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Read the Gospels in 40 Days

Read through the four Gospels--Matthew, Mark, Luke, and John--in 40 days.
Duration: 40 days
Saral Hindi Bible (SHB)
Version
मत्तियाह 1-3

येशु का जन्म और बचपन

येशु की वंशावली

(लूकॉ 3:23-38)

अब्राहाम की सन्तान, दाविद के वंशज येशु की वंशावली:

अब्राहाम से इसहाक,

इसहाक से याक़ोब,

याक़ोब से यहूदाह तथा उनके भाई उत्पन्न हुए.

तामार द्वारा यहूदाह से फ़ारेस तथा ज़ारा उत्पन्न हुए.

फ़ारेस से एस्रोन,

एस्रोन से हाराम,

हाराम से अम्मीनादाब,

अम्मीनादाब से नास्सोन,

नास्सोन से सलमोन,

सलमोन और राख़ाब से बोएज़,

बोएज़ और रूथ से ओबेद,

ओबेद से यिश्शै तथा

यिश्शै से राजा दाविद उत्पन्न हुए.

दाविद और उरियाह की निवर्तमान पत्नी से शलोमोन उत्पन्न हुए.

शलोमोन से रोबोहाम,

रोबोहाम से हबीया,

हबीया से आसाफ़,

आसाफ़ से यहोशाफ़ात,

यहोशाफ़ात से योराम,

योराम से उज्जियाह,

उज्जियाह से योथाम,

योथाम से आख़ाज़,

आख़ाज़ से हेज़ेकिया,

10 हेज़ेकिया से मनश्शेह,

मनश्शेह से आमोस,

आमोस से योशियाह,

11 योशियाह से बाबेल पहुँचने के समय यख़ोनिया तथा उसके भाई उत्पन्न हुए.

12 बाबेल पहुँचने के बाद

यख़ोनिया से सलाथिएल उत्पन्न हुए.

सलाथिएल से ज़ेरोबाबेल,

13 ज़ेरोबाबेल से अबिहूद,

अबिहूद से एलियाकिम,

एलियाकिम से आज़ोर,

14 आज़ोर से सादोक,

सादोक से आख़िम,

आख़िम से एलिहूद,

15 एलिहूद से एलियाज़र,

एलियाज़र से मत्थान,

16 मत्थान से याक़ोब और याक़ोब से योसेफ़ उत्पन्न हुए, जिन्होंने मरियम से विवाह किया, जिनके द्वारा येशु, जिन्हें मसीह कहा जाता है उत्पन्न हुए.

17 अब्राहाम से लेकर दाविद तक कुल चौदह पीढ़ियाँ, दाविद से बाबेल पहुँचने तक चौदह तथा बाबेल पहुँचने से मसीह[a] तक चौदह पीढ़ियाँ हुईं.

मसीह येशु का जन्म

18 मसीह येशु का जन्म इस प्रकार हुआ: उनकी माता मरियम का विवाह योसेफ़ से तय हो चुका था किन्तु इससे पहले कि उनमें सहवास होता, यह मालूम हुआ कि मरियम गर्भवती हैं—यह गर्भ पवित्रात्मा द्वारा था. 19 उनके पति योसेफ़ एक धर्मी पुरुष थे. वे नहीं चाहते थे कि मरियम को किसी प्रकार से लज्जित होना पड़े. इसलिए उन्होंने किसी पर प्रकट किए बिना मरियम को त्याग देने का निर्णय किया.

20 किन्तु जब उन्होंने यह निश्चय कर लिया, प्रभु के एक स्वर्गदूत ने स्वप्न में प्रकट हो उनसे कहा, “योसेफ़, दाविद के वंशज! मरियम को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकारने में डरो मत; क्योंकि, जो उनके गर्भ में हैं, वह पवित्रात्मा से हैं. 21 वह एक पुत्र को जन्म देंगी. तुम उनका नाम येशु[b] रखना क्योंकि वह अपने लोगों को उनके पापों से उद्धार देंगे.”

22 यह सब इसलिए घटित हुआ कि भविष्यद्वक्ता के माध्यम से कहा गया प्रभु का यह वचन पूरा हो जाए: 23 एक कुँवारी कन्या गर्भधारण करेगी, पुत्र को जन्म देगी और उसे इम्मानुएल नाम से पुकारेगी. इम्मानुएल का अर्थ है परमेश्वर हमारे साथ.

24 जागने पर योसेफ़ ने वैसा ही किया जैसा स्वर्गदूत ने उन्हें आज्ञा दी थी—उन्होंने मरियम को पत्नी के रूप में स्वीकार किया, 25 किन्तु पुत्र-जन्म तक उनका कौमार्य[c] सुरक्षित रखा और उन्होंने पुत्र का नाम येशु रखा.

