Book of Common Prayer
25 लगभग आधा रतिहा, पौलुस अऊ सीलास पराथना करत अऊ परमेसर के भजन गावत रहंय अऊ आने कैदीमन एला सुनत रहंय। 26 अतकी म अचानक एक भारी भुइंडोल होईस। इहां तक कि जेल के नींव घलो डोलन लगिस। तुरते जेल के जम्मो कपाटमन खुल गीन अऊ जम्मो कैदीमन के बेड़ीमन घलो खुल गीन। 27 जेलर ह जागिस अऊ जब ओह देखिस कि जेल के कपाटमन खुल गे हवंय, त अपन तलवार ला खींचके अपन-आप ला मार डारे चाहिस, काबरकि ओह सोचत रिहिस कि कैदीमन भाग गे हवंय। 28 पर पौलुस ह चिचियाके जेलर ला कहिस, “अपन-आप ला नुकसान झन पहुंचा। हमन जम्मो झन इहां हवन।”
29 तब जेलर ह दीया मंगाके तुरते भीतर गीस अऊ कांपत पौलुस अऊ सीलास के गोड़ खाल्हे गिरिस। 30 ओह तब ओमन ला बाहिर लानिस अऊ पुछिस, “हे महाराजमन, उद्धार पाय बर मेंह का करंव?”
31 ओमन ह कहिन, “परभू यीसू ऊपर बिसवास कर, त तें अऊ तोर घर के मन उद्धार पाहीं।”
32 तब ओमन ओला अऊ ओकर घर के जम्मो मनखेमन ला परभू के बचन सुनाईन। 33 ओहीच घरी रतिहा, जेलर ह ओमन ला ले जाके ओमन के घाव धोईस अऊ तब तुरते ओह अऊ ओकर घर के जम्मो मनखेमन बतिसमा लीन। 34 ओह पौलुस अऊ सीलास ला अपन घर म लानिस अऊ ओमन ला जेवन कराईस अऊ घर के जम्मो झन आनंद मनाईन, काबरकि ओमन परमेसर ऊपर बिसवास करे रिहिन।
35 जब बिहान होईस, त नियायधीसमन अपन सिपाहीमन के हांथ जेलर करा ए हुकूम पठोईन कि ओ मनखेमन ला छोंड़ देवय। 36 जेलर ह पौलुस ला कहिस, “नियायधीसमन तोला अऊ सीलास ला छोंड़ देय के हुकूम दे हवंय। अब तुमन सांति से जा सकत हव।”
37 पर पौलुस ह सिपाहीमन ला कहिस, “ओमन बिगर जांच करे हमन ला मनखेमन के आघू म मारिन, जबकि हमन रोमी नागरिक अन अऊ हमन ला जेल म डारिन। अऊ अब ओमन हमन ला चुपेचाप छोंड़े ला चाहत हवंय। अइसने नइं हो सकय। ओमन खुदे इहां आवंय अऊ हमन ला जेल ले बाहिर ले जावंय।”
38 सिपाहीमन वापिस जाके ए बात नियायधीसमन ला बताईन; तब ओमन ए सुनके डर्रा गीन कि पौलुस अऊ सीलास रोमी नागरिक अंय। 39 तब ओमन आके ओमन ला मनाईन अऊ ओमन ला जेल ले बाहिर ले जाके बिनती करिन कि ओमन सहर ले चले जावंय। 40 जेल ले निकरे के बाद, पौलुस अऊ सीलास लुदिया के घर गीन, अऊ उहां ओमन भाईमन ले मिलिन अऊ ओमन ला हिम्मत बंधाके उहां ले चल दीन।
सुध अऊ असुध
(मत्ती 15:1-9)
7 तब फरीसी अऊ कतको कानून के गुरू, जऊन मन यरूसलेम ले आय रिहिन, यीसू करा जुरिन। 2 अऊ ओमन ओकर कुछू चेलामन ला बिगर हांथ धोय खाना खावत देखिन। 3 फरीसी अऊ जम्मो यहूदी मन, अपन पुरखा के रीति के मुताबिक जब तक अपन हांथ ला नइं धो लिहीं तब तक खाना नइं खावंय। 4 जब बजार ले घलो आवंय, त जब तक अइसने अपन हांथ ला नइं धो लेवंय, तब तक खाना नइं खावंय। अऊ ओमन अइसने कतेक अऊ रीति-रिवाज ला मानंय, जइसने कटोरी, लोटा अऊ तांबा के बरतन ला धोवई-मंजई।
5 एकरसेति ओ फरीसी अऊ कानून के गुरू मन यीसू ले पुछिन, “काबर तोर चेलामन, पुरखामन के रीति-रिवाज के मुताबिक नइं चलंय अऊ बिगर हांथ धोवय खाना खावत हवंय?”
