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Bible in 90 Days

An intensive Bible reading plan that walks through the entire Bible in 90 days.
Duration: 88 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
यहेजकेल 23:40-35:15

40 “उन्होंने बहुत दूर के स्थानों से मनुष्यों को बुलाया है। इन व्यक्तियों को तुमने एक दूत भेजा और वे लोग तुम्हें देखने आए। तुम उनके लिये नहाई, अपनी आँखों को सजाया और अपने आभूषणों को पहना। 41 तुम सुन्दर बिस्तर पर बैठी, जिसके सामने मेज रखा था। तुमने मेरी सुगन्ध और मेरे तेल को इस मेज पर रखा।

42 “यरूशलेम में शोर ऐसा सुनाई पड़ता था मानों दावत उड़ाने वाले लोगों का हो। दावत में बहुत लोग आये। लोग जब मरुभूमि से आते थे तो पहले से पी रहे होते थे। वे स्त्रियों को बाजूबन्द और सुन्दर मुकुट देते थे। 43 तब मैंने एक स्त्री से बातें कीं, जो व्यभिचार से शिथिल हो गई थी। मैंने उससे कहा, ‘क्या वे उसके साथ व्यभिचार करते रह सकते हैं, और वह उनके साथ करती रह सकती है’ 44 किन्तु वे उसके पास वैसे ही जाते रहे जैसे वे किसी वेश्या के पास जा रहे हों। हाँ, वे उन दुष्ट स्त्रियाँ ओहोला और ओहोलीबा के पास बार—बार गए।

45 “किन्तु अच्छे लोग उनका न्याय अपराधी के रूप में करेंगे। वे उन स्त्रियों का न्याय व्यभिचार का पाप करने वालियों और हत्यारिनों के रूप में करेंगे। क्यों क्योंकि ओहोला और ओहोलीबा ने व्यभिचार का पाप किया है और उस रक्त से उनके हाथ अब भी रंगे हैं जिन्हें उन्होंने मार डाला था।”

46 मेरे स्वामी यहोवा ने ये बातें कही, “लोगों को एक साथ इकट्ठा करो। तब उन लोगों को ओहोला और ओहोलीबा को दण्ड देने दो। लोगों का यह समूह उन दोनों स्त्रियों को दण्डित करेगा तथा इनका मज़ाक उड़ाएगा। 47 तब वह समूह उन्हें पत्थर मारेगा और उन्हें मार डालेगा। तब वह समूह अपनी तलवारों से स्त्रियों के टुकड़े करेगा। वे स्त्रियों के बच्चों को मार डालेंगे और उनके घर जला डालेंगे। 48 इस प्रकार मैं इस देश की लज्जा को धोऊँगा और सभी स्त्रियों को चेतावनी दी जाएगी कि वे वह लज्जाजनक काम न करें जो तुमने किया है। 49 वे तुम्हें उन दुष्ट कामों के लिये दण्डित करेंगे जो तुमने किया और तुम्हें अपनी गन्दी देवमूर्तियों की पूजा के लिये दण्ड मिलेगा। तब तुम जानोगे कि मैं यहोवा और स्वामी हूँ।”

पात्र और माँस

24 मेरे स्वामी यहोवा का वचन मुझे मिला। यह देश—निकाले के नवें वर्ष के दसवें महीने का दसवाँ दिन था। उसने कहा, “मनुष्य के पुत्र, आज की तिथि और इस टिप्पणी को लिखो: ‘आज बाबुल के राजा की सेना ने यरूशलेम को घेरा।’ यह कहानी उस परिवार से कहो जो (इस्राएल) आज्ञा मानने से इन्कार करे। उनसे ये बातें कहो। ‘मेरा स्वामी यहोवा यह कहता है:

“‘पात्र को आग पर रखो,
    पात्र को रखो और उसमें जल डालो।
उसमें माँस के टुकड़े डालो,
    हर अच्छे टुकड़े डालो, जाँघे और कंधे।
पात्र को सर्वोत्तम हड्डियों से भरो।
    झुण्ड के सर्वोत्तम जानवर का उपयोग करो,
पात्र के नीचे ईधन का ढेर लगाओ,
    और माँस के टुकड़ों को पकाओ।
    शोरवे को तब तक पकाओ जब तक हड्डियाँ भी न पक जाय!

“‘इस प्रकार मेरा स्वामी यहोवा यह कहता है:
    “यह यरूशलेम के लिये बुरा होगा।
यह हत्यारों से भरे नगर के लिये बुरा होगा।
    यरूशलेम उस पात्र की तरह है जिस पर जंख के दाग हों,
और वे दाग दूर न किये जा सकें! वह पात्र शुद्ध नहीं है,
    इसलिये माँस का हर एक टुकड़ा पात्र से बाहर निकालो!
उस माँस को मत खाओ!
    याजकों को उस बेकार माँस में से कोई टुकड़ा मत चुनने दो!
यरूशलेम एक जंख लगे पात्र की तरह है,
    क्यों क्योंकि हत्याओं का रक्त वहाँ अब तक है!
उसने रक्त को खुली चट्टानों पर डाला है!
    उसने रक्त को भूमि पर नहीं डाला और इसे मिट्टी से नहीं ढका।
मैंने उसका रक्त को खुली चट्टान पर डाला।
    अत: यह ढका नहीं जाएगा। मैंने यह किया,
जिससे लोग क्रोधित हो,
    और उसे निरपराध लोगों की हत्या का दण्ड दें।”
अत:, मेरा स्वामी यहोवा यह कहता है: हत्यारों से भरे इस नगर के लिये यह बुरा होगा!
    मैं आग के लिए बहुत सी लकड़ी का ढेर बनाऊँगा।
10 पात्र के नीचे बहुत सा ईधन डालो।
    आग जलाओ।
अच्छी प्रकार माँस को पकाओ!
    मसाले मिलाओ और हड्डियों को जल जाने दो।
11 तब पात्र को अंगारों पर खाली छोड़ दो।
    इसे इतना तप्त होने दो कि इसका दाग चमकने लगे।
वे दाग पिघल जाएंगे। जंख नष्ट होगा।
12 यरूशलेम अपने दागों को धोने का कठोर प्रयत्न कर सकती है।
    किन्तु वह जंख दूर नहीं होगा!
केवल आग (दण्ड) उस जंख को दूर करेगी!
13 तुमने मेरे विरुद्ध पाप किया
    और पाप से कलंकित हुई।
मैंने तुम्हें नहलाना चाहा और तुम्हें स्वच्छ करना चाहा!
    किन्तु दाग छूटे नहीं।
मैं तुमको फिर नहलाना नहीं चाहूँगा।
    जब तक मेरा तप्त क्रोध तुम्हारे प्रति समाप्त नहीं होता।

14 “‘मैं यहोवा हूँ। मैंने कहा, तुम्हें दण्ड मिलेगा, और मैं इसे दिलाऊँगा। मैं दण्ड को रोकूँगा नहीं। मैं तुम्हारे लिये दु:ख का अनुभव नहीं करूँगा। मैं तुम्हें उन बुरे पापों के लिये दण्ड दूँगा जो तुमने किये।’ मेरे स्वामी यहोवा ने यह कहा।”

यहेजकेल की पत्नी की मृत्यु

15 तब यहोवा का वचन मुझे मिला। उसने कहा, 16 “मनुष्य के पुत्र, तुम अपनी पत्नी से बहुत प्रेम करते हो किन्तु मैं उसे तुमसे दूर कर रहा हूँ। तुम्हारी पत्नी अचानक मरेगी। किन्तु तुम्हें अपना शोक प्रकट नहीं करना चाहिए। तुम्हें जोर से रोना नहीं चाहिए। तुम रोओगे और तुम्हारे आँसू गिरेंगे। 17 किन्तु तुम्हें अपना शोक—रूदन बहुत मन्द रखना चाहिए। अपनी मृत पत्नी के लिये जोर से न रोओ। तुम्हें सामान्य नित्य के वस्त्र पहनने चाहिए। अपनी पगड़ी और अपने जूते पहनो। अपने शोक को प्रकट करने के लिये अपनी मूँछे न ढको और वह भोजन न करो जो प्राय: किसी के मरने पर लोग करते हैं।”

18 अगली सुबह मैंने लोगों को बताया कि परमेश्वर ने क्या कहा है। उसी शाम मेरी पत्नी मरी। अगली प्रात: मैंने वही किया जो परमेश्वर ने आदेश दिया था। 19 तब लोगों ने मुझसे कहा, “तुम यह काम क्यों कर रहे हो इसका मतलब क्या है”

20 मैंने उनसे कहा, “यहोवा का वचन मुझे मिला। उसने मुझसे, 21 इस्राएल के परिवार से कहने को कहा। मेरे स्वामी यहोवा ने कहा, ‘ध्यान दो, मैंअपने पवित्र स्थान को नष्ट करूँगा। तुम लोगों को उस पर गर्व है और तुम लोग उसकी प्रशंसा के गीत गाते हो। तुम्हें उस स्थान को देखने का प्रेम है। तुम सचमुच उस स्थान से प्रेम करते हो। किन्तु मैं उस स्थान को नष्ट करूँगा और तुम्हारे पीछे छूटे हुए तुम्हारे बच्चे युद्ध में मारे जाएंगे। 22 किन्तु तुम वही करोगे जो मैंने अपनी मृत पत्नी के बारे में किया है। तुम अपना शोक प्रकट करने के लिये अपनी मूँछे नहीं ढकोगे। तुम वह भोजन नहीं करोगे जो लोग प्राय: किसी के मरने पर खाते हैं। 23 तुम अपनी पगड़ियाँ और अपने जूते पहनोगे। तुम अपना शोक नहीं प्रकट करोगे। तुम रोओगे नहीं। किन्तु तुम अपने पाप के कारण बरबाद होते रहोगे। तुम चुपचाप अपनी आहें एक दूसरे के सामने भरोगे। 24 अत: यहेजकेल तुम्हारे लिये एक उदाहरण है। तुम वही सब करोगे जो इसने किया। दण्ड का यह समय आयेगा और तब तुम जानोगे कि मैं यहोवा हूँ।’”

25-26 “मनुष्य के पुत्र, मैं उस सुरक्षित स्थान यरूशलेम को लोगों से ले लूँगा। वह सुन्दर स्थान उनको आनन्दित करता है। उन्हें उस स्थान को देखने का प्रेम है। वे सचमुच उस स्थान से प्रेम करते हैं। किन्तु उस समय मैं नगर और उनके बच्चों को उन लोगों से ले लूँगा। बचने वालों में से एक यरूशलेम के बारे में बुरा सन्देश लेकर तुम्हारे पास आएगा। 27 उस समय तुम उस व्यक्ति से बातें कर सकोगे। तुम और अधिक चुप नहीं रह सकोगे। इस प्रकार तुम उनके लिये उदाहरण बनोगे। तब वे जानेंगे कि मैं यहोवा हूँ।”

अम्मोन के विरुद्ध भविष्यवाणी

25 यहोवा का वचन मुझे मिला। उसने कहा, “मनुष्य के पुत्र, अम्मोन के लोगों पर ध्यान दो और मेरे लिये उनके विरुद्ध कुछ कहो। अम्मोन के लोगो से कहो: ‘मेरे स्वामी यहोवा का कथन सुनो! मेरा स्वामी यहोवा कहता है: तुम तब प्रसन्न थे जब मेरा पवित्र स्थान नष्ट हुआ था। तुम लोग तब इस्राएल देश के विरुद्ध थे जब यह दूषित हुआ था। तुम यहूदा के परिवार के विरुद्ध थे जब वे लोग बन्दी बनाकर ले जाए गए। इसलिये मैं तुम्हें, पूर्व के लोगों को दूँगा। वे तुम्हारी भूमि लेंगे। उनकी सेनायें तुम्हारे देश में अपना डेरा डालेंगी। वे तुम्हारे बीच रहेंगे। वे तुम्हारे फल खाएंगे और तुम्हारा दूध पीएंगे।

