साथ चलते जाओ.”

30 फ़िलिप्पॉस दौड़कर रथ के पास पहुँचे. उन्होंने उस व्यक्ति को भविष्यद्वक्ता यशायाह के ग्रन्थ से पढ़ते हुए सुना तो उससे प्रश्न किया, “आप जो पढ़ रहे हैं, क्या उसे समझ रहे हैं?”

31 “भला मैं इसे कैसे समझ सकता हूँ जब तक कोई मुझे ये सब न समझाए?” वित्तमंत्री ने उत्तर दिया. इसलिए उसने फ़िलिप्पॉस से रथ में बैठने की विनती की.

32 वित्तमंत्री जो भाग पढ़ रहा था, वह यह था:

उन्हें वध के लिए ठहराई हुई भेड़ के समान ले जाया गया.
जैसे ऊन कतरनेवाले के सामने मेमना शान्त रहता है,
वैसे ही उन्होंने भी अपना मुख न खोला.
33 अपनी विनम्रता के कारण वह न्याय से दूर रह गए.
कौन उनके वंशजों का वर्णन करेगा?
    क्योंकि पृथ्वी पर से उनका जीवन समाप्त कर दिया गया.

34 खोजे ने फ़िलिप्पॉस से विनती की, “कृपया मुझे बताएं, भविष्यद्वक्ता यह किसका वर्णन कर रहे हैं—अपना या किसी और का?” 35 तब फ़िलिप्पॉस ने पवित्रशास्त्र के उसी भाग से प्रारम्भ कर मसीह येशु के विषय में ईश्वरीय सुसमाचार स्पष्ट किया.

36 जब वे मार्ग में ही थे, एक जलाशय को देख खजाँची ने फ़िलिप्पॉस से पूछा, “यह देखिए, जल! मेरे बपतिस्मा लेने में क्या कोई बाधा है?” 37 फ़िलिप्पॉस ने उत्तर दिया, “यदि आप सारे हृदय से विश्वास करते हैं तो आप बपतिस्मा ले सकते हैं.” खोजे ने कहा, “मैं विश्वास करता हूँ कि मसीह येशु ही परमेश्वर के पुत्र हैं.” 38 तब फ़िलिप्पॉस ने रथ रोकने की आज्ञा दी और स्वयं फ़िलिप्पॉस व खोजे दोनों जल में उतर गए और फ़िलिप्पॉस ने उसे बपतिस्मा दिया. 39 जब वे दोनों जल से बाहर आए, सहसा फ़िलिप्पॉस प्रभु के आत्मा के द्वारा वहाँ से उठा लिए गए. वह खोजे को दोबारा दिखाई न दिए. आनन्द से भरकर खोजा स्वदेश लौट गया, 40 जबकि फ़िलिप्पॉस अज़ोतॉस नगर में देखे गए. कयसरिया नगर पहुँचते हुए वह मार्ग पर सभी नगरों में ईश्वरीय सुसमाचार का प्रचार करते गए.

Saral Hindi Bible (SHB)

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