M’Cheyne Bible Reading Plan
पूर्व देशों से ज्योतिषियों[a] का आगमन
2 जब राजा हेरोदेस के शासनकाल में यहूदिया प्रदेश के बैथलहम नगर में येशु का जन्म हुआ, तब पूर्ववर्ती देशों से ज्योतिष येरूशालेम नगर आए और पूछताछ करने लगे, 2 “कहाँ हैं वह—यहूदियों के राजा, जिन्होंने जन्म लिया है? पूर्ववर्ती देशों में हमने उनका तारा देखा है और हम उनकी आराधना करने के लिए यहाँ आए हैं.”
3 यह सुन राजा हेरोदेस व्याकुल हो उठा और उसके साथ सभी येरूशालेम निवासी भी. 4 राजा हेरोदेस ने प्रधान पुरोहितों और शास्त्रियों को इकट्ठा कर उनसे पूछताछ की कि वह कौनसा स्थान है जहाँ मसीह का जन्म लेना संकेतित है? 5 उन्होंने उत्तर दिया, “यहूदिया प्रदेश के बैथलहम नगर में, क्योंकि भविष्यद्वक्ता का लेख है:
6 “‘और तुम, यहूदिया प्रदेश के बैथलहम नगर,
यहूदिया प्रदेश के नायकों के मध्य किसी भी रीति से छोटे नहीं हो
क्योंकि तुममें से ही एक राजा का आगमन होगा,
जो मेरी प्रजा इस्राएल का चरवाहा होगा.’”
7 इसलिए हेरोदेस ने ज्योतिषियों को अलग ले जा कर उनसे उस तारे के उदय होने का ठीक-ठीक समय मालूम किया 8 और उन्हें बैथलहम नगर भेजते हुए कहा, “आप लोग जा कर सावधानीपूर्वक उस बालक की खोज कीजिए और जब वह आपको मिल जाए तो मुझे इसकी सूचना दीजिए कि मैं भी उसकी वन्दना करने जा सकूँ.”
9 राजा की आज्ञा सुन उन्होंने अपनी यात्रा दोबारा प्रारम्भ की. उन्हें वही तारा दिखाई दिया, जो उन्होंने पूर्ववर्ती देशों में देखा था. 10 उसे देख कर वे बड़े आनंद से भर गए. वे उसके सन्दर्शन में आगे बढ़ते चले गए जब तक वह तारा उस बालक के घर पर जा कर ठहर न गया. 11 घर में प्रवेश करने पर उन्होंने उस बालक को उसकी माता मिरियम के साथ देखा और झुक कर उस बालक की आराधना की और फिर उन्होंने अपने कीमती उपहार सोना, लोबान और गन्धरस उसे भेंट किए. 12 उन्हें स्वप्न में परमेश्वर द्वारा यह चेतावनी दी गई कि वे राजा हेरोदेस के पास लौट कर न जाएँ. इसलिए वे एक अन्य मार्ग से अपने देश लौट गए.
मिस्र देश को पलायन करना [b]
13 उनके विदा होने के बाद एक स्वर्गदूत ने योसेफ़ को एक स्वप्न में प्रकट हो कर आज्ञा दी, “उठो, बालक और उसकी माता को ले कर मिस्र देश को भाग जाओ और उस समय तक वहीं ठहरे रहना जब तक मैं तुम्हें आज्ञा न दूँ क्योंकि हेरोदेस हत्या की मंशा से बालक को खोज रहा है.”
14 इसलिए योसेफ़ उठे और अभी, जबकि रात ही थी, उन्होंने बालक और उसकी माता को लेकर मिस्र देश को प्रस्थान किया. 15 वे वहाँ हेरोदेस की मृत्यु तक ठहरे रहे कि प्रभु का यह वचन पूरा हो, जो उन्होंने एक भविष्यद्वक्ता के माध्यम से कहा था: मिस्र देश में से मैंने अपने पुत्र को बुलाया.