“‘मैं रब्बा नगर को ऊँटों की चरागाह और अम्मोन देश को भेड़ों का बाड़ा बना दूँगा। तब तुम समझोगे कि मैं यहोवा हूँ। यहोवा यह कहता है: तुम प्रसन्न थे कि यरूशलेम नष्ट हुआ। तुमने तालियाँ बजाई और पैरों पर थिरके। तुमने इस्राएल प्रदेश को अपमानित करने वाले मज़ाक किये। अत: मैं तुम्हें दण्ड दूँगा। तुम वैसी कीमती चीजों की तरह होगे जिन्हें सैनिक युद्ध में पाते हैं। तुम अपना उत्तराधिकार खो दोगे। तुम दूर देशों में मरोगे। मैं तुम्हारे देश को नष्ट करूँगा! तब तुम जानोगे कि मैं यहोवा हूँ।’”

मोआब और सेईर के विरुद्ध भविष्यवाणी

मेरा स्वामी यहोवा यह कहता है: “मोआब और सेईर (एदोम) कहते है, ‘यहूदा का परिवार ठीक किसी अन्य राष्ट्र की तरह है।’ मैं मोआब के कन्धे पर प्रहार करूँगा, मैं इसके उन नगरों को लूँगा जो इसकी सीमा पर प्रदेश के गौरव, बेत्यशीमोत, बालमोन और किर्यातैम हैं। 10 तब मैं इन नगरों को पूर्व के लोगों को दूँगा। वे तुम्हारा प्रदेश लेंगे और मैं पूर्व के लोगों को अम्मोन को नष्ट करने दूँगा। तब हर एक व्यक्ति भूल जाएगा कि अम्मोन के लोग एक राष्ट्र थे। 11 इस प्रकार मैं मोआब को दण्ड दूँगा। तब वे जानेंगे कि मैं यहोवा हूँ।”

एदोम के विरुद्ध भविष्यवाणी

12 मेरा स्वामी यहोवा यह कहता है, “एदोम के लोग यहूदा के परिवार के विरुद्ध उठ खड़े हुए और उससे बदला लेना चाहा। एदोम के लोग दोषी है।” 13 इसलिये मेरा स्वामी यहोवा कहता है: “मैं एदोम को दण्ड दूँगा। मैं एदोम के लोगों और जानवरों को नष्ट करूँगा। मैं एदोम के पूरे देश को तेमान से ददान तक नष्ट करूँगा। एदोमी युद्ध में मारे जाएंगे। 14 मैं अपने लोगों, इस्राएल का उपयोग करूँगा और एदोम के विरुद्ध भी होऊँगा। इस प्रकार इस्राएल के लोग मेरे क्रोध को एदोम के विरुद्ध प्रकट करेंगे। तब एदोम के लोग समझेंगे कि मैंने उनको दण्ड दिया।” मेरे स्वामी यहोवा ने यह कहा।

पलिश्तियों के विरुद्ध भविष्यवाणी

15 मेरे स्वामी यहोवा ने यहा कहा, “पलिश्तियों ने भी बदला लेने का प्रयत्न किया। वे बहुत क्रूर थे। उन्होंने अपने क्रोध को अपने भीतर अत्याधिक समय तक जलते रखा।” 16 इसलिये मेरे स्वामी यहोवा ने कहा, “मैं पलिश्तियों को दण्ड दूँगा। हाँ, मैं करेत से उन लोगों को नष्ट करूँगा। मैं समुद्र—तट पर रहने वाले उन लोगों को पूरी तरह नष्ट करुँगा। 17 मैं उन लोगों को दण्ड दूँगा, मैं उनसे बदला लूँगा। मैं अपने क्रोध द्वारा उन्हें एक सबक सिखाऊँगा तब वे जानेंगे कि मैं यहोवा हूँ!”

सोर के बारे में दु:खद समाचार

26 देश निकाले के ग्यारहवें वर्ष में, महीने के पहले दिन, यहोवा का वचन मुझे मिला। उसने कहा, “मनुष्य के पुत्र, सोर ने यरूशलेम के विरुद्ध बुरी बातें कहीं: आहा! लोगों की रक्षा करने वाला नगर—द्वार नष्ट हो गया है! नगर—द्वार मेरे लिये खुला है। नगर (यरूशलेम) नष्ट हो गया है, अत: मैं इससे बहुत सी बहुमूल्य चीज़ें ले सकता हूँ!”

इसलिये मेरा स्वामी यहोवा कहता है: “सोर, मैं तुम्हारे विरुद्ध हूँ! मैं तुम्हारे विरुद्ध लड़ने के लिये कई राष्ट्रों को लाऊँगा। वे समुद्र—तट की लहरों की तरह बार—बार आएंगे।”

परमेश्वर ने कहा, “शत्रु के वे सैनिक सोर की दीवारों को नष्ट करेंगे और उनके स्तम्भों को गिरा देंगे। मैं भी उसकी भूमि से ऊपर की मिट्टी को खुरच दूँगा। मैं सोर को चट्टान मात्र बना डालूँगा। सोर समुद्र के किनारे मछलियोंके जालों के फैलाने का स्थान मात्र रह जाएगा। मैंने यह कह दिया है!” मेरा स्वामी यहोवा कहता है, “सोर उन बहुमूल्य वस्तुओं की तरह होगा जिन्हें सैनिक युद्ध में पाते हैं। मूल प्रदेश में उसकी पुत्रियाँ (छोटे नगर) युद्ध में मारी जाएंगी। तब वे जानेंगे कि मैं यहोवा हूँ।”

नबूकदनेस्सर सोर पर आक्रमण करेगा

मेरा स्वामी यहोवा यह कहता है, “मैं सोर के विरुद्ध उत्तर से एक शत्रु लाऊँगा। बाबुल का महान राजा नबूकदनेस्सर शत्रु है! वह एक विशाल सेना लाएगा। उसमें घोड़े, रथ, घुड़सवार सैनिक और अत्याधिक संख्या में अन्य सैनिक होंगे। वे सैनिक विभिन्न राष्ट्रों से होंगे। नबूकदनेस्सर मूल प्रदेश में तुम्हारी पुत्रियों (छोटे नगर) को मार डालेगा। वह तुम्हारे नगरों पर आक्रमण करने के लिये मीनारें बनाएगा! वह तुम्हारे नगर के चारों ओर कच्ची सड़क बनाएगा! वह एक कच्ची सड़क दीवार तक पहुँचाने वाली बनाएगा। वह तुम्हारी दीवारों को तोड़ने के लिये लट्ठे लाएगा। वह कुदालियों का उपयोग करेगा और तुम्हारी मीनारों को तोड़ गिराएगा। 10 उसके घोड़े इतनी बड़ी संख्या में होंगे कि उनकी टापों से उठी धूलि तुम्हें ढक लेगी। तुम्हारी दीवारें घुड़सवार सैनिकों, बन्द गाड़ियों और रथों की आवाज़ से काँप उठेगी। जब बाबुल का राजा नगर—द्वार से नगर में प्रवेश करेगा। हाँ, वे तुम्हारे नगर में आएंगे क्योंकि इसकी दीवारें गिराई जाएंगी। 11 बाबुल का राजा तुम्हारे नगर से घोड़े पर सवार होकर निकलेगा। उसके घोड़ों की टाप तुम्हारी सड़कों को कुचलती हुई आएगी। वह तुम्हारे लोगों को तलवार से मार डालेगा। तुम्हारे नगर की दृढ़ स्तम्भ—पंक्तियाँ धराशायी होंगी। 12 नबूकदनेस्सर के सैनिक तुम्हारी सम्पत्ति ले जाएंगे। वे उन चीज़ों को ले जाएंगे जिन्हें तुम बेचना चाहते हो। वे तुम्हारी दीवारों को ध्वस्त करेंगे और तुम्हारे सुन्दर भवनों को नष्ट करेंगे। वे तुम्हारे पत्थरों और लकड़ियों के घरों को कूड़े की तरह समुद्र में फेंक देंगे। 13 इस प्रकार मैं तुम्हारे आनन्द गीतों के स्वर को बन्द कर दूँगा। लोग तुम्हारी वीणा को भविष्य में नहीं सुनेंगे। 14 मैं तुमको नंगी चट्टान मात्र कर दूँगा। तुम समुद्र के किनारे मछलियों के जालों को फैलाने के स्थान रह जाओगे। तुम्हारा निर्माण फिर नहीं होगा। क्यों क्योंकि मैं, यहोवा ने यह कहा है!” मेरे स्वामी यहोवा ने वे बातें कहीं।

अन्य राष्ट्र सोर के लिये रोयेंगे

15 मेरा स्वामी यहोवा सोर से यह कहता है: “भूमध्य सागर के तट से लगे देश तुम्हारे पतन की ध्वनि से काँप उठेंगे। यह तब होगा जब तुम्हारे लोग चोट खाएंगे और मारे जाएंगे। 16 तब समुद्र तट के देशों के सभी प्रमुख अपने सिंहासनों से उतरेंगे और अपना दु:ख प्रकट करेंगे। वे अपनी विशेष पोशाक उतारेंगे। वे अपने सुन्दर वस्त्रों को उतारेंगे। तब वे अपने काँपने के वस्त्र (भय) पहनेंगे। वे भूमि पर बैठेंगे और भय से काँपेंगे। वे इस पर शोकग्रस्त होंगे कि तुम इतने शीघ्र कैसे नष्ट हो गए। 17 वे तुम्हारे विषय में यह करुण गीत गायेंगे:

“‘हे सोर, तुम प्रसिद्ध नगर थे
    समुद्र पार से लोग तुम पर बसने आए।
तुम प्रसिद्ध थे,
    किन्तु अब तुम कुछ नहीं हो।
तुम सागर पर शक्तिशाली थे,
    और वैसे ही तुम में निवास करने वाले व्यक्ति थे!
तुमने विशाल भू—पर रहने वाले सभी लोगों को
    भयभीत किया।
18 अब जिस दिन तुम्हारा पतन होता है,
    समुद्र तट से लगे देश भय के कंपित होंगे।
तुमने समुद्र तट के सहारे कई उपनिवेश बनाए,
    अब वे लोग भयभीत होंगे, जब तुम नहीं रहोगे!’”

