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Book of Common Prayer

Daily Old and New Testament readings based on the Book of Common Prayer.
Duration: 861 days
Saral Hindi Bible (SHB)
Version
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1 कोरिन्थॉस 7:25-31

25 कुँवारियों के सम्बन्ध में मेरे पास परमेश्वर की ओर से कोई आज्ञा नहीं है किन्तु मैं, जो परमेश्वर की कृपा के कारण विश्वसनीय हूँ, अपनी ओर से यह कहना चाहता हूँ: 26 वर्तमान संकट के कारण मेरे विचार से पुरुष के लिए उत्तम यही होगा कि वह जिस स्थिति में है, उसी में बना रहे. 27 यदि तुम विवाहित हो तो पत्नी का त्याग न करो. यदि अविवाहित हो तो पत्नी खोजने का प्रयास न करो. 28 यदि तुम विवाह करते ही हो तो भी पाप नहीं करते. यदि कोई कुँवारी कन्या विवाह करती है तो यह पाप नहीं है. फिर भी इनके साथ सामान्य वैवाहिक जीवन सम्बन्धी झंझट लगे रहेंगे और मैं वास्तव में तुम्हें इन्हीं से बचाने का प्रयास कर रहा हूँ.

29 प्रियजन, मेरा मतलब यह है कि थोड़ा ही समय शेष रह गया है इसलिए अब से वे, जो विवाहित हैं ऐसे रहें, मानो अविवाहित हों. 30 जो शोकित हैं उनका शोक प्रकट न हो; जो आनन्दित हैं उनका आनन्द छुपा रहे और जो मोल ले रहे हैं, वे ऐसे हो जाएँ मानो उनके पास कुछ भी नहीं है. 31 जिनका लेन-देन सांसारिक वस्तुओं से है, वे उनमें लीन न हो जाएँ क्योंकि संसार के इस वर्तमान स्वरूप का नाश होता चला जा रहा है.

मत्तियाह 6:25-34

परमेश्वर का प्रबन्ध ही विश्वासयोग्य है

25 “यही कारण है कि मैं तुमसे कहता हूँ कि अपने जीवन के विषय में चिन्ता न करो कि तुम क्या खाओगे और क्या पिओगे; और न ही शरीर के विषय में कि क्या पहनोगे. क्या जीवन आहार से और शरीर वस्त्रों से अधिक कीमती नहीं? 26 पक्षियों की ओर ध्यान दो: वे न तो बीज बोते हैं और न ही खलिहान में उपज इकट्ठा करते हैं. फिर भी तुम्हारे स्वर्गीय पिता उनका भरण-पोषण करते हैं. क्या तुम्हारी महत्ता उनसे कहीं अधिक नहीं? 27 और तुम में ऐसा कौन है, जो चिन्ता के द्वारा अपनी आयु में एक क्षण की भी वृद्धि कर सकता है?

28 “और वस्त्र तुम्हारी चिन्ता का विषय क्यों? मैदान के फूलों का ध्यान तो करो कि वे कैसे खिलते हैं. वे न तो परिश्रम करते हैं और न ही वस्त्र-निर्माण. 29 फिर भी मैं तुमसे कहता हूँ कि शलोमोन की वेष-भूषा का ऐश्वर्य किसी भी दृष्टि से इनके तुल्य नहीं था. 30 यदि परमेश्वर घास का श्रृंगार इस सीमा तक करते हैं, जिसका जीवन थोड़े समय का है और जो कल आग में झोंक दिया जाएगा, क्या वह तुमको कहीं अधिक सुशोभित न करेंगे? कैसा कमज़ोर है तुम्हारा विश्वास! 31 इसलिए इस विषय में चिन्ता न करो कि हम क्या खाएँगे या क्या पिएंगे या हमारे वस्त्रों का प्रबन्ध कैसे होगा? 32 अन्यजाति ही इन वस्तुओं के लिए कोशिश करते रहते हैं. तुम्हारे स्वर्गीय पिता को यह मालूम है कि तुम्हें इन सबकी ज़रूरत है. 33 तुम्हारी सबसे पहली प्राथमिकता परमेश्वर का राज्य तथा उनकी धार्मिकता की उपलब्धि हो और ये सभी वस्तुएं भी तुम्हें प्राप्त होती जाएँगी. 34 इसलिए कल की चिन्ता न करो—कल अपनी चिन्ता स्वयं करेगा क्योंकि हर एक दिन अपने साथ अपना ही पर्याप्त दुःख लिए हुए आता है.

Saral Hindi Bible (SHB)

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