16 यह मालूम होने पर कि ज्योतिष उसे मूर्ख बना गए हैं, हेरोदेस बहुत ही क्रोधित हुआ. ज्योतिषियों से मिली सूचना के आधार पर उसने बैथलहम नगर और उसके नज़दीकी क्षेत्र में दो वर्ष तथा उससे कम आयु के सभी शिशुओं के विनाश की आज्ञा दे दी. 17 इससे भविष्यद्वक्ता यिर्मयाह द्वारा पूर्वघोषित इस वचन की पूर्ति हुई:
18 “रमाह नगर में एक शब्द सुना गया,
रोना तथा घोर विलाप!
राहेल अपने बालकों के लिए रो रही है.
धीरज उसे स्वीकार नहीं
क्योंकि अब वे हैं ही नहीं.”
मिस्र देश से नाज़रेथ नगर लौटना
19 जब राजा हेरोदेस की मृत्यु हुई, प्रभु के एक स्वर्गदूत ने स्वप्न में प्रकट हो कर योसेफ़ को आज्ञा दी, 20 “उठो! बालक और उसकी माता को लेकर इस्राएल देश लौट जाओ क्योंकि जो बालक के प्राण लेने पर उतारू थे, उनकी मृत्यु हो चुकी है.”
21 इसलिए योसेफ़ उठे और बालक और उसकी माता को लेकर इस्राएल देश में लौट आए. 22 यह मालूम होने पर कि हेरोदेस के स्थान पर अब उसका पुत्र आरखेलाओस यहूदिया प्रदेश का राजा है, भय के कारण वह वहाँ नहीं गए. तब परमेश्वर की ओर से स्वप्न में चेतावनी प्राप्त होने पर वह गलील प्रदेश की ओर चल दिए 23 तथा नाज़रेथ नामक नगर में जाकर बस गए कि भविष्यद्वक्ताओं द्वारा कहा गया यह वचन पूरा हो: वह नाज़री कहलाएगा.
पेन्तेकॉस्त पर्व पर पवित्रात्मा का उतरना
2 यहूदियों के पेन्तेकॉस्त पर्व के दिन, जब शिष्य एक स्थान पर इकट्ठा थे, 2 सहसा आकाश से तेज़ आँधी जैसी आवाज़ उस कमरे में फ़ैल गई, जहाँ वे सब बैठे थे. 3 तब उनके सामने ऐसी ज्वाला प्रकट हुई जिसका आकार जीभ के समान था, जो अलग होकर उनमें से हरेक व्यक्ति पर जाकर ठहरती गई. 4 वे सभी पवित्रात्मा से भरकर पवित्रात्मा द्वारा दीं गई अन्य भाषाओं में बातें करने लगे.
5 उस समय हर एक राष्ट्र से आए श्रद्धालु यहूदी येरूशालेम में ही ठहरे हुए थे. 6 इस कोलाहल को सुनकर वहाँ भीड़ इकट्ठा हो गईं. वे सभी आश्चर्यचकित हो गए क्योंकि वे सभी हरेक को अपनी निज भाषा में बातें करते हुए सुन रहे थे. 7 अचम्भित हो वे एक दूसरे से पूछ रहे थे, “क्या ये सभी गलीलवासी नहीं हैं? 8 तब यह क्या हो रहा है, जो हम में से हर एक विदेशी इन्हें हमारी अपनी-अपनी मातृभाषा में बातें करते हुए सुन रहा है! 9 पारथी, मादी, इलामी और मकेदोनियावासी, यहूदिया तथा कप्पादोकिया, पोन्तॉस तथा आसिया, 10 फ़्रीजिया, पम्फ़ूलिया, मिस्र, और लिबियावासी, जो क्रेते के आस-पास है; रोम के रहनेवाले यहूदी तथा दीक्षित यहूदी, 11 क्रेती तथा अरबी, सभी अपनी-अपनी मातृभाषा में इनके मुख से परमेश्वर के पराक्रम के विषय में सुन रहे हैं!” 12 चकित और घबरा कर वे एक-दूसरे से पूछ रहे थे, “यह क्या हो रहा है?” 13 किन्तु कुछ अन्य ठठ्ठा कर कह रहे थे, “इन्होंने कुछ अधिक ही पी रखी है.”