19 मेरा स्वामी यहोवा यह कहता है, “सोर, मैं तुम्हें नष्ट करूँगा और तुम एक प्राचीन खाली नगर हो जाओगे। वहाँ कोई नहीं रहेगा। मैं समुद्र को तुम्हारे ऊपर बहाऊँगा। विशाल समुद्र तुम्हें ढक लेगा। 20 मैं तुम्हें नीचे उस गहरे अधोगर्त में भेजूँगा, जिस स्थान पर मरे हुए लोग हैं। तुम उन लोगों से मिलोगे जो बहुत पहले मर चुके। मैं तुम्हें उन सभी प्राचीन और खाली नगरों की तरह पाताल लोक में भेजूँगा। तुम उन सभी अन्य लोगों के साथ होगे जो कब्र में जाते हैं। तुम्हारे साथ तब कोई नहीं रहेगा। तुम फिर कभी जीवितों के प्रदेश में नहीं रहोगे! 21 अन्य लोग उससे डरेंगे जो तुम्हारे साथ हुआ। तुम समाप्त हो जाओगे! लोग तुम्हारी खोज करेंगे, किन्तु तुमको फिर कभी पाएंगे नहीं!” मेरा स्वामी यहोवा यही कहता है।

सोर समुद्र पर व्यापार का महान केन्द्र

27 यहोवा का वचन मुझे फिर मिला। उसने कहा, “मनुष्य के पुत्र, सोर के बारे में यह करुण—गीत गाओ। सोर के बारे में यह कहो: ‘सोर, तुम समुद्र के द्वार हो। तुम अनेक राष्ट्रों के लिये व्यापारी हो, तुम समुद्र तट के सहारे के अनेक देशों की यात्रा करते हो। मेरा स्वामी यहोवा यह कहता है:

“‘सोर तुम सोचते हो कि तुम इतने अधिक सुन्दर हो!
    तुम सोचते हो कि तुम पूर्णत: सुन्दर हो!
भूमध्य सागर तुम्हारे नगर के चारों ओर सीमा बनाता है।
    तुम्हारे निर्माताओं ने तुम्हें पूर्णत: सुन्दर बनाया।
    तुम उन जहाज़ों की तरह हो जो तुम्हारे यहाँ से यात्रा पर जाती हैं।
तुम्हारे निर्माताओं ने, सनीर पर्वत से सनौवर के पेड़ों का उपयोग,
    तुम्हारे सभी तख्तों को बनाने के लिये किया।
उन्होंने लबानोन से देवदार वन का उपयोग,
    तुम्हारे मस्तूल को बनाने के लिये किया।
उन्होंने बाशान से बांज वृक्ष का उपयोग,
    तुम्हारे पतवारों को बनाने के लिये किया।
उन्होंने सनौवर से चीड़ वृक्ष का उपयोग,
    तुम्हारे जहाज़ी फर्श के कमरे के लिये किया,
    और उन्होंने इस निवास को हाथी—दाँत से सजाया।
तुम्हारे पाल के लिये उन्होंने मिस्र में बने रंगीन सूती वस्त्र का उपयोग किया।
    पाल तुम्हारा झंड़ा था।
कमरे के लिये तुम्हारे पर्दे नीले और बैंगनी थे।
    वे सनौवर के समुद्र तट से आते थे।
सीदोन और अर्वद के निवासियों ने तुम्हारे लिये तुम्हारी नावों को खेया।
    सोर तुम्हारे बुद्धिमान व्यक्ति तुम्हारे जहाज़ों के चालक थे।
गबल के अग्रज प्रमुख और बुद्धिमान व्यक्ति
    जहाज़ के तख्तों के बीच कल्किन लगाने में सहायता के लिये जहाज़ पर थे।
समुद्र के सारे जहाज और उनके चालक तुम्हारे साथ
    व्यापार और वाणिज्य करने आते थे।

10 “‘फारस, लूद और पूत के लोग तुम्हारी सेना में थे। वे तुम्हारे युद्ध के सैनिक थे। उन्होंने अपनी ढालें और सिर के कवच तुम्हारी दीवारों पर लटकाये थे। उन्होंने तुम्हारे नगर के लिये सम्मान और यश कमाया। 11 अर्वद के व्यक्ति तुम्हारे नगर के चारों ओर की दीवार पर रक्षक के रूप में खड़े थे। गम्मत के व्यक्ति तुम्हारी मीनारों में थे। उन्होंने तुम्हारे नगर के चारों ओर की दीवारों पर अपनी ढाले टाँगी। उन्होंने तुम्हारी सुन्दरता को पूर्ण किया।

12 “‘तर्शीश तुम्हारे सर्वोत्तम ग्राहकों में से एक था। वे तुम्हारी सभी अद्भुत विक्रय वस्तुओं के बदले चाँदी, लोहा, टीन और सीसा देते थे। 13 यावान, तूबल, मेशेक और काले सागर के चारों ओर के क्षेत्र के लोग तुम्हारे साथ व्यापार करते थे। वे तुम्हारी विक्रय चीज़ों के बदले गुलाम और काँसा देते थे। 14 तोगर्मा राष्ट्र के लोग घोड़े, युद्ध अश्व और खच्चर उन चीज़ों के बदले में देते थे जिन्हें तुम बेचते थे। 15 ददान के लोग तुम्हारे साथ व्यापार करते थे। तुम अपनी चीज़ों को अनेक स्थानों पर बेचते थे। लोग तुमको भुगतान करने के लिये हाथी दाँत और आबनूस की लकड़ी लाते थे। 16 एदोम तुम्हारे साथ व्यापार करता था क्योंकि तुम्हारे पास बहुत सी अच्छी चीज़ें थीं। एदोम के लोग नीलमणि, बैंगनी वस्त्र, बारीक कढ़ाई के काम, बारीक सूती, मूंगा और लाल तुम्हारी विक्रय चीज़ों के बदले देते थे।

17 “‘यहूदा और इस्राएल के लोगों ने तुम्हारे साथ व्यापार किया। उन्होंने तुम्हारी विक्रय चीजों के लिये भुगतान में गेहूँ, जैतून, अगाती, अंजीर, शहद, तेल और मलहम दिये। 18 दमिश्क एक अच्छा ग्राहक था। वे तुम्हारे पास की अद्भुत चीजों के लिये व्यापार करते थे। वे हेलबोन से दाखमधु का व्यापार करते थे और उन चीजों के लिये सफेद ऊन लेते थे। 19 जो चीजें तुम बेचते थे उनसे दमिश्क उजला से दाखमधु मंगाने का व्यापार करता था। वे उन चीजों के भुगतान में तैयार लोहा, कस्सिय और गन्ना देते थे। 20 ददान अच्छा धन्धा प्रदान करता था। वे तुम्हारे साथ काठी के वस्त्र और सवारी के घोड़ों का व्यापार करते थे। 21 अरब और केदार के सभी प्रमुख मेमने, भेड़ और बकरियाँ तुम्हारी विक्रय की गई वस्तुओं के लिये देते थे। 22 शबा और रामा के व्यापारी तुम्हारे साथ व्यापार करते थे। वे सर्वोत्तम मसाले, हर प्रकार के रत्न और सोना तुम्हारी विक्रय की गई चीजों के लिये देते थे। 23 हारान, कन्ने, एदेन तथा शबा, अश्शूर, कलमद के व्यापारी तुम्हारे साथ व्यापार करते थे। 24 उन्होंने सर्वोत्तम कपड़ों, बारीक कढ़े हुए और नीले वस्त्र, रंग—बिरंगे कालीन, अच्छी बटी रस्सियाँ और देवदार की लकड़ी से बने सामान भुगतान में दिये। ये वे चीजें थीं जिनसे उन्होंने तुम्हारे साथ व्यापार किया। 25 तर्शीश के जहाज उन चीजों को ले जाते थे जिन्हें तुम बेचते थे।

“‘सोर, तुम उन व्यापारी बेड़ों में से एक की तरह हो,
    तुम समुद्र पर बहुमूल्य वस्तुओं से लदे हुए हो।
26 वे व्यक्ति जो तुम्हारी नावों को खेते थे।
    तुम्हें विशाल और शक्तिशाली समुद्रों के पार ले गए।
    किन्तु शक्तिशाली पुरवाई तुम्हारे जहाजों को समुद्र में नष्ट करेगी।
27 और तुम्हारी सारी सम्पत्ति समुद्र में डूब जाएगी।
    तुम्हारी सम्पत्ति, तुम्हारा व्यापार
और विक्रय चीजें, तुम्हारे मल्लाह
    और तुम्हारे चालक, तुम्हारे व्यक्ति जो,
तुम्हारे जहाज पर तख्तों के बीच में कल्किन लगाते हैं,
    तुम्हारे मल्लाह और तुम्हारे नगर के सभी सैनिक
और तुम्हारे नाविक सारे समुद्र में डूब जाएंगे।
    यह उसी दिन होगा जिस दिन तुम नष्ट होगे!

28 “‘तुमने अपने व्यापारियों को बहुत दूर से स्थानों में भेजा।
    वे स्थान भय से काँप उठेंगे, जब वे तुम्हारे चालकों का चिल्लाना सुनेंगे!’
29 तुम्हारे सारे नाविक जहाज से कूदेंगे।
    मल्लाह और चालक जहाज से कूदेंगे, और तट पर तैर आएंगे।
30 वे तुम्हारे बारे में बहुत दु:खी होंगे।
    वे रो पड़ेंगे। वे अपने सिरों पर धूली डालेंगे।
वे राख में लोटेंगे।
31 वे तुम्हारे लिए सिर पर उस्तरा फिरायेंगे।
    वे शोक—वस्त्र पहनेंगे।
वे तुम्हारे लिये रोये—चिल्लायेंगे।
    वे किसी ऐसे रोते हुए के समान होंगे, जो किसी के मरने पर रोता है।

32 “‘वे अपने फूट—फूट कर रोने के समय तुम्हारे बारे में यह शोक गीत गायेंगे और रोयेंगे:

“‘कोई सोर की तरह नहीं है!
    सोर नष्ट कर दिया गया समुद्र के बीच में!
33 तुम्हारे व्यापारी समुद्रों के पार गए।
    तुमने अनेक लोगों को, अपनी विशाल सम्पत्ति और विक्रय वस्तुओं से सन्तुष्ट किया।
    तुमने भूमि के राजाओं को सम्पन्न बनाया!
34 किन्तु अब तुम समुद्रों द्वारा टूटे हो
    और गहरे जल द्वारा भी।
सभी चीजें जो तुम बेचते हो,
    और तुम्हारे सभी व्यक्ति नष्ट हो चुके हैं!
35 समुद्र तट के निवासी सभी व्यक्ति
    तुम्हारे लिये शोकग्रस्त हैं।
उनके राजा भयानक रूप से डरे हैं।
    उनके चेहरे से शोक झांकता है।
36 अन्य राष्ट्रों के व्यापारी तुम पर छींटा कसते हैं।
जो घटनायें तुम्हारे साथ घटीं, लोगों को भयभीत करेगी।
    क्यों क्योंकि तुम अब समाप्त हो।
    तुम भविष्य में नहीं रहोगे।’”

सोर अपने को परमेश्वर समझता है

28 यहोवा का वचन मुझे मिला। उसने कहा, “मनुष्य के पुत्र, सोर के राजा से कहो, ‘मेरा स्वामी यहोवा यह कहता है:

“‘तुम बहुत घमण्डी हो!
    और तुम कहते हो, “मैं परमेश्वर हूँ!
मैं समुद्रों के मध्य में
    देवताओं के आसन पर बैठता हूँ।”

“‘किन्तु तुम व्यक्ति हो, परमेश्वर नहीं!
    तुम केवल सोचते हो कि तुम परमेश्वर हो।
तुम सोचते हो तुम दानिय्येल से बुद्धिमान हो!
    तुम समझते हो कि तुम सारे रहस्यों को जान लोगे!
अपनी बुद्धि और अपनी समझ से।
    तुमने सम्पत्ति स्वयं कमाई है और तुमने कोषागार में सोना—चाँदी रखा है।
अपनी तीव्र बुद्धि और व्यापार से तुमने अपनी सम्पत्ति बढ़ाई है,
    और अब तुम उस सम्पत्ति के कारण गर्वीले हो।

“‘अत: मेरा स्वामी यहोवा यह कहता है:
    सोर, तुमने सोचा तुम परमेश्वर की तरह हो।
मैं अजनबियों को तुम्हारे विरुद्ध लड़ने के लिये लाऊँगा।
    वे राष्ट्रों में बड़े भयंकर हैं!
वे अपनी तलवारें बाहर खीचेंगे
    और उन सुन्दर चीजों के विरुद्ध चलाएंगे जिन्हें तुम्हारी बुद्धि ने कमाया।
वे तुम्हारे गौरव को ध्वस्त करेंगे।
वे तुम्हें गिराकर कब्र में पहुँचाएंगे।
    तुम उस मल्लाह की तरह होगे जो समुद्र में मरा।
वह व्यक्ति तुमको मार डालेगा।
    क्या अब भी तुम कहोगे, “मैं परमेश्वर हूँ”?
उस समय वह तुम्हें अपने अधिकार में करेगा।
    तुम समझ जाओगे कि तुम मनुष्य हो, परमेश्वर नहीं!
10 अजनबी तुम्हारे साथ विदेशी जैसा व्यवहार करेंगे, और तुमको मार डालेंगे।
    ये घटनाएँ होंगी क्योंकि मेरे पास आदेश शक्ति है!’”
मेरे स्वामी यहोवा ने ये बातें कहीं।

