Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
गित्तीथ क संगत पइ संगीत निर्देसक बरे दाऊद क एक ठु पद।
1 हे यहोवा, हमार सुआमी, तोहार नाउँ सारी भुइँया पइ बहोतइ अद्भुत बाटइ।
तोहार नाउँ सरगे मँ हर कइँती तोहका बड़कइ देत बाटइ।
2 लरिकन अउ नान्ह गदेलन क मुँहन स, तोहरी बड़कइ क गीत गावा जात हीं।
तू आपन दुस्मनन क चुप करावइ मँ अइसा करत ह।
3 हे यहोवा, जब मोर निगाह अकासे पइ पड़त ह, जेका तू आपन हाथे स रच्या ह।
अउर जब मइँ चाँद तारन क लखत हउँ जउन तोहार रचना बाटइ, तउ मइँ अचम्भा स भरि जात हउँ।
4 मनइयन तोहरे बरे काहे ऍतना महत्वपूर्ण होइ गएन?
तू ओनका काहे बरे सुमिरत अहा?
मनई क पूत तोहरे बरे काहे महत्वपूर्ण बाटइ?
काहे तू ओन पइ धियान तलक देत अहा?
5 मुला तोहरे बरे मनई महत्वपूर्ण अहइ!
तू मनई क देवता क प्रतिरूप बनाया ह, अउ ओनके मूँड़े पइ महिमा अउ सम्मान क मुकुट धरे अहा।
6 तू आपन सृस्टि क जउन कछू भी रच्या ह
मनइयन क ओकर हकदार बनाया ह।
7 मनई भेड़िन पइ, गोरू धने पइ अउ जंगल क सबहिं हिंसक जन्तुअन पइ राज्ज करत ह।
8 उ अकासे मँ पंछियन पइ
अउ समुद्दर मँ तैरत भए जलचरन पइ राज्ज करत ह।
9 हे यहोवा, हमार सुआमी, सारी धरती पइ तोहार नाउँ बहोतइ अद्भुत अहइ।
12 “अय्यूब, का तू कबहुँ आपन जिन्नगी मँ भोर क हुकुम दिहा ह निकरि आवइ
अउर दिन क सुरु करइ क?
13 अय्यूब, का तू कबहुँ भिन्सारे क प्रकास क धरती पइ छाइ जाइ क कह्या ह
अउर का कबहुँ ओहसे दुस्टन क लुकाइ क जगहिया क तजि देइ क मजबूर करइ क कह्या ह?
14 जब भिंसारे क प्रकास धरती पइ पड़त ह
तउ धरती क रूप व आकृति अइसा प्रगट होत ह
जइसे नरम मिट्टी क मुहर स दबाइ स होत ह।
एकर रूप रेखा ओढ़नन क सलवटन क नाईं उभरत ह।
15 दुस्ठ लोगन स प्रकास लइ लीन्ह गवा ह।
नीक अउर ओन बाजूअन क जउन कि उ पचे बुरा करम करइ बरे उठाएस तोड़ दीन्ह ग रहेन।
16 “अय्यूब, बतावा का तू कबहुँ सागर क गहिर तहे मँ गवा अहा
जहाँ स सुरु होत हका तू कबहुँ सागर क स्त्रितों पइ चला अहा?
17 अय्यूब, का तू कबहुँ उ फाटकन क लख्या ह, जउन मउते क लोक लइ जात हीं?
का तू कबहुँ ओन फाटकन क लख्या जउन मउत क अँधियार जगह क लइ जात हीं?
18 अय्यूब, तू जानत अही कि इ धरती केतँनी बड़ी अहइ?
तू मोका बतावा अउर तू इ सब कछु जानत अहा।
19 “अय्यूब, प्रकास कहाँ स आवत अहइ?
अउर अँधियारा कहा स आवत ह?
20 अय्यूब, का तू प्रकास अउ अँधियारा क अइसी जगह लइ जाइ सकत ह जहाँ स उ सबइ आए होइँ?
जहाँ उ सबइ रहत हीं हुआँ पइ जाइ क मारग का तू जानत अहा?
21 अय्यूब, मोका निहचय अहइ कि तोहका सारी बातन मालूम अइँ काहेकि तू बहोत ही बूढ़ा अहा।
जब वस्तुअन क रचना भइ रही तब तू हुआँ रह्या।
12 अउर इहइ कारण अहइ जेहसे मइँ एन बातन क दुख उठावत अहउँ। अउर फिन भी लज्जित नाहीं हउँ काहेकि जेह प मइँ बिसवास किहे हउँ, मइँ ओका जानत हउँ अउर मइँ इ मानत हउँ कि उ मोका जउन सँऊपे अहइ, उ ओकर रच्छा करइ मँ समर्थ बाटइ जब तलक उ दिन[a] आवइ,
13 ओह अच्छी सिच्छा क जेका तू मोसे सुने अहा, ओका बिसवास अउर पिरेम मँ, जो मसीह ईसू मँ अहइ ओकर आपन आदर्स सिच्छा बनाए रहा। 14 हमरे भीतर निवास करइवाली पवित्तर आतिमा क द्वारा तू उ सत्य की रच्छा करा, जउन तोहका सँउप गवा बा।
Awadhi Bible: Easy-to-Read Version. Copyright © 2005 Bible League International.