6 ओह जबाब देके कहिस, “यसायाह अगमजानी ह तुम ढोंगीमन के बारे म ठीकेच अगमबानी करे हवय, जइसने कि बचन म लिखे हवय: ‘ए मनखेमन मुहूं ले तो मोर आदर करथंय, पर एमन के मन ह मोर ले दूरिहा रहिथे। 7 एमन बिना मतलब के मोर भक्ति करथंय; एमन मनखेमन के बनाय नियम ला परमेसर के नियम कहिके सिखोथें।’[a]
8 तुमन परमेसर के हुकूम ला टारके मनखेमन के रीति-रिवाज ला मानथव।”
9 अऊ यीसू ह ओमन ला कहिस, “परमेसर के हुकूम ला टारके, अपन रीति-रिवाज ला माने के, तुम्हर करा बहुंत बढ़िया तरिका हवय। 10 काबरकि मूसा ह कहे हवय, ‘अपन दाई-ददा के आदरमान करव अऊ जऊन कोनो अपन दाई या ददा के बारे म खराप बात कहिथे, ओह मार डारे जावय।’[b] 11 पर तुमन कहिथव कि यदि कोनो अपन ददा या दाई ले कहय कि जऊन कुछू तोला मोर ले फायदा हो सकत रिहिस, मेंह ओला परमेसर ला दे चुके हवंव अऊ एला कुरबान कहिथंय। 12 तब तुमन ओला अपन ददा या दाई खातिर अऊ कुछू करन नइं देवव। 13 ए किसम ले तुमन अपन बनाय रीति-रिवाज के दुवारा परमेसर के बचन ला टार देथव अऊ तुमन अइसने-अइसने कतको अऊ काम करथव।”
14 तब यीसू ह मनखेमन ला अपन करा बलाके कहिस, “जम्मो झन मोर गोठ ला सुनव अऊ समझे के कोसिस करव। 15 अइसने कोनो चीज नइं ए, जऊन ह मनखे म बाहिर ले हमाके असुध करय, पर जऊन चीज मनखे के भीतर ले निकरथे, ओहीच ह ओला असुध करथे। 16 जेकर सुने के कान हवय, ओह सुन ले।”
17 जब यीसू ह भीड़ ला छोंड़के घर के भीतर गीस, तब ओकर चेलामन ए पटंतर के बारे म ओला पुछिन? 18 ओह कहिस, “का तुमन घलो नासमझ अव? का तुमन नइं जानव कि जऊन चीज ह बाहिर ले मनखे के भीतर हमाथे, ओह ओला असुध नइं कर सकय। 19 काबरकि ओह मनखे के हिरदय म नइं, पर पेट म जाथे अऊ फेर संडास दुवारा देहें ले बाहिर निकर जाथे।” ए कहे के दुवारा यीसू ह जम्मो खाय के चीजमन ला सुध ठहराईस।
20 फेर ओह कहिस, “जऊन ह मनखे के भीतर ले निकरथे, ओहीच ह ओला असुध करथे। 21 काबरकि भीतर ले याने कि मनखे के हिरदय ले खराप सोच-बिचार, छिनारी, चोरी, हतिया, काम-बासना, 22 लोभ, दुस्टता, छल, उघरापन, जलन, निन्दा, अहंकार अऊ गंवारपन निकरथे। 23 ए जम्मो खराप चीज हिरदय के भीतर ले निकरथे अऊ मनखे ला असुध करथे।”
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