11 यहोवा का वचन मुझे मिला। उसने कहा, 12 “मनुष्य के पुत्र, सोर के राजा के बारे में करुण गीत गाओ। उससे कहो, ‘मेरे स्वामी यहोवा यह कहता है:

“‘तुम आदर्श पुरुष थे,
    तुम बुद्धिमत्ता से परिपूर्ण थे, तुम पूर्णत: सुन्दर थे,
13 तुम एदेन में थे परमेश्वर के उद्यान में
तुम्हारे पास हर एक बहुमूल्य रत्न थे—
    लाल, पुखराज, हीरे, फिरोजा,
    गोमेद और जस्पर नीलम,
    हरितमणि और नीलमणि
और ये हर एक रत्न सोने में जड़े थे।
    तुमको यह सौन्दर्य प्रदान किया गया था जिस दिन तुम्हारा जन्म हुआ था।
    परमेश्वर ने तुम्हें शक्तिशाली बनाया।
14 तुम चुने गए करुब (स्वर्गदूत) थे।
    तुम्हारे पंख मेरे सिंहासन पर फैले थे
और मैंने तुमको परमेश्वर के पवित्र पर्वत पर रखा।
    तुम उन रत्नों के बीच चले जो अग्नि की तरह कौंधते थे।
15 तुम अच्छे और ईमानदार थे जब मैंने तुम्हें बनाया।
    किन्तु इसके बाद तुम बुरे बन गए।
16 तुम्हारा व्यापार तुम्हारे पास बहुत सम्पत्ति लाता था।
    किन्तु उसने भी तुम्हारे भीतर क्रूरता उत्पन्न की और तुमने पाप किया।
अत: मैंने तुम्हारे साथ ऐसा व्यवहार किया मानों तुम गन्दी चीज हो।
    मैंने तुम्हें परमेश्वर के पर्वत से फेंक दिया।
तुम विशेष करुब (स्वर्गदूतों) में से एक थे,
    तुम्हारे पंख फैले थे मेरे सिंहासन पर
किन्तु मैंने तुम्हें आग की तरह
    कौंधने वाले रत्नों को छोड़ने को विवश किया।
17 तुम अपने सौन्दर्य के कारण घमण्डी हो गए,
    तुम्हारे गौरव ने तुम्हारी बुद्धिमत्ता को नष्ट किया,
इसलिये मैंने तुम्हें धरती पर ला फेंका,
    और अब अन्य राजा तुम्हें आँख फाड़ कर देखते हैं।
18 तुमने अनेक गलत काम किये, तुम बहुत कपटी व्यापारी थे।
इस प्रकार तुमने पवित्र स्थानों को अपवित्र किया,
    इसलिए मैं तुम्हारे ही भीतर से अग्नि लाया,
इसने तुमको जला दिया, तुम भूमि पर राख हो गए।
    अब हर कोई तुम्हारी लज्जा देख सकता है।

19 “‘अन्य राष्ट्रों मे सभी लोग, जो तुम पर घटित हुआ, उसके बारे में शोकग्रस्त थे।
    जो तुम्हें हुआ, वह लोगों को भयभीत करेगा।
तुम समाप्त हो गये हो!’”

सीदोन के विरुद्ध सन्देश

20 यहोवा वचन मुझे मिला। उसने कहा, 21 “मनुष्य के पुत्र, सीदोन पर ध्यान दो और मेरे लिये उस स्थान के विरुद्ध कुछ कहो। 22 कहो, ‘मेरा स्वामी यहोवा यह कहता है:

“‘सीदोन, मैं तेरे विरुद्ध हूँ!
    तुम्हारे लोग मेरा सम्मान करना सीखेंगे,
मैं सीदोन को दण्ड दूँगा,
    तब लोग समझेंगे कि मैं यहोवा हूँ।
तब वे समझेंगे कि मैं पवित्र हूँ
    और वे मुझको उस रूप में लेंगे।
23 मैं सीदोन में रोग और मृत्यु भेजूँगा,
नगर के बाहर तलवार (शत्रु सैनिक) उस मृत्यु को लायेगी।
तब वे समझेंगे कि मैं यहोवा हूँ!’”

राष्ट्र इस्राएल का मजाक उड़ाना बन्द करेंगे।

24 “‘अतीत काल में इस्राएल के चारों ओर के देश उससे घृणा करते थे। किन्तु उन अन्य देशों के लिये बुरी घटनायें घटेंगी। कोई भी तेज काँटे या कंटीली झाड़ी इस्राएल के परिवार को घायल करने वाली नहीं रह जाएगी। तब वे जानेंगे कि मैं उनका स्वामी यहोवा हूँ।’”

25 मेरा स्वामी यहोवा यह कहता है, “मैंने इस्राएल के लोगों को अन्य राष्ट्रों में बिखेर दिया। किन्तु मैं फिर इस्राएल के परिवार को एक साथ इकट्ठा करूँगा। तब वे राष्ट्र समझेंगे कि मैं पवित्र हूँ और वे मुझे उसी रूप में लेंगे। उस समय इस्राएल के लोग अपने देश में रहेंगे अर्थात जिस देश को मैंने अपने सेवक याकूब को दिया। 26 वे उस देश में सुरक्षित रहेंगे। वे घर बनायेंगे तथा अंगूर की बेलें लगाएंगे। मैं उसके चारों ओर के राष्ट्रों को दण्ड दूँगा जिन्होंने उससे घृणा की। तब इस्राएल के लोग सुरक्षित रहेंगे। तब वे समझेंगे कि मैं उनका परमेश्वर यहोवा हूँ।”

मिस्र के विरुद्ध सन्देश

29 देश निकाले के दसवें वर्ष के दसवें महीने (जनवरी) के बारहवें दिन मेरे स्वामी यहोवा का वचन मुझे मिला। उसने कहा, “मनुष्य के पुत्र, मिस्र के राजा फिरौन की ओर ध्यान दो, मेरे लिये उसके तथा मिस्र के विरुद्ध कुछ कहो। कहो, ‘मेरा स्वामी यहोवा यह कहता है:

“‘मिस्र के राजा फिरौन, मैं तुम्हारे विरुद्ध हूँ।
    तुम नील नदी के किनारे विश्राम करते हुए विशाल दैत्य हो।
तुम कहते थे, “यह मेरी नदी है!
    मैंने यह नदी बनाई है!”

4-5 “‘किन्तु मैं तुम्हारे जबड़े में आँकड़े दूँगा।
    नील नदी की मछलियाँ तुम्हारी चमड़ी से चिपक जाएंगी।
मैं तुमको और तुम्हारी मछलियाँ को तुम्हारी नदियों से बाहर कर
    सूखी भूमि पर फेंक दूँगा,
तुम धरती पर गिरोगे,
    और कोई न तुम्हें उठायेगा, न ही दफनायेगा।
मैं तुम्हें जंगली जानवरों और पक्षियों को दूँगा,
    तुम उनके भोजन बनोगे।
तब मिस्र में रहने वाले सभी लोग
    जानेंगे कि मैं यहोवा हूँ!

“‘मैं इन कामों को क्यों करूँगा?
क्योंकि इस्राएल के लोग सहारे के लिये मिस्र पर झुके,
    किन्तु मिस्र केवल दुर्बल घास का तिनका निकला।
इस्राएल के लोग सहारे के लिये मिस्र पर झुके
    और मिस्र ने केवल उनके हाथों और कन्धों को विदीर्ण किया।
वे सहारे के लिये तुम पर झुके
    किन्तु तुमने उनकी पीठ को तोड़ा और मरोड़ दिया।’”

इसलिये मेरा स्वामी यहोवा यह कहता है:
“मैं तुम्हारे विरुद्ध तलवार लाऊँगा।
    मैं तुम्हारे सभी लोगों और जानवरों को नष्ट करूँगा।
मिस्र खाली और नष्ट हो जाएगा।
    तब वे समझेंगे कि मैं यहोवा हूँ।”

परमेश्वर ने कहा, “मैं वे काम क्यों करूँगा क्योंकि तुमने कहा, ‘यह मेरी नदी है। मैंने इस नदी को बनाया।’ 10 अत: मैं (परमेश्वर) तुम्हारे विरुद्ध हूँ। मैं तुम्हारी नील नदी की कई शाखाओं के विरुद्ध हूँ। मैं मिस्र को पूरी तरह नष्ट करूँगा। मिग्दोल से सवेन तक तथा जहाँ तक कूश की सीमा है, वहाँ तक नगर खाली होंगे। 11 कोई व्यक्ति या जानवर मिस्र से नहीं गुजरेगा। कोई व्यक्ति या जानवर मिस्र में चालीस वर्ष तक नहीं रहेगा। 12 मैं मिस्र देश को उजाड़ कर दूँगा और उसके नगर चालीस वर्ष तक उजाड़ रहेंगे। मैं मिस्रियों को राष्ट्रों में बिखेर दूँगा। मैं उन्हें विदेशों में बसा दूँगा।”

13 मेरा स्वामी यहोवा यह कहता है, “मैं मिस्र के लोगों को कई राष्ट्रों में बिखेरूँगा। किन्तु चालीस वर्ष के अन्त में फिर मैं उन लोगों को एक साथ इकट्ठा करूँगा। 14 मैं मिस्र के बंदियों को वापस लाऊँगा। मैं मिस्रियों को पत्रास के प्रदेश में, जहाँ वे उत्पन्न हुए थे, वापस लाऊँगा। किन्तु उनका राज्य महत्वपूर्ण नहीं होगा। 15 यह सबसे कम महत्वपूर्ण राज्य होगा। मैं इसे फिर अन्य राष्ट्रों से ऊपर कभी नहीं उठाऊँगा। मैं उन्हें इतना छोटा कर दूँगा कि वे राष्ट्रों पर शासन नहीं कर सकेंगे 16 और इस्राएल का परिवार फिर कभी मिस्र पर आश्रित नहीं रहेगा। इस्राएली अपने पाप को याद रखेंगे। वे याद रखेंगे कि वे सहायता के लिये मिस्र की ओर मुड़े, परमेश्वर की ओर नहीं और वे समझेंगे कि मैं यहोवा और स्वामी हूँ।”

बाबुल मिस्र को लेगा

17 देश निकाले के सत्ताईसवें वर्ष के पहले महीने (अप्रैल) के पहले दिन यहोवा का वचन मुझे मिला। उसने कहा, 18 “मनुष्य के पुत्र, बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर ने सोर के विरुद्ध अपनी सेना को भीषण युद्ध में लगाया। उन्होंनेहर एक सैनिक के बाल कटवा दिये। भारी वजन ढोने के कारण हर एक कंधा रगड़ से नंगा हो गया। नबूकदनेस्सर और उसकी सेना ने सोर को हराने के लिये कठिन प्रयत्न किया। किन्तु वे उन कठिन प्रयत्नों से कुछ पा न सके।” 19 अत: मेरा स्वामी यहोवा यह कहता है, “मैं बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर को मिस्र देश दूँगा और नबूकदनेस्सर मिस्र के लोगों को ले जाएगा। नबूकदनेस्सर मिस्र की कीमती चीज़ों को ले जाएगा। यह नबूकदनेस्सर की सेना का वेतन होगा। 20 मैंने नबूकदनेस्सर को मिस्र देश उसके कठिन प्रयत्न के पुरस्कार के रूप में दिया है। क्यों क्योंकि उन्होंने मेरे लिये काम किया!” मेरे स्वामी यहोवा ने यह कहा।

21 “उस दिन मैं इस्राएल के परिवार को शक्तिशाली बनाऊँगा और तुम्हारे लोग मिस्रियों का मजाक उड़ाएंगे। तब वे जानेंगे कि मैं यहोवा हूँ।”

बाबुल की सेना मिस्र पर आक्रमण करेगी

30 यहोवा का वचन मुझे फिर मिला। उसने कहा, “मनुष्य के पुत्र, मेरे लिये कुछ कहो। कहो, मेरा स्वामी यहोवा यह कहता है:

“‘रोओ और कहो,
    “वह भयंकर दिन आ रहा है।”
वह दिन समीप है!
हाँ, न्याय करने का यहोवा का दिन समीप है।
    यह एक दुर्दिन होगा।
    यह राष्ट्रों के साथ न्याय करने का समय होगा!
मिस्र के विरुद्ध तलवार आएगी! कूश के लोग भय से काँप उठेंगे,
    जिस समय मिस्र का पतन होगा।
बाबुल की सेना मिस्र के लोगों को बन्दी बना कर ले जाएगी।
    मिस्र की नींव उखड़ जाएगी!

