Book of Common Prayer
17 जब मेंह ओला देखेंव, त मरे मनखे सहीं ओकर गोड़ करा गिर पड़ेंव। तब ओह अपन जेवनी हांथ ला मोर ऊपर रखके कहिस: “झन डर्रा। मेंहीच ह पहिली अऊ आखिरी अंव। 18 मेंह जीयत हवंव। मेंह मर गे रहेंव, पर देख, अब मेंह सदाकाल बर जीयत हवंव। अऊ मोर करा मिरतू अऊ मरे मनखेमन के संसार ऊपर अधिकार हवय।
19 एकरसेति, जऊन कुछू तेंह देखे हवस, जऊन ह अभी होवत हवय, अऊ जऊन ह एकर बाद होवइया हवय, ओ जम्मो बात ला लिख ले। 20 जऊन सात ठन तारा, तेंह मोर जेवनी हांथ म देखे, ओ सातों तारा अऊ सोन के सात दीवटमन के मतलब ए अय: ओ सात तारामन सात ठन कलीसिया के दूत अंय, अऊ ओ सात दीवटमन सात ठन कलीसिया अंय।”
इफिसुस के कलीसिया ला संदेस
2 “इफिसुस के कलीसिया के दूत ला ए लिख:
जऊन ह जेवनी हांथ म सात ठन तारा धरे हवय अऊ सोन के सात ठन दीवट के बीच म चलते-फिरथे, ओकर ए बचन अय: 2 मेंह तुम्हर काम, तुम्हर कठोर मिहनत अऊ तुम्हर धीरज ला जानत हंव। मेंह जानत हंव कि तुमन दुस्ट मनखेमन ला सहे नइं सकव। जऊन मन अपन-आप ला प्रेरित कहिथें, पर हवंय नइं, तुमन ओमन ला परखे हवव अऊ ओमन ला लबरा पाय हवव। 3 तुमन धीरज धरे हवव; मोर खातिर तुमन दुःख सहे हवव अऊ हिम्मत नइं हारे हवव।
4 तभो ले मेंह तुम्हर बिरोध म, ए कहत हंव: तुमन अब मोला वइसने मया नइं करव, जइसने पहिली करत रहेव। 5 सोचव कि तुमन कतेक गिर गे हवव। पछताप करव अऊ ओ काम करव, जऊन ला तुमन पहिली करत रहेव। यदि तुमन पछताप नइं करहू, त मेंह तुम्हर करा आके तुम्हर दीवट ला ओकर जगह ले टार दूहूं। 6 पर तुमन म एक बने बात ए हवय कि मोर सहीं, तुमन घलो नीकुलईमन के काम ले घिन करथव[a]।
7 जेकर कान हवय, ओह सुन ले कि पबितर आतमा ह कलीसियामन ला का कहिथे। जऊन ह बिजयी होही, ओला मेंह जिनगी के रूख के फर खाय बर अधिकार दूहूं, जऊन ह परमेसर के स्वरग-लोक के बगीचा म हवय।”
सात ठन दुःख
(मरकुस 12:38-39; लूका 11:43, 46; 20:45-46)
23 तब यीसू ह भीड़ के मनखे अऊ अपन चेलामन ला कहिस, 2 “मूसा के कानून के गुरू अऊ फरीसी मन मूसा के कानून ला सिखोथें। 3 एकरसेति, ओमन जऊन कुछू कहिथें ओला मानव अऊ करव। पर ओमन सहीं काम झन करव, काबरकि ओमन जइसने कहिथें वइसने नइं करंय। 4 ओमन कानून के भारी बोझा ला बनाथें अऊ ओला मनखेमन के खांधा ऊपर लदक देथें, पर ओमन ह खुदे ओला टारे बर अपन अंगरी घलो उठाय नइं चाहंय।
5 ओमन अपन जम्मो काम मनखेमन ला देखाय बर करथें। ओमन देखाय बर चाकर-चाकर ताबीज बनाके अपन बाहां अऊ माथा म पहिरथें अऊ अपन कपड़ा म लम्बा झालर लगवाथें[a]।
6 भोज मन म आदर के ठऊर अऊ सभा घरमन म खास जगह म बईठना ओमन ला बने लगथे। 7 बजार म जोहार झोंकना अऊ मनखेमन के दुवारा गुरूजी कहवई ओमन ला बने लगथे।
8 पर तुमन अपन ला गुरू झन कहावव, काबरकि तुम्हर सिरिप एक गुरू हवय, अऊ तुमन जम्मो झन भाई-भाई अव। 9 धरती म कोनो ला अपन ददा झन कहव, काबरकि तुम्हर एके ददा हवय, जऊन ह स्वरग म हवय। 10 तुमन अपन ला मालिक घलो झन कहावव, काबरकि तुम्हर एके मालिक हवय याने कि ‘मसीह’। 11 जऊन ह तुमन जम्मो म बड़े अय, ओह तुम्हर सेवक बनय। 12 जऊन ह अपन-आप ला बड़े बनाही, ओला छोटे करे जाही, अऊ जऊन ह अपन-आप ला छोटे बनाही, ओला बड़े करे जाही।
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