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Revised Common Lectionary (Semicontinuous)

Daily Bible readings that follow the church liturgical year, with sequential stories told across multiple weeks.
Duration: 1245 days
Saral Hindi Bible (SHB)
Version
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2 थेस्सलोनिकेयुस 2:1-5

मसीह येशु के दोबारा आगमन से पहले की घटनाएँ

प्रभु के दोबारा आगमन के लक्षण

और अब, प्रियजन, हमारे प्रभु मसीह येशु के दोबारा आगमन तथा उनके साथ हमारे इकट्ठा होने के विषय में तुमसे हमारी विनती है, कि तुम उतावली में न तो अपना मानसिक सन्तुलन खोना और न किसी आत्मिक प्रकाशन, वचन या किसी ऐसे पत्र के कारण घबराना, जो तुम्हें इस रीति से सौंपा जाए, जो मानो तुम्हें हमारे द्वारा लिखा गया है तथा जिसमें यह सूचना दी गई हो कि प्रभु के दिन का आगमन हो चुका. कोई तुम्हें किसी भी रीति से भटकाने न पाए क्योंकि यह उस समय तक न होगा जब तक इसके पहले विश्वास का पतन न हो जाए तथा पाप का पुत्र, जो विनाश का पुत्र है, प्रकट न हो. वह हर एक तथाकथित ईश्वर या आराधना योग्य वस्तु का विरोध करता तथा अपने आप को इन सब के ऊपर करता है कि स्वयं को परमेश्वर बताते हुए परमेश्वर के मन्दिर में ऊँचे आसन पर जा बैठे.

क्या तुम्हें याद नहीं कि तुम्हारे साथ रहते हुए मैंने तुम्हें यह सब बताया था?

2 थेस्सलोनिकेयुस 2:13-17

दृढ़ बने रहने के लिए प्रोत्साहन

13 किन्तु, प्रियजन, यहाँ तुम्हारे लिए परमेश्वर के सामने हमारा सदैव धन्यवाद देना सही ही है. तुम प्रभु के प्रिय हो क्योंकि परमेश्वर ने प्रारम्भ ही से पवित्रात्मा द्वारा पाप से अलग करके तथा सच में तुम्हारे विश्वास के कारण उद्धार के लिए तुम्हें चुन लिया है. 14 परमेश्वर ने हमारे ईश्वरीय सुसमाचार बताने के द्वारा तुम्हें बुलाया कि तुम हमारे प्रभु मसीह येशु की महिमा में शामिल हो सको. 15 इसलिए, प्रियजन, स्थिर रहो. उन पारम्परिक शिक्षाओं में अटल रहो, जो तुमने हमसे मौखिक रूप से या पत्र के द्वारा प्राप्त की हैं.

16 अब स्वयं हमारे प्रभु मसीह येशु तथा पिता परमेश्वर, जिन्होंने अपने प्रेम में अनुग्रह द्वारा हमें अनन्त धीरज-प्रोत्साहन तथा उत्तम आशा प्रदान की है, 17 तुम्हें हर एक सत्कर्म तथा वचन-सन्देश में मनोबल और प्रोत्साहन प्रदान करें.

लूकॉ 20:27-38

मरे हुओं के जी उठने का प्रश्न

(मत्ति 22:23-33; मारक 12:18-27)

27 तब सदूकी समुदाय के कुछ लोग, जो पुनरुत्थान में विश्वास नहीं करते, मसीह येशु के पास आए. 28 उन्होंने उनसे प्रश्न किया, “गुरुवर,” हमारे लिए “मोशेह के निर्देश हैं यदि किसी निःसन्तान पुरुष का पत्नी के रहते हुए निधन हो जाए तो उसका भाई उस स्त्री से विवाह कर अपने भाई के लिए सन्तान उत्पन्न करे. 29 सात भाई थे. पहिले ने विवाह किया और निःसन्तान ही उसकी मृत्यु हो गई. 30 तब दूसरे ने 31 और फिर तीसरे ने उससे विवाह किया और इस प्रकार सातों ही निःसन्तान चल बसे. 32 अन्ततः: उस स्त्री की भी मृत्यु हो गई. 33 इसलिए मरे हुओं के जी उठने पर वह स्त्री किसकी पत्नी कहलाएगी—क्योंकि वह सातों ही की पत्नी रह चुकी थी?”

34 मसीह येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “विवाह केवल इसी लोक में होते हैं. 35 वे, जो आनेवाले लोक में प्रवेश तथा मरे हुओं में से जी उठने के योग्य गिने जाते हैं, वैवाहिक अवस्था में प्रवेश नहीं करते. 36 जी उठने पर लोग न तो वैवाहिक अवस्था में होंगे और न ही कभी उनकी मृत्यु होगी क्योंकि वहाँ वे स्वर्गदूतों जैसे होते हैं. जी उठने के परिणामस्वरूप वे परमेश्वर की सन्तान होंगे. 37 मरे हुओं का जी उठना एक सच्चाई है, इसकी पुष्टि स्वयं मोशेह ने जलती हुई झाड़ी के विवरण में की है, जहाँ वह प्रभु को अब्राहाम का परमेश्वर, इसहाक का परमेश्वर तथा याक़ोब का परमेश्वर कहते हैं. 38 इसलिए वह मरे हुओं के नहीं, जीवितों के परमेश्वर हैं क्योंकि उनके सामने ये सभी जीवित हैं.”

Saral Hindi Bible (SHB)

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