“‘अनेक लोगों ने मिस्र से शान्ति—सन्धि की। किन्तु कूश, पूत, लूद, समस्त अरब, कूब और इस्राएल के सभी लोग नष्ट होंगे!

“‘मेरा स्वामी यहोवा यह कहता है: हाँ, जो मिस्र की सहायता करते हैं उनका पतन होगा!
    उसकी शक्ति का गर्व नीचा होगा।
मिस्र के लोग युद्ध में मारे जाएंगे मिग्दोल से लेकर सवेन तक के।
    मेरे स्वामी यहोवा ने वे बातें कहीं!
मिस्र उन देशों में मिल जाएगा जो नष्ट कर दिए गए।
    मिस्र उन खाली देशों में से एक होगा।
मैं मिस्र में आग लगाऊँगा
    और उसके सभी सहायक नष्ट हो जायेंगे।
तब वे जानेंगे कि मैं यहोवा हूँ!

“‘उस समय मैं दूतों को भेजूँगा। वे जहाजों में कूश को बुरी खबरें पहुँचाने के लिये जाएंगे। कूश अब अपने को सुरक्षित समझता है। किन्तु कूश के लोग भय से तब काँप उठेंगे जब मिस्र दण्डित होगा। वह समय आ रहा है!’”

10 मेरा स्वामी यहोवा यह कहता है:
“मैं बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर का उपयोग करूँगा और
    मैं मिस्र के लोगों को नष्ट करूँगा।
11 नबूकदनेस्सर और उसके लोग
    राष्ट्रों में सर्वाधिक भयंकर हैं।
    मैं उन्हें मिस्र को नष्ट करने के लिये लाऊँगा।
वे मिस्र के विरुद्ध अपनी तलवारें निकालेंगे।
    वे प्रदेश को शवों से पाट देंगे।
12 मैं नील नदी को सूखी भूमि बना दूँगा।
    तब मैं सूखी भूमि को बुरे लोगों को बेच दूँगा।
मैं अजनबियों का उपयोग उस देश को खाली करने के लिये करूँगा।
    मैं यहोवा ने, यह कहा है!”

मिस्र की देवमूर्तियाँ नष्ट की जाएंगी

13 मेरा स्वामी यहोवा यह कहता है:
“मैं मिस्र में देवमूर्तियों को नष्ट करुँगा।
    मैं मूर्तियों को नोप से बाहर करूँगा।
मिस्र देश में कोई भी प्रमुख भविष्य के लिये नहीं होगा,
    और मैं मिस्र में भय भर दूँगा।
14 मैं पत्रोस को खाली करा दूँगा।
    मैं सोअन में आग लगा दूँगा।
    मैं नो को दण्ड दूँगा
15 और मैं सीन नामक मिस्र के किले के विरुद्ध अपने क्रोध की वर्षा करूँगा!
    मैं नो के लोगों को नष्ट करूँगा।
16 मैं मिस्र में आग लगाऊँगा।
    सीन नामक स्थान भय से पीड़ित होगा,
नो नगर में सैनिक टूट पड़ेंगे
    और नो को प्रतिदिन नयी परेशानियाँ होंगी।
17 आवेन और पीवेसेत के युवक युद्ध में मारे जाएंगे
    और स्त्रियाँ पकड़ी जाएंगी और ले जाई जाएँगी।
18 तहपन्हेस का यह काला दिन होगा, जब मैं मिस्र के अधिकार को समाप्त करूँगा
    मिस्र की गर्वीली शक्ति समाप्त होगी!
मिस्र को दुर्दिन ढक लेगा
    और उसकी पुत्रियाँ पकड़ी और ले जायी जाएँगी।
19 इस प्रकार मैं मिस्र को दण्ड दूँगा।
    तब वे जानेंगे कि मैं यहोवा हूँ!”

मिस्र सदा के लिये दुर्बल होगा

20 देश निकाले के ग्यारहवें वर्ष में प्रथम महीने (अप्रैल) के सातवें दिन यहोवा का वचन मुझे मिला। उसने कहा, 21 “मनुष्य के पुत्र, मैंने मिस्र के राजा फिरौन की भुजा (शक्ति) तोड़ डाली है। कोई भी उसकी भुजा पर पट्टी नहीं लपेटेगा। उसका घाव नहीं भरेगा। अत: उसकी भुजा तलवार पकड़ने योग्य शक्ति वाली नहीं होगी।”

22 मेरा स्वामी यहोवा यह कहता है, “मैं मिस्र के राजा फिरौन के विरुद्ध हूँ। मैं उसकी दोनों भुजाओं शक्तिशाली भुजा और पहले से टूटी भुजा को तोड़ डालूँगा। मैं उसके हाथ से तलवार को गिरा दूँगा। 23 मैं मिस्रियों को राष्ट्रों में बिखेर दूँगा। 24 मैं बाबुल के राजा की भुजाओं को शक्तिशाली बनाऊँगा। मैं अपनी तलवार उसके हाथ में दूँगा। किन्तु मैं फिरौन की भुजा को तोड़ दूँगा। तब फिरौन पीड़ा से चीखेगा, राजा की चीख एक मरते हुए व्यक्ति की चीख सी होगी। 25 अत: मैं बाबुल के राजा की भुजाओं को शक्तिशाली बनाऊँगा, किन्तु फिरौन की भुजायें कट गिरेंगी। तब वे जानेंगे कि मैं यहोवा हूँ।

“मैं बाबुल के राजा के हाथों अपनी तलवार दूँगा। तब वह मिस्र देश के विरुद्ध अपनी तलवार को आगे बढ़ायेगा। 26 मैं मिस्रियों को राष्ट्रों में बिखेर दूँगा। तब वे समझेंगे कि मैं यहोवा हूँ!”

अश्शूर एक देवदार वृक्ष की तरह है

31 देश निकाले के ग्यारहवें वर्ष में तीसरे महीने (जून) के प्रथम दिन यहोवा का सन्देश मुझे मिला। उसने कहा, “मनुष्य के पुत्र, मिस्र के राजा फिरौन और उसके लोगों से यह कहो:

“‘तुम्हारी महानता में
    कौन तुम्हारे समान है
अश्शूर, लबानोन में, सुन्दर शाखाओं सहित एक देवदार का वृक्ष था।
    वन की छाया—युक्त और अति ऊँचा एक देवदार का वृक्ष था।
    इसके शिखर जलद भेदी थे!
जल वृक्ष को उगाता था।
    गहरी नदियाँ वृक्ष को ऊँचा करती थीं।
नदियाँ उन स्थान के चारों ओर बहती थीं, जहाँ वृक्ष लगे थे।
    केवल इसकी धारायें ही खेत के अन्य वृक्षों तक बहती थीं।
इसलिये खेत के सभी वृक्षों से ऊँचा वृक्ष वही था
    और इसने कई शाखायें फैला रखी थीं।
वहाँ काफी जल था।
    अत: वृक्ष—शाखायें बाहर फैली थीं।
वृक्ष की शाखाओं में संसार के सभी पक्षियों ने घोंसले बनाए थे।
    वृक्ष की शाखाओं के नीचे,
खेत के सभी जानवर बच्चों को जन्म देते थे।
    सभी बड़े राष्ट्र
    उस वृक्ष की छाया में रहते थे।
अत: वृक्ष अपनी महानता
    और अपनी लम्बी शाखाओं में सुन्दर था।
क्यों? क्योंकि इसकी जड़ें यथेष्ट
    जल तक पहुँची थीं!
परमेश्वर के उद्यान के देवदारु वृक्ष भी,
    उतने बड़े नहीं थे जितना यह वृक्ष।
सनौवर के वृक्ष इतनी अधिक शाखायें नहीं रखते,
    चिनार—वृक्ष भी ऐसी शाखायें नहीं रखते,
परमेश्वर के उद्यान का कोई भी वृक्ष,
    इतना सुन्दर नहीं था जितना यह वृक्ष।
मैंने अनेक शाखाओं सहित
    इस वृक्ष को सुन्दर बनाया
और परमेश्वर के उद्यान अदन, के सभी वृक्ष
    इससे ईर्ष्या करते थे!’”

10 अत: मेरा स्वामी यहोवा यह कहता है: “वृक्ष ऊँचा हो गया है। इसने अपने शिखरों को बादलों में पहुँचा दिया है। वृक्ष गर्वीला है क्योंकि यह ऊँचा है! 11 इसलिये मैंने एक शक्तिशाली राजा को इस वृक्ष को लेने दिया। उस शासक ने वृक्ष को उसके बुरे कामों के लिये दण्ड दिया। मैंने उस वृक्ष को अपने उद्यान से बाहर किया है। 12 अजनबी अत्याधिक भयंकर राष्ट्रों ने इसे काट डाला और छोड़ दिया। वृक्ष की शाखायें पर्वतों पर और सारी घाटी में गिरीं। उस प्रदेश में बहने वाली नदियों में वे टूटे अंग बह गए। वृक्ष के नीचे कोई छाया नहीं रह गई, अत: सभी लोगों ने उसे छोड़ दिया। 13 अब उस गिरे वृक्ष में पक्षी रहते हैं और इसकी गिरी शाखाओं पर जंगली जानवर चलते हैं।

14 “अब कोई भी, उस जल का वृक्ष गर्वीला नहीं होगा। वे बादलों तक पहुँचना नहीं चाहेंगे। कोई भी शक्तिशाली वृक्ष, जो उस जल को पीता है, ऊँचा होने की अपनी प्रशंसा नहीं करेगा। क्यों क्योंकि उन सभी की मृत्यु निश्चित हो चुकी है। वे सभी मृत्यु के स्थान शेओल नामक पाताल लोक में चले जाएंगे। वे उन अन्य लोगों के साथ हो जाएंगे जो मरे और नीचे नरक में चले गए।”

15 मेरा स्वामी यहोवा यह कहता है, “उस दिन जब तक वृक्ष शेओल को गया मैंने लोगों से शोक मनवाया। मैंने गहरे जल को, उसके लिये शोक से ढक दिया। मैंने वृक्ष की नदियों को रोक दिया और वृक्ष के लिये जल का बहना रूक गया। मैंने लबानोन से इसके लिये शोक मनवाया। खेत के सभी वृक्ष इस बड़े वृक्ष के शोक से रोगी हो गए। 16 मैंने वृक्ष को गिराया और वृक्ष के गिरने की ध्वनि के भय से राष्ट्र काँप उठे। मैंने वृक्ष को मृत्यु के स्थान पर पहुँचाया। यह नीचे उन लोगों के साथ रहने गया जो उस नरक में नीचे गिरे हुए थे। अतीत में एदेन के सभी वृक्ष अर्थात् लबानोन के सर्वोत्तम वृक्ष उस पानी को पीते थे। उन सभी वृक्षों ने पाताल लोक में शान्ति प्राप्त की। 17 हाँ, वे वृक्ष भी बड़े वृक्ष के साथ मृत्यु के स्थान पर गए। उन्होंने उन व्यक्तियों का साथ पकड़ा जो युद्ध में मर गए थे। उस बड़े वृक्ष ने अन्य वृक्षों को शक्तिशाली बनाया। वे वृक्ष, राष्ट्रों में उस बड़े वृक्ष की छाया में रहते थे।