पूर्व देशों से ज्योतिषियों[d] का आगमन

जब राजा हेरोदेस के शासनकाल में यहूदिया प्रदेश के बैथलहम नगर में येशु का जन्म हुआ, तब पूर्ववर्ती देशों से ज्योतिष येरूशालेम नगर आए और पूछताछ करने लगे, “कहाँ हैं वह—यहूदियों के राजा, जिन्होंने जन्म लिया है? पूर्ववर्ती देशों में हमने उनका तारा देखा है और हम उनकी आराधना करने के लिए यहाँ आए हैं.”

यह सुन राजा हेरोदेस व्याकुल हो उठा और उसके साथ सभी येरूशालेम निवासी भी. राजा हेरोदेस ने प्रधान पुरोहितों और शास्त्रियों को इकट्ठा कर उनसे पूछताछ की कि वह कौनसा स्थान है जहाँ मसीह का जन्म लेना संकेतित है? उन्होंने उत्तर दिया, “यहूदिया प्रदेश के बैथलहम नगर में, क्योंकि भविष्यद्वक्ता का लेख है:

“‘और तुम, यहूदिया प्रदेश के बैथलहम नगर,
    यहूदिया प्रदेश के नायकों के मध्य किसी भी रीति से छोटे नहीं हो
क्योंकि तुममें से ही एक राजा का आगमन होगा,
    जो मेरी प्रजा इस्राएल का चरवाहा होगा.’”

इसलिए हेरोदेस ने ज्योतिषियों को अलग ले जा कर उनसे उस तारे के उदय होने का ठीक-ठीक समय मालूम किया और उन्हें बैथलहम नगर भेजते हुए कहा, “आप लोग जा कर सावधानीपूर्वक उस बालक की खोज कीजिए और जब वह आपको मिल जाए तो मुझे इसकी सूचना दीजिए कि मैं भी उसकी वन्दना करने जा सकूँ.”

राजा की आज्ञा सुन उन्होंने अपनी यात्रा दोबारा प्रारम्भ की. उन्हें वही तारा दिखाई दिया, जो उन्होंने पूर्ववर्ती देशों में देखा था. 10 उसे देख कर वे बड़े आनंद से भर गए. वे उसके सन्दर्शन में आगे बढ़ते चले गए जब तक वह तारा उस बालक के घर पर जा कर ठहर न गया. 11 घर में प्रवेश करने पर उन्होंने उस बालक को उसकी माता मिरियम के साथ देखा और झुक कर उस बालक की आराधना की और फिर उन्होंने अपने कीमती उपहार सोना, लोबान और गन्धरस उसे भेंट किए. 12 उन्हें स्वप्न में परमेश्वर द्वारा यह चेतावनी दी गई कि वे राजा हेरोदेस के पास लौट कर न जाएँ. इसलिए वे एक अन्य मार्ग से अपने देश लौट गए.

मिस्र देश को पलायन करना [e]

13 उनके विदा होने के बाद एक स्वर्गदूत ने योसेफ़ को एक स्वप्न में प्रकट हो कर आज्ञा दी, “उठो, बालक और उसकी माता को ले कर मिस्र देश को भाग जाओ और उस समय तक वहीं ठहरे रहना जब तक मैं तुम्हें आज्ञा न दूँ क्योंकि हेरोदेस हत्या की मंशा से बालक को खोज रहा है.”

14 इसलिए योसेफ़ उठे और अभी, जबकि रात ही थी, उन्होंने बालक और उसकी माता को लेकर मिस्र देश को प्रस्थान किया. 15 वे वहाँ हेरोदेस की मृत्यु तक ठहरे रहे कि प्रभु का यह वचन पूरा हो, जो उन्होंने एक भविष्यद्वक्ता के माध्यम से कहा था: मिस्र देश में से मैंने अपने पुत्र को बुलाया.

16 यह मालूम होने पर कि ज्योतिष उसे मूर्ख बना गए हैं, हेरोदेस बहुत ही क्रोधित हुआ. ज्योतिषियों से मिली सूचना के आधार पर उसने बैथलहम नगर और उसके नज़दीकी क्षेत्र में दो वर्ष तथा उससे कम आयु के सभी शिशुओं के विनाश की आज्ञा दे दी. 17 इससे भविष्यद्वक्ता यिर्मयाह द्वारा पूर्वघोषित इस वचन की पूर्ति हुई:

18 “रमाह नगर में एक शब्द सुना गया,
    रोना तथा घोर विलाप!
राहेल अपने बालकों के लिए रो रही है.
    धीरज उसे स्वीकार नहीं
    क्योंकि अब वे हैं ही नहीं.”

मिस्र देश से नाज़रेथ नगर लौटना

19 जब राजा हेरोदेस की मृत्यु हुई, प्रभु के एक स्वर्गदूत ने स्वप्न में प्रकट हो कर योसेफ़ को आज्ञा दी, 20 “उठो! बालक और उसकी माता को लेकर इस्राएल देश लौट जाओ क्योंकि जो बालक के प्राण लेने पर उतारू थे, उनकी मृत्यु हो चुकी है.”