भीड़ को पेतरॉस का सम्बोधन
14 तब ग्यारह के साथ पेतरॉस ने खड़े होकर ऊँचे शब्द में कहना प्रारम्भ किया: “यहूदियावासियों तथा येरूशालेमवासियों, आपके लिए इस विषय को समझना अत्यन्त आवश्यक है; इसलिए मेरी बातों को ध्यानपूर्वक सुनिए: 15 जैसा आप समझ रहे हैं, ये व्यक्ति नशे में नहीं हैं क्योंकि यह दिन का तीसरा ही घण्टा है! 16 वस्तुत, यह योएल भविष्यद्वक्ता द्वारा की गई इस भविष्यवाणी की पूर्ति है:
17 “‘यह परमेश्वर की आवाज़ है,
अन्तिम दिनों में मैं अपना आत्मा सब मनुष्यों पर उण्डेलूंगा.
तुम्हारे पुत्र और पुत्रियां भविष्यवाणी करेंगे,
तुम्हारे नवयुवक दिव्य दर्शन तथा वृद्ध स्वप्न देखेंगे.
18 मैं उन दिनों में अपने दास, और दासियों,
पर अपना आत्मा उण्डेल दूँगा,
और वे भविष्यवाणी करेंगे.
19 मैं ऊपर आकाश में अद्भुत चमत्कार
और नीचे पृथ्वी पर लहू,
आग और धुएँ के बादल के अद्भुत चिह्न दिखाऊँगा.
20 प्रभु के उस वैभवशाली और वर्णननीय दिन के पूर्व सूर्य अंधेरा
और चन्द्रमा लहू समान हो जाएगा.
21 तथा हरेक,
जो प्रभु के नाम की गुहार देगा, बचा रहेगा.’
22 “इस्राएली प्रियजन, ध्यान से सुनिए! नाज़रेथवासी मसीह येशु को, जिन्हें आप जानते हैं, जिन्हें परमेश्वर ने आपके मध्य सामर्थ्य के कामों, चमत्कारों तथा चिह्नों के द्वारा प्रकट किया, 23 परमेश्वर की निर्धारित योजना तथा पूर्वज्ञान में आपके हाथों में अधर्मियों की सहायता से सौंप दिया गया कि उन्हें क्रूस-मृत्युदण्ड दिया जाए; 24 किन्तु परमेश्वर ने उन्हें मृत्यु के दर्द से छुड़ा कर मरे हुओं में से जीवित कर दिया क्योंकि यह असम्भव था कि मृत्यु उन्हें अपने बंधन में रख सके. 25 दाविद ने उनके विषय में कहा था:
“मैं सर्वदा प्रभु को निहारता रहा
क्योंकि वह मेरी दायीं ओर हैं कि मैं लड़खड़ा न जाऊँ.
26 इसलिए मेरा हृदय आनन्दित और मेरी जीभ मगन हुई;
इसके अलावा मेरा शरीर भी आशा में बना रहेगा,
27 क्योंकि आप न तो मेरी आत्मा को अधोलोक में छोड़ेंगे
और न अपने पवित्र जन के शव को सड़ने देंगे.
28 आपने मुझ पर जीवन का मार्ग प्रकट कर दिया.
आप मुझे अपनी उपस्थिति में आनन्द से भर देंगे.