18 “अत: मिस्र, एदेन में बहुत से विशाल और शक्तिशाली वृक्ष है। उनमें से किस वृक्ष के साथ मैं तुम्हारी तुलना करूँगा! तुम एदेन के वृक्षों के साथ पाताल लोक को जाओगे! मृत्यु के स्थान में तुम उन विदेशियों और युद्ध में मारे गए व्यक्तियों के साथ में लेटोगे।

“हाँ, यह फिरौन और उसके सभी लोगों के साथ होगा!” मेरे स्वामी यहोवा ने यह कहा था।

फिरौन: एक सिंह या दैत्य

32 देश—निकाले के बारहवें वर्ष के बारहवें महीने (मार्च) के प्रथम दिन यहोवा का वचन मेरे पास आया। उसने कहा, “मनुष्य के पुत्र, मिस्र के राजा के विषय में यह करुणगीत गाओ। उससे कहो:

“‘तुमने सोचा था तुम शक्तिशाली युवा सिंह हो, राष्ट्रों में गर्व सहित टहलते हुए।
    किन्तु सचमुच समुद्र के दैत्य जैसे हो।
तुम प्रवाह को धकेल कर रास्ता बनाते हो,
    और अपने पैरों से जल को मटमैला करते हो।
    तुम मिस्र की नदियों को उद्वेलित करते हो।’”

मेरा स्वामी यहोवा यह कहता है:

“मैंने बहुत से लोगों को एक साथ इकट्ठा किया है।
    अब मैं तुम्हारे ऊपर अपना जाल फेंकूँगा।
    तब वे लोग तुम्हें खींच लेंगे।
तब मैं तुम्हें सूखी जमीन पर गिरा दूँगा।
    मैं तुम्हें खेत में फेंकूँगा।
मैं सभी पक्षियों को तुम्हें खाने के लिये बुलवाऊँगा।
    मैं हर जगह से जंगली जानवरों को तुम्हें खाने और पेट भरने के लिये बुलवाऊँगा।
मैं तुम्हारे शरीर को पर्वतों पर बिखेरूँगा।
    मैं तुम्हारे शव से घाटियों को भर दूँगा।
मैं तुम्हारा रक्त पर्वतों पर डालूँगा
    और धरती इसे सोखेगी।
    नदियाँ तुमसे भर जाएंगी।
मैं तुमको लुप्त कर दूँगा।
    मैं नभ को ढक दूँगा और नक्षत्रों को काला कर दूँगा।
    मैं सूर्य को बादल से ढक दूँगा और चन्द्र नहीं चमकेगा।
मैं सभी चमकती ज्योतियों को नभ में
    तुम्हारे ऊपर काला बनाऊँगा।
    मैं तुम्हारे सारे देश में अंधेरा कर दूँगा।

“बहुत से लोग शोकग्रस्त और व्यग्र होंगे, जब वे सुनेंगे कि तुमको नष्ट करने के लिये मैं एक शत्रु को लाया। राष्ट्र जिन्हें तुम जानते भी नहीं, तिलमिला जायेंगे। 10 मैं बहुत से लोगों को तुम्हारे बारे में आघात पहुँचाऊँगा उनके राजा तुम्हारे बारे में उस समय बुरी तरह से भयभीत होंगे जब मैं उनके सामने अपनी तलवार चलाऊँगा। जिस दिन तुम्हारा पतन होगा उसी दिन, हर एक क्षण, राजा लोग भयभीत होंगे। हर एक राजा अपने जीवन के लिये भयभीत होगा।”

11 क्यों क्योंकि मेरा स्वामी यहोवा यह कहता है: “बाबुल के राजा की तलवार तुम्हारे विरुद्ध युद्ध करने आयेगी। 12 मैं उन सैनिकों का उपयोग तुम्हारे लोगों को युद्ध में मार डालने में करुँगा। वे सैनिक राष्ट्रों में सबसे भयंकर राष्ट्र से आते हैं। वे उन चीजों को नष्ट कर देंगे जिनका गर्व मिस्र को है। मिस्र के लोग नष्ट कर दिये जायेंगे। 13 मिस्र में नदियों के सहारे बहुत से जानवर हैं। मैं इन जानवरों को भी नष्ट करूँगा! लोग भविष्य में, अपने पैरों से पानी को गंदा नहीं करेंगे। गायों के खुर भविष्य में पानी को मैला नहीं करेंगे। 14 इस प्रकार मैं मिस्र में पानी को शान्त बनाऊँगा। मैं उनकी नदियों को मन्द बहाऊँगा वे तेल की तरह बहेंगी।” मेरे स्वामी यहोवा ने यह कहा,

15 “मैं मिस्र देश को खाली कर दूँगा। वह हर चीज से रहित होगा। मैं मिस्र में रहने वाले सभी लोगों को दण्ड दूँगा। तब वे जानेंगे कि मैं यहोवा और स्वामी हूँ!

16 “यह एक करुणगीत है जिसे लोग मिस्र के लिये गायेंगे। दूसरे राष्ट्रों में पुत्रियाँ (नगर) मिस्र के बारे में इस करुण गीत को गायेंगी। वे इसे, मिस्र और उसके सभी लोगों के बारे में करुण गीत के रूप में गायेंगी।” मेरे स्वामी यहोवा ने यह कहा था!

मिस्र का नष्ट किया जाना

17 देश निकाले के बारहवें वर्ष में, उस महीने के पन्द्रहवें दिन, यहोवा का सन्देश मुझे मिला। उसने कहा, 18 “मनुष्य के पुत्र, मिस्र के लोगों के लिये रोओ। मिस्र और उन पुत्रियों को शक्तिशाली राष्ट्र से कब्र तक पहुँचाओ। उन्हें उस पाताल लोक में पहुँचाओ जहाँ वे उन अन्य व्यक्तियों के साथ होंगे जो उस नरक में गए।

19 “मिस्र, तुम किसी अन्य से अच्छे नहीं हो। मृत्यु के स्थान पर चले जाओ। जाओ और उन विदेशियों के साथ लेटो।

20 “मिस्र को उन सभी अन्य लोगों के साथ रहने जाना पड़ेगा जो युद्ध में मारे गए थे। शत्रु ने उसे और उसके लोगों को उठा फेंका है।

21 “मजबूत और शक्तिशाली व्यक्ति युद्ध में मारे गए। वे विदेशी मृत्यु के स्थान पर गए। उस स्थान से वे लोग मिस्र और उसके सहायकों से बातें करेंगे। वे जो युद्ध में मारे गये थे।

22-23 “अश्शूर और उसकी सारी सेना वहाँ मृत्यु के स्थान पर हैं। उनकी कब्रें नीचे गहरे नरक में हैं। वे सभी अश्शूर के सैनिक युद्ध में मारे गए। उनकी कब्रे उसकी कब्र के चारों ओर हैं। जब वे जीवित थे तब वे लोगों को भयभीत करते थे। किन्तु अब वे सभी पूर्ण शान्त हैं वे सभी युद्ध में मारे गए थे।

24 “एलाम वहाँ है और इसकी सारी सेना उसकी कब्र के चारों ओर हैं। वे सभी युद्ध में मारे गए। वे विदेशी गहरे नीचे धरती में गए। जब वे जीवित थे, वे लोगों को भयभीत करते थे। किन्तु वे अपनी लज्जा को अपने साथ उस गहरे नरक में ले गए। 25 उन्होंने एलाम और उसके सैनिकों के लिए, जो युद्ध में मारे गए हैं, बिस्तर लगा दिया है। एलाम की सारी सेना उसकी कब्र के चारों ओर हैं। ये सभी विदेशी युद्ध में मारे गए थे। जब वे जीवित थे, वे लोगों को डराते थे। किन्तु वे अपनी लज्जा को अपने साथ उस गहरे नरक में ले गए। वे उन सभी लोगों के साथ रखे गये, जो मारे गए थे।

26 “मेशेक, तूबल और उनकी सारी सेनायें वहाँ है। उनकी कब्रें इनके चारों ओर हैं। वे सभी विदेशी युद्ध में मारे गए थे। जब वे जीवित थे तब वे लोगों को भयभीत करते थे। 27 किन्तु अब वे शक्तिशाली व्यक्तियों के साथ लेटे हैं जो बहुत पहले मर चुके थे। वे अपने युद्ध के अस्त्र—शस्त्रों के साथ दफनाए गए। उनकी तलवारें उनके सिर के नीचे रखी जाएंगी। किन्तु उनके पाप उनकी हड्डियों पर हैं। क्यों क्योंकि जब वे जीवित थे, उन्होंने लोगों को डराया था।

28 “मिस्र, तुम भी नष्ट होगे। तुम उन विदेशियों के साथ लेटोगे। तुम उन अन्य सैनिकों के साथ लेटोगे जो युद्ध में मारे जा चुके हैं।

29 “एदोम भी वहीं है। उससे राजा और अन्य प्रमुख उसके साथ वहाँ हैं। वे शक्तिशाली सैनिक भी थे। किन्तु अब वे उन अन्य लोगों के साथ लेटे हैं। जो युद्ध में मारे गए थे। वे उन विदेशियों के साथ लेटे हैं। वे उन व्यक्तियों के साथ नीचे नरक में चले गए।

30 “उत्तर के सभी शासक वहाँ हैं। वहाँ सीदोन के सभी सैनिक हैं। उनकी शक्ति लोगों को डराती थी। किन्तु वे हक्के—बक्के हैं। वे विदेशी उन अन्य व्यक्तियों के साथ लेटे हैं जो युद्ध में मारे गए थे। वे अपनी लज्जा अपने साथ उस गहरे नरक में ले गए।

31 “फिरौन उन लोगों को देखेगा जो मृत्यु के स्थान पर गए। वह और उसके साथ सभी लोगों को पूर्ण शान्ति मिलेगी। हाँ, फिरौन और उसकी सेना युद्ध में मारी जाएगी।” मेरे स्वामी यहोवा ने यह कहा था।

32 “जब फिरौन जीवित था तब मैंने लोगों को उससे भयभीत कराया। किन्तु अब वह उन विदेशियों के साथ लेटेगा। फिरौन और उसकी सेना उन अन्य सैनिकों के साथ लेटेगी जो युद्ध में मारे गए थे।” मेरे स्वामी यहोवा ने यह कहा था।

परमेश्वर यहेजकेल को इस्राएल का पहरेदार चुनता है

33 यहोवा का वचन मुझे मिला। उसने कहा, “मनुष्य के पुत्र, अपने लोगों से बातें करो। उनसे कहो, ‘मैं शत्रु के सैनिकों को उस देश के विरुद्ध युद्ध के लिये ला सकता हूँ। जब ऐसा होगा तो लोग एक व्यक्ति को पहरेदार के रूप में चुनेंगे। यदि पहरेदार शत्रु के सैनिकों को आते देखता है, तो वह तुरही बजाता है और लोगों को सावधान करता है। यदि लोग उस चेतावनी को सुनें किन्तु अनसुनी करें तो शत्रु उन्हें पकड़ेगा और उन्हें बन्दी के रूप में ले जायेगा। यह व्यक्ति अपनी मृत्यु के लिये स्वयं उत्तरदायी होगा। उसने तुरही सुनी, पर चेतावनी अनसुनी की। इसलिये अपनी मृत्यु के लिये वह स्वयं दोषी है। यदि उसने चेतावनी पर ध्यान दिया होता तो उसने अपना जीवन बचा लिया होता।