21 इसलिए योसेफ़ उठे और बालक और उसकी माता को लेकर इस्राएल देश में लौट आए. 22 यह मालूम होने पर कि हेरोदेस के स्थान पर अब उसका पुत्र आरखेलाओस यहूदिया प्रदेश का राजा है, भय के कारण वह वहाँ नहीं गए. तब परमेश्वर की ओर से स्वप्न में चेतावनी प्राप्त होने पर वह गलील प्रदेश की ओर चल दिए 23 तथा नाज़रेथ नामक नगर में जाकर बस गए कि भविष्यद्वक्ताओं द्वारा कहा गया यह वचन पूरा हो: वह नाज़री कहलाएगा.

बपतिस्मा देने वाले योहन का उपदेश

(मारक 1:1-8; लूकॉ 3:1-17)

कालान्तर में यहूदिया प्रदेश के जंगल में बपतिस्मा देने वाला योहन आकर यह प्रचार करने लगे, “मन फिराओ क्योंकि स्वर्ग-राज्य पास आ गया है.” यह वही हैं जिनके विषय में भविष्यद्वक्ता यशायाह ने अपने अभिलेख में इस प्रकार संकेत दिया है:

“वह आवाज़, जो जंगल में पुकार-पुकार कर कह रही है,
‘प्रभु का रास्ता समतल-सीधा करो,
    उनका मार्ग सरल बनाओ.’”

बपतिस्मा देने वाले योहन ऊँट के बालों से बने हुए वस्त्र तथा चमड़े का पटुका पहनते थे और उनका भोजन था टिड्डियाँ तथा वनमधु. येरूशालेम नगर, सारे यहूदिया प्रदेश और यरदन नदी के नज़दीकी क्षेत्र से बड़ी संख्या में लोग उनके पास आने लगे. पाप को मानने के बाद योहन उन्हें यरदन नदी में बपतिस्मा दिया करते थे.

जब योहन ने देखा कि अनेक फ़रीसी और सदूकी बपतिस्मा लेने आ रहे हैं, उन्होंने उनकी उल्लाहना करते हुए कहा, “विषैले साँपों की सन्तान! समीप आ रहे क्रोध से भागने की चेतावनी तुम्हें किसने दे दी? अपने स्वभाव द्वारा अपने पश्चाताप की पुष्टि करो. स्वयं को यह कहते हुए धीरज मत दो, ‘हम तो अब्राहाम के वंशज हैं.’ मैं तुम्हें सूचित करना चाहता हूँ कि परमेश्वर अब्राहाम के लिए इन पत्थरों से भी सन्तान उत्पन्न कर सकते हैं. 10 कुल्हाड़ी पहले ही वृक्षों की जड़ पर रखी हुई है. हर एक पेड़, जो उत्तम फल नहीं फलता, काटा जाता और आग में झोंक दिया जाता है.

11 “मैं तो तुम्हें पश्चाताप के लिए पानी से बपतिस्मा दे रहा हूँ किन्तु वह, जो मेरे बाद आ रहे हैं, मुझसे अधिक सामर्थी हैं. मैं तो इस योग्य भी नहीं कि उनकी जूतियाँ उठाऊँ. वह तुम्हें पवित्रात्मा और आग में बपतिस्मा देंगे. 12 सूप उनके हाथ में है. वह अपने खलिहान को अच्छी तरह साफ़ करेंगे, गेहूं को भण्डार में इकट्ठा करेंगे और भूसी को कभी न बुझनेवाली आग में भस्म कर देंगे.”

मसीह येशु का बपतिस्मा

(मारक 1:9-11; लूकॉ 3:21-22)

13 येशु गलील प्रदेश से यरदन नदी पर योहन के पास आए कि उनके द्वारा बपतिस्मा लें 14 किन्तु योहन ने इसका इनकार करते हुए कहा, “आवश्यक तो यह है कि मैं आप से बपतिस्मा लूँ. यहाँ तो आप मुझसे बपतिस्मा लेने आए हैं!”

15 मसीह येशु ने इसके उत्तर में कहा, “इस समय तो यही होने दो. हम दोनों के लिए परमेश्वर द्वारा निर्धारित धार्मिकता इसी रीति से पूरी करना सही है.” इस पर योहन सहमत हो गए.

16 बपतिस्मा के बाद जैसे ही मसीह येशु जल में से बाहर आए, उनके लिए स्वर्ग खोल दिया गया और योहन ने परमेश्वर के आत्मा को कबूतर के समान उतरते हुए तथा येशु पर ठहरते देखा. 17 उसी समय स्वर्ग से यह शब्द सुना गया, “यह मेरा पुत्र है—मेरा परम प्रिय—जिसमें मैं पूरी तरह प्रसन्न हूँ.”

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