29 “प्रियजन, पूर्वज दाविद के विषय में यह बिलकुल सच है कि उनकी मृत्यु हुई तथा उनके शव को क़ब्र में भी रखा गया. वह क़ब्र आज भी वहीं है. 30 इसलिए उनके भविष्यद्वक्ता होने के कारण तथा इसलिए भी कि उन्हें यह मालूम था कि परमेश्वर ने शपथ ली थी कि उन्हीं का एक वंशज सिंहासन पर बैठाया जाएगा, 31 होनेवाली घटनाओं को साफ़-साफ़ देखते हुए दाविद ने मसीह येशु के पुनरुत्थान का वर्णन किया कि मसीह येशु न तो अधोलोक में छोड़ दिए गए और न ही उनके शव को सड़न ने स्पर्श किया. 32 इन्हीं मसीह येशु को परमेश्वर ने मरे हुओं में से उठाकर जीवित किया. हम इस सच्चाई के प्रत्यक्ष साक्षी हैं. 33 परमेश्वर की दायीं ओर सर्वोच्च पद पर बैठकर, पिता से प्राप्त पवित्रात्मा लेकर उन्होंने हम पर उण्डेल दिया, जो आप स्वयं देख और सुन रहे हैं. 34 यद्यपि दाविद उस समय स्वर्ग नहीं पहुँचे थे तौभी उन्होंने स्वयं कहा था,
“‘प्रभु ने मेरे प्रभु से कहा:
“मेरी दायीं ओर बैठे रहो
35 मैं तुम्हारे शत्रुओं को
तुम्हारे अधीन करूँगा.” ’
36 “इसीलिए सारा इस्राएल निश्चित रूप से यह जान ले कि इन्हीं येशु को, जिन्हें तुम लोगों ने क्रूसित किया परमेश्वर ने प्रभु और मसीह पद से सम्मानित किया.”
सबसे पहिले परिवर्तन
37 इस बात ने उनके हृदयों को छेद दिया. उन्होंने पेतरॉस और शेष प्रेरितों से जानना चाहा, “प्रियजन, अब हमारे लिए क्या करना सही है?”
38 पेतरॉस ने उत्तर दिया, “पश्चाताप कीजिए तथा आप में से हर एक मसीह येशु के नाम में पाप-क्षमा का बपतिस्मा ले—आपको दान के रूप में पवित्रात्मा 39 मिलेगी—क्योंकि यह प्रतिज्ञा आपके, आपकी सन्तान और उन सब के लिए भी है, जो अभी दूर-दूर हैं तथा परमेश्वर जिनको अपने पास बुलाने पर हैं.”
40 पेतरॉस ने अनेक तर्क प्रस्तुत करते हुए उनसे विनती की, “स्वयं को इस टेढ़ी पीढ़ी से बचाए रखिए.” 41 इसलिए जिन्होंने पेतरॉस के प्रवचन को स्वीकार किया और बपतिस्मा लिया. उस दिन लगभग तीन हज़ार व्यक्ति उनमें शामिल हो गए.
नए विश्वासियों की घनिष्ठ एकता
42 वे सभी लगातार प्रेरितों की शिक्षा के प्रति समर्पित हो, पारस्परिक संगति, प्रभु-भोज की क्रिया और प्रार्थना में लीन रहने लगे. 43 प्रेरितों द्वारा किए जा रहे अद्भुत काम तथा अद्भुत-चिह्न सभी के लिए आश्चर्य का विषय बन गए थे. 44 मसीह के सभी विश्वासी घनिष्ठ एकता में रहने लगे तथा उनकी सब वस्तुओं पर सबका एक-सा अधिकार था. 45 वे अपनी सम्पत्ति बेचकर, जिनके पास कम थी उनमें बाँटने लगे. 46 हर रोज़ वे मन्दिर के आँगन में एक मन हो नियमित रूप से इकट्ठा होते, भोजन के लिए एक-दूसरे के घर में निर्मल भाव से आनन्दपूर्वक सामूहिक रूप से भोजन करते 47 तथा परमेश्वर का गुणगान करते थे. वे सभी की प्रसन्नता के भागी थे. परमेश्वर इनमें दिन-प्रतिदिन उनको मिलाते जा रहे थे, जो उद्धार प्राप्त कर रहे थे.
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