“‘किन्तु यह हो सकता है कि पहरेदार शत्रु के सैनिकों को आता देखता है, किन्तु तुरही नहीं बजाता। उस पहरेदार ने लोगों को चेतावनी नहीं दी। शत्रु उन्हें पकड़ेगा और उन्हें बन्दी बनाकर ले जाएगा। वह व्यक्ति ले जाया जाएगा क्योंकि उसने पाप किया। किन्तु पहरेदार भी उस आदमी की मृत्यु का उत्तरदायी होगा।’

“अब, मनुष्य के पुत्र, मैं तुमको इस्राएल के परिवार का पहरेदार चुन रहा हूँ। यदि तुम मेरे मुख से कोई सन्देश सुनो तो तुम्हें मेरे लिये लोगों को चेतावनी देनी चाहिए। मैं तुमसे कह सकता हूँ, ‘यह पापी व्यक्ति मरेगा।’ तब तुम्हें उस व्यक्ति के पास जाकर मेरे लिये उसे चेतावनी देनी चाहिए। यदि तुम उस पापी व्यक्ति को चेतावनी नहीं देते और उसे अपना जीवन बदलने को नहीं कहते, तो वह पापी व्यक्ति मरेगा, क्योंकि उसने पाप किया। किन्तु मैं तुम्हें उसकी मृत्यु का उत्तरदायी बनाऊँगा। किन्तु यदि तुम उस बुरे व्यक्ति को अपना जीवन बदलने के लिये और पाप करना छोड़ने के लिये चेतावनी देते हो और यदि वह पाप करना छोड़ने से इन्कार करता है तो वह मरेगा क्योंकि उसने पाप किया, किन्तु तुमने अपना जीवन बचा लिया।”

परमेश्वर लोगों को नष्ट करना नहीं चाहता

10 “अत: मनुष्य के पुत्र, इस्राएल के परिवार से मेरे लिये कहो। वे लोग कह सकते हैं, ‘हम लोगों ने पाप किया है और नियमों को तोड़ा है। हमारे पाप हमारी सहनशक्ति के बाहर हैं। हम उन पापों के कारण नाश हो रहे हैं। हम जीवित रहने के लिये क्या कर सकते हैं।’

11 “तुम्हें उनसे कहना चाहिए, ‘मेरा स्वामी यहोवा कहता है: मैं अपनी जीवन की शपथ खाकर विश्वास दिलाता हूँ कि मैं लोगों को मरता देख कर आनन्दित नहीं होता, पापी व्यक्तियों को भी नहीं। मैं नहीं चाहता कि वे मरें। मैं उन पापी व्यक्तियों को अपने पास लौटाना चाहता हूँ। मैं चाहता हूँ कि वे अपने जीवन को बदलें जिससे वे जीवित रह सकें। अत: मेरे पास लौटो! बुरे काम करना छोड़ो! इस्राएल के परिवार, तुम्हें मरना ही क्यों चाहिए?’

12 “मनुष्य के पुत्र, अपने लोगों से कहो: ‘यदि किसी व्यक्ति ने अतीत में पुण्य किया है तो उससे उसका जीवन नहीं बचेगा। यदि वह बच जाये और पाप करना शुरु करे। यदि किसी व्यक्ति ने अतीत में पाप किया, तो वह नष्ट नहीं किया जाएगा, यदि वह पाप से दूर हट जाता है। अत: याद रखो, एक व्यक्ति द्वारा अतीत में किये गए पुण्य कर्म उसकी रक्षा नहीं करेंगे, यदि वह पाप करना आरम्भ करता है।’

13 “यह हो सकता है कि मैं किसी अच्छे व्यक्ति के लिये कहूँ कि वह जीवित रहेगा। किन्तु यह हो सकता है कि वह अच्छा व्यक्ति यह सोचना आरम्भ करे कि अतीत में उसके द्वारा किये गए अच्छे कर्म उसकी रक्षा करेंगे। अत: वह बुरे काम करना आरम्भ कर सकता है। किन्तु मैं उसके अतीत के पुण्यों को याद नहीं रखूँगा! नहीं, वह उन पापों के कारण मरेगा जिन्हें वह करना आरम्भ करता है।

14 “या यह हो सकता है कि मैं किसी पापी व्यक्ति के लिये कहूँगा कि वह मरेगा। किन्तु वह अपने जीवन को बदल सकता है। वह पाप करना छोड़ सकता है और ठीक—ठीक रहना आरम्भ कर सकता है। वह अच्छा और उचित हो सकता है। 15 वह उस गिरवीं की चीज़ को लौटा सकता है जिसे उसने ऋण में मुद्रा देते समय रखा था। वह उन चीज़ों के लिये भुगतान कर सकता है जिन्हें उसने चुराया था। वह उन नियमों का पालन कर सकता है जो जीवन देते हैं। वह बुरे काम करना छोड़ देता है। तब वह व्यक्ति निश्चय ही जीवित रहेगा। वह मरेगा नहीं। 16 मैं उसके अतीत के पापों को याद नहीं करूँगा। क्यों क्योंकि वह अब ठीक—ठीक रहता है और उचित व्यवहार रखता है। अत: वह जीवित रहेगा!

17 “किन्तु तुम्हारे लोग कहते हैं, ‘यह उचित नहीं है! यहोवा मेरा स्वामी वैसा नहीं हो सकता!’

“परन्तु वे ही लोग हैं जो उचित नहीं है! वे ही लोग है, जिन्हें बदलना चाहिए! 18 यदि अच्छा व्यक्ति पुण्य करना बन्द कर देता है और पाप करना आरम्भ करता है तो वह अपने पापों के कारण मरेगा। 19 और यदि कोई पापी पाप करना छोड़ देता है और ठीक—ठीक तथा उचित रहना आरम्भ करता है तो वह जीवित रहेगा! 20 किन्तु तुम लोग अब भी कहते हो कि मैं उचित नहीं हूँ। किन्तु मैं सत्य कह रहा हूँ। इस्राएल के परिवार, हर एक व्यक्ति के साथ न्याय, वह जो करता है, उसके अनुसार होगा!”

यरूशलेम पर अधिकार कर लिया गया

21 देश—निकाले के बारहवें वर्ष में, दसवें महीने (जनवरी) के पाँचवें दिन एक व्यक्ति मेरे पास यरूशलेम से आया। वह वहाँ के युद्ध से बच निकला था। उसने कहा, “नगर (यरूशलेम) पर अधिकार हो गया!”

22 ऐसा हुआ कि जिस दिन वह व्यक्ति मेरे पास आया उसकी पूर्व संध्या को, मेरे स्वामी यहोवा की शक्ति मुझ पर उतरी। परमेश्वर ने मुझे बोलने योग्य नहीं बनाया। जिस समय वह व्यक्ति मेरे पास आया, यहोवा ने मेरा मुख खोल दिया था और फिर से मुझे बोलने दिया। 23 तब यहोवा का वचन मुझे मिला। उसने कहा, 24 “मनुष्य के पुत्र, इस्राएल के ध्वस्त नगर में इस्राएली लोग रह रहे हैं। वे लोग कह रहे हैं, ‘इब्राहीम केवल एक व्यक्ति था और परमेश्वर ने उसे यह सारी भूमि दे दी। अब हम अनेक लोग हैं अत: निश्चय ही यह भूमि हम लोगों की है! यह हमारी भूमि है!’

25 “तुम्हें उनसे कहना चाहिये कि मेरा स्वामी यहोवा यह कहता है, ‘तुम लोग रक्त—युक्त माँस खाते हो। तुम लोग अपनी देवमूर्तियों से सहायता की आशा करते हो। तुम लोगों को मार डालते हो। अत: मैं तुम लोगों को यह भूमि क्यों दूँ 26 तुम अपनी तलवार पर भरोसा करते हो। तुममें से हर एक भयंकर पाप करता है। तुममें से हर एक अपने पड़ोसी की पत्नी के साथ व्यभिचार करता है। अत: तुम भूमि नहीं पा सकते।’

27 “तुम्हें कहना चाहिए कि स्वामी यहोवा यह कहता है, मैं अपने जीवन की शपथ खा कर प्रतिज्ञा करता हूँ, कि जो लोग उन ध्वस्त नगरों में रहते हैं, वे तलवार के घाट उतारे जाएंगे। यदि कोई उस देश से बाहर होगा तो मैं उसे जानवरों से मरवाऊँगा और खिलाऊँगा। यदि लोग किले और गुफाओं में छिपे होंगे तो वे रोग से मरेंगे। 28 मैं भूमि को खाली और बरबाद करूँगा। वह देश उन सभी चीजों को खो देगा जिन पर उसे गर्व था। इस्राएल के पर्वत खाली हो जाएंगे। उस स्थान से कोई गुजरेगा नहीं। 29 उन लोगों ने अनेक भयंकर पाप किये हैं। अत: मैं उस देश को खाली और बरबाद करूँगा। तब वे लोग जानेंगे कि मैं यहोवा हूँ।”

30 “अब तुम्हारे विषय में, मनुष्य के पुत्र, तुम्हारे लोग दीवारों के सहारे झुके हुए और अपने दरवाजों में खड़े हैं और वे तुम्हारे बारे में बात करते हैं। वे एक दूसरे से कहते हैं, ‘आओ, हम जाकर सुनें जो यहोवा कहता है।’ 31 अत: वे तुम्हारे पास वैसे ही आते हैं जैसे वे मेरे लोग हों। वे तुम्हारे सामने मेरे लोगों की तरह बैठेंगे। वे तुम्हारा सन्देश सुनेंगे। किन्तु वे वह नहीं करेंगे जो तुम कहोगे। वे केवल वह करना चाहते हैं जो अनुभव करने में अच्छा हो। वे लोगों को धोखा देना चाहते हैं और अधिक धन कमाना चाहते हैं।

32 “तुम इन लोगों की दृष्टि में प्रेमगीत गाने वाले गायक से अधिक नहीं हो। तुम्हारा स्वर अच्छा है। तुम अपना वाद्य अच्छा बजाते हो। वे तुम्हारा सन्देश सुनेंगे किन्तु वे वह नहीं करेंगे जो तुम कहते हो। 33 किन्तु जिन चीजों के बारे में तुम गाते हो, वे सचमुच घटित होंगी और तब लोग समझेंगे कि उनके बीच सचमुच एक नबी रहता था!”

इस्राएल भेड़ों की एक रेवड़ की तरह है

34 यहोवा का वचन मुझे मिला। उसने कहा, “मनुष्य के पुत्र, मेरे लिए इस्राएल के गड़ेरियों (प्रमुखों) के विरुद्ध बातें करो। उनसे मेरे लिये बातें करो। उनसे कहो कि स्वामी यहोवा यह कहता है: ‘इस्राएल के गड़ेरियों (प्रमुखों) तुम केवल अपना पेट भर रहे हो। यह तुम्हारे लिये बहुत बुरा होगा। तुम गड़ेरियों, रेवड़ों का पेट क्यों नहीं भरते तुम मोटी भेड़ों को खाते हो और अपने वस्त्र बनाने के लिये उनकी ऊन का उपयोग करते हो। तुम मोटी भेड़ को मारते हो, किन्तु तुम रेवड़ का पेट नहीं भरते। तुमने दुर्बल को बलवान नहीं बनाया। तुमने रोगी भेड़ की परवाह नहीं की है। तुमने चोट खाई हुई भेड़ों को पट्टी नहीं बाँधी। कुछ भेड़ें भटक कर दूर चली गई और तुम उन्हें खोजने और उन्हें वापस लेने नहीं गए। तुम उन खोई भेड़ों को खोजने नहीं गए। नहीं, तुम क्रूर और कठोर रहे, यही मार्ग था जिस पर तुमने भेड़ों को ले जाना चाहा!

