Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
बिसवास
11 बिसवास करे के मतलब ए अय कि ओ बात ह निस्चय होही, जेकर आसा हमन करथन अऊ बिसवास करे के मतलब ओ बात के निस्चयता घलो अय, जऊन ला हमन नइं देखन। 2 बिसवास के कारन ही पुराना जमाना के मनखेमन परमेसर के नजर म सही ठहरिन।
3 बिसवास के दुवारा, हमन जानथन कि जम्मो संसार ह परमेसर के हुकूम ले सिरजे गीस, अऊ जऊन चीज ह दिखथे, ओह दिखत चीज ले बनाय नइं गीस।
8 जब परमेसर ह अब्राहम ला एक ठन जगह ला जाय बर कहिस, जऊन ला ओह बाद म वारिस के रूप म पवइया रिहिस, त बिसवास के दुवारा, अब्राहम ह परमेसर के बात ला मानिस अऊ चल दीस, हालाकि ओला ए बात मालूम नइं रिहिस कि ओह कहां जावत रिहिस। 9 बिसवास के दुवारा, ओह परतिगियां के भुइयां म अपन घर बनाईस अऊ एक अजनबी के सहीं, ओह एक आने देस म रिहिस। ओह तम्बूमन म रहय अऊ वइसने इसहाक अऊ याकूब घलो करिन, जऊन मन अब्राहम के संग ओहीच परतिगियां के वारिस रिहिन। 10 काबरकि अब्राहम ह ओ सहर के बाट जोहत रिहिस, जेकर नींव हवय अऊ जेकर नकसा बनइया अऊ गढ़इया परमेसर ए।
11 हालाकि अब्राहम डोकरा हो गे रिहिस अऊ सारा ह खुद बांझ रिहिस, पर बिसवास के दुवारा, अब्राहम ह ददा बनिस काबरकि ओह परमेसर ऊपर बिसवास करिस, जऊन ह ओकर ले वायदा करे रिहिस। 12 अऊ ए किसम ले, ए एक झन ले, जऊन ह मुरदा सहीं रिहिस, अतेक संतान होईन कि ओमन अकास के तारामन अऊ समुंदर तीर के बालू सहीं अनगिनत हो गीन।
13 ए जम्मो मनखे बिसवास म रहत मर गीन। ओमन ओ चीजमन ला नइं पाईन, जेकर वायदा परमेसर ह ओमन ले करे रिहिस, पर ओमन ओ चीजमन ला सिरिप देखिन अऊ दूरिहा ले ओमन के सुवागत करिन। अऊ ओमन ए बात ला मान लीन कि ओमन ए धरती म परदेसी अऊ अजनबी रिहिन। 14 जऊन मनखेमन अइसने बात कहिथें, ओमन ए परगट करथें कि ओमन अपन खुद के एक देस के खोज म हवंय। 15 यदि ओमन ओ देस के बारे म सोचे होतिन, जऊन ला छोंड़के ओमन आ गे रिहिन, त ओमन करा वापिस जाय के मऊका रिहिस। 16 पर ओमन एक उत्तम देस, याने कि स्वरगीय देस के खोज म रिहिन। एकरसेति परमेसर ह नइं लजावय, जब ओमन ओला अपन परमेसर कहिथें काबरकि ओह ओमन बर एक सहर तियार करे हवय।
32 हे छोटे झुंड! झन डर, काबरकि तोर ददा परमेसर ह तोला राज देके खुस हवय। 33 अपन संपत्ति ला बेंच अऊ गरीबमन ला दे। अपन बर अइसने बटुवा बनावव, जऊन ह जुन्ना नइं होवय, याने स्वरग म अपन धन जमा करव, जऊन ह कभू नइं घटय; जेकर लकठा म चोर नइं आ सकय अऊ जऊन ला कीरा घलो नइं खा सकय। 34 काबरकि जिहां तोर धन हवय, उहां तोर मन घलो लगे रहिही।”
सचेत सेवक
35 “तुमन सेवा करे बर हमेसा तियार रहव अऊ अपन दीया ला बारे रखव; 36 ओ सेवकमन सहीं, जऊन मन अपन मालिक के एक बिहाव भोज ले लहुंटे के बाट जोहत हवंय, ताकि जब ओह आवय अऊ कपाट ला खटखटावय, त ओमन तुरते ओकर बर कपाट ला खोल सकंय। 37 ओ सेवकमन बर एह खुसी के बात होही, जब ओमन के मालिक लहुंटके आथे, त ओमन ला जागत पाथे। मेंह तुमन ला सच कहथंव – ओह खुदे सेवा करे बर सेवक के कपड़ा पहिरही; ओह ओमन ला खाना खवाय बर बईठाही अऊ आके ओमन के सेवा करही। 38 ओ सेवकमन बर एह बने बात होही, यदि ओमन के मालिक रतिहा के दूसर या तीसरा पहर म आवय अऊ ओमन ला सचेत पावय। 39 पर तुमन ए बात ला जान लेवव: यदि घर के मालिक ए जानतिस कि चोर ह कतेक बेरा आही, त ओह अपन घर ला चोरी होय बर नइं छोंड़ देतिस। 40 तुमन घलो हमेसा तियार रहव, काबरकि मनखे के बेटा ह अइसने बेरा म आ जाही, जब तुमन ओकर आय के आसा नइं करत होहू।”
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