Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
27 जिन पर परमेश्वर ने अन्यजातियों के बीच इस भेद के वैभव के धन को प्रकट कर देना सही समझा. वह भेद है तुम में स्थिर बना मसीह, तुम्हारी होने वाली महिमा की आशा.
28 हम बुद्धिमत्तापूर्वक हर एक को चेताते तथा हर एक को शिक्षा देते हुए उन्हीं का प्रचार करते हैं कि हम हर एक व्यक्ति को मसीह में परिपक्व रूप में प्रस्तुत करें. 29 इसी उद्धेश्य से मैं उनके सामर्थ के अनुसार, जो मुझमें प्रबल रूप से कार्य कर रही है, मेहनत करते हुए परिश्रम कर रहा हूँ.
2 मैं चाहता हूँ कि तुमको यह मालूम हो कि मैं तुम्हारे लिए तथा उन सबके लिए, जो लाओदीकेइया में हैं तथा उन सबके लिए, जिन्होंने मुझे व्यक्तिगत रूप से नहीं देखा है, कितना कठिन परिश्रम कर रहा हूँ. 2 कि उनके हृदय प्रोत्साहित होकर प्रेम में जुड़कर उस पूरे धन को प्राप्त हो, जो समझ के पूरे निश्चय में और परमेश्वर के भेद का वास्तविक ज्ञान हो, जो स्वयं मसीह है, 3 जिनमें बुद्धि और ज्ञान के सारे भण्ड़ार छिपे है. 4 मैं यह इसलिए कह रहा हूँ कि कोई भी तुम्हें लुभाने वाली बातों के द्वारा भटकाने न पाए. 5 हालांकि शारीरिक रूप से मैं वहाँ अनुपस्थित हूँ तौभी तुम्हारे उत्तम अनुशासन तथा मसीह में तुम्हारे विश्वास की दृढ़ता को देख कर प्रसन्न होते हुए, आत्मा में मैं तुम्हारे साथ हूँ.
गलत शिक्षाओं के विषय में चेतावनी व मसीही स्वभाव के लिए प्रोत्साहन
6 इसलिए कि तुमने प्रभु मसीह येशु को स्वीकार कर लिया है, अपना जीवन उनमें जीयों 7 उनमें गहराई तक जड़े हुए, और मसीह में उन्नत होते हुए अपने विश्वास में दृढ़ हो जाओ—ठीक जैसी शिक्षा तुम्हें दी गई थी—तथा तुम में धन्यवाद भाव अधिक से अधिक होता रहे.
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