“‘और अब, भेड़ें बिखर गई हैं क्योंकि कोई गड़ेरिया नहीं था। वे हर एक जंगली जानवर का भोजन बनी। अत: वे बिखर गई। मेरी रेवड़ सभी पर्वतों और ऊँची पहाड़ियों पर भटकी। मेरी रेवड़ धरती की सारी सतह पर बिखर गई। कोई भी उनकी खोज और देखभाल करने वाला नहीं था।’”

अत: तुम गड़ेरियों, यहोवा का वचन सुनो! मेरा स्वामी यहोवा कहता है, “मैं अपनी जीवन की शपथ खाकर तुम्हें यह विश्वास दिलाता हूँ। जंगली जानवरों ने मेरी भेड़ों को पकड़ा। हाँ, मेरी रेवड़ सभी जंगली जानवरों का भोजन बन गई। क्यों क्योंकि उनका कोई ठीक गड़ेरिया नहीं था। मेरे गड़ेरियों ने मेरे रेवड़ की खोज नहीं की। उन गड़ेरियों ने भेड़ों को केवल मारा और स्वयं खाया। उन्होंने मेरी रेवड़ का पेट नहीं भरा।”

अत: तुम गड़ेरियों, यहोवा के सन्देश को सुनो! 10 यहोवा कहता है, “मैं उन गड़ेरियों के विरुद्ध हूँ! मैं उनसे अपनी भेड़ें मागूँगा! मैं उन पर आक्रमण करूँगा! वे भविष्य में मेरे गड़ेरिये नहीं रहेंगे! तब गड़ेरिये अपना पेट भी नहीं भर पाएंगे। मैं उनके मुख से अपनी रेवड़ को बचाऊँगा। तब मेरी भेड़ें उनका भोजन नहीं होंगी।”

11 मेरा स्वामी यहोवा कहता है, “मैं स्वयं उनका गड़ेरिया बनूँगा। मैं अपनी भेड़ों की खोज करूँगा। मैं उनको ढूँढूंगा। 12 यदि कोई गड़ेरिया अपनी भेड़ों के साथ उस समय है जब उसकी भेड़ें दूर भटकने लगी हों तो वह उनको खोजने जाएगा। उसी प्रकार मैं अपनी भेड़ों की खोज करूँगा। मैं अपनी भेड़ों को बचाऊँगा। मैं उन्हें उन स्थानों से लौटाऊँगा जहाँ वे उस बदली तथा अंधेरे में भटक गई थीं। 13 मैं उन्हें उन राष्ट्रों से वापस लाऊँगा। मैं उन देशों से उन्हें इकट्ठा करूँगा। मैं उन्हें उनके अपने देश में लाऊँगा। मैं उन्हें इस्राएल के पर्वतों पर, जलस्रोतों के सहारे, उन सभी स्थानों में, जहाँ लोग रहते है, खिलाऊँगा। 14 मैं उन्हें घास वाले खेतों में ले जाऊँगा। वे इस्राएल के पर्वतों के ऊँचे स्थानों पर जाएंगी। वहाँ वे अच्छी धरती पर सोएँगी और घास खाएंगी। वे इस्राएल के पर्वत पर भरी—पूरी घास वाली भूमि में चरेंगी। 15 हाँ, मैं अपने रेवड़ को खिलाऊँगा और उन्हें विश्राम के स्थान पर ले जाऊँगा।” मेरे स्वामी यहोवा ने यह कहा था।

16 “मैं खोई भेड़ की खोज करूँगा। मैं उन भेड़ों को वापस लाऊँगा जो बिखर गई थीं। मैं उन भेड़ों की पट्टी करूँगा जिन्हें चोट लगी थी। मैं कमजोर भेड़ को मजबूत बनाऊँगा। किन्तु मैं उन मोटे और शक्तिशाली गड़ेरियों को नष्ट कर दूँगा। मैं उन्हें वह दण्ड दूँगा जिसके वे पात्र हैं।”

17 मेरा स्वामी यहोवा यह कहता है, “और तुम, मेरी रेवड़, मैं प्रत्येक भेड़ के साथ न्याय करूँगा। मैं मेढ़ों और बकरों के बीच न्याय करूँगा। 18 तुम अच्छी भूमि पर उगी घास खा सकते हो। अत: तुम उस घास को क्यों कुचलते हो जिसे दूसरी भेड़ें खाना चाहती हैं। तुम पर्याप्त स्वच्छ जल पी सकते हो। अत: तुम उस जल को हिलाकर गन्दा क्यों करते हो, जिसे अन्य भेड़ें पीना चाहती हैं। 19 मेरी रेवड़ उस घास को खाएंगी जिसे तुमने अपने पैरों से कुचला और वह पानी पीएंगी जिसे तुमने अपने पैरों से हिलाकर गन्दा कर दिया!”

20 अत: मेरा स्वामी यहोवा उनसे कहता है: “मैं स्वयं मोटी और पतली भेड़ों के साथ न्याय करूँगा! 21 तुम अपनी बगल से और अपने कन्धों से धक्का देकर और अपनी सींगों से सभी कमजोर भेड़ों को तब तक मार गिरोते हो, जब तक तुम उनको दूर चले जाने के लिये विवश नहीं करते। 22 अत: मैं अपनी रेवड़ को बचाऊँगा। वे भविष्य में जंगली जानवरों से नहीं पकड़ी जाएंगीं। मैं प्रत्येक भेड़ के साथ न्याय करूँगा। 23 तब मैं उनके उपर एक गड़ेरिया अपने सेवक दाऊद को रखूँगा। वह उन्हें अपने आप खिलाएगा और उनका गड़ेरिया होगा। 24 तब मैं यहोवा और स्वामी, उनका परमेश्वर होऊँगा और मेरा सेवक दाऊद उनके बीच रहने वाला शासक होगा। मैं (यहोवा) ने यह कहा है।

25 “मैं अपनी भेड़ों के साथ एक शान्ति—सन्धि करूँगा। मैं हानिकर जानवरों को देश से बाहर कर दूँगा। तब भेड़ें मरुभूमि में सुरक्षित रहेंगी और जंगल में सोएंगी। 26 मैं भेड़ों को और अपनी पहाड़ी (यरूशलेम) के चारों ओर के स्थानों को आशीर्वाद दूँगा। मैं ठीक समय पर वर्षा करूँगा। वे आशीर्वाद सहित वर्षा करेंगे। 27 खेतों में उगने वाले वृक्ष अपने फल देंगे। भूमि अपनी फसल देगी। अत: भेड़ें अपने प्रदेश में सुरक्षित रहेंगी। मैं उनके ऊपर रखे जूवों को तोड़ दूँगा। मैं उन्हें उन लोगों की शक्ति से बचाऊँगा जिन्होंने उन्हें दास बनाया। तब वे जानेंगे कि मैं यहोवा हूँ। 28 वे जानवरों की तरह भविष्य में अन्य राष्ट्रों द्वारा बन्दी नहीं बनाये जाएंगे। वे जानवर उन्हें भविष्य में नहीं खाएंगे। अपितु अब वे सुरक्षित रहेंगे। कोई उन्हें आतंकित नहीं करेगा। 29 मैं उन्हें कुछ ऐसी भूमि दूँगा जो एक अच्छा उद्यान बनेगी। तब वे उस देश में भूख से पीड़ित नहीं होंगे। वे भविष्य में राष्ट्रों से अपमानित होने का कष्ट न पाएंगे। 30 तब वे समझेंगे कि मैं उनका परमेश्वर यहोवा हूँ। तब वे समझेंगे कि मैं उनके साथ हूँ। इस्राएल का परिवार समझेगा कि वे मेरे लोग हैं! मेरे स्वामी यहोवा ने यह कहा था!

31 “तुम मेरी भेड़ों, मेरी चरागाह की भेड़ों, तुम केवल मनुष्य हो और मैं तुम्हारा परमेश्वर हूँ।” मेरे स्वामी यहोवा ने यह कहा।

एदोम के विरुद्ध सन्देश

35 मुझे यहोवा का वचन मिला। उसने कहा, “मनुष्य के पुत्र, सेईर पर्वत की ओर ध्यान दो और मेरे लिये इसके विरुद्ध कुछ कहो। इससे कहो, ‘मेरा स्वामी यहोवा यह कहता है:

“‘सेईर पर्वत, मैं तुम्हारे विरुद्ध हूँ!
    मैं तुम्हें दण्ड दूँगा, मैं तुम्हें खाली बरबाद क्षेत्र कर दूँगा।
मैं तुम्हारे नगरों को नष्ट करूँगा,
    और तुम खाली हो जाओगे।
तब तुम समझोगे कि मैं यहोवा हूँ।

“‘क्यों क्योंकि तुम सदा मेरे लोगों के विरुद्ध रहे। तुमने इस्राएल के विरुद्ध अपनी तलवारों का उपयोग उनकी विपत्ति के समय में किया, उनके अन्तिम दण्ड के समय में।’” अत: मेरा स्वामी यहोवा कहता है, “मैं अपने जीवन की शपथ खाकर प्रतिज्ञा करता हूँ कि तुम्हें मैं मृत्यु के मुँह में भेजूँगा। मृत्यु तुम्हारा पीछा करेगी। तुम्हें व्यक्तियों के मारने से घृणा नहीं है, अत: मृत्यु तुम्हारा पीछा करेगी। मैं सेईर पर्वत को खाली बरबाद कर दूँगा। मैं उस हर एक व्यक्ति को मार डालूँगा जो उस नगर से आएगा और मैं उस हर व्यक्ति को मार डालूँगा जो उस नगर में जाने का प्रयत्न करेगा। मैं उसके पर्वतों को शवों से ढक दूँगा। वे शव तुम्हारी सारी पहाड़ियों, तुम्हारी घाटी और तुम्हारे सारे विषम जंगलों में फैले होंगे। मैं तुझे सदा के लिये खाली कर दूँगा। तुम्हारे नगरों में कोई नहीं रहेगा। तब तुम समझोगे कि मैं यहोवा हूँ।”

10 तुमने कहा, “ये दोनों राष्ट्र और देश (इस्राएल और यहूदा) मेरे होंगे। हम उन्हें अपना बना लेंगे।”

किन्तु यहोवा वहाँ है! 11 मेरा स्वामी यहोवा कहता है, “तुम मेरे लोगों के प्रति ईर्ष्यालु थे। तुम उन पर क्रोधित थे और तुम मुझसे घृणा करते थे। अत: अपने जीवन की शपथ खाकर मैं प्रतिज्ञा करता हूँ कि मैं तुम्हें वैसे ही दण्डित करूँगा जैसे तुमने उन्हें चोट पहुँचाई। मैं तुझे दण्ड दूँगा और अपने लोगों को समझने दूँगा कि मैं उनके साथ हूँ। 12 तब तुम भी समझोगे कि मैंने तुम्हारे लिये सभी अपमानों को सुना है।

“तुमने इस्राएल पर्वत के विरुद्ध बहुत सी बुरी बातें की हैं। तुमने कहा, ‘इस्राएल नष्ट कर दिया गया! हम लोग उसे भोजन की तरह चबा जाएंगे!’ 13 तुम गर्वीले थे तथा मेरे विरुद्ध तुमने बातें कीं। तुमने अनेक बार कहा और जो तुमने कहा, उसका हर एक शब्द मैंने सुना! हाँ, मैंने तुम्हें सुना।”

14 मेरा स्वामी यहोवा यह कहता है, “उस समय सारी धरती प्रसन्न होगी जब मैं तुम्हें नष्ट करूँगा। 15 तुम तब प्रसन्न थे जब इस्राएल देश नष्ट हुआ था। मैं तुम्हारे साथ वैसा ही व्यवहार करुँगा। सेईर पर्वत और एदोम का पूरा देश नष्ट कर दिया जाएगा। तब तुम समझोगे कि मैं यहोवा हूँ।”

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

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