Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
16 जब हमने तुम पर हमारे प्रभु मसीह येशु की सामर्थ और दूसरे आगमन के सत्य प्रकाशित किए, हमने कोई चतुराई से गढ़ी गई कहानियों का सहारा नहीं लिया था—हम स्वयं उनके प्रताप के प्रत्यक्षदर्शी थे. 17 जब मसीह येशु ने पिता परमेश्वर से आदर और महिमा प्राप्त की, प्रतापमय महिमा ने उन्हें सम्बोधित करते हुए यह पुकारा, “यह मेरा प्रिय पुत्र है—मेरा अत्यन्त प्रिय—जिससे मैं प्रसन्न हूँ.” 18 उनके साथ जब हम पवित्र पर्वत पर थे, स्वर्ग से उद्भूत इस शब्द को हमने स्वयं सुना.
भविष्यवाणी की महानता
19 इसलिए भविष्यद्वक्ताओं का वचन और अधिक विश्वसनीय हो गया है. उस पर तुम्हारा ध्यान केन्द्रित करना ठीक वैसे ही भला है जैसे जलते हुए दीपक पर ध्यान केन्द्रित करना—जब तक पौ नहीं फटती और तुम्हारे हृदयों में भोर का तारा उदित नहीं होता. 20 किन्तु सबसे पहिले यह समझ लो कि पवित्रशास्त्र की कोई भी भविष्यवाणी स्वयं भविष्यद्वक्ताओं का अपना विचार नहीं है, 21 क्योंकि कोई भी भविष्यवाणी मनुष्य की इच्छा के आदेश से मुँह से नहीं निकलती, परन्तु भविष्यद्वक्ता पवित्रात्मा से उत्तेजित किए जा कर परमेश्वर की ओर से घोषणा किया करते थे.
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